एक्जाम के पेपर पाने के लिए मुझे अपने सर के लकड़े से चुदना पड़ा

हेल्लो दोस्तों, मैं संतोषी आप सभी का antarvasna.live में बहुत बहुत स्वागत करती हूँ। मैं पिछले कई सालों से antarvasna.live की नियमित पाठिका रहीं हूँ और ऐसी कोई रात नही जाती तब मैं इसकी रसीली चुदाई कहानियाँ नही पढ़ती हूँ। आज मैं आपको अपनी स्टोरी सूना रही हूँ। मैं उम्मीद करती हूँ कि यह कहानी सभी लोगों को जरुर पसंद आएगी।
मैं मेरठ की रहने वाली हूँ। मैं बहुत गोरी और सुंदर हूँ। मेरे घर के आसपास के लकड़े मुझे माल, सामान, आईटम, टोटा और ना जाने क्या क्या बुलाते है। मैं अच्छी तरह से जानती हूँ की वो मुझे बहुत पसंद करते है और मेरे मस्त मस्त मम्मे वो पीना चाहते है और मेरी रसीली बुर वो चोदना चाहते है। जब मैं किसी सड़क से निकलती हूँ तो लड़के मुझे बार बार पलट कर देखते है और मन ही मन मुझसे प्यार करने लग जाते है। मेरी एक एक मुस्कान पर कितने लड़कों का क़त्ल हो जाता है और उनका दिल उछलकर बाहर आ जाता है। सब मुझसे बात करना चाहते है और बस मिलने का कोई बहाना ढूँढना चाहते है। सभी मुझे बस एक बार जी भर के चोदना और खाना चाहते है। दोस्तों ये बात कुछ साल पहले ही है। मैं मेरठ के ही एक कॉलेज से बी टेक कर रही थी और मैंने मेकैनिकल इंजीनियरिंग लिया था पर किसी कारण मेरी फर्स्ट सेमेस्टर में पढाई नही हो पायी थी।

मैं अपने हॉस्टल में रात रात में शराब और सेक्स की पार्टी किया करती थी और कॉलेज के लड़को से रात रात भर चुदवाया करती थी। इसी तरह मस्ती करते करते ६ महीने कब निकल गये पता ही नही चला। जब कॉलेज में एक्जाम की डेट्स आ गयी तो मेरी गांड ही फट गयी। मेरी सारी सहेलियाँ मस्ती करती थी, पार्टी करती थी पर पढ़ती भी थी पर मैं तो सिर्फ मजा ही करती रह गयी। ७ दिन बाद मेरा फर्स्ट समेस्टर का इक्साम शुरु होने वाला था पर मुझे एक भी चैप्टर याद नही था। मोटी मोटी किताबो को देखकर मेरे पसीने छुट रहे थे। मेरा दिमाग बड़ा खराब था की कैसे मैं इक्साम में पास हुंगी। २ दिन बाद मेरी मुलाकात परेश से हुई। वो हमारे मेकैनिकल के हेड चेरियन सर का लड़का था। उसे देख के मुझे तुरंत आइडिया आया की वो अपने पापा के पेपर चुरा सकता है और मुझे दे सकता है।

“हाय परेश???” मैंने हसंकर उसे पुकारा तो वो फौरन मेरे पास आ गया।

“ओह हाय संतोषी!! कैसी हो तुम???” वो बोला

फिर मैंने उससे कहा की क्या वो मुझे अपने पापा के बनाये एक्साम पेपर चुराकर दे सकता है। इस पर वो बहुत सीरियस हो गया। उसके पापा चेरियन सर बहुत ही सख्त मिजाज प्रोफेसर थे और सब लोग उनसे बहुत डरते थे। वो कभी भी मजाक नही करते थे। चेरियन सर का लड़का परेश भी उसने बहुत खौफ खाता था। पहले तो उसने भी एक्जाम के पेपर चुराने को मना कर दिया कर जब मैंने उससे बहुत रिक्वेस्ट की और जब परेश को बताया की मैंने कुछ नही पढ़ा है और मैं पेपर में फेल हो जाउंगी तो वो मेरी मदद करने को तैयार हो गया मगर उसने मुझसे मेरी चूत मांग लो।

