Us din ke baad bhabhi ki chudai-1
हेलो दोस्तो मैं यानी आपका राज शर्मा एक ओर मस्त कहानी लेकेर हाजिर हूँ, एक दिन जब मई स्कूल से घर वापस आया तो देखा की दो अजनबी लोग हुमारे घर मे बेते थे. पता चला की ये लोग हस-वाइफ हैं ओर सामने वेल घर मे हुमारे नये नेबर बन कर आए हैं. जल्दी ही वो लोग हुंसे घुल-मिल गये. बाद मे पता चला की उन्होने लोवे- मर्रिगे की थी जिसके बाद उनकी घरवालों से नही बनी इसलिए उन्हे घर छोड़ कर किराए पे रहना पड़ा. भाभी ग़ज़ब की सुंदर थी. भैसाहब को एक मार्केटिंग फर्म मे सर्विस मिली थी. जिसकी वजह से उन्हे ज़्यादातर बाहर ही रहना पड़ता था. कोई ठिकाना था नही सो अपने ही शहर मे घर किराए पर ले कर रहने लगे. जल्दी ही वो फिर अपनी ड्यूटी पर वापस चले गये. अब भाभी का ज़्यादातर समय हुमारे साथ ही गुज़रने लगा. 3-4 दिन ही निकले होंगे की एक रात को अचानक शोर मच गया “चोर-चोर”.
पता लगा की भाभी की च्चत पर से कोई कूद कर भगा है. भाभी से पूचछा गया तो वो दर कर रोने लगी की उनके घर मे कोई चोर घुस आया था. मेरी मों उन्हे समझा कर घर ले आई पर सवाल वोही था की अगर कोई चोर फिर आ गया तो. तय हुआ की आज से भैसाहब के आने तक मे उनके घर पर सोया करूँगा. फिर मे भाभी के साथ उनके घर पर चला गया. रात भर भाभी मेरे साथ चिपक कर सोई. उस दिन के बाद से हुमारी ओर अचहचही निभने लगी. मई रात को तो सोता ही था भाभी के पास अब दिन मे भी मेरा समय उनके साथ बीतने लगा. मे उनके घर के छोटे-मोटे काम कर दिया करता था ओर वो पढ़ाई मे मेरी हेल्प करने के अलावा मेरे साथ गेम्स भी खेलती थी. 14त मे मई अचहचे नुंबरों के साथ पास हुआ. इसका क्रेडिट मेने भाभी को दिया. सबने उनकी तारीफ़ की. अब मेरी वाकेशन्स स्टार्ट हो चुकी थी मे भाभी के साथ ज़्यादा समय बिता सकता था. भाभी के घर मे दो रूम थे एक ड्रॉयिंग रूम ओर दूसरा बेडरूम. एक रात को मेरी नींद अचानक खुल गयी. ड्रॉयिंग रूम मे से किसी के करहने की सी आवाज़ आ रही थी. मई दर गया. बेड पर भाभी भी नही थी. दोनो कमरों के बीच मे एक विंडो थी जिस पर मोटा परदा पढ़ा था. डरते-डरते मेने उसके पास जा कर हल्का सा परदा हटा कर देखा.
