Chhoti Behan ko chodkar bachcha paida kiya
वर्षा नहा कर आई और मेरी तरफ देखा भी नहीं, तभी उसकी स्कूल की क्लासमेट तीन सहेलियां आईं.. वे वर्षा की उम्र की थीं. वे सब पतली पतली मरघिल्ली सी थीं ओर सब चश्मिश भी थीं. पढ़ाई में सब टॉपर थीं और मेरी बहन की तरह अकड़ू भी थीं. शायद वो भी मेरी बहन की तरह सब छोटी छोटी बात पर बखेड़ा करती होंगी, बात बात पर गांड जलाती होंगी इसलिए इनके जिस्म में भी मांस की कमी थी.
वो सब मुझे इस तरह से चश्मे में से देख रही थीं कि जैसे मैं कोई बहुत बड़ा पिशाच हूं, जो उन्हें खा जाऊँगी. शायद उन लड़कियों को किसी ने मेरे बारे में भड़काया था.
वो एक दूसरे को देख रही थीं, उसमें से एक आगे आके मुझसे बोली- वर्षा कहां पर है?
मैं जवाब देती, उससे पहले उसकी नजर बाथरूम में गई. वहाँ मम्मी कपड़े धो रही थीं, वो मुझे छोड़ मम्मी के पास गई और बोली- आंटी, हम और वर्षा थियेटर में दंगल फ़िल्म देखने जा रहे हैं. हमारे साथ हमारी टीचर दर्शना भी हैं, हमें जाने की अनुमति दीजिए.
हमारे मोहल्ले में दर्शना मैडम को समझो लोग भगवान की तरह मानते हैं.
मम्मी बोलीं- हां बेटी जाओ.. वर्षा अभी नहाकर अपने कमरे में कपड़े पहन रही है.
वर्षा कमरे में नये कपड़े जीन्स और टी-शर्ट पहन कर पहन कर निकली. वो बचपन से कभी भी मेकअप नहीं करती, फिर भी वो एकदम गुलाब की कच्ची कली लग रही थी. उसने मेरी तरफ देखा भी नहीं, वो मम्मी से बोली- मम्मी, हम फ़िल्म देखने जा रहे हैं, दोपहर का खाना भी रेस्टोरेंट में खायेंगे. हमारी मैडम का आज जन्मदिन है, उन्होंने हमें पार्टी दी है.
बस इतना कह कर वे सब चली गईं.
मैं उसे देखती रह गई, मुझे उस पर इतना गुस्सा आया कि पूछो मत. अब उसकी खैर नहीं, रात होने दो.
फिर वो शाम को आई, नए कपड़े उतारे.. और कैपरी और ढीली सी खुली वाली टी-शर्ट पहन कर टीवी देखने लगी. मैंने खाना बनाया. दाल भात और रोटियां बना लीं.. फिर मैं भी टीवी देखने बैठ गई. तो वर्षा उठ कर बाहर चली गई.
अब ये ऐसा क्यों कर रही है? मुझे उस पर इतना गुस्सा आ रहा, सोचा रात होने दो, फिर देख लेंगे.
मैंने फिर से रात को वर्षा की दाल में दो कैप्सूल कूट कर डाल दिए और खाना परोसा. वर्षा खाकर उठी ओर टीवी देखने चली गई. मैं भी उसके पीछे टीवी देखने गई.
वर्षा बोली- तुम मेरी नक़ल क्यों कर रही हो दीदी.. आज से हम दोनों अलग सोएंगे.
मैं बोली- क्यों?
वो बोली- क्योंकि तुम मुझे उकसा रही हो अपने जैसा बनाने के लिए.. मुझसे दूर रहो प्लीज दीदी.
मैं गुस्सा होकर बोली- तुम्हें जो ठीक लगे.. वो करो.
