हेल्लो दोस्तों मेरा नाम व्याकुल है, सच में मैं व्याकुल हो जाता हु, जब मेरे सामने से गांड को लचकाते हुए, चूच को हिलाते हुए, बलखाते हुए कोई लकड़ी, भाभी या तो आंटी निकलती है, दोस्तों मेरा तो लंड खड़ा हो जाता है, और मैं इतना व्याकुल हो जाता हु की मुझे मूठ मारना पड़ता है उनकी यादों में|
आपने कभी मूठ मारी है ? किसी को याद करके, अगर नहीं मार है तो मार कर देखो, क्या मजा आएगा, पर अगर आपको सच में कोई चूत चोदने को मिल रही है तो क्या जरूरत मूठ मारने की, तो आपकी बल्ले बल्ले है. मैंने बहूत टाइम तक मूठ मारा, एक एक सुन्दर भाभी के बारे में, कभी पडोसी के बारे में, ऐसा लगता है की मैं सच में ही चोद रहा हु, पर आज मैं आपको एक बड़ी हो मस्त कहानी सुना रहा हु,
मैं दिल्ली में रखकर पढाई कर रहा हु, और एक फ्लैट में अकेले ही रहता हु, वो भी दो कमरे का, खूब टशन मारता हु, क्यों की पापा को किसी चीज की कमी नहीं है इसलिए वो खूब पैसा भेजते है और मैं खूब मजे करता हु, मेरा फ्लैट नंबर ४४ है और ठीक मेरे दरवाजे के सामने बल फ्लैट ४५ है, उसमे कर्नल साहब रहते हाउ, मुच्छड़. बड़ा ही स्ट्रिक्ट है, रिटायर्ड है पर मुछे देख कर लगता है अभी भी वो बॉर्डर पर है है. डर बहूत लगता है, क्यों पता है? क्यों की उनकी दो बेटियां है,
इन दोनों के अलावा और कोई संतान नहीं है. आंटी बड़ी ही अच्छी है, और कर्नल साहब का तो इंट्रोडकशन दे ही दिया हु, जब कभी उनकी बेटी पे मेरी नजर पड़ती तो बहूत अच्छा लगता पर इसका भी ध्यान रखना होता था की कही मुच्छड़ ना देख ले. वो दोनों थोड़ा ज्यादा उम्र की थी एक करीब २६ साल की थी और दूसरी करीब २९ साल की, पता नहीं ये लोग इन दोनों के लिए लड़का देख भी रहे है की नहीं. पर मुझे क्या लेना देखे या नहीं.
दोस्तों धीरे धीरे बात चीत करने लगा, उनके फॅमिली से, और ज्यादा नहीं थोड़ा घुल मिल गया, मैं कर्नल साहब के आगे पीछे करने की कोशिश की, जब वो कभी कुछ सामान ले के आ रहे होते तो मैं दौड़कर झट उनके हाथ से ले लेता और उनके घर पंहुचा देता पर, वो मुझे थोड़ा शक की नजर से देखते थे, उनका शक करना भी लाजमी था, मेरी नजर तो कही और होती थी, भले मैं उन दोनों से छोटा था. एक दिन जब सुबह उठा और बालकनी में था तभी देखा की कर्नल साहब और ऑन्टी कही जा रही थी, शायद वो रेलवे स्टेशन जा रहे थे, और उनकी दोनों बेटियां बालकनी से बाय कर रही थी. मैं समझ गया की आज मुच्छड़ कही गया है. और थोड़े देर बाद ही मुह हाथ धोकर अख़बार मांगने के बहाने उसका बेल बजा दिया. दरवाजा खोली, मैंने कहा, अख़बार है? तो उन्होंने कहा है तो पर स्नेहा पढ़ रही है, तो अंदर से आवाज आई, कौन है कविता दीदी, मैं समझ गया की एक का नाम स्नेहा और दूसरी का नाम कविता है. तो मैंने कहा मुझे बस दो मिनट के लिए एक चीज देखनी है. तो वो बोली तो ठीक है अंदर आकर ही पढ़ लो.
मैं खुश हो गया और अंदर चला गया, दोस्तों स्नेहा को देखकर तो हैरान रह गया, वो बनियान टाइप का पहना रखी थी और एक छोटा सा पेंट, उसकी दोनों चूचियां बाहर निकल रही थी आधी, गोरी गोरी, गजब की पर्सनालिटी वो बड़ी बड़ी आँखे गोल चेहरा, भरा पूरा शरीर, होठ गुलाबी मैं तो मर गया यार उसकी खूबसूरती पे, तभी कविता बोल उठी क्या देख रहा है इतना ध्यान से स्नेहा को.
मैं बड़बड़ा गया, और कुछ नहीं कुछ नहीं…… कहते हुए सोफे पे बैठ गया. उसके बाद कविता बोली, यार तुम शक्ल से बहूत भोले लगते हो पर हो नहीं, पर मुझे ऐसे लड़के बहूत पसंद है. मैं चाय बनाती हु, और वो चाय बनाने चली गई, और स्नेहा मेरे पास आकर बैठ गई और अख़बार मुझे दे दी. मैं इधर उधर झूठ मूठ का उलटाने लगा और फिर कहा नहीं आया है. वो पूछी क्या नहीं आया, तो मैंने कह दिया, डेट शीट.
