“नखरे वाली लड़की ने कराया उद्घाटन”
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सभी पाठकों को नमस्कार
दोस्तों मेरा नाम लव है, हाइट 5.10, और 30 साल का हू, फिलहाल मैं देहरादून मे रहता हूँ.
यह मेरी पहली कहानी है और बिलकुल सच्ची कहानी है इससे पहले मैंने कभी सैक्स नहीं किया था.
बात 2012 की है। स्कूल ख़तम होने के बाद मैं आगे की पढाई के लिए दिल्ली चला गया था ये सोच के वहां खूब मजे करूँगा घर से दूर होने की वजह से घर वालों के अचानक आने का डर नहीं रहेगा, मेरे घर वाले कभी भी बिना बताये आ जाने वालों में से है।
दिल्ली में 1-2 साल तक तो मैं अपने रिश्तेदारों के यहाँ रहा क्यूंकि दिल्ली जैसी जगह में मेरे जैसा (तब बहुत सीधा था) लड़का जल्दी से सेट नहीं हो पाता, और ना ही तब खाना बनाना आता था.
जुलाई से कॉलेज शुरु हुए, कॉलेज का कैंपस बहुत बकवास था, क्यूंकि मुझे खेल कूद बचपन से ही पसंद हैं इस वजह से मेरा शरीर थोड़ा तगडा है, लेकिन वहाँ (कालेज में) कोई ग्राउंड नहीं था, सिर्फ 4 फ्लोर थे. तो सुरुआत के 2 साल तो बस यूँ ही बीत गए, न हमारे सेक्शन में कोई हाट लड़की थी, 60 में से सिर्फ 5 लड़की और 55 लड़के, जबकि दूसरे सेक्शन में 10-12 लड़कियाँ थी जिनमे 4-5 काफी सुन्दर थी. वैसे भी जब दोस्त मेरे साथ होते हैं तो मैं लड़कियों पे ज्यादा ध्यान नहीं देता था इस वजह से मैंने जीवन में बहुत सारे मौके छोड़ें जिनका मुझे आज भी पछतावा है. तो 2 साल बाद मैंने एक कमरा कॉलेज के आस पास लेने का सोचा, क्यूंकि गुडगाँव से आनेजाने में ही 2-3 घंटे बर्बाद हो जाते थे. तो कॉलेज के पास में ही एक सरकारी कॉलोनी में एक के क्वाटर में एक रूम का इंतज़ाम हुआ. उनपे 3 कमरे थे और 5 लोग परिवार में थे। मकान मालिक की 2 बेटी और 1 लड़का था, एक बेटी करीब 30 साल और दूसरी मेरे बराबर यानी 21-22 की थी, बड़ी वाली का शरीर तो बहुत सेक्सी था, गोरा भरा हुआ बदन, बड़े बड़े गोल गोरे बूब्स, फिगर लगभग 38-32-40, और छोटी वाली दिव्या नार्मल बॉडी लगभग 32-28-34 की थी।
अक्सर नए लोगों से बातचीत करने में मैं थोड़ा टाइम लेता हूँ , तो रूम देखने के समय मैं कुछ नहीं बोला क्यूंकि साथ में आये रिश्तेदार ने बात करी और, ना ही मुझे रूम के किराया का अंदाज़ा था, उन्होंने भी कहा के लड़का सीधा दिख रहा है तो रूम फाइनल हो गया. रूम की एंट्री का रास्ता एक ही था यानी के मेरा और मकान मालिक के कमरे अगल बगल में थे और एक ही टॉयलेट और बाथरूम था.
बाप शराबी था ये बात उन्होंने नहीं बतायी थी। कुछ दिन तक सब नार्मल रहा मैं सुबह 10 बजे कॉलेज चले जाता था और फिर दिन में रूम पे आ के दाल चावल बना के कभी अगर कुछ काम होता था तो बाहर चले जाता था वरना रूम पे आराम करता था. दाल चावल बनाना मैं तब तक सीख गया था और रोटी थोड़ा बहुत बेल लेता था पर आटा गूँधना मुझे बिलकुल नहीं आता था क्यूंकि उसमे पानी को हिसाब से डालना पड़ता था, तो घरवालों ने फ़ोन पे मकान मालिक की बड़ी लड़की से बात कर के उसको थोड़ा हेल्प करने को कह दिया था, और उसने भी हाँ कहा के आप टेंशन मत लो हम सीखा देंगे.
