Us din ke baad bhabhi ki chudai-2
मुझे हसी आ गयी कितनी देर से देख रही थी आप. मई मों से शिकायत कर दूँगा. फिर उन्होने मेरे लॅंड को टच करना बंद कर दिया. पर वो मुझे च्छेदने से बाज़ नही आती थी. कभी अपने ब्लाउस मे से पेसे निकलवाने के बहाने से हाथ ब्लाउस मे डलवती ओर जब मेरा हाथ अंदर होता तो मेरा निक्कर नीचे खीच देती ऑफ कभी बेते से उठ कर खड़ी हो जाती मेरा हाथ ब्लाउस मे फस कर ही रह जाता इस सब मे 1-2 बार उनके ब्लाउस के बटन भी टूट गये ओर उनके बूब्स काफ़ी दिख भी जाते थे पर मे फॉरन नज़र घुमा लेता था, कभी बातरूम मे बुला कर पीठ पे साबुन लगाने के बहाने मुझे अपने हाथ-पावं उपर तक दिखा देती थी. पर मे इग्नोर करता रहता था. लकिन अब मुझे भी मज़ा आने लगा था. स्कूल मे दोस्तो के साथ भी ऐसी ही बातें होती रहती थी. पर मेने उन्हे कभी भाभी के बारे मे नही बताया. हाँ अब मे लॅंड-छूट का फ़र्क समझने लगा था पर मे इनका उसे नही जनता था. बस सेक्स की नालेज आती जेया रही थी. मेरा लॅंड अब अक्सर टाइट हो जाता था. ओर मे इसका मतलब समझ नही पता था. पर भाभी जैसे कुछ समझने को तैयार ही नही थी. मे समझ नही पा रहा था की आख़िर वो चाहती क्या हैं. उन दीनो गर्मी के दिन थे. सबकी हालत गर्मी से खराब थी. भाभी रात को कम से कम कप्रों मे सोया करती थी. मेरी आख रात को खुल जाती तो मे आखें फाड़-फाड़ कर उनका जिस्म देखता रहता था. 1-2 बार उनकी नींद भी खुल गयी उन्होने देखा तो मे फॉरन ऐसे टाय्लेट की तरफ चल देता जैसे अभी उठा हौं. उस दिन काफ़ी गर्मी के बाद शाम से बारिश होनी शुरू हो गयी थी. मों ने मुझे जल्दी ही भाभी के घर भेज दिया ताकि बारिश तेज़ होने से मे भीग नेया जाऊं. मे भाभी के घर पहुचा तो वो बोली मई तुम्हारा ही वेट कर रही थी की तुम आ जाओ तो मे नहा लून वरना दरवाजा कॉआन खोलता. मेने कहा मई आ गया हून आप नहा लो.
उन्होने अपनी मेक्शी वहीं उतार दी. मई एकद्ूम चोंक गया मेने कहा ये आप क्या कर रही हो वो बोली मे नहाने जेया रही हून. मेने कहा कपड़े यहाँ क्यो उतार रही हो. वो अब अपना ब्लाउस उतार रही थी. मेरा लॅंड टाइट हो रहा था. वो तो अच्छा था की मे लंबी त-शर्ट पहना था. उन्होने ब्लाउस भी उतार दिया. अब वो ब्रा ओर पेटीकोत मे थी. मे फॉरन उठ कर लॉबी मे आ गया बाहर बारिश हो रही थी. तभी भाभी भी आ गयी वो ब्रा ओर पेंटी मे थी. अफ मे बेचैन हो रहा था. वो मुस्कुरई- बोली मे बारिश मे नहाने जा रही हून, तुम नहाऊगे? मेने माना किया तो वो ज़बरदस्ती मुझे बारिश मे खीचने लगी. मे समझ गया नहाना ही पड़ेगा. फिर भी मेने बहाना किया मेरे पास कपड़े ओर नही हैं ये भीग जाएँगे तो क्या पहनूंगा. वो बोली मेरी पेंटी पहन कर नहा लो फिर अपना निक्कर पहन लेना. नही मेने माना कर दिया. पर वो मानी नही बोली तो ऐसे ही नहा लो बाद मे देखेंगे क्या पहनना है. नही मेने विरोध किया तो उन्होने टवल दे दी बोली ये पहन लो नहाने के बाद अपने कपड़े वापस पहन लेना. उनकी ज़िद से हार कर मेने अंदर रूम मे जा कर कपड़े उतरे ओर टवल लपेट कर बाहर आ गया. भाभी रूम के बाहर ही खड़ी थी बोली चलो बाहर चले. वो ओर मे दालान मे आ गये जहाँ बारिश काफ़ी तेज़ हो रही थी. काफ़ी देर तक हम नहाते रहे वो बर्बर मेरे बदन पर अपना हाथ रग़ाद देती थी. ओर कभी मुझसे बिल्कुल चिपक जाती थी. मुझे अजीब सा फील हो रहा था. अचानक उन्होने मेरा टवल खीच लिया. मे बिल्कुल नंगा हो गया. “भाभी” मई चीख पड़ा. पर वो हास दी.
