हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम ऋषि है और में दिल्ली का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 25 साल है। दोस्तों में आज अपनी कहानी आप सभी को सुनाने से पहले थोड़ा और अपने बारे में बता देता हूँ कि में दिल्ली में एक प्राईवेट कम्पनी में नौकरी करता हूँ और एक फ्लेट में किराए से रहता हूँ। दोस्तों यह उन दिनों की बात है जब मेरी गर्लफ्रेंड (चारू) इंटरव्यू के बहाने से कोलकाता से दिल्ली 7 दिन के लिए मेरे फ्लेट पर रहने आई थी और उसकी छोटी बहन जो करीब 22 साल की थी वो भी उसके साथ आई हुई थी, जिसका नाम संचीता था। दोस्तों संचीता और मेरी बात हमेशा फोन पर होती रहती थी और थोड़ा बहुत मस्ती मज़ाक भी चलता था, लेकिन वो सब कुछ बहुत कम था। अब मेरे पास आने से पहले संचीता ने मुझसे पूछा था कि में आपके लिए कोलकाता से क्या गिफ्ट लेकर आऊँ? तो मैंने उससे कहा था कि तुम अपने होने वाले जीजा को एक प्यारा सा स्मूच दे देना बस वही मेरा गिफ्ट होगा।
फिर वो दिन आ ही गया जब मेरी गर्लफ्रेंड और उसकी बहन संचीता मेरे घर पर आई। चारू से मिलकर तो मुझे बहुत खुशी हुई और उससे ज्यादा में संचीता को देखकर चकित हुआ। जिससे में तीन साल बाद मिल रहा था। संचीता थोड़ी सावली लड़की थी, लेकिन उसके चेहरे पर बहुत चमक थी। उसकी हाईट करीब 5.2 होगी और वो बहुत पतली दुबली सी थी, लेकिन इस बार उसके चेहरे से पहले मेरी नज़र उसके बड़े बड़े बूब्स पर गई जो उसके छुपाए नहीं चुप रहे थे, मेरे ख्याल से उसके बूब्स का साईज़ 32 इंच होगा। जिसके थोड़े से दर्शन मुझे संचीता के गहरे गले वाले उस सूट ने करा दिए थे और जब वो मुझसे गले मिलने आई तो उसके आकार में बड़े बूब्स मेरी छाती पर ऐसे लगे जैसे कोई बम फट गया हो और गले मिलते हुए जब मेरे हाथ उसकी कमर पर गये तो मुझे एहसास हो गया कि इसकी गांड भी बहुत भरी हुई है क्योंकि मेरे हाथ का आधा हिस्सा उसकी गांड के उभार पर छू रहा था।
दोस्तों हमारा पहला दिन एकदम ठीकठाक रहा और फिर रात को मेरा एक रूम का फ्लॅट होने के कारण हम लोगों को एक ही बेड पर सोना पड़ा था। मेरे और संचीता के बीच में मेरी गर्लफ्रेंड सोई हुई थी जिसे मैंने हर रात चोदा। संचीता के सो जाने के बाद उस पहली रात को अपनी गर्लफ्रेंड से सेक्स करने के बाद जब में बाथरूम गया और मैंने आते वक़्त लाईट को जलाया तो देखा कि संचीता की वो छोटी सी पेंट जो की बहुत ढीली सी थी बिल्कुल ऊपर आ गई है और उसने अपना पैर इस तरह से रखा हुआ था कि मुझे उसकी जाँघ के अंदर का हिस्सा साफ साफ नज़र आ रहा है जो कि सबसे ज्यादा आकर्षक होता है और उसकी टी-शर्ट में से उसका बूब्स नज़र आ रहे थे और मैंने यह भी गौर किया कि उसके बूब्स के निप्पल कपड़ो के ऊपर से उभरे हुए थे और फिर में समझ गया कि उसने सोने से पहले अपनी ब्रा को उतार दिया है। में भी लाईट बंद करके लेट गया, लेकिन मेरा दिल और दिमाग़ संचीता के बूब्स और गांड को छूने के बारे में दौड़ रहा था और ना जाने कब में उसके बारे में सोचता सोचता सो गया।
