प्रीवियस पार्ट्स इन मी प्रोफाइल 1 तो 4. शुक्रिया स्टोरी पसंद करने के लिए अब आयेज.
मा शाम के वक्त दुकान बेजी, मई और रेका जूस पार्सल लिए चलते हुए बात करने लगे.
मई : अभी भी दर्द हो रहा है? शरमाते हुए जूस चूस्ते हुए नही मई सर हिलाई.
मई : बोलो क्या कहोगे? कुछ नही भैया और बस मुझे प्यार से देख रही थी.
मई : क्या देख रही हो.
रेका : भैया आप कितना ख़याल रक्ते हो, बोहुत प्यार और इज़्ज़त से बात करते हो.
मई : पगली! क्या गलिया डू? तो मुस्कुरई
रेका : ऐसा नही है. तो समाज नही पाया इसका मतलब क्या था (हन/ना)
रेका : दीदी को चुपान चुपाई मे पकड़ा इसलिए गुस्सा नही हो ना?
मई : पहले था अब, नही. केमर पकड़ के दबाया, उसकी जघा तूने जो टॉफ़ा दिया उससे आसचर्या हू. वैसे तुमने हमे कैसे पकड़ा.
रेका : आ हटो!भैया आप जहा हम वाहा और वापसी टॉफ़ा बाकी है.
अब समाज आया उसने हमे चुपान चुपाई मई कैसे पकड़ा और इशारा किधर था.
रेका : भैया आप हम दोनो मई किस से ज़्यादा प्यार करते है.
मई : ये ग्ग्ली था भैसाब. मई मुस्कुराया तुज से पगली और हासणे लगा.
रेका : नही भैया आप दीदी से करते हो और हमेशा उसके साथ रहेते हो(पहली बार रेका ने अपने दीदी को उसके साबद से बोला था).
मई : पगली प्यार एक एहसास है, भावना है दिखाने पे बदते जाता है और बताने से तसली. तू दर मत तुम दोनो को सात मई रखूँगा, उनसे पीट पे हल्के मारा.
रात को जल्दी सो गया और बीच रात रेका मेरी बगल मई थी लगा आज इसका रस निकाला नही है तो निकल डू.
उसे उताया और होतो को, चूचिया को चूसा और छूट मई उंगली डालके हिलने लगा वो अपना मूह पकड़ के मुझे देख रही थी साँस तेज़ी से आहे बरते हुए रस निकलके शांत हुई.
फिर लगा आरती का भी रस निकल डू और पलट के सीडा चिपक के हट चूचियो पे राका.
ये आरती नही थी, शायद चाची, मई दर गया और तुरंत हटा और आँके बंद करके सो गया वो कुछ हरकत नही की.
अपने आप को सवाल किया. ये हमारी कंबल मई क्या कर रही है और आरती कहा है? तभी रेका पीछे से चिपकी और सो गया.
अगले दिन डरते हुए उठा.
आरती गुस्से मई लग रही थी और चाची सामानया थी तो तोड़ा जान मई जान आई.
सब घर चले गये. मई भी उनके घर शाम को गया सबको नमस्कार किया तो आरती मुझे घर से थोड़ी डोर पे ले गयी.
आरती : सच बोलना ठीक है. कल रात रेका के सात तुमने के किया.
मई : हैरान और दर गया : क्या?
आरती : सच बोलो, मई जागी हुई थी और लगा कुछ कर रहे थे उसके सात और मुझे देख के सो गये.
मुझे लगा चोरी पकड़ी गयी, अगर इससे पता चला तो चाची को कैसे नही. बहुत सोचा?
आरती : बोल, चुप क्यू है?
मई : हन उसे अपार्टमेंट के उप्पर चूमा और रात को उसके छूट मई से रस भी निकाला.
आरती : खिनके तपद लगाई और बोली, तू दोनो बहेनॉ के सात ऐसे कैसे कर सकता है.
मई : सॉरी, सिचुयेशन के हिसाब से संजते हुए बोला, तुम दोनो से प्यार करता हू और क्या ग़लत है इसमे प्यार रेका को भी चाहिए होगा ना.
आरती : नही और एक और तपद झाड़ के चली गयी.
मुझे लगा अब तो ख़तम भूल जाओ इनको और वाहा से घर चला आया.
अब तो 15 दिन हुए और ये लोग घर नही आए और मेरा भी हिमत नही बन रहा, दिमाग़ मई बहुत कुछ चलने लगा.
