Bhabi Devar Sex Story, Hot Bhabi Sex Kahani, Devar Bhabhi Sex Story : लड़के की पहली चुदाई की कहानियां, पहली बार किसी लड़की को औरत को चोदते हुए कैसे कैसा लगता है और क्या क्या होता है, भाभी की चुदाई की कहानियां
ये चुदाई की कहानी सच्ची कहानी है। आज मैं आपको इस वेबसाइट यानी antarvasna.live डॉट कॉम पर आपको सूना रहा हूँ। ये कहानी मेरे दिल के करीब है। मैं आजतक उस दिन की बातों को याद कर मूठ मरता हूँ। भी मुझे ऐसा लगता है की हूबहू मेरे साथ हो रहा है। जैसे की फिर से पहली बार अपनी भाभी को चोद रहा हूँ।
तो अब बिना देर किये अपनी भाभी की चुदाई की कहानी पर आता हूँ। ये कहानी तब की है। जब मेरे चचेरे भाई की शादी को हुए मात्र २ महीने हुए थे और मुझे उनकी नई नवेली दुल्हन यानी की मेरे भाभी के चूत की दर्शन और पहली बार मौक़ा मिला किसी भी औरत या यूँ कहिये की लड़की की चूत देखने की बूब्स दबाने की और बूर में लौड़ा घुसाने की, इस मौके की तलाश तो हरेक नौजवान के दिमाग में रहता है।
तो अब अपने बारे में बता दूँ मेरा नाम संजय है और मेरी मेरी भाभी का नाम उर्मिला है। उस समय मेरे से करीब तीन चार साल बड़ी ही होगी। मैं अपनी जवानी की दहलीज पर चढ़ा ही था। मेरे भैया जिनका नाम विनोद है वो दिल्ली में रहते थे और नौकरी करते थे। शादी हुई दो महीने तक हॉट खूबसूरत मदमस्त बीवी के साथ रंगरेलियां और चुदाई किया और उनको जल्द ही जल्द दिल्ली आना था तो अपनी हॉट खूबसूरत बीवी को गाँव में ही छोड़ आये।
विनोद भैया की दो बहने थी वो भी शादी के बाद अपने अपने ससुराल चली गयी। घर में मेरी चाची थी वो भी विधवा तो उनके घर में दो ही लोग थे। हॉट भाभी और बुढ़िया चाची। और मैं था एक खूबसूरत देवर मेरा घर उनके घर के सामने थे। मेरे दरवाजे से उनकी खिड़की दिखाई देती थी जिसमे से झांकती हुई एक सुन्दर सी औरत यानी की भाई।
उन्होंने मुझे बुलाया तो मैं गया धीरे धीरे जान पहचान और अच्छे से हो गयी थी। जब विनोद भइया दिल्ली गए तो भाभी अपनी जान पहचान बढ़ाने लगी उस समय तो खुद ही चुदने से फुर्सत नहीं था। तो मेरी और भाभी में अच्छी जमने लगी। मैं एक दो दिन में चला ही जाता था।
एक दिन की बात है मेरी चाची अपने किसी रिस्तेदार के यहाँ गयी थी दो दिनों के लिए। तो घर में सिर्फ भाभी थी एक दिन मैं कॉलेज से आया तो वो खिड़की से देख रही थी और इशारे से मुझे बुलाई। मैंने उनको कहाँ खाना खाकर आता हूँ गरमी का दिन था उस समय करीब ग्यारह बज रहे थे। खाना खाकर मै उनके यहाँ पहुंच गया दिन के करीब एक बज रहे थे। भाभी अकेली उस गर्मी की दुपहरिया में पंखा झेल रही थी।
बाहर भी सुनसान था सभी लोग अपने अपने घरों में थे। क्यों की गर्मी बहुत तेज थी। हवा भी जोरों से चल रही थी। मैं उनके कमरे में जाकर बैठ गया। भाभी मुझसे बातें करने लगी कहने लगी जब से आपके भैया दिल्ली गए तब से मुझे जरा ही मन नहीं लगता है। शादी के पहले मैं परिवार में रहती थी और जब से शादी होकर आई थी यहाँ बस तीन लोग ही हैं उसमे से भी एक जो की मेरे पति ही है वो भी दिल्ली चले गए। पता नहीं ऐसे लोग शादी ही क्यों करते हैं जब अपनी बीवी को समय ही नहीं दे पाते हैं।
