पूरी शाम भर फ़ातिमा बस सोचती रही की कैसे और कहा से शुरुआत करे. तभी उसके फोन पे फॅब पे एक क्लिप आई उसको देख को ज़ोया ने अपनी छूट मे लिए गुस्से लंड के साथ सेल्फिे की थोड़ी सी क्लिप बेजी थी. जिसे देख कर फ़ातिमा के गांद और जल गयी और अब उससे भी करना था और बेड से उठ कर सीधा अपने अब्बू के कमरे मे जा घुसी लेकिन वाहा कोई नही था. फिर वाहा से किचन की तरफ देख तो वाहा भी कोई नही था.
तोड़ा देर वेट करा तो फ़ातिमा के अम्मी अब्बू आए उन दोनो को देख कर फ़ातिमा पूछने लगी.
फ़ातिमा – अब्बू कहा चले गये थे आप दोनो? कितना ढूनदा दोनो को.
अम्मी :- अरे बेटी वो मेरी तबीयत अचानक से खराब हो गयी थी, वही डॉक्टर के पास गये थे.
अब्बू :- हन, हुँने सोचा तुझे क्यू परेशन करे इसलिए नही बताया.
दोनो अपने कमरे की तरफ चल दिए. फ़ातिमा अम्मी की बगल (अब्बू और अम्मी के बीच मे घुस गयी) आ गयी और कमरे मे जाने का सहारा देने लगी. बेड पे आराम से लिटा कर फ़ातिमा बाहर आई, उसके अब्बू भी थोड़ी देर मेी बाहर आ गये.
फ़ातिमा :- अब्बू, अम्मी को अभी थोड़ी देर के लिए आराम देते है.
अब्बू :- तू सही कह रही है.
फ़ातिमा :- बस आज से जो अम्मी करती थी, आप मुझे बता देना मैं कर दिया करूँगी.
अब्बू :- अरे नही तू पढ़ाई पे द्यान दे मैं देख लूँगा..
फ़ातिमा :- क्या..??
अब्बू :- घर के काम को और तेरा ख़याल भी रख लूँगा.
फ़ातिमा :- आप क्या रखेंगे अब्बू, आपको लड़कियो के बारे मेी कुछ पता भी है?
अब्बू :- अरे हन, सब पता है तेरी अम्मी के साथ यूही इतने साल नही गुज़ारे.
फ़ातिमा :- अछा फिर चलो एक ग़मे खेलते है.
अब्बू :- ग़मे… कॉन्सा ग़मे??
फ़ातिमा :- ट्रूथ आंड डरे!
अब्बू :- अरे ये बड़ा छूतियाप ग़मे है यार.
फ़ातिमा :- क्यू निकल गयी हवा…?
टेबल सज़ा उसपे बॉटल रखी और फिर ग़मे शुरू हुआ. फ़ातिमा ने बॉटल पकड़ कर घुमाई और कुछ देर बार अब्बू पे आके रुकी.
फ़ातिमा :- ट्रूथ या डरे?
अब्बू :- ट्रूथ.
फ़ातिमा :- पक्का?!
अब्बू :- अरे हन.
फ़ातिमा :- अम्मी के अल्वा अभी तक कितनी औरतो के साथ सेक्स कर चुके को??
फ़ातिमा का सवाल सुनकर उसके अब्बू तोड़ा घबराए ज़रूर लेकिन वो भी ग़मे को ग़मे की तरह खेलते हुए.
अब्बू :- टीन.
फ़ातिमा :- कों है वो तीनो?
अब्बू :- 2 रंडिया और 1 आतिफ़ा
फ़ातिमा :- खाला??
अब्बू :- हन..
बॉटल फिर घूमी और इस बार फिर अब्बू के शमने ही रुकी.
फ़ातिमा :- ट्रूथ और डरे…??
अब्बू :- ट्रूथ!
फ़ातिमा :- मेरे बारे मेी आपके दिल मेी क्या कायल आता है??
अब्बू :- लंड तंन जाता है कसम है, एक बार नहाते टाइम तेरी गांद देखी थी, 3 दिन तक मुति मारता रहा था.
बॉटल फिर घूमी और इश्स बार भी अब्बू पे आके ही रुकी.
फ़ातिमा :- ट्रूथ और डरे..?
अब्बू :- ट्रूथ!
फ़ातिमा :- कभी मुझे समझ के किसी और औरत के साथ सेक्स किया है?
अब्बू :- तेरी जैसी मखमली कही मिली ही नही.