मई दोनो हाथ से अपना लॅंड पकड़े खड़ा था झुका हुआ. वो बोली ले लो टवल. मेने कहा वापस दो वरना मे बात करूँगा. वो पास आई मई समझा टवल वापस करने आई है. उन्होने पास आ कर मेरी चूटर के बीच मे अपना हाथ फिरा दिया. से मे लाल हो गया. भाभी टवल वापस दो नेया. कितना शरमाता . ये ले टवल. उन्होने टवल वापस मेरी तरफ फेक दिया. मे जल्दी टवल की ओर भगा. जब तक टवल उठा कर लपेटी, देखा भाभी ने ब्रा उतार दी थी ओर दालान मे ही लेट गयी थी. उनके बूब्स उपेर उठे हुए थे ओर पानी उन पर गिर रहा था. कुछ देर मे देखता रह गया अचानक उन्होने मेरी तरफ देखा तो जैसे अकल आई ओर मई की तरफ भाग गया ओर रूम बंद कर लिया भाभी कहती रह गयी की रूम भीग जाएगा. पर मे अंदर घुस कर डोर बंद कर चुका था. कपड़े पहन कर मे बाहर आया भाभी अभी भी दालान मे नहा ही रही थी. बोली तुम तो इतनी जल्दी भाग गये. मेने कहा आपने मजबूर किया. वो बोली मेने क्या किया नहाना है तो कपड़े पहन कर कॉआन नहाता है. वो बहुत देर तक नहाती रही फिर बारिश कम हो अंधेरा भी होने लगा था बोली अच्छा टवल तो दे दो अब मे नहा चुकी हून. मेने बाहर जेया कर टवल दिया तो मुझे लगा की वो कुछ भी नही पहनी हैं. बिल्कुल नंगी हैं. उन्होने टवल पकड़ने के लिए कदम बढ़ाया तो सॉफ लगा वो कुछ नही पहनी थी. मेने जल्दी से टवल उनके उपेर फेका ओर अंदर आ गया. “शर्मिला टागॉर का भाई” भाभी की आवाज़ आई. मई बेडरूम से कित्चान मे चला गया ओर भाभी बातरूम मे. मेने खाना लगाया ओर लॉबी मे तबले पर आ गया जल्दी ही वो भी आ गयी उन्होने मेक्शी पहनी हुई थी. मुझे कुछ तसल्ली हुई. हुँने खाना खाया ओर सो गये.