मैं अपने कमरे में सोने के लिए चली आई, मुझे पता था कि थोड़ी देर रुको असर अभी हुआ नहीं है. वो मेरे कमरे में आई और चुपचाप चादर तकिया रजाई ले गई; टीवी वाले कमरे में सो गई.
रात के दस बजे थे कि वो मेरे कमरे में आई और मुझे बांहों में भर लिया और फूटफूट कर रोने लगी, बोली- दीदी मुझे माफ़ कर दो, मेरी चूत फिर से उसी तरह जल रही है दीदी.
मैं उसे धक्का देते हुए बोली- सुबह आना, अभी तेरी तबीयत ख़राब है, तू अपने होश में नहीं है.
वो बोली- दीदी प्लीज तुम मजाक मत करो मेरा.. मैं फिर से तड़प रही हूँ कल रात की तरह..
वो अपनी चूत पर थप्पड़ मारती और गालियां देती, भगवान को कोसती कि मुझे जवान बना कर क्यों तड़पा रहा है.
उसने मेरे पैर पकड़े और मुझसे कहा- दीदी कुछ करो.. तुम्हें मेरी कसम है नहीं तो मैं आज कुछ कर दूंगी. अभी इसी वक्त मुझे उस मजदूर से चुदना है, उसे यहां हमारे घर बुलाओ.. नहीं तो मेरी चूत मेरी जान ले लेगी.. अब मुझसे सहन नहीं होता. मैं कुछ सुनना नहीं चाहती.. प्लीज आखिरी बार मदद करो मेरी..
वो फफक कर रोने लगी.
मैं बोली- अच्छा अच्छा रोओ मत, पर वर्षा तुम तो एक अच्छी लड़की हो. तुम कैसे मजदूर से चुदवा सकती हो, नहीं नहीं, मैं तेरी बड़ी बहन हूँ कैसे तुझे चुदवाऊं और पहली बार चुदवाना बड़ा दुखदाई होता है.
वो तड़पते हुऐ बोली- दीदी मैं कोई भी दुख सह लूँगी.. पर मुझे जल्दी शांत करो मेरी चूत में अगन लगी है, मैं मर जाउंगी.. मुझसे ये जलन सहन नहीं होती.
मैं बोली- तेरी चूत फट जाएगी और तू चुदक्कड़ हो जाएगी.. यहाँ वहाँ मुँह मारती फिरेगी.. तुझे रोज लंड की जरूरत होगी और तुझे लगेगा मैंने तुझे बिगाड़ा.. तेरी आदत हो जाएगी, तुम्हें लंड लिए बिना चैन नहीं पड़ेगा और तू फिर से मुझे कहेगी कि तूने मुझे चुदवाया, तू छिनाल है.. छिनाल है.
वो रोने लगी और बोली- दीदी, मैं मरते दम तक नहीं बोलूंगी.. मम्मी की कसम, दीदी मुझे पता नहीं जवानी में चूत की तड़प ऐसी भयानक होती है, दीदी तुम चुदाती हो, यहाँ वहाँ मुँह मारती हो. अब मुझे समझ पड़ता है, उसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं, दीदी तुम मेरी मदद करो मैं कभी तुम्हारा उपकार नहीं भूलूंगी.. प्लीज..
उसने मेरे फिर से पैर पकड़ लिए- कुछ भी हो उसे बुलाओ.
मैंने कहा- अभी कैसे बुला सकती हूं उसे? वो पापा का मोबाइल दिखा कर बोली- अभी कॉल करके बुलाओ प्लीज दीदी.. मैं मर रही हूँ.
मैंने किशोर को कॉल किया- हैलो, मैं माया बोल रही हूँ.
वो बोला- इतनी रात को क्यों फोन किया बेबी?
मैंने उसे समझा दिया तो वो बोला- मैं बाइक से अभी 5 मिनट में आता हूँ. तुम अपने घर का दरवाजा खोल कर रखना.
वो 10:20 बजे आया, मैंने धीरे से दरवाजा बंद कर दिया और उसे मेरे रूम में ले गई. वहाँ पलंग पर वर्षा अपनी चूत पकड़ कर तड़प रही थी और रो रही थी.