बॉटल एक बार फिर घूमी लेकिन इस बार फ़ातिमा पे आके रुकी.
अब्बू :- ट्रूथ और डरे..??
फ़ातिमा :- ट्रूथ!!
अब्बू :- मेरे से चूड़ना चाहती है??
फ़ातिमा :- एक बार इशारा तो करके के देखो.
बॉटल एक बार फिर घूमी और फिर फ़ातिमा पे आके ही रुकी.
अब्बू :- ट्रूथ और डरे?
फ़ातिमा :- डरे!
अब्बू :- मैं तेरा ब्फ हू और मुझे ब्लोवजोब चाहिए आजा अभ.
कहकर अपनी पंत की ज़िप खोली और लंड को बाहर निकल कर लंड चूसने का इशारा किया. फ़ातिमा इशारा पाकर बिली की तरह 4 पैरो पे लंड की तरफ बढ़ी और लंड को सीधा मूह मे लेकर चूसने लगी.
कुछ मिंटो के लिए ग़मे मे जेसे इंटर्वल सा आ गया हो. और इस बीच फ़ातिमा अब्बू का लंड एक हाथ से पकड़े हुए लंड चूसे जेया रही थी. अब्बू भी अपना दोनो हाथ फ़ातिमा के सर पर रखे सर को उठाने का ज़रा सा मौका भी नही दे रहे थे.
कुछ देर बाद ग़मे मेी वापसी हुए और दोनो अपने अपने जगह पे वापस आए. अब्बू ने फ़ातिमा की तरफ देखा, फ़ातिमा के होंठो पे लंड का झाड़ा माल लगा हुआ था. जीभ निकल कर फ़ातिमा ने उससे भी सॉफ करके बॉटल को घुमा दिया. बेचारी फ़ातिमा फिर ब्लोवजोब की सिकहार हुई और ग़मे फिर कुछ देर के लिए रुक गया.
इस बार बॉटल अब्बू के हाथ मेी थी और बॉटल फिर घूमी और उससी के उपर आकर रुकी.
फ़ातिमा :- ट्रूथ या डरे?
अब्बू :- ट्रूथ!
फ़ातिमा :- अरे अभ तो डरे ले लो.
अब्बू :- लूँगा लूँगा अभी तो टाइम है..
फ़ातिमा :- मुझे छोड़ने का मॅन है??
अब्बू :- हन.
बॉटल घूमी और फ़ातिमा पे आ रुकी.
अब्बू :- ट्रूथ या डरे?
फ़ातिमा :- ट्रूथ.
अब्बू :- मेरे लंड का माल केसा लगा?
फ़ातिमा :- लाज्वाभ!
इस बार बॉटल फ़ातिमा ने ले ली और घुमा कर अल्लाह से प्राय करने ल्गी की अब्बू पे आके रुके और वो डरे ले. तभी जेसे अल्लाह मे ज़ोया की सुन ली और बॉटल अब्बू पे आके रुकी.
फ़ातिमा :- ट्रूथ और डरे?.
अब्बू :- डटे.
अब्बू के मूह जेसे डरे सुनने का ही इंतेज़ार कर रही हो.
फ़ातिमा :- पक्का??
अब्बू :- हन
फ़ातिमा :- आज रात मुझे तुम अपनी रंडी समझो और बना दो आज की रात हमएसा के लिए यादगार.
इस बार बॉटल घुमाए बिना अब्बू ने सवाल पूछा- “पक्का ना?” – अब्बू
फ़ातिमा :- हन.
फ़ातिमा के मूह से हन सबध सुनकर अब्बू ने टेबल की साइड किया और फ़ातिमा को पकड़ कर अपने करीब कीच कर उसके होंठो को चूमने लगा. लेकिन फ़ातिमा अपने होंठो को अलग करते हुए-
फ़ातिमा :- रात को यादगार बनाने बोला है, अभी रात होंने मे टाइम है.
अब्बू :- तो अभी कुछ कर भी कहा रहा हू, वैसे ही 2 बार झाड़ चुका हू रात के लिए एनर्जी तो बनानी भी तो पढ़ती है.
अपने अब्बू की बात सुनकर जैसे फ़ातिमा के दिल को कुश कर गयी और फ़ातिमा खुद अब्बू के उपर चॅड कर उनके होंठो को चूमने लगी.
अब्बू ने फ़ातिमा को गांद से पकड़ कर गोध मे उठाया और उसके उसके होंठो को चूमते हुए फ़ातिमा एक कमरे मेी गुस आया. फ़ातिमा के पलंग पर फ़ातिमा को बड़े प्यार से लिटाया और फ़ातिमा के कुरती की उपर से उतार दिया. देखा तो फ़ातिमा ने पर्पल रंग की ब्रा पहनी थी.
