Chacha Bhatiji Sex Story :आज मैं इस सर्दी में एक बहुत हॉट सेक्स कहानी आपको सुनाने जा रही हूँ। जैसा की शीर्षक से ही आपको पता चल गया होगा ये सेक्स कहानी मेरी और मेरे चाचा जी के बिच की है मैं कुंवारी कली और चाचा रहे मोटे लंड के मालिक उन्होंने मुझे जबरदस्त तरीके से इस ठण्ड में चोद दिया। आज मैं आपको पूरी कहानी antarvasna.live डॉट कॉम के माध्यम से सुनाने जा रही हूँ। ये मेरी पहली कहानी है मैं और भी लोगों की सेक्स कहानियां पढ़ती हूँ इसलिए आज मैं आपके लिए ये कहानी लेकर आई हूँ जो कल रात की ही है। तो आइये बिना देर किये कैसे क्या हुआ था जिसकी वजह से मैं अपने सेज चाचा से चुद गई।
मेरा नाम पिंकी है मैं लखनऊ की रहने वाली हूँ। मैं दिल्ली में पढाई करती हूँ मुखर्जी नगर में रहकर। मेरे चाचा फरीदाबाद में रहते हैं। वो एक आईटी कंपनी में काम करते हैं। मेरे चाचा की शादी पिछले साल ही हुई है, मेरी चाची भी उन्ही के साथ रहती है पर अभी वो अपने मायके गई है। क्यों की उनको बच्चा होने वाला है। तो अभी मेरे चाचा अकेले ही थे। मेरे कोचिंग की छुट्टी हो गई थी इसलिए मैं शुक्रवार शाम को ही मैं उनके यहाँ चली गई।
रात में चाचा ने मुझे व्हिस्की ऑफर किया और मैं मना नहीं कर पाई। क्यों की पहले से भी व्हिस्की पीती हूँ जब मैं देहरादून हॉस्टल में रहती थी तभी से मेरी आदत लगी हुई है। खैर आजकल तो सब लोग पीते हैं इसलिए इसमें कोई बुराई नहीं है। पर हां रात को एक पेग ज्यादा ही ले ली थी। खाना उन्होंने जोमाटो से मंगवाया था हम दोनों खाना के साथ व्हिस्की पीते रहे और लास्ट में हम दोनों को बहुत ज्यादा नशा हो हो गया था। मैं उठकर उनके बेड पर ही जाकर सो गई।
जब मेरे चाचा बाथरूम से वापस आये तो उन्होंने मुझे कहा भी की पिंकी तुम दूसरे कमरे में जाकर सो जाओ। पर मैंने ही मना कर दिया और बोली कोई बात नहीं साथ सो जाते हैं। उन्होंने कुछ नहीं बोला और फिर उसी बेड पर और एक ही कंबल के अंदर आ गए। दोनों ही नशे में धुत थे। एक दूसरे के करीब आने में देर नहीं लगा उन्होंने अपना हाथ जैसे ही मेरी बड़ी बड़ी गोल गोल छाती पर रखा मैं और अच्छे से सीधी हो गई। धीरे धीरे वो मेरे स्तन को सहलाने लगे। मैं नशे में थी मेरा दिमाग सन्न सन्न कर रहा था गर्म होते देर नहीं लगा मैंने भी बिना देर किया उनके बदन को सहलाते हुए उनके लंड को पकड़ ली।
अब दोनों ही एक दूसरे के करीब आ गए और साँसे एक दूसरे से टकराने लगी। दोनों ही एक दूसरे के होठ को चूसने लगे। मैं आँख बंद किये उनके होठ को चूस रही थी और एक हाथ से उनके लंड को ऊपर से ही सहला रही थी। तभी उन्होंने अपना नीचे का कपड़ा उतार दिया और नंगे हो गए। ओह्ह्ह्हह मोटा लंड मेरे हाथ में जैसे ही आये मुँह में लेने की इच्छा होने लगी मैं तुरंत ही रजाई के अंदर ही बैठ गई और उनके लंड को मुँह में ले लिया। अंदर गले तक लेती और बाहर निकालती। हल्का हल्का नमकीन सा उनके लंड के ऊपर से रिसाब हो रहा था।
एक बार उलटी सी आने लगी तो मैं लेट गई मेरे चाचा बैठ गए और मेरे कपडे उतरने की कोशिश करने लगे। मैं बैठ गई और अपने सारे कपडे उतार दिए और फिर वापस लेट गई। रजाई पैर से मारकर बेड से गिरा दिए। चाचा उठे और कमरे का हीटर चला दिया। वापस आते ही सबसे पहले वो मेरी दोनों टांगो को अलग अलग किया गांड के निचे तकिया लगाया। और फिर जीभ लगाकर चाटने लगे। जब जब वो जीभ लगाते मैं अंगड़ाइयां लेने लगती। मेरे मुँह से अपने आप सिसकारियां निकलने लगती। ओह्ह्ह्हह्ह ओह्ह्ह्हह्ह आआ ओह्ह्ह्ह उफ्फफ्फ्फ़।