एक दो बार वो दीदी मुझे आटा गूँधना सिखाने मेरे रूम में आयी और अच्छे से बताया के पानी कैसे डालना है, जब जब वो आयी उन्होंने कभी भी दुपट्टा नहीं डाला होता था और उनके बड़े बड़े गोरे बूब्स गहरे गले वाले सूट से साफ साफ़ दिखाई देते थे पर डर लगता था कही ये देखते हुए देख न ले, तो कुछ दिन बाद मैंने कहा कि अब मैं आटा गुथ लुंगा खुद से वरना मोटी की चूचिया देख देख के खोपड़ी खराब हो जाती थी, तो कई दिन तक मैं मुठ मार के खुद को शांत कर लेता था. छोटी वाली से बहुत कम बात होती थी क्यूंकि समान उम्र की लड़कियों से मुझे अभी भी थोड़ा झिझक होती है. कुछ दिन बाद मुझे पता चल गया की घर का माहौल ठीक नहीं है क्यूंकि बाप बहुत शराब पीता था, और लड़कियों पे बहुत पाबंदी रखता था घर से बाहर नहीं जाने देता था और आस पड़ोस में लड़के भी नहीं थे बस कुछ छोटे बच्चे थे।
कुछ दिन बाद से मैंने छोटी वाली की हरकतों पे ध्यान दिया की ये अब अपना असली रूप दिखा रही है, जितना सीधा ये दिखा रही थी वैसी ये है नहीं, उसको ख़ासकर मेरे और उसकी बहन के बात करने से जलन होती थी, जब भी हम बातचीत करते वो बीच में आ जाती और बात करने लग जाती. 3-4 महीने बीत गए मेरा ध्यान बड़ी वाली पे ज्यादा जाता था क्यूंकि मेरे आते जाते टाइम वह हमेशा बहुत प्यार से हाई हेलो करती और हाल चाल पूछती रहती थी, उसके बात करने के ढंग से भी मुझे वह और अच्छी लगने लग गयी थी उपर से उसका गोरा और मोटी गांड और चूचियां देख के लन्ड खड़ा हो जाता था पर हिम्मत नहीं हो पाती थी कुछ कहने की, जबकि छोटी वाली को घर में ही शिकार मिल गया था. उसकी नज़र मुझपे थी. पहले तो उसको लगा के इसको थोड़ा लाइन दूँगी तो यह खुद मेरे आगे पीछे चक्कर मारेगा ऐसा इसलिए कह रहा हूँ क्यूंकि एक दो बार वो छत पे मेरे बगल से फ़ोन पे बात करते हुए ऑय हेट यू कहते हुए जाती थी, कभी किसी छोटे बच्चे को या कुत्ते को मेरे रूम में भेज देती थी और फिर खुद किसी बहाने से आ जाती थी.मुझे पता तो चल गया था के ये है फ़िराक में पर घर में कैसे कुछ बात करू या नंबर कैसे लू ये मेरे लिए मुश्किल था, लेकिन इसका इलाज़ भी उसने खुद निकाल लिया था क्यूंकि मेरे से ज्यादा आग उसको लगी पड़ी थी. एक दिन उसने मुझसे कहा के मेरे फ़ोन पे कॉल करो मैंने नयी रिंगटोन लगाई है तो उसने नंबर दिया और मैंने कॉल करी फिर बोला ठीक है लग गयी. उस समय मोबाइल रिचार्ज बहुत महंगा था कॉल का अलग मैसेज का अलग, नेट का अलग, मैं तो सिर्फ रिचार्ज करता था कॉल का बाकी नेट का जरुरत पड़ने पे और मैसेज का तो नहीं करता था क्यूंकि कोई थी ही नहीं. उसी रात की लगभग 10:30-11 बजे छोटी वाली ने कुछ जोक्स भेजे, नंबर तो सेव नहीं किया था मैंने क्यूंकि मुझे नहीं पता था के ये नंबर एक्सचेंज करने का उसका बहाना था, पर मुझे थोड़ा नंबर्स देख के आईडिया हो गया था के ये शायद इसी का है पर कन्फर्म नहीं था क्यूंकि कुछ दोस्त भी नए सिम लेने पे फ्री मैसेज भेजते थे. अगले 