उस रात के बाद से पापा ने मुझे रखैल की तरह बना लिया था. जब चाहते आ कर मेरी चुदाई कर देते जैसे चाहे वैसे मेरी चुदाई करते.
मेरे कॉलेज का सेकेंड एअर चल रहा था. मई क्या करती थी, मई किससे मिलती थी, क्या पहेनटी थी पापा को सब की खबर चाहिए होती थी और मई उनके दर्र से चाह कर भी झूट नही बोल पति थी. वैसे मुझे भी ये सब मई मज़ा सा आने लगा था. मुझे हुमेसा से डॉमिनेंट मर्द पसंद थे.
फिर एक दिन पापा ने मम्मी को बोलकर कर मुझे अपने साथ बिज़्नेस ट्रिप पे लेकर चले गये. मई साँझ गयी की मेरी दूं दार चुदाई होने वाली है. मई अंदर ही अंदर खुश भी थी.
पापा मुझे फ्लाइट से इंडोरे से देल्ही ले गये. हम वाहा की लोवे रोज़ होटेल मई रुके. पापा ने रूम भी एक ही लिया था. मई रूम मई जाते ही नहा कर फ्रेश हो गयी. फिर पापा ने बोला.
पापा: सुन रॅंड साली जो खाना है रूम मई माँगा के खा लेना. रूम से भर कदम रखने की हिम्मत भी मत करना. मई तुझाई यहा अपनी ज़रूरते पूरी करने लाया हूँ, तुझाई घूमने नही.
मई साँझ गयी की पापा ने पी रखी है. वो तभी ही मुझे रॅंड के कर बुलते है. मुझे तोरा बुरा लगा मगर अंदर से हॉर्नी फीलिंग आ रही थी.
मई : जी पापा. जैसा आप बोले.
पापा: मई बेर जा रहा हू काम से. वापिस आ के तेरी प्यास बुझता हू.
ऐसा बोलके वो रूम से बाहर चले गये. मई भी खाना खा कर सो गयी. शाम को मेरी आँख खुली. थोरी देर बाद पापा वापिस आए मगेर उनके साथ उनका एक क्लाइंट था और उनके हाथ मई एक महेंगी दारू की बॉटले भी थी.
उन्होने ने रूम सर्विस को कॉल कर के आइस और ग्लास माँगा लिए. फिर पापा ने मुझे उनके क्लाइंट से इंट्रोड्यूस कराया. उनका नाम प्रतीक था और वो कोई बहुत बारे ऑफीसर थे.
वो दोनो चेर पे बैठ गये और पापा ने मुझे ड्रिंक बनाए को कहा. मैने पहले भी पापा के लिए ड्रिंक बनाया था तो मैने वैसे ही बना दिया. फिर पापा ने बोला.
पापा: तेरे इलिए एक ड्रेस है मेरे बाग मई जा उससे जल्दी से पहें के आ जा.
मई घनरा गयी. जब मैने ड्रेस देखा तो वो जालीदार रेड बिकिनी था. पहले तो मई नर्वस हो गयी. फिर पापा ने मुझे ज़ोर से दाता. जाती है की नही साली रॅंड जा जाके चेंज कर के आ.
मई घबरा कर बातरूम मई चली गयी. पीछे से पापा आए और मुझे धँकते हुए कहा.
पापा: देख ये आदमी बहुत इंपॉर्टेंट है मेरे नये काम के लिए मुझे इसके सिग्नेचर चाहिए. और ये पेसे भी नही लेता इससे बस लड़कीो का शौक है. तू चुप छाप से इससे खुस कर दे नही तो तेरी नंगी तस्वीरे तेरी मा को दिखा दूँगा.
मई दर गयी और रोने लगी की ये तो एक पराया मर्द है. आप की बात अलग है मगर मई इससे कैसे छुड़वा लू.
पापा ने मेरे बाल खिचते हुए कहा की “अगर इसने पेपर्स मई साइन नही किया तो मेरा काम शुरू होने से पहले ख़तम हो जाएगा. तो तू ये नाटक बंद कर और चुप छाप बाहर आ जा”.