(क्या चाची को यूयेसेस रात पता चल गया होगा? या आरती घर आने से रोक रही होगी? आपने आप से ग़लत लगने लगा और दिल टूट के धुकने लगा और घर पे अकेला रहेने लगा? )
मेरी मा को लगा कुछ तो गड़बड़ है और पूछा तो ताल दिया. बस उठ के धुकी मॅन से काय्न बूत से फोन पे बात करके वापस आता.
कुछ दीनो बाद दासारा त्योहार आया. सब एक सात सुरनीटा के घर पे मानते थे, ओह एक हॉल भी था. तभी चाचा, चाची, आरती अंकरकली और रेखा सादे फ्रॉक मई और भाई आए.
मई उन्हे देख पागला गया पर कुछ हरकत नही की. चका, चाची को नमस्कार किया.
चाची : तुम तो हमे भूल गये घर क्यू नही आता.
मई : आप नही आए तो लगा घुस्सा हो इश्स लिए.
चाची : गुस्सा किस बात का, हम तो दासारा की टायारी कर रहे थे तो बिज़ी हो गये.
आरती और रेका मूह पकड़ के हासणे लगी और मुझे गुस्सा आने लगा अपने आप पे की क्या सोच रहा था.
चाची धीमी आवाज़ मे : दीदी रेका बाहर है (पीरियड्स को हम बाहर बोलते) और हम इसको सात मई ले नही सकते और यहा रहने दे आरती और मई आके इसको धेकरंगे.
मा : इसमे क्या पूछना मई भी हू ना.
चाची : दीदी हम दोनो बाद मई चलते है पहले ये सब जाके आएँगे उसके बाद हम चलते है. मा मान गयी.
हम सब से मिले वाहा पे 10 दिन रहेने वेल थे. पापा और चाचा मुझे और आरती को वापस घर जाने बोले और मा और चाची को बेजने बोला. हम ऑटो पकड़ चले आए. आरती अभी भी कुछ बात नही की.
घर पौनचे मा और चाची को जाने बोला.
चाची : बेटा सुरक्षा का ख़याल रकना ठीक है और मुझे र्स. 500 दिया, हन बोला पर कन्फ्यूज़ भी हुआ.
मई पैसे मिले खुश हुआ रात बार अकेले और सिडा मेडिकल गया और कॉनडम्स लाया.
मई : चलो बात करना है.. मुश्किल से कमरे मई ले गया.
रेका ने मुस्कारके आंक मारी मुझे.
मई : गुस्सा क्यू हो?
आरती : तुझे पता नही!
उसने मुझे धक्का दिया, लात मारी और पीछे सरकी बेड पे. उसकी तंग पकड़के आंको मई डेक्ते हुए बोला-
बड़ी मुस्किल मई हू कैसे इज़हार करू.. वो तो खुसबू है कैसे गिरफ्तार करू.. उसकी मोहब्बत पर मेरा हक नही, लेकिन
दिल करता है आकरी साँस तक प्यार से छोड़ता राहु.
आरती : अक्चा.. और हासणे लगी.
उसके अंकरकली के उप्पर चाड गया और ज़ोर से होतो को चूमने लगा और चूचियों को दबाने लगा. ज़्यादा देर माना नही कर पाई और उम्म्म उम्म के सिसकिया बार्न लगी.
बहुत दीनो के भूके थे, मई पंत की बटन कॉल के 69 के पोज़िशन पे आया और उसकी छूट डेका आज बिल्कुल सॉफ और चिकना था.
जीब छूट की गहराई मई डालके पागॉलो की तारा चूसने लगा. वो लंड को पहले ज़ोर से दबाई और गोटियो पे हल्के हट से मारा दर्द हुआ.
आरती : तूने बहुत सताया मुझे!
और अपने होतो से चूसने लगी पूरी तेज़ी से दोनो उम्म ह्म ह्म सिसकारिया भरने लगे और मूह के अंदर गले तक लेने लगी और निकालने लगी. वो भी पागल हो गयी थी और ग्लाप ग्लाप के आवाज़ गूंजने लगी.
मज़ा आ रहा था, दोनो भूल गये सब कुछ और कमरे मई हमारी सिसकिया ह आ के आवाज़ गुणगने लगे. तोड़ी देर बाद दोनो झार गये. उसने आज पहली बार मेरा रस पूरा पे लिया और एक दूसरे से लिपट गये.
