सेक्स की पुजारन एक मस्त हिंदी कहानी – Sex ki pujarin ek majedar kahani in hindi

सेक्स की पुजारन एक मस्त हिंदी कहानी – Sex ki pujarin ek majedar kahani in hindi – हेल्लो दोस्तों मै आपका दोस्त दीपक हाजिर हूँ एक नयी कहानी लेकर, मै २८ साल का एक नौजवान लड़का हूँ और देहरादून से हूँ और मल्टीमीडिया का जॉब कर रहा हूँ, मेरा रंग गोरा है और मेरी हाइट ५ फूट ७ इंच की है और मेरा लंड ३ इंच मोटा और ७ इंच लम्बा है।

दोस्तों यह कहानी तब की है जब मै २२ साल का था यानी नया नया जवान हुआ था, मुझे चूत और चूत चुदाई के बारे मे कुछ पता नहीं था, मेरा मन हमेशा चूत चोदने के लिए उतावला होता था लेकिन चूत न मिलने की वजह से मै अकेले में जाकर मुठ मार लेता था, एक दिन की बात है मै कॉलेज गया और अपने क्लास की एक लड़की से लेक्चर की कॉपी मांगी, कॉपी खोलते ही मुझे कुछ ऐसा दिखा जिस से मेरी आँखें शर्म से लाल हो गयी, उसमे एक मस्तराम की एडल्ट मैगज़ीन थी।

मै यह देख के एकदम शॉक हो गया और कॉपी बंद करके एकदम चुपचाप बैठा रहा, तभी मेरे दोस्तों से बाहर आने के लिए कहाँ और मै कॉपी वही पर रखकर बाहर चला गया, लेकिन मेरा दिमाग बार बार उस एडल्ट मैगज़ीन के बारे में सोच रहा था, मेरा लंड अब तनकर खड़ा हो गया था और मै बाथरूम में चला गया और वहां जाकर मैंने मुठ मार ली, उसके बाद मै वापस क्लास में आ गया।

२ लेक्चर होने के बाद कॉलेज की छुटी हो गयी और मै वापस घर आ गया, घर आकर मै लंच करके सो गया और जब वापस उठा तो मेरा ध्यान फिर से उसी एडल्ट मैगज़ीन की तरफ चला गया, उस वक़्त मै घर पर अकेले था और मेरा लंड भी टाइट हो रहा था, तभी मेरे घर की डोर बेल बजी और मैंने जाकर दरवाजा खोला तो सामने मेरे पड़ोस की लड़की खड़ी थी, उसका नाम संध्या था और हमदोनो सेम ऐज के थे, वो दिखने में गोरी थी और उसका फिगर ३२-२८-३२ था, मैंने उसे अंदर आने को कहा और वो अंदर आकर मेरे साथ बात करने लगी।

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हमने कुछ देर इधर उधर की बातें करी और जब उसने मुझे कैरम खेलने के लिए कहा तो मैंने मना कर दिया तो उसने पूछा क्यूँ क्या हुआ?

मेरा मन कर रहा था की मै अपने दिल की बात किसी से ज़रूर शेयर करू और उस टाइम मेरे सामने संध्या बैठी हुई थी, मुझे उससे बताने में डर लग रहा था की अगर उसने ये बात किसी को बता दी तो मेरा क्या हाल होगा, संध्या मुझसे जिद करने लग गयी तो मैंने उसे अपनी कसम देते हुए कहा की जो बात मै तुम्हे बताना जा रहा हूँ यह बात किसी को मत बताना, संध्या बोली ठीक है!

तब मैंने डरते हुए कॉलेज की कॉपी वाली बात उसको बता दी जिसे सुनकर वो भी शर्मा गयी और मै भी…फिर मैंने उस से कहा प्लीज ये बात किसी को मत बताना, संध्या ने कहा ठीक है!

संध्या : मै भी तुम्हे एक बात बतानी चाहती हूँ.

मै : हाँ बताओ..

संध्या : तुम्हे पता है मै और मेरे कजिन अकेले में ममी पापा वाला खेल खेलते है.