फिर अगले दिन सुबह जब मैंने उठकर देखा तो उस समय चारू घर पर नहीं थी। फिर मैंने सही मौका देखकर संचीता से अपने किस वाले गिफ्ट के बारे में पूछा तो वो मेरी बात को हंसकर टाल गई और फिर मैंने उससे नाराज़ होने का नाटक सा किया तो उसने झट से मेरे गाल पर एक किस दे दिया। तभी मैंने भी उसे फट से पकड़कर स्मूच कर लिया और फिर मैंने उससे कहा कि मुझे अपना गिफ्ट लेना अच्छी तरह से आता है और जब भी मेरा दिल करेगा तब में ले लूँगा। दोस्तों संचीता पहले तो अचानक से बहुत घबरा गई, लेकिन फिर शरमाकर टीवी देखने लगी और अब मैंने उसको थोड़ा रुक रुककर तीन चार बार मज़ाक करते करते स्मूच किया, लेकिन उसने मुझसे हमेशा मुस्कुराकर दूर हटने का नाटक किया, जिसकी वजह से मेरी हिम्मत अब बढ़ती जा रही थी और संचीता भी इस हरकत को मेरी बदमाशी समझती रही क्योंकि में हमारी हर बात में जीजा साली की बात करता था।
दोपहर को संचीता लेटकर एक किताब पड़ रही थी और में टीवी देख रहा था कि तभी अचानक मेरा ध्यान उसकी गांड पर से उसके सूट पर गया। मुझे उसकी गोरी जांघो के साथ साथ गांड का पूरा आकार नज़र आ रहा था, जिसको देखकर मेरा दिल तो ऐसा कर रहा था कि में अपना लंड उसकी गांड में उसके कपड़ो के ऊपर से ही डाल दूँ और उसे इतना जमकर चोदूँ कि उसकी गांड फट जाए। अब में उसके पास सरककर लेट गया और उसे स्मूच करने के लिए अपनी तरफ खींचने लगा, लेकिन संचीता मुझे हर बार धक्का मार रही थी और इसी खींचा-तानी में मेरा हाथ उसके बूब्स पर चला गया और मैंने भी एक अच्छा मौका देखकर उसे ज़ोर से दबा दिया। संचीता के मुहं से आईईई उफफ्फ़ की आवाज़ निकली और उसने दर्द की वजह से अपनी दोनों आँखे बंद कर ली और अब में भी घबराने लगा कि यह कहीं अपनी दीदी को यह सब ना बता दे? में अब बहुत भोला बनकर उसके पास में बैठकर उससे बोला कि प्लीज मुझे माफ़ कर दो, अगर तुम्हे मेरी किसी बात का बुरा लगा हो तो? दोस्तों मैंने पहले से ही सोच लिया था कि अगर संचीता ने मुझे तमाचा मारा तो में चुपचाप माफी माँग लूँगा और उससे अपनी दीदी को ना बताने के लिए आग्रह करूंगा।
अब संचीता ने मुझे बहुत गुस्से से देखा और वो अपने दोनों हाथों से अपने गोल गोल बूब्स को सहलाते हुए बोली कि आईई माँ बहुत दर्द हो रहा है, वैसे यह कोई बुरा मानने वाली बात नहीं है, लेकिन क्या कोई इतनी ज़ोर से दबाता है? इसके दर्द ने मेरे पूरे बदन में एक अजीब सा दर्द पैदा कर दिया है। अब में क्या करूं उह्ह्हह्ह माँ मर गई। दोस्तों में उसके मुहं से यह बात सुनकर समझ गया कि में बच गया और मैंने झट से मज़ाक में हंसते हुए उसके दूसरे बूब्स को धीरे से सहलाकर पूछा कि में सब दर्द ठीक कर दूंगा और अब हम दोनों बेड पर ही एक दूसरे से मज़ाक में लड़ने झगड़ने लगे।
दोस्तों सच पूछो तो में आज ऐसा कोई भी मौका छोड़ना नहीं चाहता था। जब में उसके जिस्म के किसी भी हिस्से को इतने आराम से छू सकूं और अब झगड़ते समय भी मैंने कई बार उसकी पीठ पर, उसकी जाँघ पर, उसके बड़े बड़े बूब्स पर और थोड़ा बहुत उसकी गांड के कुछ हिस्सो को अपने हाथों से सहलाया, मसला और धीरे से दबाया और अब मेरी हिम्मत इतनी बड़ गई थी कि चारू के रूम में होने के बावजूद भी मैंने किचन में एक बार संचीता को ज़मीन पर लेटा दिया और उसके बूब्स को मसलते हुए उसको स्मूच किया, लेकिन संचीता ने भी इन सारी बातों को एक जीजा साली की मज़ाक मस्ती में समझकर लिया और उसने चारू को कुछ नहीं कहा। फिर दूसरी रात को चारू के साथ सेक्स करने के बाद जब में उठकर बाथरूम से वापस आया और मैंने संचीता को फिर से वैसे ही सोया हुआ देखा तो मेरा झड़ा हुआ लंड धीरे धीरे जोश में आने लगा।
