Chachi ki bhabhi ko khet me bajaya-3
भाभीजी बुरी तरह से चुद रही थी। उनकी सिस्कारिया सरसो के खेत के बीचोबीच गूंज रही थी।
“आह्ह आह्ह सिससस्स आहाहाह आह्ह आह्ह ओह सिससस्स आह्ह आह्ह।”
“ओह मेरी घोड़ी आहाः! बहुत मज़ा आ रहा है।”
मेरा लण्ड भाभीजी की चूत के परखच्चे उड़ा रहा था। मैं झमाझम भाभीजी की चूत में लण्ड पेल रहा था। मेरे लण्ड के झटके से भाभीजी बुरी तरह से हिल रही थी। मैं उन्हें ज़ोर ज़ोर से बजा रहा था।
“ओह सिससस्स आह्ह आह्ह आहाहा ओह सिअस्स्स आहा आईईईई।”
भाभीजी को देखकर लग रहा था कि कई महीनो से भाभीजी ने लण्ड का स्वाद नहीं चखा है। आज मैं भभीजी को भरपूर लण्ड दे रहा था। तभी भाभीजी कांप उठी और भाभीजी का पानी निकल गया। अब भाभीजी बुरी तरह से पसीने में नहा चुकी थी। मेरा लण्ड अभी भी भाभीजी की चूत में जमकर कहर ढा रहा था।
” ओह अआहः आहाः सिससस्स आहाहाह उन्ह ओह सिअस्सस्स्स अहाहः।”
” ओह्ह्ह भाभीजी। आहा।”
अब मैंने भाभीजी की कमर छोड़ी और भाभीजी के बालो की चोटी बना दी।अब मैं भाभीजी की चोटी पकड़कर उनकी चूत में लंड ठोक रहा था। मुझे इसमें अलग ही मज़ा आ रहा था।अब भाभीजी मुंह ऊपर करके चूत में लंड ठुकवा रही थी।
” आहा आईईईई ऊंह ओह्ह्ह्ह सिस्स्स आहा आईईईई।”
” ओह्ह्ह मेरी रानी। आह्ह्ह्ह्ह् बहुत मजा आ रहा है। आहा।”
” जमकर ठोक मेरी चूत में लंड। आहाहा आईईईई ऊंह सिस्सस।”
” हां मेरी जान ठोक रहा हूं।”
फिर मैंने बहुत देर तक भाभीजी को घोड़ी बनाकर बजाया। मैं भाभीजी की चूत को चोद चोद कर भोसड़ा बना चुका था।
अब मेरा लण्ड भाभीजी की गांड में घुसना चाह रहा था। अब मैंने भाभीजी की गांड में लण्ड सेट करने लगा। तभी भाभीजी मेरे इरादों को समझ गई। अब वो खड़ी होने की कोशिश करने लगी। तभी मैंने भाभीजी को वापस नीचे दबा दिया।
“ये क्या है भाभीजी? हिलो मतो।”
” यार रोहित गांड में मत डाल। बहुत दर्द होता है। इसके बदले तू चाहे जितनी मर्ज़ी चूत चोद ले।”
” भाभीजी अब तो मेरा लण्ड सिर्फ आपकी गांड मांग रहा है। और कुछ नहीं।”
” यार तु मेरी जान निकाल देगा।”
“अरे नहीं निकलेगी भाभीजी। आप मेरी बात का विश्वास तो करो।”
” विश्वास करने के चक्कर में तो मैं तूझे चूत दे बैठी।अब और विश्वास करुँगी तो तु मेरी गांड भी ले लेगा।”
“अब गांड तो लेनी ही पड़ेगी ना भाभीजी। गांड के बिना तो चुदाई का मज़ा ही अधूरा रहता है।”
” हां वो तो ठीक है लेकिन तेरा हथियार है भी तो मोटा तगड़ा।”
“तो फिर मज़ा भी तो उतना ही देता है भाभीजी।”
तभी मैं बातों ही बातों में भाभीजी की गांड में लंड सेट कर चुका था।अब मैंने एक ज़ोरदार झटका दिया और मेरा लण्ड भाभीजी की गांड को फाड़ता हुआ उनकी गांड के गर्भ गृह में जा पंहुचा। गांड में लण्ड की दस्तक होते ही भाभीजी बुरी तरह से झल्ला गई।
” आईईईईई मम्मी। मर्रर्रर्रर्र गईईईईई। ओह रोहित मेरी जान निकल रही है। आईईईईई।”
मेरा लण्ड भाभीजी की गांड में फिट हो चूका था। अब मैं भाभीजी की झमाझम गांड़ मारने लगा। तभी भाभीजी की आवाजे सरसो के खेत में गूंजने लगीं।
“आईईईई आईईईईई मर्रर्रर्र गईईई आईएईई मम्मी। ओह आहहह आहहह मत डॉलल्ल आहहह।”
” बहुत मस्त गान्ड है भाभीजी आपकी। अह्ह्ह ओह्ह्ह्ह।”
” आहाहा ओह्ह्ह्ह सिस्सस ऊंह आईईईई आईईईई ओह्ह्ह्ह आहा।”