1-2 दिन तक उसके 2-4 जोक्स वाले मैसेज आये पर मैंने ना कॉल कर के पुछा ना मैसेज कर के. तीसरे दिन जब मैं दिन में कालेज से आ के खाना बना रहा था तो छोटी वाली ने मुझसे पुछा के जोक्स कैसे लगे? मैंने कहा के ये तुम्हारा नंबर है? तो उसको थोड़ा गुस्सा आया और बोली के क्यों नंबर सेव नहीं किया था क्या? उसके रूडली बोलने से मुझे भी थोड़ा गुस्सा आया और मेरे मुंह से गलती से निकल गया के भूल जा के मैं तुझे कभी मैसेज करूँगा. इतना सुनते ही वह बोली के बोल भी कौन रहा है तुमको मैसेज करने को, और चले गयी. उसके जाते ही मुझे एहसास हुआ के मैंने थोड़ा ज्यादा गलत ढंग से बात कह दी जो अक्सर मेरे साथ होता है, कुछ की जगह कुछ निकल जाता हैं फिर मुझे बाद में महसूस होता है. शाम को मुझे वो छत पे टहलते हुए मिली तो मैंने उससे समझाया के मेरा बोलने का मतलब वैसा नहीं था मेरा कहने का मतलब ये था के मैं मैसेज का वाउचर नहीं डालता क्युंकि जरुरत ही नहीं है. तब तक उसका मूड भी ठीक हो गया था. कुछ दिन बाद हमारे एक्साम्स थे और प्रोजेक्ट बनाना था जिसकी वजह से रात के 9-10 बजे तक हमें कॉलेज में रुकना पड़ता था, तो वो कई बार मुझे कॉल कर के मोमो बरगर लाने को कहती थी. तो मेरे दोस्तों को पता चल गया के हमारी बात होती है और मुझे उकसाने लगे के बात बढा आगे वरना हमें नंबर दे हम कराते है तेरी सेटिंग नहीं तो अपनी कर लेंगे, मैं मना करता क्यूंकि आस पास में पकडे जाने का डर रहता है. कुछ दिन बाद मैंने भी मैसेज का रिचार्ज करा दिया और रात को जब सब सो जाते तो हम चैटिंग करने लग गए, कुछ दिन बाद एक रात मेरा मूड बना के आज आर या पार करते है या तो हाँ या फिर ना, ऐसे चैटिंग करने से मेरी नींद पूरी नहीं हो पाती थी और दिमाग भी इधर उधर लगा रहता, तो सोचा के आज पुछ लेता हूँ के क्या इरादा है आगे का.
कुछ देर यूँ ही बात करने के बाद मैंने उससे कहा के एक बात कहु बुरा तो नहीं मानोगी ? ये मैसेज भेजने पे भी मेरी हालत ख़राब हो रही थी, तो उसने रिप्लाई किया के बोलो, मैंने मैसेज में उसे ऑय लव यू लिख के भेजा, लाइफ में पहली बार किसी को ऑय लव यू कहा और यकीन मानो मेरी हालत बहुत ख़राब हो रही थी और दिल जोर जोर से धड़क रहा था. करीब दस मिनट तक उसकी तरफ से कोई रिप्लाई नहीं आया तो मेरी हालत और ख़राब होने लगी के कहीं ये अपने घर वालो को ना बोल दे, फिर मैंने मैसेज में सॉरी लिख के भेज दिया के मैं मजाक कर रहा था और देखना चाह रहा था के तुम क्या कहोगी, तो वह अपने नाटक करने लग गयी के मैंने आपको कभी उस नजर से नहीं देखा न आपके बारे में कभी ऐसा ख़याल आया, तो मुझे हंसी आयी और मैंने फिर से सॉरी लिख के भेजा के मैं मजाक कर रहा था बस और कुछ नहीं. तो उसने थोड़ी देर तक तो ये वह हलाना फलाना लिख के भेजा और कहा के आज के बाद आप मुझसे बात मत करना तो मैंने भी कहा के ठीक है नहीं करूँगा, इतने नाटक मेरे से झेले भी नहीं जाते कह के मैंने नंबर डिलीट कर दिया.
