बगल वाली आंटी टीवी देखने आई तो उनकी गदराई चूत मारने को मिल गयी

हेल्लो दोस्तों, मैं antarvasna.live का बहुत बड़ा प्रशंशक हूँ। मेरा नाम अर्जुन है। कुछ सालों पहले मेरे एक दोस्त ने मुझे इस वेबसाइट के बारे में बताया था, तब से मैं रोज यहाँ की मस्त मस्त कहानियां पढता हूँ और मजे लेता हूँ। मैं अपने दूसरे दोस्तों को भी इसे पढने को कहता हूँ। पर दोस्तों, आज मैं antarvasna.live पर स्टोरी पढ़ने नही, स्टोरी सुनाने हाजिर हुआ हूँ। आशा करता हूँ की यह कहानी सभी पाठकों को जरुर पसंद आएगी। ये मेरी सच्ची कहानी है।
दोस्तों ये कुछ साल पहले की बात है। उस समय सिर्फ मेरे ही घर में टीवी हुआ करता था क्यूंकि उस जमाने में टीवी बहुत महँगा हुआ करता था और कुछ लोग ही इसे खरीद पाते थे। नया नया टीवी चला था और मेरे पापा को टीवी देखने का बहुत शौक था इसलिए वो ले आये थे। धीरे धीरे मेरे मोहल्ले के सब लोग मेरे घर टीवी देखने आने लगे। उस समय महाभारत सीरियल टीवी पर आता था। जो बहुत प्रसिद्ध सिरिअल था। मेरे मोहल्ले के सब लोग मेरे घर टीवी देखने आते थे। बच्चे तो बच्चे बड़े और बूढ़े भी मेरे घर टीवी देखने आया करते थे। दोस्तों मेरे घर के बगल में गुप्ता आंटी रहती थी। वो स्वभाव से बहुत लालची औरत थी और मेरे घर आकर रोज दूध, चीनी, सब्जी, रोटी, ब्रेड माँगा करती थी। भगवान जाने वो कैसी लालची औरत थी की उसे सामान मांगने में बिलकुल शर्म नही आती थी।

बाद में मुझे पता चला की वो अपने पति से खर्च के लिए पैसे मांग लेती थी पर सारे पैसों को वो बचा लेती थी और ऐसे ही काम चला लेती थी। हम लोग उनहे गुप्ता आंटी कहते थे क्यूंकि वो गुप्ता जाति की थी। बाद में धीरे धीरे मुझे उनके चाल चलन में बारे में पता चला। उसके पति के नौकरी पर जाते ही उसके घर में कई मर्द आते थे और बारी बारी से उसकी चूत बजाते थे। जमकर उसकी रसीली बुर में लंड खिलाते थे और गुप्ता आंटी की चूत की आग की शांत करते थे। वो गैर मर्दों से पैसो के लिए छिपकर चुदवा लेती थी। उसकी चुदाई की बात उसके पति को नही मालुम थी वरना वो उसकी माँ चोद देता। धीरे धीरे मुझे गुप्ता आंटी के चाल चलन के बारे में सब कुछ पता चल गया था।

दोस्तों वो लालची भले ही हो पर उसका बदन बिलकुल भरा हुआ था। धीरे धीरे मैं जब भी उसे देख लेता मेरा लंड खड़ा हो जाता था। गुप्ता आंटी के २ खूबसूरत बच्चे थे प्रियंका और राहुल। दोनों बच्चे दूध जैसे सफ़ेद थे पर गुप्ता जी तो बहुत काले थे। इसी से पता चलता था की वो गुप्ता अंकल के बच्चे नही थे। बल्कि गुप्ता आंटी जिन मर्दों को घर में बुलाकर चुदवा लेती थी वो बच्चे उनके ही थे। पर गुप्ता अंकल गोरे बच्चों को देखकर बहुत खुश थे। उनको अपनी चुदकक्ड बीबी के बारे में कुछ पता नही था। धीरे धीरे मैं जान गया की अगर मैं गुप्ता आंटी को पटा लूँ तो इसकी चूत मुझे जरुर मिल जाएगी। इसलिए मैं अपने मिशन पर लग गया। मैं गुप्ता आंटी को खूब मस्का लगाने लगा और उसने हंस हंसकर बात करने लगा।