(मुस्कुराते हुए) आरती : कामीने तुझसे बड़ा भेंचोड़ नही देखा.
मई : ओये, अभी नही छोड़ा है तू भी तो बड़ी भाछोड़ है, पूरा रस पे गयी और दोनो हासणे लगे.
मई अपने शॉर्ट्स और टशहिर्त पे आ गया.
बाहर निकले तो रेका मुस्कुराने लगी तो आरती उसे डाँटने लगी और फिर खाना खाया. पापा को फोन किया तो बोले आज हमे अकेले रहना पड़ेगा.
मई खुश हुआ. हम जल्दी करीब 8 बजे सब लाइट बंद किए और सोने चले गये. रूम बड़ा था तो तोड़ा दूर सोने लगे. आरती को ये नही पता था के मैने रेका की कुवारि छूट की छवि खोल दी है.
आरती और रेका कभी इश्स बारे मई बात नही करती, दोनो ऐसे ही रहती के कुछ पता ना हो.
ये सच है, शरम भी लगेगा दोनो बहें अपने ही चाचरे भाई से छुड़वाने का ग़मे खेल रही थी और केसे बाते करती.
मई रेका के पास हल्के आवाज़ मई बोला : पूरी नही हो जा और कंबल मई ही रहना.
मई आरती के पास गया मुझे पता था उसने पनटी नही पहना हल्के आवाज़ मई बोला तोड़ा टेडी सो जा. (छूट ही तो चूसना था तो कपड़े उतरने की ज़रूरत नही लगी तो नही बोला).
मई अंडरे मई रेका की कमर पे टाँग रखा और आरती को अड्जस्ट किया और बोला अपना कंबल मत हटाना.
आरती हल्के आवाज़ मे : टेडी क्यू?
मई : रेका का भी ध्यान रेकना पड़ेगा ना.
वो थोड़ी टेडी हो गयी और दोनो नई अपने कंबल को सर तक किंच लिया. ईमानदार थी पूरी तरहा.
मई पूरा नंगा हुआ और रेका का कंबल हटाया. उसका पूरा नंगा बदन डेक्ते ही रहा गया यूयेसेस अंडरे मई उसका गोरा बड़ा हल्का चमक रहा था.
मई उसकी बनावट अप्पर से नीचे फिर नीचे से उप्पर, पतली कमर और उबरे उसके स्तानो को निहारता पागल रहा. फिर एक बार सुंगते हुए पॉ से मूह तक गया.
अब तो सब पता था इनको बस एक दूसरे को पैचन कारिणी बाकी थी. रेका अपनी बेहन को देख अपने बदन से हट हटते हुए तंग और हट पहला लिया.
मई आराम से रेका के पॉ के अंगूते से चूसना सुरू किया और तंगू पे चूमते हुए गाल पे, फिर होतो को प्यार से चूमने लगा, लंबी लंबी साँस बार्न लगी.
मई : रेका उसे मत देख खुलके मज़ा ले. आरती बस कंबल के अंदर हल्की आहे भर रही थी.
रेका की चूक्किया दबाते हुए चूसने लगा, हल्की आहे निकालने लगी और सर पे उंगलिया फेरते हुए देकने लगी.
चूमते हुए नबी पे जीब गोल गोल घूमने लगा तो आँके बंद करके लाबी आहे लेके उम्म्म अहहाअ वा भैया उफ़फ्फ़… और उसी वक्त उसकी कमर मसालते हुए मूह दबके उनकी नबी पे तेज़ी उपर नीचे खेलने लगा. उसे मज़ा और गुदगुदी हो रही थी. बगल मई आरती भी आवाज़ से गरम हो रही थी.
फिर चूमते हुए छूट के पास सुँगा महक रही थी दोनो बहएने बहुत सफाई रकति शरीर का.
उसके क्लिट पे मूह राका और जीब लगाके चूसा रेखा ओहू ओ भैया काँपने लगी. मई तेज़ी से चूज़ लगा. रेका अपनी बहें की और धेक आह हाअ भैया आह ऐसे करो आछा लग रहा है ओहू हाअ अफ… भैया ये क्या है अलग एहसास है.. सिसकारिया लेते हुए मुस्कुरा रही थी.
आरती बेड पे उछाल थे हुए ह्म ह्म जल्दी कर बहेनचोड़ ऐसे मत सता मुझे, मार डालेगा क्या!