फ़ातिमा ने अब्बू की नॅज़ारो की तरफ देखा तो उनकी नज़र उसके बूब्स पेर थी. तभी फ़ातिमा ने अपना हाथ पीछे ले जक्र ब्रा का हुक खोल कर ब्रा को अब्बू के शमने ही निकल कर कही दूर पेकक दिया.
अब्बू मे फ़ातिमा के गिरे हुए बूब्स को बड़े प्यार से अपने हाथो से पकड़ कर उठाया और अपने मूह को दोनो बूब्स के बीच मे ले जाकर चूमने लगा. फ़ातिमा ने भी अब्बू को छ्होटा बाकचा समझ कर अपनी बाहो मेी भर लिया.
अब्बू :- फ़ातिमा, तू कब इतनी बड़ी हो गयी?? पता ही नही चला.
फ़ातिमा :- अब्बू, आज मेरी गेराई नाप के पता लगा लो.
अब्बू उसकी च्चती को चूमते चूमते उसके पेट के रास्ते उसकी कमर तक पहुच गया. फ़ातिमा की हरी पेजमी को गुटनो तक उतार कर उसकी काली पनटी के उपर से ही छूट को चाटने लगे.
फ़ातिमा :- अब्बू एक बात पूचु? सच सच बताओगे?
अब्बू :- आज मेी जगह हू, तू मुझे जीतने सवाल और बात पूछ सकती है, तुझे हर बात बता दूँगा.
फ़ातिमा :- अगर आज अगर मेी आपको मौका नही देती तो क्या आप कभी अपनी तरफ से कोशिश करते?
अब्बू :- फ़ातिमा! सच काहु तो, इस पल के बारे मेी सोच सोच कही बार मूठ मार चुका हू. लेकिन आयेज से हिम्मत करने मे मेरी सही मेी फट जाती है.
अब्बू :- अभ एक बात मेी पूचु?
फ़ातिमा :- हाँ.
अब्बू :- कही तू मुझे चुड बस एक बार चुड़कर अपनी फॅंटेसी तो पूरी नही कर रही ना?
फ़ातिमा :- अब्बू! बेशक आपसे चूड़ना मेरी फॅंटेसी है लेकिन साथ ही आज से आपका जब मॅन करे, मैं अपनी पनटी उतारे आपके शमने नंगी दिखूँगी जब आप इशारे दो.
बस जेसे अब्बू को इयाशी का इंतेज़ार हो. फ़ातिमा की पनटी भी आख़िरी मेी उतार दी और अपना लंड हवा मेी लराहे पहले फ़ातिमा के मूह मेी डाल के हल्का गीला काइया और फ़ातिमा की छूट पे लगा के तका चालू कर दिया.
फ़ातिमा लेती अपने होंठो को दबाए हुए दर्द को झेले जा रही थी. अब्बू उसकी तरफ हल्का झुके और उसके बूब्स को हल्का डाबयए और फिर एक ज़ोर से ढाका मारा की फ़ातिमा के बूब्स भी उपर नीचे होंने लगे. लेकिन अब्बू ने उससे अपने हंतो मेी पकड़ लिया.
जेसे जेसे धक्को की रफ़्तार बदती गयी. फ़ातिमा के मूह से आवाज़े भी निकलना शुरू होंने लगा. उसकी आवाज़ से कही फ़ातिमा की अम्मी झाग नाज़ाए इशी लिए अब्बू ने उसके होंठो को अपने होंठो के नीचे डब्बा के लगा तार ढाके मारने लगे. फ़ातिमा हवा मेी पेर फेलाए जेसे अब्बू को ढाको को अपनी छूट मेी वेलकम करे जेया रही थी थी.
एक तरफ फ़ातिमा को पहली बार कोई असली लंड मिला. वही अब्बू को भी कही सालो बाद कुवारि जवान छूट मिली.. पता ही नही चला की कब वो फ़ातिमा की छूट मेी झरता चला गया. लेकिन जब पता चला तो काफ़ी देर हो गयी थी.
फ़ातिमा :- अब्बू यार, क्या लंड की दार है…बिल्कुल गरम गरम.
अब्बू :- तू चाहहे तो ये दार तेरी छूट मे रोज़ डाल डू.
फ़ातिमा :- अम्मी की सौत बनाने का इरादा है क्या…
अब्बू :- तू बता राज़ी है तो अभी बना डू.