अगले दिन भाभी की हालत खराब थी उन्हे सर्दी हो गयी थी. ओर नहाओ बारिश मे मेने कहा ओर चला आया, मों को बता दिया की भाभी की तबीयत खराब हो गयी है. उस रात फिर मों ही भाभी के पास रुकी. मे घर पर पापा के पास. अगले रात को फिर मुझे ही भाभी के पास जाना था उनका नंगा बदन बर्बर मेरी आखों के सामने कोंध जाता था. खेर मे भाभी के घर गया खाना अपने साथ ले कर गया जो मों ने बना कर दिया था. मेने ओर भाभी ने खाना खाया वो ठीक लग रही थी पर बीच-बेच मे करहती जाती थी. दर्द हो रहा है मेने पूचछा. हन वो बोली पीठ, सर ओर सीने मे काफ़ी दर्द है. खाना खा कर हम लेट गये पर वो कराह रही थी. मेने पूचछा “डॉवा ली?” वो बोली हन कल तुम्हारी मों ने विक्क्स लगा दी थी काफ़ी आराम मिला था. तो आज भी लगा लो मेने कहा. वो बोली पीठ पे कैसे लगाऊं. लाओ मे लगा देता हून-मेने कहा. उन्होने विक्क्स दी. पर वो गौण पहने थी विक्क्स लगती कैसे. मैने पूचछा कैसे लगाऊं. वो मुस्कुरा दी. उन्होने गौण उतार दिया. अब वो ब्लॅक ब्लाउस ओर पेंटी मे थी. बोली ब्लाउस भी उतार देती हून वरना ब्लाउस मे ही लग जाएगी. मेने मूह घुमा लिया. वो बोली लगा दो. मेने देखा वो उल्टी लेती थी ओर उनकी पीठ पर अभी ब्लॅक ब्रा बाकी थी. मेने लंबी साँस ली ओर विक्क्स लगाने लगा पीठ पर. पर हाथ बार-बार ब्रा की स्ट्रीप से उलझ जाता था. भाभी बोली अभी स्ट्रीप खोल दो विक्क्स लगाने के बाद वापस बाँध देना. स्ट्रीप मेने खोल दी पर उनकी पूरी नंगी पीठ देख कर मेरा लॅंड फिर सर उठाने लगा. मेने किसी तरह उसे रोका ओर विक्क्स लगाने लगा पर अभी मई पूरी तरह लगा भी नही पाया था की भाभी ने अचानक करवत् ले ली. अब वो सीधी लेती थी उनकी ब्रा भी खुली हुई थी.
पर एक साइड से उनके बूब से चिपकी हुई थी. पर एक बूब उनका सॉफ दिख रहा था. मेने झटके से उनके चेहरे की तरफ देखा वो शायद सो गयी थी ओर नींद मे ही उन्होने करवट ले ली थी. पर उनके बूब का मे क्या करता बार-बार आँख उसी तरफ चली जाती थी. दिल कह रहा था वो तो सोई हुई है फिर क्या दर्र है. पर मई जीटा मेने उनकी ब्रा उठा कर उनके बूब पर रखी ही थी की उन्होने ऐसा मूह बनाया जैसे च्चिंक आ रही हो पर आई नही उन्होने आँख खोली बोली – वीनू प्लीज़ सीने ओर गले पर भी विक्क्स माल दो कहते हुए उन्होने अपनी ब्रा उठा कर साइड मे रख दी ओर आखों पर कलाई रख ली. अफ क्या पॉज़ था. मे एकदम देखता ही रह गया. वो फिर कराह रही थी. प्लीज़ वीनू माल दो बहुत दर्द हो रहा है. हार कर मैने उनके गले पर विक्क्स लगाई वो बोली सीने पे भी लगा दो. मेने उपेर उपेर से ही लगा दी तो वो बोली दोनो के बीच मे भी लगा दो. उनकी बूब्स की दोनो चोटियाँ खड़ी हुई थी. लेते होने पर भी ऐसा लग रहा था जैसे वो किसी पर्वत की तरह से खड़ी होंए विक्क्स लगाने लगा तो मेरा लॅंड फिर खड़ा होने लगा. मेने भाभी के चेहरे की ओर देखा वो वैसे ही आखों पे हाथ रखे लेती थी. मैने बनियान उपेर उठा कर अपने लॅंड को सीधा करना चाहा पर तभी उन्होने आख पर से हाथ हटा लिया ओर बोली क्या कर रहे हो? मई दर्र गया बोला – “कुछ नही”. “कुछ तो”-वो बोली. ये क्या कर रहे हो कहते हुए उनहोले निक्कर के उपर से ही मेरा लॅंड पकड़ लिया. अरे ये तो बहुत टाइट हो रहा है वो दबाते हुए बोली. मई हक्का-बक्का था. होश आया बोला छोड़ो मुझे टाय्लेट जाना है ज़ोर से आ रही है. ओह वो बोली सस्यू आ रही है, हन मैने कहा अब मेरा लॅंड ढीला होने लगा था पर उन्होने छ्चोड़ा नही था. पकड़े हुए ही बोली सस्यू जाना है सच मई. हन मैने कहा आप छ्चोड़ो ना इसे. वो बोली नही तुम झूठ बोल रहे हो तुम्हे टाय्लेट नही जाना है.