अगले दिन से मैं अपना नार्मल उठो नहाना धोना खाना पका के कॉलेज जाने वाला रूटीन और रात को मूवी देख के सोना वाला रूटीन चलने लगा, कभी मोटी दीदी से सामना हो जाता तो हमेसा की तरह वह खुद ही से हेलो कैसे हो भैया बोलती और मैं भी उनको हंस के अच्छे से रिप्लाई देता था लेकिन छोटी वाली ना मुझसे बात करती न मैं उससे करता था और आते जाते हुए इग्नोर करता था, अब तक मैं उसकी हरकतों से काफी वाकिफ हो गया था इसलिए मैंने उससे दूरी कर ली थी. करीब एक हफ्ते तक ऐसा ही चलता रहा फिर एक दिन रात को करीब ग्यारह बजे मेरे रूम के दरवाजे पे मुझे लगा के शायद किसी ने खटखटाया है, क्यूंकि मैं कंप्यूटर पे मूवी देख रहा था इसलिए मुझे अच्छे से नहीं सुनाई दी तो मैं उठा और दरवाजा खोल के देखा तो कोई नहीं था, मैं वापस कमरे में आ गया और मूवी देखने लगा दस मिनट बाद मुझे फिर से खटखटाने की आवाज़ आयी, इस बार मैं कन्फर्म था के किसी ने दरवाजा खटखटाया है, मैं फिर दरवाजा खोला और देखा तो कोई नहीं था लेकिन दरवाजे के नीचे एक कागज़ गोल मोल रोल कर के रखा था मैंने कागज़ उठाया और रूम में आ गया, कागज़ खोल के देखा तो उसमे लिखा था के, क्या हम नोर्मल्ली रह के बात नहीं कर सकते ? फिर मैंने उसी कागज़ पे अपना नंबर लिख के लिखा के मुझे मैसेज करो और बाहर वहीँ रख दिया, वह सोई नहीं थी और तुरंत थोड़ी देर में मेरे फ़ोन पे मैसेज आ गया के बोलो, तो मैंने कहा के सबसे पहले तो ये कागज़ जला देना और ऐसी बेवकूफी दुबारा मत करना, अगर ये कागज़ किसी और के हाथ लग जाता तो दोनों की लग जाती. फिर कुछ दिन मैंने सिर्फ उतनी ही बात करी जितना वह करती थी, तीन चार दिन बाद उसने मुझसे मैसेज में पुछा के आप तो बड़े सरीफ लगते थे और लड़कियों को प्रोपोज़ कर रहे हो, तो मैंने उसको बताया के एक तो ये मेरा फर्स्ट टाइम किसी को ऑय लव यू बोलना था और दूसरा ये के मैं तुम्हारा रिएक्शन देखना चाह रहा था क्यूंकि मुझे पता है के तुम रिलेशनशिप में हो, तो वह कहने लगी के नहीं मेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है तुमको ऐसा किसने कहा, तो फिर मैंने उसको याद दिलाया के छत पे एक दिन तुम फ़ोन पे ऑय हेट यू ऑय हेट यू रिपीट कर के मेरे पीछे से गुजर रही थी, तो वह कहने लगी के नहीं वह मेरा एक फ्रेंड है जो मुझे लाइक करता है कह रहा था तो इसलिए मैं उसे ऑय हेट यू कह रही थी. पर मैं इस बात पे अड़ गया के मैंने ऑय लव यू सिर्फ तुम्हारा रिएक्शन चेक करने के लिए कहा था बाकी कुछ नहीं और उसको चिढ़ानेे लगा, मुझे उसको चिढ़ानेे में बहुत मजा आता था. फिर ये बात मैं उस के दिमाग में डाल के सो गया क्यूंकि उसको ये बात हज़म नहीं होती थी, उसको लगता था के मैं तो बहुत सुन्दर हूँ और सब मेरे पीछे पड़े हैं, और ये कह रहा है के ये मजाक करता रहा था न के सीरियसली. एक दो दिन तक वो यही बात पूछने लग गयी के सच में तुम प्रोपोज़ नहीं कर रहे थे और बस चेक कर रहे थे , मैं समझ गया के जो मैं चाह रहा था वही हो रहा है। उसको इस बात से इतनी बेचैनी हो गयी थी के उसकी नींद उड़ गयी थी, तीसरे दिन मैं कॉलेज से लेट आया और सीधा सो गया लगभग एक घंटे बाद वो मैसेज करने लग गयी पर मैं नींद में था तो उसने मिस कॉल कर के मुझे जगा दिया, मैंने मैसेज कर के पुछा के क्यों कॉल कर रही हो सो जाओ और मुझे भी सोने दो, तो उसकी बात सुन के मैं हसने लग गया क्यूंकि अब वो मुझे ऑय लव यू कह रही थी, पर मैं उसके नखरे देख चूका था तो मैंने कहा के मैं जानता हूँ के तुम मुझसे बदला लेने के लिए ये नाटक कर रही हो, तो वो कहने लग गयी के नहीं सच में मैं आपको पसंद करती हूँ, तो फिर जब मैंने तुमको उस रात कहा तब तुमने मना क्यों किया, तो कहने लगी के मैं डर गयी थी और समझ में नहीं आ रहा था के क्या कहूँ. लेकिन मैंने कहा के मुझे तुम पे भरोसा नहीं है तो तुमको पहले साबित करना होगा, उसने कहा कैसे करू साबित बताओ.