जब वो मेरे घर कुछ मांगने आती तो मैं उनको दे देता। फिर गुप्ता आंटी मेरे घर महाभारत सिरिअल देखने आने लगी। उस जमाने में इस नाटक को बहुत अच्छा और मजेदार नाटक माना जाता था। ये रविवार को शाम को आया करता था तो सड़के खाली हो जाया करती थी। दुकानदार अपनी दुकाने बंद करके महाभारत देखने चले जाया करते थे। दोस्तों धीरे धीरे गुप्ता आंटी मेरे घर में महाभारत देखने आने लगी। उनको टीवी देखने का बहुत शौंक था। मेरे मोहल्ले के बच्चे भी मेरे घर टीवी देखने आया करते थे। मेरा घर लोगो से भर जाया करता था। मुझे अच्छी तरह से मालूम था की गुप्ता आंटी एक नम्बर की अल्टर माल है और उनको नये नये लंड खाने का बड़ा शौक है। पर वो पैसे की लालची औरत थी। उस जमाने में ५० रूपए की बड़ी वैलू हुआ करती थी और ५० रुपया ५०० रूपए के बराबर माना जाता था। मैं अच्छे से जानता था की अगर मैं गुप्ता आंटी से उसकी रसीली बुर मागूंगा तो वो मुझसे पैसे जरुर मांगेगी इसलिए मेरे पास टीवी ही एक हथियार था। अगले रविवार को जैसे ही गुप्ता आंटी टीवी देखने आई मैंने टीवी बंद कर दिया और स्टैबलाइजर के पीछे वाली बटन मैंने जला दी। बिजली का वोलटेज जादा हो गया और लाल बत्ती जलने लगी और टीवी बंद हो गया।

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“अरे अर्जुन बेटा….जल्दी से टीवी खोल। महाभारत शुरू हो गया है!!” गुप्ता आंटी बोली
“आंटी टीवी में कुछ खराबी आ गयी है और टीवी नही चलेगा!!” मैंने कहा
ये सुनते ही गुप्ता आंटी बड़ी बेचैन हो गयी। टीवी उनकी कमजोरी थी। ये बात मैं अच्छे से जानता था। आंटी रोज किसी न किसी मर्द को घर में बुलाकर चुदवा लेती थी और पैसा कमा लेती थी। उनके पास पैसे ही कमी नही थी। उन्होंने तुरंत अपने कसे ब्लाउस में हाथ डाला और एक छोटा सा पर्स निकाला और उसमे ने मुझे ५० रूपए का नोट तुरंत दे दिया।
“जाओ अर्जुन बेटा, भागकर मिस्त्री बुला लाओ और जल्दी से टीवी बनवा दो!!” गुप्ता आंटी बोली और उनके जाते ही मैंने स्टैबलाइजर की पीछे की बटन दबा दी और टीवी शुरू हो गया। कुछ देर में आंटी आकर देखने लगी। आज मेरा उनको चोदने का फुल मूड था। मेरी मम्मी घर के दूसरे कमरे में काम कर रही थी।

मैं गुप्ता आंटी के लिए गरमा गर्म चाय बना लाया और उनको दे दी। “अरे वाह अर्जुन बेटा…क्या बात है आज तू मुझे बड़ा मस्का मार रहा है!!” गुप्ता आंटी बोली। मैं हंस दिया और उसके पास ही बैठकर महाभारत देखने लग गया। दोस्तों उस जमाने में लोग इतने अमीर नही हुआ करते थे। सोफे किसी के पास नही हुआ करते थे। हम लोग भी जमींन पर बोरा बिछाकर टीवी देखा करते थे। मैं भी गुप्ता आंटी के बगल दीवाल से टेक लगाकर टीवी देख रहा था। धीरे धीरे मैं अपने हाथ से आंटी के पैर को छूने लगा। कुछ देर में वो जान गयी।
“अर्जुन बेटा!! ये क्या कर रहे हो!!!” गुप्ता आंटी हंसकर बोली। दोस्तों वो कभी गुस्सा नही करती थी। हमेशा हंसती रहती थी। गुस्सा करना तो जैसे उनको आता ही नही था।