मैने दर के मारे हन कह दिया. मेरे पास और कोई रास्ता भी नही था. फिर पापा बाहर जा ल्र दारू पीने लगे मई भी कापरे बदल लिए.
उस बिकिनी मई से मेरे बूब्स सॉफ सॉफ दिख रहे थे. बिकिनी भी एक साइज़ छोटी थी तो मेरे बूब्स और टाइट लग रहे थे. मई घबराते हुए बाहर निकली.
पापा: अरे शरमाओ मत ये तुम्हारे पापा जैसे ही है आओ इनकी ड्रिंक बनाओ.
मई घबराते हुए उनके पास गयी और उनकी ड्रिंक बनाने लगी. अंकल ने मेरी गंद पे एक ज़ोर का टप्पड़ मारा. उनके हाथ का दाग मेरी गंद प्र छाप गया. मई चाह के भी कुछ नही कर पाई.
फिर उन्होने ने खिच कर मुझे अपनी जंगो पे बिता लिया और मेरी पनटी मई हाथ डाल के मेरी छूट मसालने लगे. सुरू मई तो मुझे बुल्कुल अक्चा नही लगा मगर धीरे धीरे मुझे मज़ा आने लगा और मई गीली होने लगी.
अंकल को भी ये बात साँझ मई आ गयी. उनकी ड्रिंक ख़तम हो गयी थी तो उन्होने मुझे फिर से ड्रिंक बनाए को कहा मई ड्रिंक बनाने के लिए खरी हुई तो उन्होने मेरी पनटी उतार दी. और मेरे छूट मई मु डाल कर चाटने लगे. मुझे एकद्ूम से मज़ा आना शुरू हो गया. मेरे पापा वही बैठे दारू पी रहे थे.
थोरी देर उन्होने वैसे ही मेरी छूट छाती मई तोरा तोरा मोन करना भी शुरू कर दिया फिर मई झार गयी. फिर अंकल ना मुझे अपने जाँघो पे बिताया और मेरे बूब्स को ब्रा से बाहर निकल कर उससे चूसने लगे.
बीच बीच मई वो मेरे बूब्स पे दाँत भी काट रहे थे. मुझे बहुत दर्द हो रहा था एक बार तो उन्होने ने ज़ोर से दाँत काट लिया मई चिल्ला उठी उनके दांतो के निशान मेरे बूब्स प्र छाप गये थे.
ऐसे ही कुछ देर उन दोनो ने मेरे साथ खेला कभी पापा मेरे बूब्स चूस्ते, कभी अंकल मेरी छूट मई उंगली करते तो मेरे बदन पे दारू गिरा कर उससे चाटते, तो कभी मेरे गंद प्र टप्पड़ मरते जाड़ा ट्र वक़्त मैने भी एंजाय किया. हन कभी कभी दर्द होता था प्र उन दोनो को इनसे कोई फ़र्क नही परा.
पूरे नशे मई अंकल ने मुझे अपने काढ़े पे उठा के बेड प्र पता दिया. मई उनकी ताक़त से हैरान रह गयी.
फिर उन्होने अपना लंड बाहर निकल कर बोला “देखते है तेरे पापा जो बोलते है की तू इंडोरे की सबसे बरी मस्त रॅंड है वो सच है की नही.”
ऐसा बोलके उन्होने ने अपना 8 इंच का लंड मेरे मु मई डालकर मेरे मु को छोड़ने लगे. मुझे बहुत दर्द हो रहा था मगर मई कुछ नही कर पा रही थी उन्होने मेरा सिर पाकारा हुआ था. उनका लंड मेरे गले ट्के पहुच जा रहा था. उन्होने ऐसे मुझे 10 मीं ट्के छोड़ा मेरे आँखो से आँसू आने लगे दर्द के कारण मगर मुझे मज़ा भी आ रहा था.