में चुपचाप जाकर चारू के पास में लेट गया और अब में इंतज़ार करने लगा कि जब चारू गहरी नींद में सो जाए तब में कुछ करूं और फिर रात के करीब दो बजे में चुपके से संचीता के पास जाकर लेट गया और मैंने अपनी दो उँगलियों से उसके शरीर को छुआ जिससे मुझे पता चल जाए कि वो जाग रही है या सो रही है और जब मुझे पक्का विश्वास हो गया कि वो भी अब गहरी नींद में है तो मैंने धीरे से अपना पूरा हाथ उसकी टी-शर्ट के ऊपर से उसके बूब्स पर रख दिया और बिल्कुल हल्के हल्के दबाने लगा। दोस्तों में कसम से बता रहा हूँ कि उसके वो बीना ब्रा के 5-5 किलो के बूब्स ऐसे तनकर खड़े थे कि में आप सभी को शब्दों में नहीं बता सकता? दोस्तों ये कहानी आप फन-मजा-मस्ती पर पड़ रहे है।
अब में धीरे धीरे अपने एक हाथ से उसकी निक्कर को ऊपर खींचने लगा जिससे उसके पूरे पैर नज़र आ जाए और अब मैंने धीरे से अपना पूरा हाथ उसकी जाँघ के अंदर वाली साईड पर रखा। मेरा दिल तो कर रहा था कि में उसकी जाँघ को दांतो से काट लूँ और अब मैंने धीरे धीरे अपनी दो उँगलियों को उसके निक्कर के नीचे से उसकी पेंटी में डाल दिया, लेकिन अब संचीता नींद में थोड़ी हिलने लगी तो में झट से अपना हाथ बाहर निकालकर सोने का नाटक करने लगा। संचीता अब भी गहरी नींद में थी और थोड़ी देर बाद मैंने अपनी आधी पेंट को पूरा ऊपर खींच लिया और अपने पैर धीरे से उसके पैर के ऊपर रख दिए। जिससे मेरी चमड़ी उसकी चमड़ी से चिपके और जिसे वो भी नींद में महसूस करे।
फिर मैंने देखा कि उसकी तरफ से कोई हरकत नहीं हो रही है और संचीता अभी भी नींद में है तो मैंने अपने लंड को उसके कूल्हों से चिपका दिया और अब तो मुझे अपने आपको रोकना बहुत मुश्किल हो रहा था और में घबराहट से थोड़ा थोड़ा कांपने भी लगा था। फिर में धीरे धीरे उसकी टी-शर्ट को ऊपर उठाने लगा और मेरी दस मिनट की मेहनत के बाद मैंने उसकी टी-शर्ट को उसके निप्पल से ऊपर कर दिया था। दोस्तों पहले तो में धीरे से अपने चेहरे को उसके बूब्स से छूने लगा और अब में उसके निप्पल का वो उभार और उसके बूब्स की गर्माहट अपने चेहरे पर महसूस कर रहा था और कुछ सेकेंड्स के बाद मैंने धीरे से अपने एक हाथ से उसके निप्पल को दबाया और ज्यादा से ज्यादा तीन चार बार सक के बाद ही मुझे लगा कि संचीता की नींद अब टूट रही है और में झट से चारू के ऊपर से कूदकर दूसरी साइड में जाकर सो गया।
फिर तीसरी सुबह चारू जल्दी उठकर अपने इंटरव्यू के लिए जा चुकी थी और अब घर पर में और संचीता दोनों सो रहे थे। सुबह दस बजे मेरी नींद खुली तो मैंने देखा कि संचीता अभी भी सो रही है। मैंने उसे नींद से तो जगा दिया था, लेकिन उसने अपनी आँखे अभी भी नहीं खोली थी। मैंने उस मौके का फायदा उठाने के लिए मन में ठान ली थी क्योंकि वो अभी भी बिना ब्रा के ही लेटी हुई थी और अब में उसके पास में लेटकर उसे छेड़ने लगा और उसके गाल पर किस करने लगा। फिर कुछ देर बाद उसने मुझसे परेशान होकर दूसरी साइड की करवट ली और अब वो अपनी पीठ मेरी तरफ करके लेट गई। मैंने झट से अपना लंड उसकी मोटी गांड पर चिपकाकर उसके ऊपर अपना एक पैर रख लिया और उसे परेशान करने लगा। दोस्तों मुझे अब पूरा विश्वास था कि उसको मेरे खड़े लंड का अहसास उसकी गांड पर हो रहा होगा, लेकिन उसने अब तक मुझसे कुछ नहीं कहा और में मन ही मन बहुत खुश था। फिर मैंने अपना एक हाथ धीरे से उसकी छाती पर रख दिया और अब हल्के से दबाने लगा, जिसकी वजह से संचीता को तो मानो जैसे करंट सा लग गया और वो झटके से उठ गई और फिर हंसते हुए मुझसे कहने लगी कि आप सुधरोगे नहीं क्या? जिसकी वजह से मेरी हिम्मत के साथ उसे चोदने की उम्मीद भी अब बड़ती जा रही थी। फिर वॉशरूम से फ्रेश होकर और अपनी ब्रा को पहनकर संचीता वापस आ कमरे में गई।