Savita Didi ki chudai ki kahani
मेरा नाम राम सिंह है, मैं हरियाणा के रोहतक शहर के पास के एक गाँव का रहने वाला हूँ।
मेरी उम्र 55 वर्ष है। मैं अब तक 7-8 लड़कियों और औरतों को चोद चुका हूँ।
मैंने सबसे पहले अपनी चचेरी बहन सविता की सील तोड़ी।
यह मैंने कैसे किया, यही मैं यहाँ सुनाने जा रहा हूँ।
बाकी की चुदाई की रस भरी कहानियाँ मैं एक-एक कर के सुनाता रहूँगा।
मैं 20 साल का था, मेरे एक चाचा की लड़की 19 साल की थी।
उसका नाम सविता है।वह बहुत ही सुन्दर थी, उसका फिगर 32-26-32 था, गली के कई लड़के उसको चोदने की फिराक में रहते थे।
उसकी चुच्ची और चूतड़ मानस मार थे।
दिखने में गोरी चिट्टी तथा जवानी की भरी हुई और बहुत सुंदर थी।
उसके बदन का हर अंग कामुक एवं आकर्षक था।
वह एक ब्रह्मांड सुन्दरी लगती थी जिसे एक नज़र देखने के बाद लोगों के लौड़े क़ुतुब मीनार की तरह तन जाते थे।
बहुत ही नटखट स्वभाव की, हमेशा हँसती और हंसाती रहती थी।
मैं उसकी चूत में अपना लण्ड ठोकना चाहता था।
उसकी चूत और चूतड़ों का ध्यान कर के मूठ मारता था और वीर्य की पिचकारी छोड़ता था।
मैंने कई बार मौका मिलने पर उसकी चुच्ची दबाई और चूतड़ों पर थपकी भी मारी, लेकिन उसे चौदने का मौका नहीं मिला।
मैंने कई बार उससे पूछा कि क्या वह अपनी चूत में मेरा लण्ड बड़वाना चाहती है, तो वह कहती कि वह मेरा लण्ड भी चूसना चाहती है और मेरा वीर्य भी पीना चाहती है।
हम दोनों में गहरा प्यार हो गया चुका था लेकिन उसकी चूत में लण्ड ठोकने का मौका नहीं मिल रहा था क्योंकि हमारा परिवार बहुत बड़ा था।
उसकी मानस मार चूचियों और मटकते हुए चूतड़ों को देख-2 कर तड़पता रहता था मैं…
वह भी मेरे प्यार में पागल हो चुकी थी।
मौका मिलते ही मेरे लौड़े को दबा देती थी अपने हाथ में पकड़ कर।
आखिर एक दिन हमें एक दूसरे में समाने का मौका मिल ही गया।
हुआ यह कि हम दोनों बहन-भाई रोहतक में कॉलेज में पढ़ते थे।
सविता लड़कियों के कॉलेज में और मैं लड़कों के कॉलेज में पढ़ता था।मैंने उसे कहा- तू घर वालों को कह कि कॉलेज में आते-जाते लड़के मुझे बुरी नजर से देखते हैं और गन्दी-2 फ़ब्तियाँ कसते हैं। इसलिए मेरा रोहतक में रहने का इन्तजाम कर दें। जब तू ऐसा कहेगी तो वे तुम्हें शहर में अकेली रहने की इज़ाजत नहीं देंगे, बल्कि कहेंगे कि तुम दोनों भाई-बहन इकट्ठे शहर में जा कर रहना शुरू करो।
हमारी यह स्कीम काम कर गई और घर वालों ने हमें शहर जाकर रहने की इज़ाजत दे दी।
फिर क्या था।
मैंने फटाफट रोहतक में एक मकान किराये पर ले लिया और उसमें रहने के लिए चले गए।
जिस दिन हमने शिफ्ट किया उस दिन इतवार था।
हम दोनों ख़ुशी से पागल हुए जा रहे थे क्योंकि अब हम दोनों पागल प्रेमी एक दूसरे में समाने जा रहे थे।
घर में घुसते ही हम गुत्थम-गुत्था हो गए।
मैंने सविता को अपनी बाँहों में भर कर छाती से लगा लिया और उसने भी मेरी कस कर कौली भर ली।
उसकी नर्म-2 शानदार कसी हुई चूचियाँ मेरी छाती से रगड़ खा रही थी जिससे मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं स्वर्ग में पहुँच गया हूँ।
फिर मैंने उसके गालों पर 15-20 गर्म-2 चुम्बन लिए और फिर उसके लाल-2 शहद से भरे होंठों पर अपने होंठ जड़ दिए।
अब कोई 15 मिन्ट तक बारी बारी से हम एक दूसरे के होंठों का रस पीते रहे।
फिर मैंने उसकी जीभ अपने मुँह में लेकर चूसनी शुरू कर दी।
मजे मजे में सविता डार्लिंग के मुँह से ‘सी सी’ की आवाज आ रही थी और वह गर्म हो गई थी।
अब उसने मेरी जीभ चूसनी शुरू कर दी।
मेरा 7″ लम्बा और 2.5″ मोटा लण्ड तन कर खड़ा हो गया और उसकी शानदार चूत पर ठोकर मारने लगा।