मैं भाभीजी की गांड़ जमकर बजा रहा था। हालांकि भाभीजी खुद बहुत ज्यादा चुड़कक्कड़ थी लेकिन फिर भी मेरे लण्ड ने उनकी चीखे निकाल दी थी। आज मेरे लण्ड के आगे भाभीजी को खुद का अनुभव कम लग रहा था। अब मैं भाभीजी की झमाझम गांड मार रहा था। मेरा लण्ड भाभीजी की चीखे निकाल रहा था।
“ओह आह्ह आहा सिससस्स आहाहाह आहा सिससस्स आईईई आईईईईई ओह आह्ह।”
“ओह भाभीजी आहा! बहुत मज़ा आ रहा है। आह्ह।”
” आईईईई ऊंह आईईईई आईईईई।”
सरसो के खेत में भाभीजी को बजाने को बजाने का कुछ अलग ही मज़ा आ रहा था। मैं भाभीजी की चोटी पकड़कर उनकी गांड में लण्ड पेलें जा रहा था। भाभीजी बहुत बुरी तरह से चीख रही थी। सरसो के पौधे और आस पास के पक्षी चुदाई का लाइव टेलीकास्ट देख रहे थे। तभी भाभीजी कुछ ही देर में बुरी तरह से झल्ला गई और उनकी चूत से रस नीचे झरने लगा।
“ओह आहहह आहा सिससस्स आहाहाह आहाहा ओह आहाहाह आहः उन्ह ओह सिससस्स।”
“ओह भाभीजी बहुत ही मस्त गांड है आपकी आह्ह बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा है।”
“लेकिन तेरा लण्ड बहुत टेढ़ा है यार।मेरी हालत ख़राब हो रही है। आह्ह आह्ह।”
“अब भाभीजी,, मज़ा भी तो तभी आता है।”
मैं झमाझम भाभीजी की गांड में लण्ड पेल रहा था। भाभीजी गांड में लण्ड ठुकवा रही थी। मेरा लण्ड भाभीजी की गांड को बुरी तरह से हिला चूका था। मेरा लण्ड भाभीजी की गांड में तगड़ा घमासान मचा रहा था। आज तो मैं भाभीजी की गांड को छोड़ने वाला नहीं था।
“आहा आह्ह आह्ह आह्ह सिससस्स आह्ह आह्ह ओह सिससस्स आहाहाह आहा।”
“ओह भाभीजी गज़ब की गांड है आपकी। आहा मेरे लण्ड को तो मज़ा ही आ गया।”
फिर मैंने भाभीजी की बहुत देर तक गांड मारी।अब मैंने भाभीजी को पलटकर वापस सीधा कर लिया। भाभीजी गांड मरवाने के बाद बहुत ज्यादा थक चुकी थी। अब मैंने फिर से भाभीजी की टांगो को हवा में लहरा दिया। अब मैंने भाभीजी की चूत में फिर से लण्ड रखा और फिर से उनकी चूत में लण्ड ठोककर उन्हें बजाने लग गया।
” आह्ह आह्ह आहाहा ओह सिससस्स आहाहा ओह सिसस्ससस्स।”
” आज तो मेरे लण्ड की लॉटरी लग गई। ओह भाभीजी। ”
मै भाभीजी की चूत में झमाझम लण्ड ठोक रहा था। मेरे लण्ड के झटकों से भाभीजी के बोबे उछल उछल कर पड़ रहे थे। मैं भाभीजी को पूरी शिद्दत से बजाये जा रहा था। मेरा लण्ड भाभीजी पर जमकर कहर बरपा रहा था।
“ओह आह्ह अहाहः सिससस्स आहाहाह आहाः ओह सिससस्स आह्ह आह्ह।”
अब तक मेरा लण्ड भाभीजी की चूत का भोसड़ा बना चुका था।उनकी चूत का गुलाबी दाना बाहर दिखने लगा था। तभी एकबार फिर से भाभीजी का पानी निकल गया। उनकी चूत फिर से लबालब भर चुकी थी। मेरा लण्ड फिर से भाभीजी के पानी में भीग चूका था।
” आहहह आह्ह सिससस्स आहाः अहाहः आह्ह सिससस्स आह्ह आह्ह ओह आहाः।”
अब मैं भाभीजी के भोसड़े में लण्ड पेल रहा था।
” ओह अहाहः आह्ह सिसस्स आहाहा ओह बसस्ससस्स बसस्ससस्स।”
“अभी मेरे लण्ड की प्यास नहीं बुझी है भाभीजी।”
फिर मैंने बहुत देर तक भाभीजी को ऐसे ही बजाया। अब मैं उठकर भाभीजी के मुँह पर आ गया और फिर मैंने भाभीजी की टांगो को मोड़कर पीछे कर दिया। अब मैंने भाभीजी के मुँह में लण्ड रखा और फिर आगे झुक्क्कर भाभीजी की चूत चाटने लगा। अब भाभीजी उनकी टांगो को फोल्ड करके मेरे लण्ड को चुस रही थी और मैं भाभीजी की चूत चाट रहा था।