कभी कभी वो अपना ऊँगली चूत में डालते फिर अपनी ऊँगली को अपने मुँह में ले लेते। मेरी तरफ देखते और फिर चाटने लगते। उन्होंने फिर मुझे उलटा कर दिया और घुटने पर आने को बोला। मैं घुटने पर आ गई सिर निचे कर दी गांड उठा दी। अब वो मेरी गांड को पीछे से चाटने लगे। ओह्ह्ह्हह मुझे बहोत गुदगुदी होने लगी थी। फिर वो चूत और गांड दोनों को चाटने लगे मैं पानी पानी हो गई। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था क्या करूँ। कभी खुद भी अपनी चूचियों को अपने हाथों से मसलती तो कभी खुद के होठ को अपने दांतो से दबाती।
मेरी आँखे लाल लाल हो गई थी एक तो नशे में थी दूसरी को मेरी वासना भड़क गई थी। मेरी चूत गीली हो गई थी। मेरे से रहा नहीं गया और मैं वापस उल्ट गई और अपनी टांगो को फैला दी। उन्होंने भी बिना देर किया अपना मोटा लंड दोनों जाँघों के बिच में लगाया और मेरी चूत में घुसाने की कोशिश करने लगे पर छूट की छेद पतली थी इस वजह से जा रही रहा था। मैं मैं खुद ही अपनी गांड को तकिये पर रख दी और दोनों पैरों को फैला दिया और खुद ही अपनी चुत को दोनों हाथों से चीर दिया।
अब वो कुछ ज्यादा ही सेक्सी हो गए मेरे इस रूप को देखकर। तुरंत ही मेरी चूत के छेद पर लंड का सुपाड़ा लगाया और जोर से अंदर घुसा दिया। मैं कराहते हुए उनको ज़रा रोकी पर वो हौले हौले से लंड को अंदर बाहर करने लगे और मुझे भी बहुत अच्छा लगने लगा। अब वो लंड को अंदर बाहर करते और कभी मेरे होठ को चूमते कभी गर्दन को तो कभी मेरे बाल को सहलाते। मेरी दोनों चूचियां उनके छाती से चिपक गई थी। वो अब थोड़ा ऊपर हुए और मेरी चूचियों को मसलते हुए मेरी निप्पल को अपने मुँह में ले लिए।
ओह्ह्ह्हह्हह मैं तो पागल हो गई थी। उनका लंड जल्दी जल्दी से अंदर बाहर आने जाने लगा था जब चुत की दिवार पर उनका लंड रगड़ खाता मैं तो चिहक उठती। मैं उनको अपनी बाहों में ले ली। ठण्ड गायब हो गया था। एक तो चुदाई की गर्मी दूसरी तरफ हीटर। ओह्ह्ह्ह मजे आ रहे थे हम दोनों एक दूसरे को हेल्प कर रहे थे। मैंने अपना जीभ उनके मुँह में डाल दी वो मेरे जीभ को चूसने लगे ऐसे करते ही मैं और भी ज्यादा कामुक हो गई और अपनी गांड को गोल गोल घुमा घुमा कर उनका मोटा लंड लेने लगी।
उन्होंने मुझे अब अपने ऊपर चढ़ा लिए और मैं उनके लंड को पकड़ पर अपनी चुत में डाली और बैठ गई। ओह्ह्ह्हह पूरा लंड अंदर तक चला गया। अब मैं ऊपर निचे होकर चुदवाने लगी। मेरी चूचियां बड़ी और टाइट थी लटक रही थी वो दोनों चूचियों को मसलते और निचे से धक्के देते और मैं ऊपर से धक्के देती। करीब डेढ़ घंटे की चुदाई के बाद एक साथ ही झड़ गए उनका सारा वीर्य मेरी छूट के अंदर ही रहा गया। हम दोनों करीब पंद्रह मिनट तक एक दूसरे को पकड़ कर लेटे रहे।
उन्होंने फिर से पेग बनाया हम दोनों एक एक पेग लिए और एक दूसरे के बाहों में लेटे रहे और फिर एक 10 मिनट की चुदाई करके फिर सो गए। ये रात मेरे लिए बहुत यादगार रहेगा। मैं जल्द ही दूसरी कहानी इस वेबसाइट पर यानी antarvasna.live डॉट कॉम पर लेके आने वाली हूँ तब तक आप सभी antarvasna.live के पाठकों को दिल से शुक्रिया।