Curfew me Aunty ki chudai ka maza-1
हैल्लो दोस्तों मेरा नाम आर्यन है और में बरेली उत्तरप्रदेश का रहने वाला हूँ मेरी उम्र 22 साल, लम्बाई 5.7 इंच वजन 60 किलो आप मुझे स्मार्ट भी कह सकते हैं और यह मेरी antarvasna.live पर पहली कहानी है और यह बात कुछ दिन पहले की है जब बरेली में करफ्यू लगा और में दिल्ली अपने किसी इंटरव्यू के लिए आया हुआ था। तो दोपहर में घर से फोन आया कि किसी वजह से कुछ हिस्सों में करफ्यू लग गया है और हमारा कोई भी रिश्तेदार दिल्ली में नहीं था इसलिए मुझे शाम की ट्रेन से ही बरेली वापस आना था..
लेकिन अब दिक्कत यह थी कि में स्टेशन से घर कैसे जाऊंगा क्योंकि हमारे इलाके में भी करफ्यू लगा था खैर हमारे पड़ोस में एक आंटी रहती थी वो कुछ महीने पहले कहीं और शिफ्ट हो गयी थी और उनके एरिए में करफ्यू नहीं था। तो में उनके यहाँ पर चला गया उन आंटी का नाम निर्मला था और वो अपने पति अशोक के साथ रहती थी। आंटी की उम्र 40 साल थी और उनके फिगर का मुझे ज़्यादा पता नहीं था.. लेकिन इतना कह सकता हूँ कि वो एकदम मस्त माल थी अच्छा शरीर पतली कमर, बड़े बड़े सुडोल बूब्स के साथ और गांड जो हम जैसे किसी भी लड़के की आंख से नहीं बच सकती। फिर में जब उनके घर पर पहुंचा तो वो घर पर अकेली थी और मैंने उनसे अंकल के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि वो भी फॅक्टरी में ही फँसे हैं.. अंकल किसी फॅक्टरी में सुपरवाईज़र थे।
तो रात बहुत हो चुकी थी और हम लोग खाना खाकर सोने के लिए बिस्तर पर लेट गये उनका घर छोटा था.. तो में उनके ही बेड पर ही उनके साथ ही सो गया और में बहुत थका हुआ था तो मेरी जल्दी ही आँख लग गयी। फिर सुबह हम लोग नहा धोकर सोफे पर एक-दूसरे के सामने बैठकर नाश्ता कर रहे थे तब मेरी नियत उन पर खराब हुई क्योंकि में क्या बताऊँ दोस्तों वो द्रश्य ही इतना सेक्सी था? गुलाबी कलर की मेक्सी में लिपटा उनका हॉट, सेक्सी बदन.. ताज़ा ताज़ा नहाकर आने की मनमोहक खुश्बू और उनके खुले हुए और गीले बालों से टपकती हुई पानी की बूंदे.. दोस्तों मैंने उसी वक़्त सोच लिया कि अब तक मैंने जितनी भी कहानियाँ पड़ी हैं.. उन सबका अनुभव लगाकर इसे तो चोदना ही है और फिर ब्रेकफास्ट के बाद हम लोग बेड पर लेटे हुए बातें कर रहे थे। तभी मैंने उनसे पूछा कि आंटी आपकी शर्मा अंकल से लड़ाई क्यों हुई थी? शर्मा अंकल हमारी ही कॉलोनी में रहते थे और एक बार उन्होंने आंटी को कुछ बोल दिया था जिसको लेकर आंटी ने अच्छा ख़ासा हंगामा किया था.. लेकिन मुझे पूरी बात पता थी फिर भी कुछ सेक्स की तरफ बात ले जाने के लिये मैंने यह पूछा।
तो शर्मा अंकल का नाम सुनते ही एकदम से वो लाल होते हुए बोली कि उस कुत्ते की नियत ही खराब थी वो तो इन्होने रोक लिया वरना उसके तो उस दिन चप्पलें ही पड़नी थी। फिर मैंने रिस्क लेते हुए बोला कि आंटी इसमे शर्मा अंकल की क्या ग़लती? आप तो हो ही इतनी अच्छी। तो वो हँसते हुए बोली कि अच्छा बेटा तुम भी चालू हो गये और में भी उनके जवाब में हंस दिया.. बस फिर क्या था मुझे तो एक मौका मिल गया फिर तो में हर बात में उनकी तारीफ करने लगा खाने और वैसे भी औरतें तो होती ही तारीफ की भूखी हैं इससे फायदा यह हुआ कि हम लोग एक अच्छे दोस्त बन गये। फिर अगले दिन सुबह आंटी ने मुझे किचन से ही आवाज़ लगाई कि आर्यन यहाँ आना.. में आँखें मसलता हुआ नींद में वहाँ पर पहुंचा और कहा कि क्या आंटी.. सुबह सुबह उठा दिया? तो वो बोली कि अरे तुम्हारे लिए ही तो में ढोकला