मैंने किशोर से कहा- ये मेरी छोटी बहन वर्षा है, इसे अभी लंड की इमरजेन्सी जरूरत है और इसने कभी आज तक लंड नहीं लिया, ये सीलपैक है.
मैं पलंग पर बैठ गई, वो वर्षा को देखने लगा.
वो बोला- शुक्र है भगवान तेरा.. मैंने तो ऐसी गुलाब की कली जिंदगी में नहीं चोदी.
मैं बोली- शुक्र शनिचर बाद में कर लेना. पहले इसको चोद दो.
वो वर्षा से बोला- मैं किशोर हूं तुम्हारे मकान का काम मैं ही करता हूं.
वो गुस्से में बोली- अरे तुम जो भी हो.. पहले मेरी चूत में लंड डालो, इसे शांत करो, फिर अपनी पहचान बताना.. हे भगवान मैं मर रही हूं.
उसने वर्षा को बांहों में भर लिया और उसके होंठों को चूमने लगा. वो ऐसे चूस रहा था कि मटन की तरह चबा न जाए.
वर्षा कामुक सिसकारियां भरने लगी- आह्ह्ह आह्ह्ह मुझे खा जाओ.. आह्ह्ह आह्ह्ह..
किशोर उसके चुचे जोर से दबाने लगा. कुछ ही पलों में उसकी टी-शर्ट को उतार फेंका, कैपरी भी उतार फेंकी, पेन्टी भी खींच दी.
मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए और मैं भी वर्षा की प्यास बुझाने में लग गई.
किशोर पलंग पर लेट गया और वर्षा के बदन से खेलने लगा. उसने वर्षा के छोटे से चुचे पूरे मुँह में ले लिए और इतना चूसा कि चुचे सूज कर लाल टमाटर हो गए. वर्षा भी उसका मुँह अपने चूचों पर दबा दबा कर चुसाई का मजा ले रही थी.
मैं भी उसी पलंग पर आ गई, मैं पीछे से वर्षा की चूत में जीभ डालने लगी. वर्षा आँखें बंद किए “ओह्ह्ह आह्ह्ह..” करने लगी. वो मेरे मुँह को अपनी चूत में दबाने लगी.
अब किशोर ने उसे कमर से उठा कर घुमा दिया और उसके छोटे से चूतड़ दबाने लगा.
वर्षा कहने लगी- आह.. और दबाओ जोर से आह्ह्ह अह्ह्हम..
फिर किशोर ने उसकी कमर के नीचे दो तकिये रखे.. और उसकी गांड पर जोर से थप्पड़ मारने लगा.
वर्षा- उह्ह उह्ह.. और मारो उह्ह.. मारते रहो आह्ह्ह उह्ह्ह..
किशोर ने उसके गोरे चूतड़ों को मार मार कर इतना लाल कर दिया था कि चूतड़ों की चमड़ी पर पानी की बूंदें दिखना बाकी था.
अब तो वर्षा तेज सांसें लेती हुई पड़ी थी. किशोर उसके चूतड़ चाटने लगा और जीभ उसके छोटी सी गांड की रिंग में ऐसे फेर कर जीभ दबाता कि वर्षा उसके मुँह को “आह्ह्ह..” करके गांड में दबा लेती.
फिर किशोर ने उसे उल्टी तरफ किया. उसकी अनचुदी सूजी हुई छोटी सी चूत को पूरी अपने मुँह में भरा और ऐसा चूसा कि वर्षा “ह्ह्ह्म ह्ह्ह्म..” करने लगी. फिर उसने जीभ को चूत में डाला तो मेरी बहन कमर हिलाने लगी.
मैंने हाथ लंबा किया और किशोर की जिप खोल कर उसका लंड निकाल लिया और मुठ मारने लगी. इधर वर्षा किशोर के बदन पर हाथ फेरने लगी और हाथ लंड को छूते ही वर्षा लंड को देखने लगी.
