मेरा नाम अनिता है, उम्र 28 साल। मैं एक खूबसूरत और मॉडर्न औरत हूँ। मेरा रंग गोरा है, चूचियाँ बड़ी और टाइट, कमर पतली और गांड भारी और गोल। मेरे होंठ रसीले हैं, और मेरी आँखों में एक नशीली चमक है जो मर्दों को दीवाना बना देती है। मेरी शादी राहुल से हुई थी, जो 32 साल का है। राहुल दिखने में ठीक-ठाक है, लेकिन उसमें वो मर्दानगी नहीं थी जो मुझे चाहिए थी। शादी के बाद मुझे पता चला कि राहुल नपुंसक है। वो मेरे साथ शारीरिक रिश्ता बनाने की कोशिश करता, लेकिन हर बार नाकाम रहता। उसकी ये कमज़ोरी मेरे लिए एक अभिशाप बन गई, और मेरे अंदर की आग मुझे कई मर्दों की बाँहों में ले गई। ये कहानी उसी तड़प और मजबूरी की है।
शादी के शुरुआती दिन ठीक थे। राहुल मेरे साथ प्यार से पेश आता, लेकिन जब रात को बिस्तर पर जाने की बारी आती, वो ठंडा पड़ जाता। पहली रात को उसने कोशिश की, लेकिन उसका लंड खड़ा ही नहीं हुआ। मैंने सोचा शायद नई शादी की घबराहट होगी, लेकिन महीनों बीत गए और हालात नहीं बदले। मैं रातभर बिस्तर पर तड़पती रहती, मेरी चूत में आग लगी रहती, लेकिन राहुल कुछ नहीं कर पाता। वो बस मेरे पास लेटकर सो जाता, और मैं अपनी उंगलियों से खुद को शांत करने की कोशिश करती। लेकिन एक जवान औरत की भूख उंगलियों से कहाँ मिटती है? मेरे अंदर की तड़प बढ़ती गई, और मैंने फैसला किया कि मुझे अपनी ज़रूरतें पूरी करनी होंगी, चाहे इसके लिए कुछ भी करना पड़े।
पहला मौका मुझे तब मिला जब राहुल अपने ऑफिस के काम से दो दिन के लिए बाहर गया। हमारे घर में एक नौकर था, गोपाल, उम्र करीब 35 साल। गोपाल काला और मज़बूत था, उसकी बाँहें पत्थर की तरह सख्त थीं। वो जब घर में काम करता, मैं उसकी मज़बूत कद-काठी को देखती और मेरे मन में अजीब से ख्याल आते। उस रात मैं अकेली थी। मैंने एक पतली नाइटी पहनी, जो मेरे शरीर से चिपककर मेरी चूचियों और गांड को उभार रही थी। रात के 10 बजे गोपाल मेरे कमरे में पानी का गिलास देने आया। मैं बिस्तर पर लेटी थी, और मेरी नाइटी मेरी जाँघों तक सरक गई थी। गोपाल की नज़रें मेरे शरीर पर टिक गईं, और मैंने जानबूझकर उसे रोक लिया। मैंने कहा, “गोपाल, थोड़ी देर यहाँ बैठो, मुझे अकेले डर लग रहा है।”
गोपाल मेरे पास बैठ गया। उसकी साँसें तेज़ थीं, और उसकी आँखों में एक भूख दिख रही थी। मैंने उसका हाथ पकड़ा और अपने कंधे पर रखा। वो हिचक रहा था, लेकिन मैंने उसे पास खींचा और कहा, “गोपाल, मुझे गर्मी लग रही है।” उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उसका चुम्बन सख्त और जंगली था, और मैं उसकी बाँहों में पिघल गई। मैंने उसके होंठ चूसने शुरू किए, और उसकी जीभ मेरे मुँह में घूमने लगी। उसने मेरी नाइटी के ऊपर से मेरी चूचियों को दबाया, और मैं सिसकारी भरते हुए बोली, “आह्ह… गोपाल, और ज़ोर से!” उसने मेरी नाइटी फाड़ दी, और मेरी चूचियाँ उसके सामने नंगी हो गईं। मेरे निप्पल सख्त थे, और उसने एक चूची को मुँह में लेकर चूसना शुरू किया। मैं चीख पड़ी, “उफ्फ… गोपाल, कितना मज़ा आ रहा है!”