मेने कहा आपको कैसे मालूम की मुझे नही जाना है. वो बोली अगर तुम्हे टाय्लेट आ रही होती तो तुम्हारा सस्यू लूस नही होता. उन्होने अभी तक मेरा लॅंड छ्चोड़ा नही था पकड़े ही हुए थी निक्कर के उपर से ही. नही मैने कहा मुझे सच मे टाय्लेट जाना है. ठीक है उन्होने मेरा लॅंड छ्चोड़ दिया. चलो तुम्हे टाय्लेट करा डून. “करा डून मतलब” मई खुद कर आऊंगा. आप कपड़े पहन लो मेने कहा. पर वो बोली नही कपड़े तो अब तुम्हे टाय्लेट करने के बाद ही पहनेंगे. चलो निक्कर उतरो. नही मई कर आऊंगा. पर वो नही मानी बोली चुपचाप उतार दो वरना मुझे ज़बरदस्ती करनी पड़ेगी. पर मे कैसे मान जाता. मई उठने लगा आप ऐसे ही करती हो मे आपसे बात नही करूँगा. पर उन्होने मुझे फॉरन पकड़ लिया.
जबरन मुझे बेड पर गिरा दिया ओर मेरे उपेर चाड गयी बोली मुझसे झूठ बोल रहे हो. अब देखती हून कितनी टाय्लेट आ रही है तुम्हे, निक्कर छ्चोड़ दो वरना फट जाएगा. उन्होने मेरे हाथ अपने परॉन के नीचे दबा लिए ओर ज़बरदस्ती मेरा निक्कर उतार लिया ओर मेरा लॅंड पकड़ कर बोली अभी इतना टाइट था अब इतना लूस है. झूठ बोल रहा है की सस्यू आ रही है. चलो अब सस्यू करने. कह कर वो मेरे उपेर से हट गयी. पर मेरा लॅंड नही छ्चोड़ा. बोली चलो बातरूम मे. पर मेरा लॅंड तो छ्चोड़ो मे चिल्लाया. “ओहो तो इसे लॅंड कहते हैं”. अब तो मई ओर भी घबरा गया. भाभी प्लीज़ छ्चोड़ो नेया. पर वो नही मानी बोली अब तो तुम्हारा लॅंड तभी छ्छूतेगा जब तुम टाय्लेट करने चलोगे. “अफ चलो” मैने अपनी बनियान नीचे करते हुए कहा अब तो छ्चोड़ दो. वो बोली बातरूम मे. मेरा लॅंड खिचते हुए वो उल्टी चल दी मे भी साथ-साथ चल दिया.उसके बूब्स ताने हुए थे. क्योकि वो मेरा लॅंड पकड़े उल्टी चल रही थी इसलिए उसके बूब्स बिल्कुल मेरे सामने थे. वो मेरे लॅंड को हाथून मे दबाए तो थी ही साथ ही उसे सहलाती भी जेया रही थी इसलिए मेरा लॅंड फिर से टाइट ताना गया. उन्होने मेरा लॅंड देखा ओर बोली अभी से ये इतना बड़ा है जब तुम ओर बड़े होगे तो कितना बड़ा हो जाएगा.
दोस्तों यह कहानी कुल 5 भाग में है, कहानी जारी रहेगी, तब तक पड़ते रहिये सिर्फ antarvasna.live धन्यवाद।