मैं बोली- वर्षा, यही लंड है जिसके लिए तुम तड़प रही हो.
मैंने किशोर के लंड को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी. वो मुझे देख रही थी.
वो मुझसे बोली- दीदी जल्दी से लंड अन्दर डलवा दो ना मेरी चूत में.
मैंने कहा- नहीं वर्षा इसे पहले प्यार से चूसो चाटो.. तभी ये वो संतोष दे पाता है, जिससे चूत शांत हो.
वर्षा ने मेरे हाथों से लंड छीन लिया और खुद पागलों की तरह लंड चूमने लगी और चूसने लगी. पर उसे चूसना नहीं आता था तो मुझे थोड़ी हँसी आ गई.
किशोर बोला- और चूसो बेबी, आह्ह्ह चूसती रहो.
मैं वर्षा की छोटी सी गांड के छेद में उंगली करने लगी, उसने मुझे पीछे मुड़कर देखा और वो वापस लंड चूसने में लग गई.
किशोर ने वर्षा के मुँह से लंड निकाला और उसके पैर सीधे किए और उसकी सूजी हुई चूत पर थूक लगाकर चूत पर लंड घिसने लगा.
वर्षा- अह्ह्यह्ह् यह्ह्ह् आह्ह्ह यह्ह्ह्ह्.. मेरी चूत में पेल दो जल्दी प्लीज..
मैं वर्षा के पास जाकर उसके चुचे दबाने लगी. उसके मुँह में अपनी जीभ डालने लगी. वो भी मेरी जीभ चूस रही थी. किशोर का लंड 6 इंच का लंबा 3 इंच मोटा था. उसने लंड का टोपा सैट किया और धक्का मारा. लंड फिसल गया तो उसने फिर से सैट किया और जोर से धक्का मारा. इस बार लंड आधा चला गया.
वर्षा ने अचानक से मेरी जीभ को काट लिया और चिल्लाने लगी- उई.. मर गईईईईई.. मेरी चूत फट गईई..
मैंने वर्षा का मुँह पकड़ लिया.. और किशोर को बोला- तू करता रह..
किशोर ने दूसरा धक्का मारा, पर लंड उतना ही गया, मेरी अनचुदी बहन बहुत जोर से छटपटा रही थी.. ऊऊ ऊऊ कर रही थी, उसके आंसू रुक नहीं रहे थे. वो कुछ बोल भी नहीं सकती थी.
किशोर बोला- माया, तेरी बहन की सील टूट नहीं रही है.
मैंने कहा- पहले पूरा लंड निकालो, बाद चूत पे फिर से सैट करो, फिर जोर से धक्का मारो.
किशोर ने ऐसा ही किया तो लंड फच्च करता पूरा अन्दर चला गया.
वर्षा तो ऐसा छटपटाई कि जैसे आधा हलाल बकरा छटपटाता है. मैंने कस कर उसे पकड़ लिया, उसका मुँह भी दबा दिया. वो ऊऊऊऊ करने लगी और अपनी कमर पलंग से एक फुट तक उछालने लगी. मैं उसके पेट पर बैठ गई अपना पूरा अपना वजन धर दिया, अब वो कुछ नहीं कर सकती थी.
थोड़ी देर छटपटाती रही, फिर वो एकदम शांत हो गई. मैंने देखा कि ये क्या हुआ? मैंने उसका मुँह खोल दिया उसका मुँह फटा पड़ा था मैंने उसकी सांसें चैक की, धीमी चल रही थीं. वो बेहोश हो गई थी.