बना रही हूँ.. लेकिन यह बेसन का डब्बा थोड़ा ऊपर रखा हुआ है और मुझसे उतर नहीं रहा प्लीज तुम उतार दो। तो में पूरी तरह से उठा हुआ नहीं था और नींद की खुमारी अभी भी हल्की सी थी तो में धीरे धीरे चलते हुए गया और ठीक उनके पीछे पहुंच कर खड़ा हो गया और उसी खुश्बू ने मेरा गुड मॉर्निंग किया और में और मेरा छोटू पूरी तरह से जाग उठे थे। फिर क्या था मेरे शैतानी दिमाग़ ने काम किया और में नींद में होने का बहाना करते हुए एकदम उनसे पीछे से चिपक गया और ऐसे ही मजाक में 1-2 डब्बा ऊपर से उठाकर उन्हे देने लगा एक तो वैसे ही सुबह उठो तो लंड खड़ा होता है ऊपर से आंटी का मादक जिस्म बिल्कुल मेरे पास था और मेरे छोटू का तो बुरा हाल था वो पूरी तरह से खड़ा होकर आंटी की मेक्सी को फाड़कर उनकी गांड में घुसने को बेचैन और में भी कमीना नींद का बहाना करके अंजान बनते हुए उन्हे डब्बा देता जा रहा था।
तो उन्हे भी अपनी गांड पर रगड़ते हुए इस छोटू का एहसास हो चुका था और चकित तो में इसलिए था कि वो कुछ कह नहीं रही थी बल्कि चुपचाप डब्बा लिए जा रही थी.. लेकिन फिर वो मनहूस बेसन का डब्बा मेरे हाथ में आया और मुझे उस मखमली गांड के पीछे से हटना पड़ा.. लेकिन जितनी देर उसे रगड़ा मुझे मज़ा आया। फिर नहाने के बाद में सोफे पर टावल में ही बैठा था और उनका बार बार मेरी जांघो की तरफ देखना मेरा हौसला और बड़ा रहा था। मुझे लग रहा था कि दिल्ली अब दूर नहीं में भी उनसे मज़े लेने के लिए कभी अपने पैर फैला रहा था और कभी पैर पास में कर रहा था। फिर मैंने एकदम से कहा कि क्या हुआ आंटी कुछ परेशान सी दिख रही हो? तो वो एकदम से हड़बड़ाई और बोली कि नहीं बस ऐसे ही कुछ नहीं है। तो मेरे थोड़ा और ज़ोर देने पर भी जब उन्होंने कुछ नहीं बोला तो मैंने ही मज़े लेते हुए बोला कि आंटी क्यों उदास हो रही हो? कुछ दिनों की ही बात है फिर करफ्यू खुल जाएगा और आपके वो आ जाएँगे तब तक में हूँ ना आपके लिए।
तो वो एकदम से मेरी बात का मतलब समझते हुए बोली कि क्या मतलब? और मैंने भी बात बदलते हुए कहा कि अरे आप अकेली बोर ना हो इसलिए तो में आया हूँ जिससे कि आपका भी मन लगा रहे। फ्रेंड्स मैंने इसलिए बात बदल दी क्योंकि में कोई भी जल्दबाज़ी नहीं करना चाहता था जिससे कि बाद में कोई प्राब्लम हो क्योंकि वो हमारी फेमिली को पिछले 18 सालों से जानती थी और में नहीं चाहता था कि मेरी किसी भी हरकत की वजह से हमारे बीच का रिश्ता खराब हो। फिर आंटी बोली कि देखते हैं इन दिनों में अपनी आंटी का कितना ख़याल रखता हूँ? फिर क्या था फिर तो हमारी डबल मीनिंग बातें शुरू हो गयी। मैंने भी झट से जवाब दिया कि अरे कोई शिकायत का मौका नहीं मिलेगा इतना ख़याल रखूँगा कि जितना अंकल ने भी नहीं रखा होगा। यह बात बोलकर एक बार तो मेरी फट गयी कि मैंने यह सब क्या बोल दिया? तो आंटी भी 1-2 सेकेंड तक चुप हो गयी और मुझे ध्यान से देखती हुई उन्होंने एक ठंडी, लंबी साँस ली और कहा कि तेरे अंकल ने तो कभी परवाह की नहीं तू क्या खाक करेगा? और फिर वो उठकर अंदर चली गयी मुझे अपने आप पर बहुत गुस्सा आया कि एक अच्छा ख़ासा मौका हाथ से निकल गया.. लेकिन सुबह की इन दो घटनाओ से यह तो साफ हो ही चुका था कि आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई है और बस डर की वजह से पहल कोई नहीं कर रहा था। फिर रात में आंटी कपड़े धो रही थी तो में भी उनके पास जाकर बैठ गया और ऐसे ही बोल दिया कि मेडम की क्या सेवा की जाए बंदा खिदमत में हाज़िर है?