अब मेरा डर कम हो चूका था क्यूंकि इस बार पहल उसने की थी तो मैंने कहा के मुझे किश चाहिए पहले तब मानूंगा वरना नहीं. कुछ देर तक तो वो फिर वही नाटक करने लगी के नहीं ऐसा नहीं होता ये वो पर मैं अपनी बात पे अडा रहा. आखिर में वो राज़ी हो गयी. अगले दिन जब मैं कॉलेज से आकर खाना बना रहा था और सब सो रहे थे क्यूंकि गर्मी के दिन थे तो उसका मैसेज आया के मैं आ रही हूँ पर मैं बिजी था तो मैसेज नहीं पड पाया. इतने में वो मेरे किचन के दरवाजे पे आकर मुझे हवश वाली नज़रों से देखने लगी मैंने कहा क्या हुआ ? तो बोली के मैसेज नहीं पढ़ा क्या ? मैंने फ़ोन उठाया और मैसेज पढ़ा तो कुछ देर के लिए मेरे हाथपैर ठंडे पड़ गए, पर वो आज पूरे जोश में थी और तैयार भी मैंने कहा के बगल में अंकल आंटी और दूसरे कमरे में दीदी सो रखी है कोई जाग गया तो दोनों की गांड टूटेगी, वो कुछ नहीं बोली और मेरे और करीब आ गयी मैं एक्क्साइटेड और घबराया दोनों एक साथ था फिर मैंने थोड़ा हिंममत जुटाई और उसके हूँठों को चूमने लगा, लाइफ में पहला किश था और मैं इतना खो गया था के सब डर भूल गया था करीब दो मिनट बाद उसने मुझे हल्का धक्का दे कर अलग किया वरना मैं तो खो गया था और लगातार उसको किश करे जा रहा था, जब उसने मुझे अलग किया तो मुझे हल्का चक्कर जैसा लगा, इतना मजा आता है किश करने में पहली बार पता चला, उसके बाद से जब भी हमको मौका मिलता वो मेरे कमरे में भाग के आती और हम किश करते, मैं उसको बिना ब्रा और पेंटी के आने को कहता तो वो कहती के तुम्हारे लिए मैं आज आधी नंगी हो कर आयी हूँ, उसकी बातें और हरकते मुझे और उत्तेजित करती थी, कभी कभी उसके गले और लिप्स पे निसान पड जाते तो वो चुन्नी या कीड़े ने काटा कर के बहाना बनाती.
कुछ महीने ऐसे ही गुजरे तो इस दौरान उसने मुझसे पुछा के मैंने कभी सेक्स किया है तो मैंने ना कहा फिर उसने पुछा के कभी हस्तमैथुन किया है, मैंने हाँ कहा और पुछा के तुमने किया है तो उसने भी हाँ कहा. फिर मैंने उसको सेक्स करने के लिए पुछा तो उसने कहा के मन तो है लेकिन घर से बाहर जाने की दिक्कत है और रूम की भी होटल में जाने में हम दोनो ही असहज़ थे मैंने भी अपने दोस्तों को इस बारे में तब तक कुछ नहीं बताया था। तो हमने प्लान किया के मैं आसपास एरिया के रूम ले लूंगा। अगले महीने मैंने बहाना मारा के अपने रिश्तेदार के यहाँ शिफ्ट हो रहा हूँ. नए मकान मालिक से बात पहले ही कर ली के कॉलेज के दोस्त भी आएंगे तो बाद में दिक्कत न हो. कुछ दिन के बाद दिव्या ने आने को कहा ताकि घर में किसी को सक ना हो.