किशोर डर गया, उसे देख कर किशोर ने लंड निकाला चाहा, पर वर्षा की चूत इतनी टाईट थी कि लंड निकल नहीं रहा था. किशोर दोबारा लंड निकालने के लिए पीछे खिसका तो बेहोश वर्षा भी खिंच जाती. वर्षा की टाइट चूत की जकड़ में किशोर का लंड फंस गया था. किशोर ने वर्षा की जाँघों को हाथों से पकड़ा और अपनी कमर को जोर से पीछे धकेला, तब जाकर लंड थोड़ा बाहर निकला. थोड़ी देर के लिए चूत में पानी का फव्वारा निकला.
मैंने किशोर से कहा- पूरा लंड मत निकालो.. फिर से डाल दो.
उसने पूरा लंड डाल दिया.
मैं बोली- अब हिलना मत.
मैं गिलास में पानी भर कर आई और वर्षा पर छिड़कने लगी. वर्षा ने धीमे धीमे आँखें खोलीं, मुझे देखने लगी. वो बोल नहीं पा रही थी. थोड़ी देर बाद बोली- दीदी मेरे पेट से लेकर नीचे पाँव की ऐड़ी तक सब सुन्न हो गया है.. मुझे लकवे जैसा हो गया है.
मैं उसके सर पर हाथ फेरती रही और बोली- वर्षा, मेरी प्यारी गुड़िया थोड़ी देर के लिए है, फिर कभी तुझे ऐसा नहीं होगा. मैंने किशोर को देर तक लंड हिलाने नहीं दिया और किशोर को लंड डालकर पड़े रहने को बोला.
मैं वर्षा के माथे पर हाथ फेरती रही. फिर वर्षा में कुछ जान आई और कुछ उस कैप्सूल का भी असर दिखाई दिया, उसकी सांसें तेज होने लगीं. वो अपने आप अपनी कमर हिलाने लगी.
फिर थोड़ी देर बाद बोली- आह.. दीदी मैं जन्नत में हूँ.. ऐसा लग रहा है. दीदी लंड लेकर मजा आ रहा है. वो तेज गति से अपनी चूत हिलाने लगी और अकड़ने लगी. फिर वो झड़ गई और शांत हो गई.
अब किशोर धक्के मारने लगा, वर्षा आँखें बंद किए किशोर की पीठ पर प्यार से हाथ फेर रही थी, जैसे कि वो उसे धन्यवाद दे रही हो. उसका लंड वर्षा के चूत में ही झड़ गया. किशोर वर्षा पर गिर गया और लंबी सांसें भरने लगा. मेरी बहन वर्षा किशोर के बाल पर हाथ फेरती कभी उसे चूमती.
इस वक्त रात के 12:30 बज गए थे. वो दोनों थक गए थे.
मैंने कहा- मैं कुछ तुम दोनों के लिए कुछ खाने को लाती हूँ.
मैं किचन में गई कैप्सूल के पैकेट में से दो कैप्सूल निकाले और खुद खा गई. खाली पैकेट गैस स्टोव पर जला दिया और उनके लिए दाल भात, रोटी और दही ले आई.
हमने मिल कर खाया. बीस मिनट बाद मुझे कैप्सूल का भयानक असर हुआ. मेरी चूत में मुझे बम्ब फूटने जैसा अहसास हुआ. मेरी चूत में ऐसी जान लेवा तड़प उठी. अब मैं सोच रही थी कि वर्षा ने कैसे सहन किया होगा.
मुझे सिर्फ किशोर का लंड दिखने लगा. मैं बोली- वर्षा तेरा काम तो हो गया अब मेरी चूत कब से पानी पानी हो रही है. मुझे भी अपना काम करवाना है.
मैंने किशोर का लंड पकड़ा, वो खड़ा होने लगा. मैं लंड चूसने लगी. मैं लंड पूरा गले के अन्दर ले लेती और उसके आंड को चूमती तो किशोर “अह्ह्ह आह्ह..” करता. उसके आंड अपने मुँह में भरकर मैं ऐसे चूसती कि किशोर “अह्ह्ह अह्ह्ह.. माया मेरी जान आराम से..” करने लगता.
वर्षा मुझे गौर से देख रही थी.