फिर उन्होने मुझे दुबारा उठा के पलट दिया मानो मई कोई इंसान नही आलू की बोरी हू. और बिना पूछे लंड ज़ोर से मेरी छूट मई डाल कर मेरी चुदाई शुरू की. मई दर्द से चिल्ला उठी अचानक से 8 इंच का लंड पूरा का पूरा किसी के अंदर घुस जाए उससे दर्द तो होगा ही मगर मेरे आवाज़ किसी ने ना सुनी.
थोरी देर बाद मुझे खुद ही आराम हुआ और मज़ा आना सुरू हुआ. मई मोन करने लगी तभी पापा उठ कर आए और मेरे मु मई अपना लंड दे दिया.
मुझे खूब मज़ा आने लगा तभी अंकल अपना लंड मेरी छूट से निकल कर मेरी गंद प्र सहलाने लगे मई समझ गयी की ये मेरी गंद छोड़ने चाहते है मैने पापा को इशारो मई रिक्वेस्ट किया की अंकल को माना करे की मेरी गंद ना छोड़े मेरी गंद आज ट्के किसी ने नही मारी थी.
मगर पापा ने घुस्से से आँख दिखा कर मुझे चुप रहने को कहा और दुबारा लंड मेरे मु मई दे के मु को छोड़ने लगे.
अंकल लंड से मेरी गंद पे ज़ोर लगाया मगर वो अंडर नही जा रहा था. तो अंकल मई बॉटल मई की दारू थोरी मेरे गंद पे डाल कर ज़ोर लगाने लगे. मई दर्द से तितरबितर हो गयी. धीरे ढेरे उनका लंड मेरी गंद मई फिट हो गया.
मुझे बहुत दर्द हो रहा था मगर एक जीत जैसी फीलिंग भी आ रही थी की आज मैने अपने गंद की वर्जिनिटी भी गावा दी. फिर अंकल ने मेरी गंद छोड़ना चालू किया पहले तो कूब दर्द हुआ मगर धीरे ढेरे मज़ा आने लगा. थोरी देर बाद मई मोन भी करने लगी.
फिर अंकल ने मेरे पापा को बोला आप भी अपनी देते की छूट की चुदाई कर लिए दोनो साथ मई मरते है. मई तो दर गयी मगर पापा नही रुके उन्होने मुझे अपने उपेर लेके लंड मेरी छूट मई फिर किया अभी अंकल का लंड मेरे गंद मई ही था.
फिर दोनो ने साथ मई मेरी गंद और छूट की चुदाई की इतना दर्द मुझे आज ट्के नही हुआ था. ऐसे ही कुछ देर चलता रहा थोरी थोरू देर पे दोनो बदली भी कर रहे थे. कभी अंकल मेरी गंद मरते और पापा मेरी छूट तो कभी अंकल मेरी छूट मरते और पापा मेरी गंद.
लभाग 15 मीं दोनो ने साथ मई मेरे अंदर अपना माल चोर दिया अंकल ने मेरी गंद मई और पापा मेरी छूट मई. मई तक के वही लेट गयी. दोनो फिर बैठ के दारू पीने लगे और मई वही दर्द मई पारी रही.
मई यूयेसेस वक़्त दर्द मई थी मगर एक जीत की फीलिंग भी आ रही थी की आज मैने दो लोगो से साथ मई छुड़वा लिया है. और मुझे दुबारा मौका मिलने पे मई ज़रूर ऐसा बुबरा करूँगी.
देर रात अंकल ने पेपर्स पे साइन कर दिए. और मेरा नंबर भी ले लिया की कभी वो इंडोरे आए तो मेरी चुदाई कर सके. अगली सुबा हम वापिस इंडोरे आ गये. कई दीनो ट्के मई ठीक से चल बैठ नही पा रही थी मगर अंडर से संत्ुस्त थी. पापा का भी काम बिना किसी रुकावट के शुरू हो गया.
इसके बाद भी कई ऐसे मौके आए की मुझे लोगो से पापा के कहने पे छुड़वाना परा मेरा गंगबांग भी हुआ कई बार. ये कहानी कभी और सुनौँगी. तब तक के लिए आपको मेरी कहानी कैसी लगी कॉमेंट मई ज़रूर बताए.