एक हफ्ते बाद उसने घर में एक्स्ट्रा क्लास का बहाना मारा और मुझे मिलने को आई, आधे रास्ते में मैं उसे लेने गया क्योंकि उसको रास्ता पता नहीं था नए रूम का। उसने एक कोट डाला हुआ था और जींस पहनी हुई थी ठंड का मौसम शुरू हो गया था और कोहरे की वजह से और ठंड लगती थी, हम रूम पे आए और आते ही किस करने लग गए, तब मैने एक बात नोटिस की जो मजा छुप छुप के रोमांस करने में है वो मजा अलग ही होता है। किस करते हुए वो गरम हो गई और अपनी योनि वाली जगह से धक्के मारने लग गई। मैं बताना भूल गया के जब भी हम किस करते थे तो वो ऐसा करती थी, इससे कभी कभी मेरे लंड पे थोड़ा दर्द हो जाता था। खैर फिर मैने एक पतली कंबल ली और हम दोनो गद्दे पे बैठ गए जो की नीचे बिछाया हुआ था। मैने उसको अपनी गोद में बैठने को कहा मुझे हमेशा से मन था गोद में बैठा के किस करने का, उसने अपना कोट उतारा और मैने अपनी स्वेटर और टीशर्ट, मैं ऊपर से पूरा नंगा था लेकिन वो अभी अपनी टीशर्ट उतरने को मना कर रही थी नखरे करे बिना तो कोई काम नहीं करती थी वो, मैने भी उसको फोर्स नही किया और ऐसे ही चिपक के एक दूसरे को किस करने लगे, अब मैं उसकी गर्दन और बूब्स पे किस और उसके बदन को टटोलना चाह रहा था जिसके बीच में उसकी टीशर्ट बार बार आ रही थी, कुछ देर बाद उसने खुद टीशर्ट खुद उतार दी जिसका मैं इंतजार कर रहा था थोड़ी देर में मैंने उसकी ब्रा भी उतरवा दी। उसका बदन एक दम गोरा चिकना सफेद था, बूब्स छोटे थे जो अच्छे से पकड़ में नहीं आ रहे थे, तो मैंने उनकी अपने होंठों से चूसने लगा और थोड़ा थोड़ा दांत से काटने लगा जिसका उसने मना किया क्योंकि इससे उसको दर्द हो रहा था।हम दोनो एक दूसरे को ऊपर से नंगे बदन से एक दूसरे से चिपक हुए पांच से दस मिनट हो गए थे, अब मैने उसको जींस खोलने को कहा तो वो फिर नखरे करने लगी के नही ये वो, तो मैंने फिर इंतज़ार करने का मन बना लिया, हम दोनो गरम हो चुके थे और मेरा भी पानी निकल रहा था जिसका मुझे एहसास हो रहा था, ऊपर से उसके झटके मारने से मेरे लिंग में थोड़ा ज्यादा दर्द हो रहा था ऊपर से जींस भी टाइट थी, तो मैंने उसको कहा के मैं जींस उतार रहा हूं क्योंकि मुझे नीचे अनकंफर्टेबल और हल्का दर्द हो रहा है, मेरे जींस निकलने से अब उसका हाथ आसानी से मेरे लिंग को छू पा रहा था जिससे और गरम गरम सांसे फेंकने लगी, और थोड़ी देर में खुद अपनी जींस उतार दी पर पेंटी नही उतारी, मैं समझ गया के ये पहले मेरे कपड़े खोलने का इंतजार कर रही थी। अब हम दोनो सिर्फ अंडरवियर में थे और वो मेरी गोद में मेरा लिंग कच्छे के अंदर से ही उसकी योनि को छू रहा था जिसके एहसास से उसका बहुत पानी निकलने लगा ये मुझे तब पता चला जब मैंने उसकी पैंटी के अंदर हाथ डाला, तब मैंने पाया के अब ये पूरी तरह तैयार है, मैने कहा के मेरा लंड से काफी पानी निकल रहा है जिसकी वजह से नीचे काफी गीला हो रहा है तो मैं अपना अंडरवियर खोल रहा हूं, तो वो भी बोली के हां मैं भी खोल देती हूं मेरा भी पानी निकल रहा है। लेकिन उसने पहले लाइट बंद कर दी, और मना करने लगी लाइट खोलने को, मैने भी ज्यादा नहीं बोला। खिड़की दरवाजे बंद थे पर दिन होने के वजह से कमरे में हल्की रोशनी थी उसका बदन हल्की रोशनी में चमक रहा था, अब हम दोनो पूरे नंगे थे वो लाइट बंद करते ही कंबल के अंदर लेट गई और मैं उसके पीछे से जा के अपना लंड उसकी गांड से छूने लगा और उसके बूब्स और चूत पे हाथ फेरने लगा और उसकी गर्दन और पीठ पे किस करने लगा जिससे हम दोनो और उत्तेजित होने लगे, जो जो मैने अन्तर्वासना और सेक्सी मूवी में