“ओके परेश!! मैं तुमको अपनी रसीली चूत दूंगी। तुम जितना चाहे मुझे चोद लूँ पर प्लीस एक्जाम के पेपर मुझे लाकर दे दो। उस दिन शाम को जब परेश चेरियन सर के स्टडी वाले रूम में गया तो वहां ताला लगा था। अब सबसे बड़ी दिक्कत थी की कैसे ताले की चाबी पायी जाई। चेरियन सर उस ताले की चाभी को अपने बिस्तर की तकिया की नीचे रखते थे। रात के १२ बजे परेश अपने पापा [चेरियन सर] के कमरे में गया तो वो जोर जोर से खर्राटे मारकर सो रहे थे। अगर वो परेश को चाभी चुराते पकड़ लेते तो उसे खूब पीटते। क्यूंकि वो बहुत सख्त मिजाज के टीचर थे और नकल करने वालों से ख़ासतौर पर नफरत करते थे। परेश रात में दबे पाँव अपने पापा के कमरे में घुस गया और इन्तजार करता रहा। जैसे ही चेरियन सर से दूसरी तरफ करवट ली, परेश ने उसकी तकिया के नीचे से चाभी निकाल ली और स्टडी रूम में घुस गया। उसे एक लिफाफा मिल गया जिसमे चेरियन सर ने सारे एक्जाम पेपर बनाकर सील करके रखे थे। परेश ने एक चिमटी की मदद से वो सील उखाड़ दी और सारे पेपर्स की फोटो अपने मोबिइल से खीच ली। अब सारे पेपर्स उसके पास थे। सुबह परेश मुझे कॉलेज में मिला।

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“क्यों परेश काम हुआ???”

“हाँ हो गया है, मैंने अपनी जान पर खेलकर तुम्हारे लिए ये पेपर चुराए है। अब मुझे चूत दो!!” वो बोला

“ठीक है परेश! आज रात को तुम मेरे हॉस्टल में आकर मुझे चोद लेना और अपना मोबाइल लेते आना” मैंने कहा

रात को वो मेरे कमरे में आ गया। दोस्तों आज चेरियन सर का लड़का मुझे कसके चोदने वाला था। पर इसके बदले मुझे एक्जाम के पेपर्स मिलने वाली थे। इसलिए मैं बहुत खुश थी। परेश ने मुझे पकड़ लिया और किस करने लगा। दोस्तों मैं २२ साल की जवान गोरी लड़की थी और कितने ही लड़के मुझपर मरते थे। मुझे सेक्स करना बहुत ही पसंद था और रोज नये नये लंड खाना मुझे बहुत अच्छा लगता था। आज चेरियन सर का लड़का परेश मेरी चूत को चोदकर ढीला करने वाला था। मैंने एक ढीली नीली रंग का टॉप और शॉर्ट्स पहन रखे थे। परेश मेरे बेड पर आ गया और मुझे किस करने लगा। मैं बहुत ही पतली दुबली और छरहरी बदन की लड़की थी। मेरा फिगर ३४ ३२ ३० का था। मेरे दूध बहुत ही खूबसूरत थे। बिलकुल नारियल जैसे नुकीले मम्मे थे मेरे।

यह कहानी आप antarvasna.live में पढ़ रहें हैं।

धीरे धीरे परेश ने मेरे ढीले टॉप को निकाल दिया, फिर मेरी शॉर्ट्स को निकाल दिया। मैं बिकिनी में थी। फिर परेश ने मुझे कंधों से पकड़ लिया और किस करने लगा। धीरे धीरे मैं भी उसे किस करने लगी वो मेरे सेक्सी होठो को मुंह लगाकर पीने लगा। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। फिर मैं भी उसका सहयोग देने लगी और हम दोनों एक दूसरे के सेक्सी होठो को चूस और पी रहे थे। मैं इससे पहले कई लड़को से चुद चुकी थी पर मैंने परेश के साथ कभी सेक्स नही किया था। आज मुझे चोदकर वो एक्साम के पेपर्स देने वाला था। परेश मुझे बड़े प्यार से किस कर रहा था। मैंने काले रंग की ब्रा पहन रखी थी। धीरे धीरे परेश ने मेरी शॉर्ट्स भी निकाल दी। अब मैं उसके सामने बस ब्रा और पेंटी में थी।

“संतोषी! यू आर वेरी ब्यूटीफुल!!” बार बार परेश मुझसे कह रहा था। वो मुझे बार बार गालो पर किस कर रहा था। जब वो मेरी पीठ में हाथ डालकर मेरी ब्रा खोलने लगा तो मुझे शर्म आने लगी। फिर आखिर में उसने मेरी काली ब्रा को उतार दिया और फिर मेरी पेंटी भी निकाल दी। चेरियन सर के बेटे परेश ने अपने सारे कपड़े निकाल दिए और पूरी तरह से नंगा हो गया। वो मेरे बेड पर आ गया और मुझे लिटाकर किस करने लगा। इस तरह परेश से चुदवाना मुझे अजीब लग रहा था। पर क्या करे। एक्जाम के पेपर्स पाने के लिए मुझे उसका लंड खाना ही था। जो बहुत जरुरी था। धीरे धीरे परेश मेरे गाल पर किस कर रहा था। मैंने उसे सीने से लगा लिया था और गरमा गर्म किस कर रही थी। फिर चेरियन सर के बेटे परेश ने अपने हाथ मेरे कोहिनूर जैसे मम्मो पर रख दिए। मैं “उ उ उ उ उ……अअअअअ आआआआ… सी सी सी सी….. ऊँ—ऊँ…ऊँ….” बोलने लगी।