रेका भी अब मेरा सर दबके अपनी बहें को छिड़ने लगी चूसो भैया चूसो आह आह हिस्स्स… सही कर रहे हो भैया आ हाअ आह उम्म्म.. दोनो एक सात कमर उछाल रही थी और सिसकिया लेने लगी कमरे मई बस इनकी आवाज़ थी.
एक हट से अपने बाल खींच रही थी और होतो को काट रही थी और दूसरे हट से मेरा सर पकड़ टॅंगो को मोड़ के छूट उछलते हुए आह ह उम्म्म ऑश आह… की आवाज़ के सात काँपते हुए शरीर के जातको के सात उसका पूरा रस निकला. ख़ुसी उसके आको मई डिक रही थी.
मई : वही उठा, रेका अब तुम्हारी बरी लो.
रकी : मूह मई नही!
आरती : कामीने, मुझे मत तडपा आ मई चूसूंगई, बहेंकोड से नही होगा.
रेका अपनी बहें को देख जात से लंड पकड़ और गुलाबी हॉट मेरे लंड के टोपी पे रखा शरीर मई बिजली से दौड़ गयी. उसका सर पकड़ के वही बिस्तर पे गिर गया वो अभी भी आरती को धेक आराम से चूसने लगी.
रेका : भैया बताना ज़रा कैसा लग रहा है..
मई उसका सर पकड़ के : जन्नत पे हू, चूस्टे रे अभी कुछ पूछ मत.
यार के छिड़ने पे पता नही पर मज़ा दे गयी.
5 बार सर पकड़ के गले तक लंड दबा के किंच लिया. वो ग्लाप ग्लाप और आहा करने लगी आँखो मई आँसू निकल गये और करता तो खाया हुआ सब निकल देती. उसको बिना कॉंडम के छोड़ना था तो निकल लिया.
मई रेका के कन मे बोला : लंड तेरी अंदर गुस्सा रहा हू आवाज़ नही करना. उसे पता नही चलना छाईए. वो हन मई सर हिलाई.
मई एक और कंबल लिया और रेका के कंबल के उप्पर से आड़ा धक लिया. उसका एक तंग दीवार पे तो दूसरा मेरे उपर खोलके मेरा लंड पकड़ के उसकी चूतड़ पे राका.
आरती अभी भी कंबल के अंदर थी और मई साइड लेता कंबल उसकी गोरी जांगो तक उताया नंगी होके छूट और चूची सहला रही थी.
आरती : इतना सताने के बाद अब याद आई.
सीडा छूट चूसना सुरू किया अपनी गांद उछाल के मूह पे देने लगी.
मई रेका की गीली रसबरी छूट के अंदर उसका एक तंग पकड़ क छूट पे दबाया लंड गर्मी चीरते हुए गुसने लगा आह आवाज़ के सात पूरा लंड छूट के अंदर ले ली.
दोनो काबू से बाहर थी. बिस्तर का असली काम अब आया था. दोनो चूतड़ उछाल रही थी.
रेका अपनी बहें को चुस्वते हुए सर उताया और देख के बेकाबू हो रही थी.
मई छूट पे धक्के लगते हुए आरती की चूस रहा था वो आह आह.. और तेज़ी से चूस मेरे छोटे शेर बोलते हुए सर सहला रही थी. अपनी चूचिया पकड़ खुद मसालने लगी.
रेका दोनो कंबल पूरा हटके अपनी बहें की छूट चुस्वते देख मेरा तंग टाइट पकड़ा और ज़ोर ज़ोर से अपना गांद उछालने लगी और आह आह ह्म… भैया आह ई लोवे योउ भैया आह आह.. की सिसकिया भरने लगी और आंगुता चूसने लगी. इससे मई लंड के धक्के तेज देने लगा.
आरती को पता नही क्या हुआ, मेरे सर छूट पे पकड़ के तुरंत कंबल मूह से हटाया और उठ गयी.
उसके सामने उसकी बहें छूट छुड़वा रही थी अंगूते को अपने मूह लेके उसे ही देख रही थी. मेरा लंड उनकी छूट के आहे छाप छाप करते मान रहा था.
रेका : आ आह भैया आप से बहुत प्यार करती हू भैया और तेज़ी से छोड़ो उम्म उम्म की आहे भर रही थी…
आरती की आँके बस बड़ी हो गयी थी और अपनी बहें को बस छूट चुड़वते हुए देख रही थी.
इसके आयेज की स्टोरी अगले पार्ट मे.