मैंने कहा कोई बात नहीं आ जायेंगे तो वो बोली पता है वो अब दिवाली में आयंगे और दिवाली में अभी काफी समय है। उनका दिया हुआ प्यार मुझे बहुत याद आता है। मैं उनके बहुत ज्यादा याद करती हूँ। और वो अपना मुँह आँख फेस चमका चमका कर मेरे से बात कर रही थी। तो मैंने कहा कोई बात नहीं आप फ़ोन कर लीजिये। वो उन्होंने कहा हां बात हो जाती है मैं बाहर जाकर कभी कभी बात कर लेती हूँ पीसीओ जाकर। उस समय मोबाइल उतना ज्यादा नहीं था। सब लोग फ़ोन करने के लिए घर से बाहर ही जाते थे जिनके यहाँ फ़ोन नहीं होता है।
तो मैंने कहा आप भी चले जाइये तो उन्होंने कहा मैं नहीं जा पाऊँगी मुझे अपनी सास को भी देखना है। तो मैंने कहा हां फिर तो दिक्कत है आपके साथ। सच बताता हूँ दोस्तों उस समय मुझे ऐसा बिलकुल भी नहीं लग रहा था की वो मुझे पटा रही है या लाइन दे रही है। मैंने बस उनके सवालों का जवाब मैं दे रहा था। तभी तो बोल उठी आपको पता है भाभी भी आधी घरवाली होती है। तो मैंने कहा मैंने साली के बारे में तो सूना भी है की वो आधी घरवाली होती है। पर भाभी के बारे में नहीं सूना।
उन्होंने कहा क्यों भाभी से लोग मजाक करते हैं ना ? तो भाभी से जब मजाक कर सकते हैं और भाभी की बहन आधी घरवाली हो सकती है तो जब भाभी का पति भाभी के पास नहीं हो तो कौन हेल्प करेगा देवर ही करेगा। मैंने कहा हां ये भी आपकी बात सही है। मुझे उनकी बातों से कुछ कुछ होने लगा था और जब वो भी मेरे से बात कर रही थी तब वो भी घबरा रही थी ऐसे लग रहा था की वो भी ये सब घबराते हुए कह रही है। ऐसा होता है जब आप किसी को प्रपोज कर रहे होते हो या चुदाई के लिए कह रहे होते हो तो आपके अंदर घबराहट होती है।
मुझे भी हो रही थी तो मैंने कहा अब मैं जाता हूँ। वो दरवाजे पर बैठी थी चौखट पर और मैं अंदर था। हवा तेज तेज चल रही थी। उन्होंने कहा कहाँ जाओगे बाहर लू चल रही है। धुप भी तेज है गर्मी है बैठ जाओ. तो मैंने कहा नहीं नहीं फिर आऊंगा और मैं उठ गया। जैसे ही उठा उन्होंने अपना आँचल निचे सरका दिया।
उनका ब्लाउज का गला आगे से ज्यादा कटा हुआ था। वो दोनों चूचियाँ एक दूसरे से सटी हुई और ऊपर से पसीने की छोटी छोटी बून्द दिख रही थी। और उनकी मदहोश कर देने वाली आँखे मुझे निचे से ऊपर तक देख रही थी। तो मेरी साँसे तेज तेज चलने लगी। फिर मैं आगे बढ़ा और उनके करीब आया और बोला हट जाईये रस्ते से तो उन्होंने कहा नहीं हटूंगी जाना है तो ऐसे ही चले जाओ। मुझे भी अब अठखेलियां करना अच्छा लगने लगा था। तो मैं उनके आगे से ही निकलने लगा की उन्होंने मेरा लंड पकड़ लिया। मेरा लंड तो पहले से ही बड़ा हो रहा था। क्यों की जब से उनकी हाव् भाव देखा तब से और भी फनफना रहा था मेरा लौड़ा।