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मुझे अजीब सा सेक्स का नशा छा रहा था। परेश के हाथ मेरे खूबसूरत मलाई की टिकिया जैसे दूध पर आ गये थे। वो धीरे धीरे मेरे रंगीन कबूतरों को दबा रहा था। मैं दुबली पतली हॉट सेक्सी और छरहरी लड़की थी। मेरे जिस्म पर वहां पर बहुत गोस्त था जहाँ जहाँ होना चाहिए। जैसे मेरे चुचे ३४” के बड़े बड़े और गोल गोल सफ़ेद चिकने थे। परेश तो मेरे दूध को देखकर पागल हो गया था। वो मेरे हसीन बूब्स को दबा रहा था। उसे अच्छा लग रहा था। फिर वो मेरी नमकीन चूचियों को मुंह लगाकर पीने लगा। मेरे आकर्षक मलाई के गोलों को परेश मुंह में लेकर पीने लगा। मेरे तन बदन में जैसे आग सी लग गयी थी। मैं पागल हो रही थी। मैं उसके सामने पूरी तरह से नंगी थी। मेरे हॉट और सेक्सी बदन को परेश बार बार अपने हाथ से सहला रहा था। मैं जानती थी की आज वो मुझसे कसके चोदेगा। मैंने भी उसकी पीठ, कंधे और कमर को अपने हाथो से सहला रही थी।

धीरे धीरे परेश बड़ी कायदे से मेरी चूचियों को चूसने लगा जैसे मैं उसकी कोई मम्मी हूँ। वो मेरे दूध को मुंह में लेकर चबाने लगा और मजे लेकर चूसने लगा। बड़ी देर तक यही खेल चलता रहा। मेरे मेरे दूध पीता, फिर मेरे होठ पीता, फिर दूध पिता। मैं अब पूरी तरह से चुदासी हो गयी थी। मेरी दोनों गोल गोल रसीली चूचियां और भी टाईट हो गयी थी और बड़ी बड़ी हो गयी थी। परेश ने मेरे दूध को हाथ से खूब दबाया और मींजा था। मेरी काली निपल्स को उसने अपनी उँगलियों से खुद ऐठा और घुमाया था। उसने फुल मजा ले लिया था। उसके बाद वो मुझसे अपना ९” का लौड़ा चुसवाना चाहता था।

“संतोषी!! सक माई डिक” परेश बोला तो मैंने उसे सीधा बिस्तर पर लिटा दिया और उसका लंड हाथ में लेकर फेटने लगी। ओह माय गॉड, कितना बड़ा और मोटा लौड़ा था बहनचोद का। मैं हाथ में परेश का लौड़ा लेकर जल्दी जल्दी फेटने लगी। फिर मुंह में लेकर चूसने लगी। परेश मेरी कमर को सहलाने लगा। उसके हाथ मेरे गोल मटोल पुट्ठों को सहला रहे थे। हम दोनों को इसमें मजा आ रहा था। फिर परेश मेरी चूत में ऊँगली करने लगा। इधर मैं उसका ९” का लौड़ा मुंह में लेकर चूस रही थी। मैं अपने पेट के बल परेश के पैरों पर लेटी हुई थी। उसका लंड तो सच में बहुत मोटा था। मैं जल्दी जल्दी उसे हाथ से फेटे जा रही थी और मुंह में लेकर चूस रही थी। परेश का सुपाड़ा तो बहुत ही गुलाबी था और सुंदर लग रहा था। मैं किसी आइसक्रीम की तरह उसके लंड को २० मिनट तक चुस्ती रही। वो मेरे पुट्ठों को सहलाता रहा और मेरी चूत पर हाथ घुमाता रहा।