फ़ातिमा :- नही तुम बेटीचोड़ ही बने रहो.
अब्बू :- तेरी जैसी बेटी हो तो मैं क्या कोई भी बेटीचोड़ बनने को . है.
कुछ कर तक दोनो एक दूसरे के . बगल ही . रहे फिर बाद मेी अब्बू ने फ़ातिमा को . गोध मेी उठाया और . मे ले गया.
फ़ातिमा :- बेड पे . नही भरा क्या..?
अब्बू :- अभी तो सिर्फ़ रात के 12:30 . है, . पूरी रात यादगार बनाने को बोला था . गयी क्या??
फ़ातिमा :- अब्बू यार, क्या लंड की दार है…बिल्कुल गरम गरम.
अब्बू :- तू चाहहे तो ये दार तेरी छूट मे रोज़ डाल डू.
फ़ातिमा :- अम्मी की सौत बनाने का इरादा है क्या…
अब्बू :- तू बता राज़ी है तो अभी बना डू.
फ़ातिमा :- नही तुम बेटीचोड़ ही बने रहो.
अब्बू :- तेरी जैसी बेटी हो तो मैं क्या कोई भी बेटीचोड़ बनने को तैयार है.
कुछ कर तक दोनो एक दूसरे के अगाल बगल ही लेते रहे फिर बाद मेी अब्बू ने फ़ातिमा को दोबारा गोध मेी उठाया और बातरूम मे ले गया.
फ़ातिमा :- बेड पे जे नही भरा क्या..?
अब्बू :- अभी तो सिर्फ़ रात के 12:30 ब्जे है, तूने पूरी रात यादगार बनाने को बोला था भूल गयी क्या??
फ़ातिमा कुछ नही बोलती और अपना फेस अब्बू के सेन्ने की तरफ करके मुस्कुराने लगती है.
इश्स तरह कभी बातरूम मेी, कभी हॉल मेी दोनो चुदाई करते हुए रात से सुबा हो जाती है. फ़ातिमा अब्बू के बगल मेी ही लेती हुए उनका लंड हंतो मे पकड़े हुए सोई हुए थी और अब्बू के हंतो मेी फ़ातिमा के बूब्स थे.
फ़ातिमा की आँखे खुली तो देखा कॉलेज का टाइम भी हो गया है और जल्दी से बातरूम मे जाकर फ्रेश होकर जाने लगती है. तभी बेड पे नंगा लेता हुआ उसका अब्बू उसका हाथ पकड़ कर अपनी बाहो मेी कीच लेता है.
फ़ातिमा :- अभी जाने दो शाम को आती हू ना…
अब्बू ज़मीन पे गिरे पंत को उठा कर उसके से कुछ पैसे निकल कर फ़ातिमा के हंतो मेी रख देता है.
अब्बू :- कुछ खा लियो.
रास्ते मेी फ़ातिमा बहुत कुश थी ये सोच के की अभ वो भी ज़ोया से पीछे नही रही और उसने भी ज़ोया की तरह ही अब्बू से चूड़ी है. और ये बात ज़ोया को बताने के लिए बहोट उतावली भी थी और आख़िर वो कॉलेज पहुच गयी.
ज़ोया से मिली दोनो गले मिले और दोनो बातरूम की तरफ बड़े.
फ़ातिमा :- और केसी रही, अपने अब्बू के साथ कल का निगटौट?
ज़ोया पहले ज़ोर से हसी और हस्ती रही.
फ़ातिमा :- अरे बता ना, हंस क्यू रही है?
ज़ोया :- आबे तूने मेरी बात की सच मान लिया (और फिर ज़ोर से हँसे लगी.)
फ़ातिमा :- क्या मतलब..?
ज़ोया :- पहले ये बता, कल डटे क्या थी??
फ़ातिमा :- एप्रिल 1…
ज़ोया :- तेरा चूतिया कटा, और तू सच मॅन गयी (एक बार फिर ज़ोर से हस्सी.)
फ़ातिमा :- वो क्लिप??
ज़ोया :- द्यान से देखती वो डिल्डो था वो आँधी..
फ़ातिमा ज़ोया की बाते सुनकर उसके अंदर जवालामुखी फटने जेसा हो रहा था. मानो फ़ातिमा के अंदर गालियो के सेलाब आया हुआ हो लेकिन अब करे भी क्या…
ज़ोया बातरूम मे गुस्स गयी और फ़ातिमा बातरूम के बाहर अपना सर पकड़ के बैठ गयी.