“आंटी आप इतनी खूबसूरत हो की जब भी आपको देखता हूँ मुझे कुछ कुछ होने लग जाता है!!” मैंने मस्का लगाया। वो मुस्कुरा दी
“अर्जुन साफ साफ बता की तुझे क्या चाहिए???” गुप्ता आंटी बोली। दोस्तों वो बहुत गोल मटोल मस्त माल थी। रंग बिलकुल गोरा था, जिस्म भरा हुआ था। फिगर 38 36 32 का था। उनको देखते ही मेरा उनकी रसीली चूत मारने का दिल करने लग जाता था। आज तो मैं अच्छे से सोच लिया था की आज उनको कसके चोदना था।
“आंटी!! बाहर बाहर के मर्द आपको चोद लेते है। आपके हुस्न की जवानी को पी लेते है और मैं तो आपके बगल ही रहता हूँ। फिर भी मैं प्यासा हूँ। आंटी मुझे आपकी मस्त चूत चोदनी है!” मैंने साफ साफ बक दिया। एक बार तो गुप्ता आंटी को जैसे सांप सूंघ गया। कुछ देर के लिए वो बिलकुल चुप हो गयी।

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“तूने कब देखा की बाहर बाहर के मर्दों का लंड खाती हूँ???” आंटी ने मुझसे पूछा
“आंटी! मैं कोई अंधा तो हूँ नही। जैसे ही गुप्ता अंकल अपनी नौकरी पर चले जाते है फिर नये नये मर्द आपके घर में रोज आते है और ३ ३ ४ ४ घंटे बाद बाहर निकलते है। अब आप उन मर्दों के साथ तबला तो बजाइंगी नही!!!” मैंने कहा
“अर्जुन बेटा, वो सब मोटा पैसा खर्च करते है। तब मैं उनको अपनी रसीली बुर चोदने के लिए देती हूँ!!” आंटी बोली
“आंटी मेरे पास भी पैसा है। आप मुझे चूत मारने को दे दो। मैं आपको पैसा दे दूंगा!!” मैंने कहा
उसके पास अगले दिन जैसे ही गुप्ता अंकल अपनी नौकरी पर गये गुप्ता आंटी ने मुझे अपने घर में बुला लिया। उसके बच्चे प्रियंका और राहुल स्कुल पढने गये हुए थे। इसी खाली समय में वो रोज नये नये मर्दों का लम्बा लम्बा लंड खाती थी और जमकर अपनी चूत चुदवाती थी। मेरा काम बन गया था। आज मैं अपनी बगल वाली आंटी को जी भरके चोदने खाने वाला था। गुप्ता आंटी मुझे अंदर बेडरूम में ले गयी। और हम दोनों बिस्तर पर जाकर लेट गये। मैंने आंटी को पकड़ लिया और होठो पर किस करने लगा। वो बहुत खूबसूरत और मस्त माल औरत थी। उनके चुच्चे तो बहुत बड़े बड़े थे। धीरे धीरे वो नीचे चली गयी और मैं उनके उपर आ गया। हम दोनों लेटकर किस करने लगे। आंटी ने गुलाबी रंग की बड़ी गहरी लिपस्टिक लगा रखी थी जिसे मैं पूरा का पूरा चूसता जा रहा था।

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कुछ ही देर में हम दोनों गरमा गये। मैंने धीरे धीरे उनकी साडी निकालने लगा। कुछ ही देर में मैंने गुप्ता आंटी की साड़ी निकलकर दूर फेक दी। मुझे उनके गहरे ब्लाउस के दर्शन हो रहे थे। उनके बहुत ही सुंदर मुलायम ३८” के दूध के दर्शन मुझे आंटी के गहरे गले वाले ब्लाउस से हो रहे थे। दोस्तों मैं रोज आंटी को देखकर मुठ मार लेता था पर कभी सोचा नही था की एक दिन उनकी चूत मारने को मिलेगी। मैं पागल हो गया था और उसके ब्लाउस के उपर से ही मैं उनके मम्मो को दबाने लगा। आंटी “आआआअह्हह्हह……ईईईईईईई….ओह्ह्ह्हह्ह….अई. .अई..अई…..अई..मम्मी….” की आवाज निकालने लगी। शायद उनको भी बहुत मजा आ रहा था। मैं उसके गहरे गले वाले ब्लाउस के उपर से उनके मुलायम चुच्चों को दबा रहा था। मुझे बहुत मजा आ रहा था। कुछ देर में मैंने उनका ब्लाउस खोल लिया और निकाल कर फेक दिया। गुप्ता आंटी से चुस्त गुलाबी रंग की ब्रा पहन रखी थी। वो ब्रा में तो और भी जादा हसीन लग रही थी। मैं जुगाड़ करके उनकी ब्रा खोल दी और दूर फेक दी