कोई नही दिखा क्योंकि उधर अंधेरा था ओर इस तरफ निगठलंप जल रहा था. जब कुछ नही दिखा तो मेने भाभी को आवाज़ दी. तुरंत उधर से आवाज़ आनी बंद हो गयी. दूसरी तरफ से दरवाजा खुला ओर भाभी इधर आ गयी. बोली क्या हुआ वीनू. मेने कहा कुछ नही उधर आप क्या कर रही थी. वो दर सी गयी बोली कुछ नही. तुमने क्या देखा? मेने कहा कुछ नही उधर अंधेरा था आपके रोने की सी आवाज़ आ रही थी. वो बोली मुझे तुम्हारे भैसाहब को याद करके रोना आ रहा था तुम जाग नेया जाओ इसलिए मई उधर रूम मे चली गयी. मुझे तसल्ली हो गयी. ओर मई सो गया. पर दूसरे दिन भाभी सुबह को ही मुझसे फिर पूच्छने लगी तुमने क्या देखा था रात को. मेरे कई बार कहने पर उन्हे यकीन आया की मेने कुछ नही देखा. खेर फिर मे घर चला गया. डोफेर मे भाभी ने फिर आवाज़ दी वीनू – “साबुन ला दो”. मे उनके घर चला गया. वो कित्चान मे थी ओर आता मढ़ रही थी. बोली तुमने किसी को बताया तो नही. मई बोला– क्या बताया ? वोही रात वाली बात ? नही बताई ? क्या है भाभी आप भी बस बोर कर रही हो. अब पूचछा तो ज़रूर किसी को बता दूँगा. अरे नही मई तो बस ऐसे ही पूच रही थी. मेरे लिए साबुन ला दोगे मुझे नहाना है. ला दूँगा मेने कहा पैसे दो. वो बोली मेरे दोनो हाथ मे आता लगा है तुम खुद ले लो.
ठीक है मेने कहा- पर पेसे हैं कहाँ. वो बोली थोड़ी उँची जगह पर हैं, निकल लोगे? हन मेने कहा अगर हाथ पहुच गया तो ज़रूर निकल लूँगा. तो निकल लो उन्होने कहा ओर नीचे बेत गयी. अब मेरी समझ मे आया की वो क्या कह रही हैं. मई दर गया नही भाभी आप हाथ धो कर दे दो. नही वो बोली तुमने कहा था की तुम निकल लोगे अब निकालो. मेने बहुत माना किया पर वो नही मानी. आख़िर मुझे उनके ब्लाउस मे हाथ डालना ही पड़ा. पहली बार किसी लेडी के बूब्स मैने टच किए थे. मुझे कुछ दर तो लग रहा था पर अभी तक इसका मतलब नही पता था. मुझे सेक्स के बारे मे अभी तक कोई जानकारी नही थी पर उनके बूब्स टच करते हुए कुछ अजीब लग रहा था. मेने बीच मे हाथ डाला पर पेसे नही मिले. वो बोली बीच मे नही साइड मे हैं. मेने पूचछा- किस साइड मे? पता नही वो बोली देख लो. बीच मे से गिर जाते हैं इसलिए साइड मे रखे थे, किस साइड मे याद नही देख लो. मैने जैसे तैसे पेसे निकले ओर जल्दी से सोप लेने चला गया. बहुत अजीब सा लग रहा था. खेर सोप ले के आया तो भाभी कही दिखाई नही दी मेने आवाज़ दी तो उनकी आवाज़ बातरूम से आई वीनू सोप यहाँ दे दो. मे सोप ले कर बातरूम के बाहर पहुचा. दरवाजा खुला था वो सिर्फ़ अंडरवेर ओर ब्रा मे थी. मेने नज़र झुका ली. वो बोली वीनू रेपर उतार दो.