उसने मेरी पैंटी उतारी, और मेरी चूत उसके सामने थी। उसने मेरी जाँघों को फैलाया और मेरी चूत में अपनी उंगली डाल दी। मैं तड़प उठी, “आह्ह… और कर, गोपाल!” उसने अपनी पैंट उतारी, और उसका मोटा लंड बाहर आया। मैंने कहा, “ये तो बहुत बड़ा है!” उसने मेरी चूत पर अपना लंड रखा और एक ज़ोरदार धक्का मारा। मैं चीख पड़ी, “आह्ह… मेरी चूत फट गई!” वो ज़ोर-ज़ोर से ठाप मारने लगा, और मेरी चूचियाँ उछलने लगीं। मैं सिसक रही थी, “गोपाल, और ज़ोर से, मुझे चोद डाल!” उसने मेरी गांड पर थप्पड़ मारे, और मैं चीख रही थी, “हाय… और मारो!” उसने मुझे रातभर चोदा, और उसका गर्म माल मेरी चूत में भर गया। उस रात के बाद गोपाल मेरा पहला साथी बन गया।
लेकिन मेरी भूख यहीं नहीं रुकी। कुछ दिनों बाद हमारे पड़ोसी, अशोक, जो 40 साल का एक तगड़ा मर्द था, मेरे घर आया। राहुल घर पर था, लेकिन वो अपने कमरे में सो रहा था। अशोक और मैं ड्राइंग रूम में बैठे थे। मैंने एक टाइट ड्रेस पहनी थी, जिसमें मेरी चूचियाँ और गांड साफ दिख रही थीं। अशोक की नज़रें मेरे शरीर पर थीं। मैंने जानबूझकर अपनी ड्रेस को थोड़ा और ऊपर खींचा, और वो मेरे पास आ गया। उसने मेरे कंधे पर हाथ रखा और कहा, “अनिता, तू बहुत हॉट है।” मैंने उसका हाथ पकड़कर अपनी चूचियों पर रखा और बोली, “तो कुछ कर ना।” उसने मुझे सोफे पर लिटाया और मेरे होंठ चूसने लगा। उसने मेरी ड्रेस उतारी, और मेरी चूचियों को मसलने लगा। मैं सिसक रही थी, “आह्ह… अशोक, और ज़ोर से!”
उसने मेरी पैंटी खींची और मेरी चूत में अपना मोटा लंड डाल दिया। मैं चीख पड़ी, “उफ्फ… कितना बड़ा है!” वो ज़ोर-ज़ोर से ठाप मारने लगा, और मेरी गांड उछल रही थी। उसने मुझे घोड़ी बनाकर मेरी गांड में भी ठाप मारी, और मैं चीख रही थी, “आह्ह… अशोक, मेरी गांड फाड़ डाल!” उसने मेरी चूत और गांड दोनों को चोदा, और उसका माल मेरे अंदर छोड़ दिया। अशोक के बाद मेरे लिए ये आम हो गया।
एक बार राहुल के दोस्त, संजय, हमारे घर आया। संजय जवान और मज़बूत था। उस रात राहुल सो गया, और मैं संजय के साथ किचन में थी। मैंने जानबूझकर अपनी साड़ी का पल्लू गिराया, और मेरी चूचियाँ उसके सामने उभर आईं। संजय ने मुझे दीवार से सटा दिया और मेरे होंठ चूसने लगा। उसने मेरी साड़ी उतारी, और मेरी चूत में अपना लंड डालकर ठाप मारने लगा। मैं सिसक रही थी, “संजय, और ज़ोर से!” उसने मुझे किचन के स्लैब पर चोदा, और उसका माल मेरी चूत में भर गया।
पति की नप copy paste करने की वजह से मेरी ये हालत हो गई। गोपाल, अशोक, संजय, और ना जाने कितने मर्द मेरे साथ सो चुके हैं। राहुल को कुछ पता नहीं, और मैं अपनी भूख मिटाने के लिए हर रात किसी न किसी की बाँहों में होती हूँ। मेरे लिए अब ये ज़िंदगी का हिस्सा बन गया है, और मैं इस मजबूरी को अपनी ताकत बना चुकी हूँ।