मै यह सुनकर शॉक हो गया और मैंने उस से पूछा इसका क्या मतलब होता है तो उसने कहा हम स्टोर में जाकर सेक्स करते है। यह सुनकर तो जैसे मेरे लंड में आग लग गयी और मैंने मन ही मन सोचा शायद अब मेरा काम हो जाये! फिर मैंने संध्या की तरफ देखा जो सेक्सी नजरो से मेरी तरफ देख रही थी, मुझे लगा शायद ये सेक्सी नजरे मुझसे कुछ कहना चाहती है।

अब मुझसे बर्दास्त नहीं हो रहा था तो मैंने संध्या को अपनी बाहों में भीच लिया और पूछा ‘संध्या जी क्या हम भी ये खेल खेले’?

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संध्या : किसी को पता चल गया तो?

मै समझ गया की वो तैयार है लेकिन मेरे सामने थोड़ा शर्मा रही है, इसलिए मैंने उसे बाहों में जकड़ा और उसके ओठों में ओठ डाल कर चूसते हुए बोला ‘संध्या डार्लिंग यह बात किसी को कभी पता नहीं चलेगी’!

संध्या : ठीक है

अब संध्या भी मेरा साथ देने के मूड में आ गयी थी, हमलोगों ने करीब १० मिनट तक चुम्बन किया, अब मेरा सपना सच होने जा रहा था, अब हम दोनों गर्म होने लगे थे और दोनों एक दुसरे की बाहों में प्यार से जकड़े हुए थे, अब संध्या ने अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया और और मुझे धक्का देकर खुद से ही मेरे सारे कपड़े उतार दिए, और मेरे लंड को हाथों से पकड़कर जमीन पर बैठ गयी।

अब संध्या ने मेरा मोटा लंड अपने मुहं में लेकर चुसना शुरू कर दिया, मुझे बहुत मज़ा आ रहा था क्यूंकि ये मेरे जीवन का पहला सेक्स अनुभव जो था, संध्या मेरा लंड चूसती रही और मै खड़े खड़े मज़ा लेता रहा।

अब मै उसकी चुचियों को धीरे धीरे करके दबाने लगा, पुरे कमरे में आह उह आई उह आह की मोहक आवाजें गूंज रही थी, हम दोनों को इतना मज़ा आ रहा था जैसे हम दोनों जन्नत की सैर पर हो, अब मैंने संध्या के पुरे कपड़े उतार दिए और उसकी चुचियों को हाथों में लेकर मसलने लगा उसके बाद मैंने उसकी गुलाबी निप्प्लेस को अपने मुहं में ले लिया और आहिस्ता आहिस्ता चूसने लगा, आह आह उह….

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फिर मैंने उसे पलंग पर लिटा दिया और उसकी चूत पर अपना मुहं का रखकर उसकी चूत को चाटने लगा, उसकी चूत का रस एकदम नमकीन था और हम दोनों मदहोश हो रहे थे, उसके बाद मैंने अपना लंड उसकी चूत से सटा दिया और उसकी झांटों से रगड़ने लगा फिर मैंने एक ही झटके में अपनी लंड का सुपारा उसकी चूत में पेल दिया, संध्या के मुहं से आह निकल गयी….

मैंने कहा संध्या मज़ा आ रहा है न? उसने कहा हाँ बहुत मज़ा आ रहा है बस तुम मेरी चूत का भोसड़ा बना दो यह सुनकर मै बहुत जोश में आ गया और जोर जोर से झटके लगाने लगा, संध्या भी अपनी गांड उठाकर मेरा भरपूर साथ दे रही थी, हमदोनो की चुदाई लगभग १० मिनट चली उसके बाद मै उसकी चूत में ही अपना माल गिरा दिया! लगभग ५ मिनट तक हमलोग वैसे ही लेटे रहे उसके बाद हम दोनो ने एक राउंड और चुदाई करी तो दोस्तों यह था मेरी जिन्दगी का पहला सेक्स अनुभव और संध्या थी सेक्स की पुजारन ।

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