फिर आंटी ने पूछा कि क्यों तुम्हे कपड़े धोना आता हैं? दोस्तों अब कपड़े तो मैंने ज़िंदगी में कभी धोए नहीं और यह बात आंटी को भी पता थी इसलिए मैंने उनको बोल दिया कि धो नहीं सकता तो क्या कपड़े बाल्टी में से निकालकर मदद तो कर ही सकता हूँ और पानी से तो धो ही सकता हूँ आख़िर आपका ख़याल जो रखना है। तो आंटी बोली कि चल अब ज़्यादा बातें मत बना और कपड़े उठाकर दे और मैंने एक कपड़ा निकाला तो आंटी की वही सेक्स आग्रह वाली गुलाबी मेक्सी थी और मैंने अचानक बिना कुछ सोचे समझे बोल दिया कि अरे आंटी इसे क्यों धो रही हो? इसमे तो आप इतनी अच्छी लगती हो। तो वो यह बात सुनकर मुझे घूर घूरकर देखने लगी और बोली कि क्या बात है तुझे बड़ा पता है कि में किसमे कितनी अच्छी लगती हूँ? तो मैंने भी मौके का फायदा उठाते हुए बोला कि अब क्या करें? पिछले दो दिन से आपके साथ रह रहे हैं तो यह सब तो पता चलना ही है। फिर इस पर उन्होंने बस एक स्माइल दी और कपड़े धोने लगी.. लेकिन मज़े की बात तो यह है कि उन्होंने मेरी बात मानते हुए उस मेक्सी को नहीं धोया बल्कि उसे अलग रख दिया.. लेकिन उस रात और कुछ नहीं हुआ।
तो अगले दिन दोपहर तक मेरी किस्मत ने मेरा कोई साथ नहीं दिया और बस जो चीज़ अच्छी थी वो था मौसम.. सुबह से ही ठंडी हवा चल रही थी जो मौसम को रोमॅंटिक बना रही थी और आंटी के साथ इतने सेक्सी मौसम में एक छत के नीचे रहने में मेरी हालत खराब हो रही थी। मुझसे और कंट्रोल नहीं हो रहा था और में मुठ मारने बाथरूम में जा ही रहा था कि इतने में बारिश शुरू हो गयी और मुझे बारिश में नहाने में बहुत मज़ा आता है तो में झट से टी-शर्ट और जींस निकालकर नहाने चला गया और मैंने आंटी को भी नहाने को बुला लिया पहले तो मुझे केवल अंडरवियर में देखकर वो बहुत चकित हुई.. लेकिन फिर स्माइल पास करते हुए नहाने आ गयी दोस्तों गुलाबी कलर की मेक्सी में लिपटा उनका जिस्म पानी में भीगते ही कितना सेक्सी लग रहा था में शब्दों में बता भी नहीं सकता तुरंत ही मेरा छोटू उन्हे सलामी देने लगा और बारिश में भीगकर मेक्सी उनके बदन से बुरी तरह से चिपक गयी थी और उनका एक एक अंग मेरी आँखों के सामने था। फिर उनके निप्पल तनकर मेक्सी के बाहर से ही दिख रहे थे। उनकी सफेद कलर की ब्रा और सफेद पेंटी मेरी आँखों के सामने थी और मुझे उनकी गांड का पूरा आकार नज़र आ रहा था दोस्तों क्या बताऊँ वो क्या नज़ारा था? में तो उनमे खो ही गया था और जब मुझे लगा कि मुझसे और कंट्रोल नहीं होगा तो में एक कोने में बैठ गया और उन्हे नहाते हुये देखने लगा और तभी थोड़ी देर बाद जब उन्हे महसूस हुआ कि में उन्हे किन निगाहों से देख रहा हूँ।