मेरी प्यारी पटाका बहन ने मेरे लण्ड को पकड़ कर मसलना शुरू कर दिया।
मैं उसकी चूची मसलने लगा।
मैं अब उसके मानस मार नितम्बों पर हाथ फेरने लगा तथा मुट्ठी में लेकर उसके नितम्बों के दोनों पाटों को जोर जोर से भींचने लगा।
मेरी सपनों की रानी सविता बहन पूरी तरह गर्म हो चुकी थी और उसकी सांसें तेज हो चुकी थी।
उसने कहा- अब और मत सताओ भाई, मेरी चूत में अपना मोटा और लम्बा लौड़ा घुसेड़ कर सील तोड़ दो।मैंने कहा- अभी लो मेरी बहन मेरी जान, तेरी सील तोड़ कर तुझे अपनी घरवाली बनाता हूँ।
मैंने एक एक कर के उसके कपड़े उतार दिए।
पहले उसकी कमीज और ब्रा उतारी और फिर उसकी सलवार का नाड़ा एक झटके में खोल कर उसे भी उतार कर दूर फेंक दिया।
अब वह केवल पैंटी में थी, मैंने उसकी पैंटी भी उतार कर फेंक दी।
वह अब अप्सरा लग रही थी। उसका अक एक एक अंग गजब का खूबसूरत था।
मेरी आँखें उसका रूप देखकर चकाचौंध हो गई।
वह इतनी सुन्दर थी कि अप्सराएँ भी उसे देख कर शर्मा जाएँ।
ऐसा लग रहा था जेसे भगवान ने उसे फुरसत में बैठकर बनाया हो।
अब मैंने गोदी में उठा कर उसे बेड पर लिटा दिया और मैं भी उसके पास लेट गया।
मेरे लेटते ही वह मुझ से लिपट गई और हाथ बढ़ा कर मेरे पजामे का नाड़ा खोल कर उसे उतार दिया तथा मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
उसने मेरा सिर पकड़ कर मेरा मुँह अपने मम्मों पर रख दिया और उन्हें चूसने को कहा।
उसके मम्मों पर लगी मोटी मोटी सख्त डोडियाँ बिल्कुल मेरे होंठों के पास देख कर मैं और ज्यादा उत्तेजित हो गया इसलिए मैं उनको अपने मुँह में डाल कर चूसने लगा!
सविता ने मम्मे चूसवाते हुए मेरा जांघिया भी उतार दिया और मेरे लौड़े की मुठ मारने लगी।
लगभग दस मिनट उसके मम्मे चूसने के बाद मैंने उसकी सुंडी यानि नाभि में जीभ डाल कर उसे खूब चाटा।
फिर पेट चाटना शुरू कर दिया और चाटते चाटते नीचे पेडू तक पहुँच गया।
मैंने उससे पूछा- कैसा लग रहा है बहना रानी?
तो बोली- स्वर्ग में पहुँच गई हूँ ऐसा लग रहा है भाई राजा।
अब वह पूरी तरह गर्म चुकी थी।
अब बस गर्म लोहे पर हथौड़ा मारना बाकी था।
फिर सविता ने मेरा बनियान भी उतार दिया और मेरे लण्ड को मुँह में लेकर चूसने लगी तथा मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर रख दिया और उसमें उंगली करने को कहा।
कुछ देर मैं उंगली करता रहा, फिर मैंने उसे कहा कि मैं भी उसे चूसना चाहता हूँ।
तो उसने पलट कर अपनी टांगें मेरे सिर की ओर कर दी और चौड़ी करके अपनी चूत मेरे मुँह पर लगा दी।
क्या शानदार चूत थी… बिल्कुल पाव रोटी की तरह फूली हुई।
पतली पतली चूत की पंखुड़ियाँ, चूत के अन्दर वाले होंठ इतने सुन्दर जैसे अभी बोल उठेंगे।
पहले खूब जी भर कर उसकी चूत के होंठ चाटे, फिर उसकी चूत का लाल लाल दाना चूसा और फिर उसकी लाल चूत में जीभ डाल कर अन्दर बाहर करने लगा तो वह वह मेरा लौड़ा चूसते चूसते अपने चूतड़ ऊपर उठा उठा कर उछलने लगी और उन्ह्ह… उन्ह्ह… की आवाजें निकालने लगी।
मैंने मजे मजे में धक्का मारा और अपना लौड़ा सविता के मुँह में पूरा ठूंस दिया।
लौड़ा गले में पहुँच जाने के कारण सविता का दम फूलने लगा और वह सांस के लिए छटपटाने लगी।
मैंने तुरन्त लौड़ा बाहर निकाला तो सविता ने नाराज़ होते हुए कहा- तुझे धक्का नहीं मारना चाहिए था, सांस घुटने से मैं मर भी सकती थी!
मैंने उसे सॉरी कहा।
अगले दस मिनट तक हम दोनों एक दूसरे को चूसते रहे!
इस दस मिनट की चुसाई में सविता ने दो बार पानी छोड़ा था जिसका स्वाद मुझे बहुत अच्छा लगा और मैं वह सारा पानी चाट गया।
इसी दौरान मेरा प्री-कम भी निकलना शुरू हो गया था जिसको सविता बड़े मजे से पी गई थी!