अब मैं 69 पोजीशन में आकर भाभीजी का फूल मज़ा ले रहा था। भाभीजी सकासक मेरे लण्ड को चुस रही थी और मैं उनकी चूत को चाट चाट कर साफ कर रहा था। मुझे भाभीजी की गीली चूत चाटने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।
सरसो के खेत के बीचोबीच इस तरह से भाभीजी को पूरी नंगी कर उनकी चूत को चाटना बहुत ही मज़्ज़ेदार था। मै भाभीजी की रसीली चूत को मज़े ले लेकर चाट रहा था। भाभीजी भी मेरे लण्ड को चुस रही थी। फिर हमने बहुत देर तक इस तरह से मज़े लिये।
अब भाभीजी के ऊपर से हट गया। अब भाभीजी मेरे सिर की तरफ से मेरे ऊपर चढ़ गई और उन्होंने मेरे मुँह पर चूत रख दी। अब भाभीजी आगे बढ़कर मेरे लण्ड को चूसने लगी। अब मैं भी भाभीजी की चूत को फिर से रगड़ रगड़कर चूसने लगा।
अब हम दोनों फिर से 69 पोजीशन में आ चुके थे। अबकी बार भाभीजी मेरे ऊपर चढ़ी हुई थी। वो चूत मेरे मुँह के ऊपर रखकर खुद मेरा लण्ड लपक रही थी। हम दोनों जिस्मो की आग बुझाने में लगे हुए थे। भाभीजी बुखी शेरनी की तरह मेरा लण्ड चुस रही थी। वो बहुत ज्यादा चुदासी लग रही थी। फिर भाभीजी में बहुत देर तक मेरे लण्ड को चुसा।
अब मैंने भाभीजी से वापस घोड़ी बनने के लिए कहा। वो मना करने लगी।
” यार रोहित बहुत है ना। मैं बहुत ज्यादा थक गई हूं।”
“भाभीजी बससस्स थोड़ी देर और।”
भाभीजी फिर से सरसो के बिस्तर के ऊपर घोड़ी बन गई। अब मैंने तुरंत भाभीजी की गांड में लण्ड रखा और फिर झमाझम भाभीजी की गांड बजाने लग गया। भाभीजी फिर से दर्द से तड़पने लगी।
” आहाहा आहाः आहाहाह सिससस्स उन्ह ओह आह्ह आईएईई आहहह अहा सिससस्स।”
मैं ताबड़तोड भाभीजी की गांड में लण्ड पेल रहा था। भाभीजी घोड़ी बनकर अच्छी तरह से गांड मरवा रही थी। मुझे तो भाभीजी की गांड मारने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। आख़िरकार भाभीजी जैसी रिपचिक माल को बजाना बहुत बड़े सौभाग्य की बात है।
” उँह ओह ओह ओह ओह सिससस्स आहः आह्ह आहाहा ओह।”
फिर मैंने बहुत देर तक भाभीजी की गांड मारी। अब मैंने फिर से वापस सीधा कर लिया। अब मैंने तुरंत भाभीजी के भोसड़े में लण्ड सेट कर दिया। अब मैं फिर से भाभीजी की चीखे निकालने लगा।
” आहाहाह आह्ह सिससस्स आह्ह अआहः आह्ह ओह सिसस्ससस्स।”
मेरा मोटा तगड़ा लण्ड सकासक भाभीजी के भोसड़े में अन्दर बाहर हो रहा था। अब मैंने भाभीजी को बाहों में कस लिया और उन्हें अब मुझसे चिपकाकर बजाने लगा। अब भभीजी की टांगे हवा में सफर कर रही थी। मैं भाभिजी को झमाझम चोद रहा था।
” आहाहाह आह्ह बससस्स बसस्ससस्स आईईईई आईएईई।”
अब मेरा लण्ड भी जवाब देने लग गया था। अब मैंने ज़ोर जोर से भाभीजी को बजाना शुरु कर दिया। मेरा लण्ड अब भाभीजी की चूत में तगड़ा घमासान मचा रहा था। फिर मैंने भभीजी की चूत में लण्ड रोककर उनकी चूत में लण्ड का पानी भर दिया।
अब मैं नसते नाबूत होकर भाभीजी से लिपट गया। हम दोनों सरसो के खेत में कुछ देर ऐसे ही पड़े रहे। आज मैं भाभीजी को बजाकर बहुत ज्यादा खुश था। भाभीजी भी मेरे लण्ड को लेकर बहुत खुश थी।
“मज़ा आ गया भाभीजी आपको चोदने में। बहुत शानदार माल हो आप।”
“मेरे जिस्म का पुर्ज़ा पुर्ज़ा हिला दिया आज तूने। बहुत ज्यादा मज़ा आया है। और तेरे लण्ड के तो कहने ही क्या! एकदम घोड़े जैसा है।”
“हाँ वो तो है। अभी तो आप कुछ दिन और रहोगी ना यहाँ?”