देखा था आज मैं वो सब प्रैक्टिकल कर रहा था, कुछ देर तक ऐसे ही करने के बाद उसने कहा के अंदर मत डालना मैं समझ गया ये क्या कहना चाहती है पर अभी भी नाटक करना ही है इसको, तो मैंने उसको थोड़ा और जोर से पकड़ के अपनी और खींचा और किस करना शुरू किया, फिर उसका एक पैर उठाया और अपना लंड उसकी चूत में डालने लगा, वो बहुत ज्यादा गीली हो चुकी थी उसका पानी उसकी झांघों तक आ चुका था जैसे ही मेरे लंड को उसकी चूत का छेद मिला मैने एक हल्का सा धक्का मारा, गीला होने की वजह से मेरे लंड का अगला हिस्सा उसकी चूत में एक दम घुस गया, उसकी हल्की सी हिचकी जैसी निकली और सांस रुक गई, और मुझे अच्छे से याद है जब पहली बार वो एहसास जैसे आपका लंड किसी गीली गरम गीले चिपचिपे छेद में घुस गया हो, उसने अपने हाथ से मुझे अपना लंड पूरा अंदर डालने से रोक दिया वरना उस वक़्त सायद ही कोई खुद को रोक पाए पर कहीं उसकी चीख ना निकल जाए तो मैं रुक गया। अब मैंने उसको सीधा लेटाया और मिशनरी पोजीशन में आ गया, में पहले से नेट पे रिसर्च कर चुका था के ये पोजीशन अच्छी होती है फर्स्ट टाइम के लिए। कंडोम के लिए उसने पहले ही माना किया था के बिना कंडोम के करेंगे उसमे ज्यादा मजा आता है लेकिन तुम अंदर मत निकालना, तो हम उसी प्लान के हिसाब से चल रहा थे।
अब मैंने उसको टांगे फैलाने को कहा और उसकी दोनो टांगो के बीच आ गया और धीरे धीरे उसकी चूत पे रगड़ने लगा, इस करने ही हम दोनो बहुत उत्तेजित हो रहे थे तो मैं उसके ऊपर लेट गया और उसको किस करने लगा। अब किस करते करते मैने अपना लंड उसकी चूत में डालना सुरु किया, और लंड मानो फिसलता हुआ उसकी चूत में घुस गया और हम दोनो की सांसे फिर से रुक गई। मैं उसके ऊपर ऐसे ही लेट गया और कभी उसको कभी उसके बूब्स को किस करने लगा, पर लंड पूरा बाहर नहीं निकाला। अब मैं धीरे धीरे झटके मारने लगा और वो और पानी छोड़ने लगी जिस वजह से कमरे में एक पच पच की आवाज आने लगी, मैने टिश्यू पेपर से साफ करने को कहा तो वो मना करने लगी की गीले में आसानी से अंदर बाहर हो जाता है और उसने बिलकुल भी साफ नहीं करने दिया। मैं ऐसे ही झटके मारने लगा और थोड़ी देर में जब मुझे लगा के निकलने वाला हूं तो बाहर निकल दिया और टिश्यू पेपर से पोंछ लिया। अब मैंने उसको चूत के बाहर का पानी जो पैरों पे आ गया था उसको साफ करने को मना लिया और उसकी झांगो को साफ करते करते उसकी चूत का पानी भी थोड़ा साफ कर दिया, थोड़ी देर में हम दोनो फिर से दुबारा चुदाई को तैयार हो गए थे, मैने उसको घोड़ी बनने को कहा पर वो मना करने लगी तो हम फिर मिशनरी पोजीशन में आ गएऔर मैने एक तकिया उसकी गांड के नीचे रख दिया। इस बार जैसे ही मेरा सूखा लंड उसकी चूत में घुसा मुझे अब ज्यादा मजा आया क्योंकि अब मैं उसकी चूत की दीवारों को ज्यादा अच्छे से महसूस कर पा रहा था। और उसको भी उस रगड़ से करेंट जैसा लगने लगा, थोड़ा धक्के मारने के बाद मैने उसकी दोनो टांगों को अपने कंधों पे रख दिया और उसकी झांघों को पक्कड़ लिया, ऐसा करने से चुदाई करने में और मजा आने लगा और धक्के मारने की स्पीड भी बढ़ गयी। चुदाई से ज्यादा मुझे उसकी मादक आवाजे उत्तेजित करने लगी और उसने अपने मुंह पे हाथ रख दिया पर उसकी हाफने की आवाज अब भी मुझे आ रही थी, मैं थोड़ा रुका और कंप्यूटर पे गाने चला दिए ताकि बाहर आवाज ना जाए। एक ही पोजीशन में होने की वजह से मेरे घुटने और उसके पैर भी थक रहे थे और घोड़ी बनने को वो तैयार नहीं थी, तो मैंने उसकी एक टांग उठा के अपने कंधों पे रखी और दूसरी के ऊपर अपनी टांग और कैंची जैसी पोजीशन