मेने रेपर उतार कर सोप उन्हे दिया ओर कहा घर जेया रहा हून. पर वो बोली मई नहा रही हून दरवाजा खुला पड़ा है. प्ल्स मेरे नहाने तक रुक जाओ. मैने बाहर का दरवाजा बंद किया ओर लॉबी मे बेत गया. पर ज़रा देर मे ही भाभी ने फिर पुकारा वीनू मेरी पीठ पर साबुन लगा दोगे प्ल्स. “अफ” मेने कहा आता हून भाभी. मई बातरूम मे गया वो बात्ट्च्ब मे लेती थी मे पहुचा तो बेत गयी. मई पीछे बेत कर उनकी पीठ पर साबुन सागने लगा. पर वो ओर उचक कर बेत गयी ओर हाथ उपर कर लिए की बगलो मे भी लगा डून उन्होने ब्रा भी नही पहनी थी. मैने सोप उनके हाथ मे दे दिया ओर बाहर चला आया वो आवाज़ देती ही रही. थोड़ी देर मे वो गौण पहन कर बाहर आई ओर मुस्कुराते हुए बोली कितना शरमाता है. शादी हो जाएगी तो क्या करेगा. नही करूँगा शादी मैने कहा ओर चला आया. पर शाम को ही उन्होने मुझे बुलाया ओर बोली आइस्क्रीम खाने का मान हो रहा है ले आओ दोनो खाएँगे. मे खुश हो गया क्योकि आइस्क्रीम मुझे भी अचहचही लगती थी. पर पेसे की बात फिर वही आ गयी. बोली निकल लो पेसे. पर आज तो आपके हाथ खाली हैं. तो क्या हुआ वो बोली कल भी तो निकले थे. आज भी निकल लो. नही मेने कहा आप दे दो. तो फिर रहने दो आइस्क्रीम वो बोली मे चलने लगा तो बोली मई औंती से कह दूँगी के कल इसने मेरे ब्लाउस मे हाथ दल कर पेसे निकले थे. अब मई दर गया. मों से शिकायत मतलब पिटाई.
क्या मुसीबत है मेने उनके ब्लाउस मे हाथ डाला ओर पेसे निकल लिए. अब तो ये लगभग रोज़ ही होने लगा उन्हे जब भी कुछ मगाना होता मेने सामने बेत जाती. ओर मे पेसे निकल लेता. मेरी 7त की पढ़ाई चल रही थी. भाभी मुझे अक्सर पढ़ती भी रहती थी. पर अब वो मसखरी कुछ ज़्यादा ही करने लगी थी. भैसाहब बीच-बीच मे आते रहते थे. एक बार वो रात को आए. मे सोया था पर मुझे नींद मे लगा की कोई है. पता नही वो कब आ गये थे. मुझे गोड मे लिए हुए थे, भाभी कह रही थी ड्रॉयिंग रूम मे लिटा दो रात मे बेचारा केसे घर तक जाएगा. ओर भैसाहब ने मुझे ड्रॉयिंग रूम मे सोफे पर लिटा कर दरवाजा बंद किया ओर वापस आ गये. फॉरन ही मेरी नींद खुल गयी. अंधेरे मे मुझे दर लगने लगा. पर दर के मारे उठ नही पाया ओर ना ही भाभी को आवाज़ दे पाया. उनके बेडरूम से लाइट ओर उनके हासणे की आवाज़ें आ रही थी. मेने उठ कर विंडो से परदा हल्का सा हटाया लाइट के लिए ओर अपनी आखें बंद करके लेट गया. पर चैन नही आया फिर थोड़ी देर मे उठा ओर उधर देखने लगा. भैसाहब सिर्फ़ अंडरवेर मे थे ओर भाभी ने कुछ भी नही पहना था. भैसाहब भाभी का दूध पी रहे थे मतलब भाभी के बूब्स चूस रहे थे ओर भाभी हास रही थी. मई फिर लेट गया.