” हाँ बससस्स एक दिन और रुकुंगी।”
“चलो फिर तक कल और आपको बजाने का मौका मिलेगा।”
अब हम दोनों उठे। हमारे कपडे सरसो के पौधों पर अटके पड़े हुए थे। सरसो के बहुत सारे पौधे चूर चूर हो चुके थे। वो ज़मीन पर बिछकर बिस्तर बन चुके थे। चाची की गांड और पीठ सरसो के हरे हरे पौधों के रंग में रंग चुकी थी।
अब हमने एक एक करके कपडे पहन लिये। अब हम वहाँ से चलने लगे। आज इस जगह को देखकर कोई भी आसानी से समझ सकता है कि यहाँ क्या हुआ होगा? भाभीजी के जिस्म और साड़ी पर सरसों की रगड़ साफ साफ नज़र आ रही थी। खतरनाक चुदाई के बाद भाभीजी से बड़ी मुश्किल से चला जा रहा था।
फिर हम चाची और बच्चो के पास पहुँच गए। चाची भाभीजी की हालत देखकर समझ गई कि मैंने भाभीजी को बुरी तरह से बजाया है।
“रोहित तूने मेरी भाभी को बोर तो अच्छे से खिलाए है ना?”
” हाँ चाची ,भाभीजी ने खुद खूब बोर खाये है।”
” क्यों भाभी? रोहित ने ज्यादा परेशान तो नहीं किया ना?”
“बहुत बुरी तरह से बजाया है यार इसने। थोड़ी देर के लिए भी फ्री नहीं छोड़ा।”
“भाभी, मज़ा भी तभी आता है।”
तभी भाभीजी मुस्कराने लगी” आपने बहुत मज़ा ले रखा है अनीता जी।”
” हां भाभी।”
“आप दोनो ही ननद भाभी बहुत मस्त माल हो।”
तभी भाभीजी और चाची दोनो ही खुद के जिस्म पर घमंड करने लगीं। तभी मैंने भाभीजी पर फिर से पंच मारा ” भाभीजी एकबार और चलो ना खेत मे।”
” नही रोहित अब नही।”
तभी चाची भाभीजी को जाने के लिए कहने लगी ” जाओ ना भाभी।ले लो मज़ा।”
” नही अनीता जी। मैं तो पहले ही बहुत बुरी तरह से बज गई हूं। अब तो आप ही चली जाओ।”
” नही भाभी। मै तो खूब बजी हुई हूं।”
” हां चाची।आप ही चलो अब तो।”
तभी मैंने चाची का हाथ पकड़ लिया और उन्हें खेत में ले जाने लगा। तभी चाची मुस्कराने लगी ” रोहित यार भाभी के सामने तो रहने दे।”
” अरे चाची बजाने दो यार।”
“यार तू भी……..
तभी मै चाची को सरसो के खेत में ले गया और फिर उन्हें खेत में पटककर फटाफट से चाची की चूत में लंड पेल दिया। अब मैं चाची को जोरदार तरीके से बजाने लगा।
” आह्ह आह्ह आहाहा ओह सिससस्स आहाहा ओह सिसस्ससस्स।”
फिर मैंने थोडी देर में ही चाची का पानी निकाल दिया।अब मैं चाची को बजाकर खेत से ले आया।
तभी चाची भाभीजी को देखकर मुस्कराने लगी। “बहुत लालची है ये रोहित।”
” हां अनिता जी।”
अब मैं दोनो को बजाकर बहुत खुश था।फिर हम घर आ गए।
आपकों मेरी कहानी कैसी लगी मुझे मेल करके जरूर बताएं – [email protected]