अब किशोर मेरी चूत में जीभ डालता. मुझे चूत में आग लगी थी. मैं बोली- अब जल्दी से अपना लंड पेल दो.
उसने मेरी चूत में लंड डाला और हिलाने लगा. बीस मिनट बाद मेरी चूत में लंड झड़ गया, तब जाकर मुझे मेरी चूत में थोड़ी ठंडक मिली.
फिर मैंने कहा- तू नीचे हो जा.. अब मैं करती हूं.
वर्षा हम दोनों को गौर से देख रही थी. वो नीचे हो गया. पहले मैंने उसके लंड को चूसा, फिर मैं उसके ऊपर चूत टिका कर बैठ गई. मैंने ऐसी कमर हिलाई कि एक घन्टे में मैं तीन बार झड़ गई.
अब मेरी चूत ठंडक मिली.. चूत की अगन शांत हुई. वो भी अब तक चार बार झड़ने के कारण बेहद थक चुका था. वो बोला- माया अब मेरा लंड दुख रहा है.
मैं बोली- मुझे शांत करो.. फिर जाने को मिलेगा.
मैं उस पर से उतर कर उलटी होकर अपनी गांड हाथों से फाड़कर बोली- अब इसे भी शांत करो.
उसने मेरी जाँघों पर बैठ कर मेरी गांड थूक से भर दी. वर्षा बड़े ध्यान से सब देख रही थी. किशोर ने अपने लंड का टोपा मेरी गांड पर सैट किया और धक्का दे मारा. उसका मोटा लंड धचाक कर मेरी गांड में चला गया. मेरी थोड़ी चीख उईमह्ह्ह्.. निकल गई, पर जो मजा आया.. वो जन्नत में भी नहीं है.
मैं उलटी होकर आराम से पड़ी रही.. वो मेरी गांड मारता रहा.
बीच में कहता- अब जाऊं?
मैं बोली- जब कहूँ जा.. तब जाना समझे.. मेरी गांड मारता रह..
वो गांड मारता रहा और धीमें स्वर में मेरी आवाज “आह्ह आह्ह्ह..” घर में गूंजती रही.
आधे घन्टे तक उसने मेरी गांड मारी… मेरी गांड में ही झड़ गया. मेरी गांड को जो ठंडक मिली, वो मैं बयाँ ही नहीं कर सकती.
फिर उसने मुझसे बोला- बस बेबी अब कुछ बचा नहीं.. सब निचोड़ लिया.. अब जाऊं?
मैं बोली- अब जाओ मेरे राजा.
इस वक्त सुबह के दो बजे थे, वो चला गया.
उसके जाने के बाद मैंने चुदाई वाली चादर ठीक की, वर्षा से पूछा- मजा तो आया ना?
वर्षा बोली- माया दीदी, सच में मुझे पता नहीं था कि लंड ऐसा प्यारा होता है. मैंने पहली बार उसे छुआ, उसे चूमा, उसे चाटा.. मुझे खुद पर अब भी यकीन नहीं होता, पर बहुत मजा आया दीदी. सबसे ज्यादा मुझे मजा तब आता था, जब वो धक्का मारता था. तब उसका प्यारा सा लंड अन्दर तक मेरे पेट में मेरी आंतों को छू लेता, तब दीदी सच में ऐसा लगता था कि मैं जन्नत में हूँ. दीदी मैं आपको बता नहीं सकती मुझे कितनी ख़ुशी मिली.. दीदी मुझे लंड लेकर स्वर्ग जैसा लगा, पर दीदी एक बात मिस हो गई.
मैं बोली- क्या?
वर्षा बोली- तुम कैसे अपनी गांड मरवा रही थीं, आराम से सोते हुए.. कितना मजा आ रहा था ना तुमको? तुमने बहुत मजे लिए गांड मरवा कर.. मैं सब देख रही थी. दीदी मुझे भी गांड मरवानी थी.