उन्होंने जैसे ही मेरा लौड़ा पकड़ा मैं आगे जाने की वजाय पीछे आ गया कमरे के अंदर ही फिर से चला गया। अब वो उठ गयी और फिर से मेरे लंड को पकड़ने आगे बढ़ी दरवाजा खुला था तो मैंने कहा अरे कोई देख लेगा। तो वो बोली कोई नहीं देखेगा। इतना कहकर वो दरवाजा सटा दी। और वो मेरे तरफ आई पर मैं बचने लगा वो मुझे पीछे से पकड़ी मैं फिर से बच रहा था की वो मेरा लंड नहीं पकडे,मैंने थोड़ा ढील दिया को वो मेरे लंड को पकड़ ली।
अब जैसे ही मैंने उनकी चूचियों के तरफ हाथ बढ़या उन्होंने मेरा लौड़ा छोड़ बचने लगी भागने लगी कमरे में ही। अब मैं पीछे पीछे अब वो आगे आगे. वो निचे बैठ गयी और अपने दोनों घुटने से अपने दोनों चूचिओं को दबा ली अब ब्लाउज से बाहर आ रहा था गोरी गोरी बड़ी बड़ी हॉट चूचियां। पर मैं पकड़ नहीं पा रहा था।
अब उन्होंने जब ढील दिया तो मैंने उनकी चूचियां मसलने शुरू कर दिए उनके मुँह से सी सी सी की आवाज निकलने लगी मानो की उनको मिर्ची लग गयी हो। उनकी दोनों चूचियों में मैंने खूब मसला ब्लाउज के ऊपर से ही वो पसीने पसीने हो गयी और मेरी भी धड़कन तेज तेज हो गयी थी।
जैसे ही मैं ब्लाउज के अंदर हाथ डालने की कोशिश की उन्होंने तुरंत ही रोक दिया मुझे और अपना ब्लाउज का हुक खोल दिया। वो ब्रा नहीं पहनी थी। सॉलिड थी उनकी चूचियां अब मैं उनके निप्पल को रगड़ने लगा। और बूब्स प्रेस करने लगा। वो उठ कर पलंग पर आ गई और लेट गयी। उन्होंने खुद ही अपना पटिटकोट ऊपर कर दी। दोनों बूब्स पहले से ही खुले थे। वो कुछ बोली नहीं बस मझे देख रही थी और दांतों के अंदर अपने होठ को दबा रही थी और मदहोश सी हो रही थी।
मैं तुरंत ही ऊपर चढ़ गया और उनको चूमने लगा। फिर बूब्स पीया फिर निचे आया दोनों टांगो को अलग अलग किया ताकि चूत देख सकूँ पर उन्होंने अपने दोनों हाथों से अपने चूत को ढँक लिया अब मैं फिर से ऊपर गया। और उनके होठ को चूसने लगा। उन्होंने दोनों पैरों को फैला दी। मैंने अपना लंड पकड़ कर उनके चूत के आगे पीछे करने लगा मुझे पता भी नहीं था की चूत का छेद कहाँ होता है और कैसे अंदर डालते हैं।
उन्होंने जब देखा की सही जगह नहीं जा रहा है। उन्होंने खुद मेरा लंड पकड़ा और अपनी चूत पर सेट की गांड थोड़ा आगे की और बोली धक्के देने मैंने धक्के दिया और पूरा का पूरा लंड उनके बूर में चला गया। ओह्ह्ह्हह्हह ये था मेरी पहली चूत की चुदाई। फिर वो गांड घुमा घुमा कर अपने अंदर मेरे लंड को लेने लगी और मैं अनारी के तरफ पेल रहा था। पर वो एक्सपर्ट थी खूब मजे ली और मेरा भी ये पहली चुदाई थी तो जबरदस्त था चाहे जैसे भी चूत के अंदर गया हो।
फिर उस दिन तो जल्दी ही मेरा गिर गया सारा वीर्य उनकी चूत में पर हां उसी रात को जब उनके यहाँ गया तो खूब अच्छे से पेला पूरा कपड़ा खोल कर। फिर दूसरे दिन दोपहर में उनकी चूत को अच्छे से देखा और खुद ही लैंड को हिला हिला कर चूत में घुसाया। तो मजाक मजाक में ही पहली बार भाभी को चोदा वो मुझे आज तक याद है और हमेशा याद रहेगा क्यों की ये मेरी पहली चुदाई थी।
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