“छिनाल—अब जल्दी से मुझे अपनी चूत पिला!!” परेश सेक्स के नशे में आकर बोला। मुझे उसकी छिनाल वाली गाली बहुत अच्छी लगी। परेश ने मुझे अपने पास लिटा दिया और मेरे दोनों पैर खोल दिए। मेरी सेक्सी नाभि को वो किस करने लगा और बड़ी देर तक उसने जीभ लगाता रहा। फिर परेश मेरी चूत पर आ गया। बड़ी देर तक वो वो मेरी चूत को हाथ से सहला रहा था। फिर मुंह लगाकर मेरी बुर चाटने लगा। वो जल्दी जल्दी अपनी जीभ के कोने से मेरी चूत चाट रहा था। मैं “……अई…अई….अई……अई….इसस्स्स्स्स्स्स्स्…….उहह्ह्ह्ह…..ओह्ह्ह्हह्ह….” बोलकर चिल्ला रही थी। परेश तो बड़ी मस्त तरह से मेरी रसीली चूत को चाट रहा था।

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मैंने उसके दोनों हाथो को कसके पकड़ लिया था। क्यूंकि मुझे लग रहा था की कहीं मेरी चूत फट ना जाए। परेश तो चूत चाटने में बिलकुल एक्सपर्ट बंदा था। वो किसी कुत्ते की तरह मेरी चूत पी रहा था। मेरी चूत में जैसे आग लग गयी थी। मैं पागल हो रही थी। मैंने परेश को दोनों हाथों से कसके पकड़ लिया था। वो मेरी चूत को जल्दी जल्दी चाट रहा था और रुकने का तो नाम ही नही ले रहा था। मैं “..अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ….अअअअअ….आहा …हा हा हा” कहकर चिल्ला रही थी। मैं अपनी गांड उठा रही थी। फिर चेरियन सर के लड़के परेश ने मेरी चूत पर अपना ९” का मोटा लौड़ा रख दिया और मेरी चूत के दाने पर रगड़ने लगा। मुझे बहुत सेक्सी महसूस हो रहा था। फिर उसने गप्प से अपना मोटा लौड़ा मेरी चूत में डाल दिया और मुझे जल्दी जल्दी चोदने लगा।

मैं किसी रंडी की तरह परेश से चुदवाने लगी। वो मेरे साथ गरमा गर्म सेक्स कर रहा था। मैंने अपनी आँखें बंद कर ली और जल्दी जल्दी परेश का लंड खाने लगी। मुझे बहुत सेक्स उतेज्जना हो रही थी। परेश ने मेरी दोनों हाथ की कलाई को कसके पकड़ लिया था जिससे मैं भाग ना सकूं और जल्दी जल्दी मुझे पेल रहा था। मैं बस “आई…..आई….. अहह्ह्ह्हह…..सी सी सी सी….हा हा हा…” की आवाजे निकाले जा रही थी। फिर परेश अपनी कमर को गोल गोल मटकाने लगा और मुझे बजाने लगा। उसका लंड मेरी चूत में जल्दी जल्दी फिसल रहा था। मुझे तो जन्नत का मजा मिल रहा था। ऐसा लग रहा था की परेश को आज पहली बार कोई खूबसूरत लड़की चोदने को मिली है। वो ललचाकर मुझे चोद रहा था।

उसका लौड़ा तो मेरी चूत को मजे से फाड़ रहा था। मैं चुद रही थी। चेरियन सर का बेटा मुझे चोद रहा था। मुझे बहुत ही मीठा मीठा अहसास हो रहा था। फिर परेश ने मेरी एक दोनों टांगो को मोड़कर एक दुसरे के उपर रख दिया और फिर से मेरे भोसड़े में उसने लंड डाल दिया और मुझे चोदने लगा। इस तरह परेश ने उस रात जमकर मेरी चूत चोदी। मुझे तो सेक्स का नशा चढ़ गया था। “…..आआआआअह्हह्हह… आज मेरी चूत फाड़ फाड़कर इसका भरता बना डालो जाननननन…. मुझे और कसकर चोदोदो दो दो दो परेश!!” मैं इस तरह से जोर जोर से किसी रंडी की तरह चिल्ला रही थी। फिर परेश भी जोश में आ गया और मुझे किसी अल्टर माल की तरह दनादन चोदने लगा। मेरे दोनों पैर उसने मोड़कर एक के उपर रख दी थी। उसका लंड जल्दी जल्दी मेरी चूत में सरक रहा था। इस तरह उसने मुझे उस रात ३ घंटे मेरे हॉस्टल के रूम में चोदा और माल मेरी चूत में ही गिरा दिया। चुद्वाकर परेश ने मुझे एक्जाम पेपर्स की सारी फोटो वाट्सअप पर भेज दी। और मैं अच्छे नम्बर से पास हो गयी। कहानी आपको कैसे लगी, अपनी कमेंट्स antarvasna.live पर जरुर दे।

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