मैं बोली- नहीं मेरी प्यारी वर्षा रानी तू अभी गांड मारने के लिए छोटी है, इसमें पहले तो होता है. तुझे चूत में शांति मिली ना..!
वो बोली- हां बहुत दीदी..
“तो अब सो जाओ.. तू यहाँ सोएगी, या टीवी वाले कमरे में?”
वो बोली- दीदी टीवी वाले कमरे तो टीवी देखते हैं, दीदी मैं आपके साथ सोऊँगी.
मैं बोली- तेरी चादर रजाई सब वहां है.
वो मेरी रजाई में आ गई और अपना हाथ मेरे पेट रखकर मेरा हाथ अपने पेट पे रख कर मेरे साथ सो गई. वो इस तरह सिर्फ हमारी मम्मी के साथ सोती है, जिससे वो सबसे ज्यादा प्यार करती है.
सुबह मेरा बदन भी दर्द रहा था, खासकर मेरी गांड. मैं वर्षा और मेरे लिए पेन किलर, आईपिल आई. मैंने खुद खाई और वर्षा को खिला दी.
वर्षा फिर भी तीन दिन तक चल भी ना सकी. उसे बुखार हो गया, उसका पूरा बदन दर्द कर रहा था.
मैं उससे पूछती- वर्षा, तुम मुझसे नाराज तो नहीं हो ना इस बुखार के लिए?
वो बोली- नहीं दीदी, मैं तो खुश हूँ.
“वर्षा मेरी प्यारी बहन, मुझसे कभी नाराज ना होना..”
उसको रोना आ गया और वो बोलती रही.. मैं उसे सुनती रही.
बेचारी वर्षा फिर भी कह रही थी- माया दीदी आपका तो मैं दिल से शुक्रिया करती हूँ.. अगर आप नहीं होतीं, तो मैं तड़प कर मर जाती. दीदी वो भयानक तड़प में सह नहीं सकती थी. दीदी मुझे खुदखुशी के ख्याल आते थे. दीदी मैं सोचती पंखे पे लटक जाऊं..
“ऐसा कभी मत सोचना वर्षा, हम मर गए हैं क्या कि तू खुदख़ुशी करेगी?”
मुझे पहली बार सच में उस अकड़ू पर इतना प्यार आया कि मैंने उसे अपने सीने से लगा लिया और मेरी आँखों में आँसुओं की धारा बहने लगी. मैं मन ही मन वर्षा से मेरी इस जानलेवा हरकत के लिए माफ़ी मांगने लगी. मैंने मन ही मन वर्षा से कहा कि माफ़ करना मेरी प्यारी बहन मैंने तुझे इतना तड़पाया कि मैं कभी खुद को माफ़ नहीं कर सकूंगी. हे भगवान माफ़ करना और इस राज को हमेशा राज रखना. मैंने वर्षा के माथे को चूमा.
वो बोली- माया दीदी, मेरा बहुत रस निकला ना, मुझे चुदाई से, बुखार भी हुआ. मेरा पूरा बदन भी सिहरन कर रहा है. दीदी पर वो भी, इस चूत की तड़प से लाख गुना अच्छा है, मेरी वो जानलेवा चूत की तड़प तो चली गई. मैं आपके सिवा किसे बताती, किसे जाके कहती कि मेरी चूत जल रही है.
दीदी अच्छा किया आपने.. तब मुझ पर रहम नहीं किया, रहम करतीं तो ये अहसास कभी ना होता, दीदी दिल से थैंक्यू.. आपकी वजह से मेरी जलती चूत को ठंडक मिली. दीदी तीन दिन हुए अब भी कभी कभी मेरी चूत में मस्त मस्त ठंडी ठंडी लहरें उठ रही हैं, जो मुझे इतनी ठंडक देती हैं कि मैं बता नहीं सकती. दीदी इतनी ख़ुशी मुझे कभी नहीं मिली. इसके लिए दिल से थैंक्यू माया दीदी!