फिर थोड़ी देर बाद देखा तो भैसाहब भाभी के उपर लेट कर कूद रहे थे. ये सब नया अनुभव था मेरे लिए,बड़ी देर मे नींद आई. अगले दिन भैसाहब ने ही उठाया बड़े प्यार से बातें करते रहे. मई जवाब देता रहा पर दिमाग़ मे रात की ही बातें घूम रही थी. फिर मे घर चला गया. पर वाहा भी ओर स्कूल मे भी मुझे रात वाली बात याद आती रही. मई सोच रहा था की जब भैसाहब जाएँगे तो भाभी से पुच्हूंगा. वो ही बताएँगी इस बारे मे. पर भैसाहब भी पुर 5 दिन के बाद वापस गये. तब तक मे घर पर ही सोया. 5वे दिन जब मे स्कूल से आया तो पता चला बाहिसहब चले गये हैं ओर भाभी ने मुझे बुलाया है. मे सीधे वही चल पड़ा मों ने खाने को कहा तो मेने कहा भाभी के साथ ही खा लूँगा. मों कुछ बोलती रही ओर मे भाभी के गहर पहुच भी गया. उनके साथ ही खाना खाया. मुझे फिर वोही बात याद आने लगी मेने हिम्मत करके पूच लिया भाभी छोटे बच्चे तो अपनी मों का दूध पीते हैं क्या बड़े लोग भी पीते हैं. नही तो उन्होने कहा. फिर उस दिन भैसाहब आपका दूध क्यो पी रहे थे. अब वो चोणकी बोली तुम्हे कैसे पता? मेने देखा था. कब ?उन्होने पूचछा. तब मेने बताया फिर उन्होने मुझसे सारी बातें पूच्ची की मेने क्या-क्या देखा. मेने सूब बता दिया. वो पूच्छने लगी की मेने किसी को बताया तो नही. मेरे माना करने पर वो कहने लगी ये बातें किसी को बताई नही जाती लोग बड़े हो कर समझ जाते हैं. इसलिए किसी से इस बारे मे बात नही करना.
ठीक है मेने कहा. पर उसके बाद भी मुझे चैन नही आ रहा था वोही सब कुछ याद आता रहता था. खेर किसी तरह कुछ दिन बीते होंगे एक रात को अचानक मेरी नींद खुल गयी. कुछ अजीब सा लग रहा था. देखा भाभी का हाथ मेरे अंडरवेर के अंदर था ओर मेरे पेनिस को सहला रहा था. मे चोंक कर उठ गया. ये क्या कर रही हो भाभी. वो भी अचानक हार्बारा गयी, बोली देख रही थी की तुम्हे टाय्लेट तो नही जाना. ओफफो ये कॉआन सा स्टाइल होता है टाय्लेट देखने कॅया. मुझे जगा लिया होता मेने कहा तो वो बोली तुम्हराई नींद खराब हो जाती मेने सोचा मे देख लून अगर तुम्हे टाय्लेट आ रही होगी तो जगा दूँगी. पर आपको कैसे पता चलता की मुझे टाय्लेट जाना है मेने पूचछा. भाभी बोली अगर तुम्हे टाय्लेट आ रही होती तो तुम्हारा ये सू-सू टाइट हो जाता. मेने गौर किया वो सही कह रही थी. फिर भी अब तक उनका हाथ मेरे अंडरवेर के अंदर ही था मेने कहा अब तो अपना हाथ निकालो मे जाग चुका हून. ओर आयेज से मुझे जगा लिया करना इस तरह मत करना.
पर 3-4 दिन ही बीते होंगे की एक रात को फिर वैसे ही मेरी आँख खुली आज भी भाभी का हाथ मेरे अंडरवेर मे था. मेने उस दिन उन्हे बहुत झिरका. आपको ऐसा नही करना चाहिए मुझे जगा लिया करो. उन्होने सॉरी कहा तब मे सोया पर वो अपनी हरकतों से बाज आने वाली नही थी. एक हफ़्ता गुजर गया. उन्होने रात को मुझे परेशान नही किया पर फिर एक दिन मेरे अंडरवेर के उपर से मेरे लॅंड को सहला रही थी ओर आज तो मेरा लॅंड भी टाइट होने लगा था. मई काफ़ी देर तक ऐसे ही पड़ा रहा मुझे भी मज़ा आ रहा था. पर थोड़ी देर बाद मुझसे सहना मुश्किल हो गया तो मे फिर उठ बेता, उन्हे झिरका तो वो मासूमियत से बोली मेने हाथ अंदर कहाँ डाला मे तो उपर से ही देख रही थी.
दोस्तों यह कहानी कुल 5 भाग में है, कहानी जारी रहेगी, तब तक पड़ते रहिये सिर्फ antarvasna.live धन्यवाद।