तब तक चाय आ गई और हम तीनो चाय पिने लगे, फिर कविता बोली, तुम पढ़ते तो कम हो मौज मस्ती और पार्टी बहूत करते हो. पिछले संडे को जो तुम्हारे घर पे वो दो लड़कियां और के लड़का आया था वो कौन है. मैंने कह दिया वो मेरे कॉलेज के दोस्त है. हमलोग घूमने गए थे, वाटर पार्क. तो वो स्नेहा बोली कभी मुझे भी दिखाओ वाटर पार्क. और अपने बहन के तरफ देख कर बोली क्यों दीदी? तो कविता भी बोली हां हां क्यों नहीं. तो मैंने झट से बोल दिया, चलो आज तो क्लास भी नहीं है. और कर्नल साहब भी नहीं है.
वो दोनों हँसने लगी. बोली पापा से डर लगता है क्या मैंने कहा बहूत डर लगता है, आप दोनों से बहूत बात करने का मन करता है. पर बात भी उन्ही के चलते नहीं कर पाता हु, तो कविता बोली नहीं यार आज थोड़ा सर दर्द कर रहा है. एक काम करते है. शाम को अपने घर पे ही पार्टी करते है. बियर मंगाते है और मटन बनाते है. तू मैंने कहा आप लोग बियर पीते हो. तो दोनों बोली क्यों नहीं? आखिर फौजी की बेटी है, देखो मेरे अलमीरा में कितना व्हिस्की रखा हुआ है, दोस्तों मैंने तो हैरान हो गया, ब्रांडेड व्हिस्की बहूत साड़ी बोतल रखी थी कई सारे आधे भी थे, तो मैंने कहा बियर की या जरूरत आज यही चलने दो. मैं भी थोड़ा मार लूंगा ब्रांडेड.
फिर शाम को मैं मार्किट गया, मटन लाया, स्नैक्स लाया, और उसी के यहाँ बनाया, खाया, और फिर तीनो पिने बैठ गए, मटन और शराब, और उसके साथ दो दो शबाब, दोस्तों वो लोग भी रिलैक्स हो गए, और वो दोनों जो नाईट ड्रेस पहनी क्या बताऊँ, अंदर ब्रा नहीं, कॉटन का हल्का हल्का कपड़ा जिससे उन दोनों की चूचियां साफ़ साफ़ निप्पल के साथ दिख रही थी. मेरा तो लंड खड़ा होने लगा नशा के साथ साथ, फिर स्नेहा बोली, कोई गर्ल फ्रेंड है क्या? मैंने कहा नहीं, तो वो बोली क्यों, मैंने कहा बनती ही नहीं है, तो कविता बोली ये देखो, यहाँ दो दो सामने बैठी है तुम्हे अपना बॉय फ्रेंड बनाने के लिए और तुम हो की बना ही नहीं रहे हो, दोस्तों मुझे लगा की उसको नशा आ गया है इस वजह से बोल रही है,
रात को करीब ग्यारह बज गए, तभी स्नेहा मेरे पास आकर बैठ गई और मेरा शर्ट का बटन खोलने लगी और मेरे जांघो को सहलाने लगी. मैं कविता के तरफ देखा तो ग्लास मुह में लगा के पि रही थी, और रखते ही होली, एन्जॉय कर यार, और तभी स्नेहा मेरे होठ पर अपना होठ रख दी. दोस्तों फिर क्या था मैं भी उसका बाल पकड़ लिया और होठ को जबरदस्त तरीके से किश करने लगा. तभी स्नेहा अपना ऊपर का शर्ट उतार दी, बड़ी बड़ी गोल गोल बड़ी ही टाइट चूचियां मेरे सामने झूलने लगी. और फिर मैंने उसके चूची को दबाने लगा. फिर वो मेरा पेंट खोलने के लिए सोची पर गाँठ लगा था. और मैं अपना गाँठ खोल कर पेंट उतार दी. फिर मैंने अपना जांघिया उतार दिया.
मोटा लंड देख कर तुरंत ही उसकी बड़ी बहन कविता आ गई और अपने हाथ से पकड़ कर बोली क्या चीज है यार, और वो अपने मुह में लेके चूसने लगी. मैंने स्नेहा के होठ को चूस रहा था और चूचियां दबा रहा था. और कविता मेरा लंड चूस रही थी. फिर स्नेहा नीचे बैठ गई और बोली दीदी मुझे भी चखाओ, और फिर स्नेहा मेरे लंड को अपने मुह में ले ली, दोस्तों वो दोनों मेरे लंड को बारी बारी से चूसने लगी. मैं कविता के बूब को उसके कपडे के ऊपर से ही दबाया तो बोली ठहर, ऊपर से क्या मिलगे और वो भी अपना कपड़ा खोल दी. ऊपर का, मैंने अब कविता के बूब को दबाने लगा. दोस्तों अब मैं दोनों के बिच था, कभी इसकी चूचियां पि रहा था कभी उसकी चूचियां पि रहा था, वो दोनों ऐसे कर रही थी की मुझे खा जाएगी, मैंने कभी वो अपने सीने से लगाती कभी दूसरी सीने से लगाती.
दोनों लंबी चौड़ी थी, चुचिया बड़ी बड़ी, निप्पल टाइट, कस हुआ बदन, दोनों मेरे पुरे शरीर को सहलाने लगी और एक मेरा गांड को चाटने लगी और दूसरी मेरे लंड को फिर से मुह में लेके अंदर बाहर करने लगी. तभी छोटी बाली बोली दीदी आज तो पूरी रात पार्टी चलेगी. तभी कविता बोली चलो बैडरूम में चलते है.
दोस्तों हम तीनो बैडरूम में पहुचे उसके बाद मुझे धक्के दे कर बेड पर गिरा दी……… आगे की कहानी कल दूसरे पार्ट में.