में आ गए, मैं और जोर जोर से झटके मारने लगा जिससे हम दोनो को बहुत मजा आने लगा एक हाथ से मैं उसके बूब्स मसल रहा था और दूसरे से उसका पैर को जांघों से जिसको मैं बीच में जोर से मसल भी रहा था उसका चिकना कोमल बदन को नोचने का मन हो रहा था और मन कर रहा था के ऐसे ही दिन भर चुदाई करते रहे और लंड को बाहर ही न निकालू, कभी मैं उसकी झांगे मसलता कभी उसकी गांड को दबाता कभी दूसरे हाथ से उसके बूब्स और बदन पे हाथ फेरता। फिर थोड़ी देर मे पैर बदल के चुदाई करने लगे वो फिर से बहुत गीली हो गई थी और झड़ने वाली थी ये देख के मैं भी गरम हो गया और और तेज़ से चुदाई करने लगा और कुछ देर में दोनो झड़ गए पर मैने अपना पानी अंदर नहीं निकाला और बाहर उसके पेट पे गिरा दिया। हम दोनो के शरीर से पसीना निकलने लग गया था और कमरे में भी गर्मी हो गई थी। इस दिन हमने सुबह 11 बजे से दिन के 4 बजे तक करीब छह बार सेक्स किया। पांचवी और छटी बार तो हालत खराब हो गई थी । पर मैं आज पूरी तस्सली करना चाहता था। जब लाइट खुली और टिश्यू पेपर पे मैने खून के हल्के हल्के दाग देखे तो मुझे लगा के शायद ये इसकी चूत से निकला है लेकिन वो मेरे लंड से निकले थे इसका पता मुझे अगली सुबह को लगा जब मेरे लंड पे जलन और दर्द होने लगा जो करीब चार दिन तक रही। सेक्स करने के बाद एक सवाल मेरे मन में था जो मैने उस टाइम पूछना सही नही समझा था रात कक मैसेज में मैने उससे पूछा के फर्स्ट टाइम में चूत बहुत टाइट होती है और मेरा लंड जाने पे तुमको ज्यादा दिक्कत नही हुई ऐसा क्यों, तो उसने बताया वो लगभग हर रात मुठ मार के सोती है और एक बार दिन में घर में जब कोई नही था तो उसने कोई टूथब्रश अपने अंदर डाल दिया और बहुत सारा खून निकला, अब पता नही उसने टूथब्रश डाला या क्या वो वही जाने।
खैर मुझे इस बात से कोई मतलब नहीं था लेकिन मैं कन्फ्यूज था के सेक्स तो शायद इसका भी फर्स्ट टाइम था पर खून मेरा निकला और इसका नही क्योंकि घर जाते ही उसने मुझे मैसेज किया के जब तुम्हारा लन्ड मेरे अंदर गया तो क्या बताऊं कैसा महसूस हुआ और वो पल में कभी नहीं भूलूंगी और मेरे पैर थक गए बहुत आज, मैने भी कहा के मुझे भी आज एक अलग ही मजा आया और समझ में आया के लोग क्यों सेक्स के पीछे पागल है । इस दिन के बाद हमने लगभग तीन चार दिन और सेक्स किया एक बार वो मेरे ऊपर बैठ गई पर मैंने उसे हटा दिया क्योंकि मेरी गांड फट रही थी जैसे ही वो नीचे की तरफ झटके मार रही थी और मेरी चीख निकलने वाली थी उस दिन फिर से मेरा थोड़ा खून निकला पर पूरी सील नही टूटी। कुछ महीने बाद में फिर से अपने रिश्तेदार के यहां शिफ्ट हो गया घर वालों के कहने पे। अपने रूम के अलावा वो और कहीं आने को राजी नहीं थी न होटल पे तो फिर धीरे धीरे हमारा एक दूसरे से कांटेक्ट छूट गया। वैसे भी मुझे डर था के कहीं इसके घर वालों को पता न चल जाए के हम दोनो एक दूसरे के संपर्क में है वरना दिक्कत हो जायेगी। मोटी दीदी को मैं नहीं चोद पाया जिसका मेरा बहुत मन था क्योंकि वो दिखने में सेक्सी तो थी ही पर उसका बात करने का तरीका भी बहुत अच्छा था और छोटी वाली को ये भनक लग गई थी तो उसने मुझे कहा के एक बार उसने रोड पे एक लड़के को थप्पड़ मारे थे जो उसपे कमेंट कर रहा था, अब मुझे नहीं पता के ये सच था या उसने मुझे डराने के लिए ये बात कही थी।
इसके बाद से मैने एक दो भाभी के साथ भी सेक्स किया वो कहानी फिर कभी बताऊंगा बाकी आप लोगों को मेरी कहानी कैसी लगी मेल में जरूर बताएं labbi.rana@gmail.com ।
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