अब मेरे बगल वाली गुप्ता आंटी मेरे सामने बिलकुल नंगी हो गयी थी। उनके ३८” के भरे हुए चुच्चों को देखकर मेरा होश उड़ रहा था। मैं आंटी के उपर ही लेट गया और अपने हाथ से उनके स्तनों को दबाने लगा। वो मचलने लगी। दोस्तों आंटी के कबूतर इतने बड़े बड़े नर्म नर्म थे की मुस्किल से मेरे हाथो में आ पा रहे थे। मुझे उनके कबूतर दबाने को जन्नत का मजा मिल रहा था। आज इस घर के माल को मुझे कसकर चोदना था। मैं आंटी के उपर लेट गया और मुंह लगाकर उनके शानदार थनों को मुंह में लेके पीने लगा। मुझे लगा की मैं स्वर्ग में आ गया हूँ। मैं हाथ से गुप्ता आंटी जैसी मस्त चोदने पेलने लायक माल के मम्मे दबा देता था। वो “……मम्मी…मम्मी…..सी सी सी सी.. हा हा हा …..ऊऊऊ ….ऊँ. .ऊँ…ऊँ…उनहूँ उनहूँ..” कहने लग जाती थी। दोस्तों बड़ी देर तक ये मनोरंजक खेल चलता रहा।

मैं जी भर के उनके गोल गोल बहुत ही खूबसूरत मम्मो को हाथ से जोर जोर से दबाया और मुंह में लेकर चूसता रहा। आंटी भी मुझे बहुत प्यार कर रही थी। उन्होंने मुझे दोनों बाहों में भर रखा था और किस कर रही थी। मेरे गाल पर किस कर देती थी। मेरे चेहरे को चूम लेती थी और मेरे होठो को चूमने लग जाती थी। ऐसा लग रहा था की वो मेरी आंटी नही बल्कि असली वाली बीबी है। फिर मैंने उनके पेटीकोट का नारा खोल दिया और निकाल दिया। गुप्ता आंटी से तिकोनी जालीदार पेंटी पहन रखी थी। जिसमे वो बहुत सेक्सी और हॉट माल लग रही थी। मैंने उनकी पेंटी को खीचकर निकाल दिया। अब गुप्ता आंटी मेरे सामने पूरी तरह से नंगी थी। मैं उनके पेट को चूमने लगा और धीरे धीरे मैं नीचे बढ़ने लगा।

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कुछ देर में मैं उनकी चूत पर पहुच गया था। बाप रे!! आंटी की चूत तो बहुत चिकनी, साफ ,सुंदर और बहुत ही खूबसूरत थी। मैं मुंह लगाकर उसकी खूबसूरत बुर को चाटने लगा। उधर गुप्ता आंटी की मजे मारने लगी। उनको भी फुल मजा आ रहा था। आंटी रोज नये नये मर्दों का लंड खाती थी इसलिए रोज अपनी झाटों को साफ़ कर लेती थी। मैं किसी कुत्ते की तरह उनकी चिकनी बुर को चाट रहा था। वो “ओह्ह्ह्ह माँ।।। अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह।।।। उ उ उ।।।चूसो चूसो।।।।।और चूसो।।।मेरी चूत को।।।।अच्छे से पियो मेरी बुर” चिल्ला रही थी। उनको अपनी चूत को गैर मर्दों से चुस्वाने का बड़ा शौक था। उनको अपनी चूत पिलाना अच्छा लगता था। कुछ देर बाद मैं अपना ७” का लंड आंटी के भोसड़े में डाल दिया और उनको चोदने लगा।

किसी पेशेवर रंडी की तरह आंटी मुझसे चुदवा रही थी। “ओह्ह माँ….ओह्ह माँ…आह आह उ उ उ उ उ…..अअअअअ आआआआ…” बोल बोलकर वो चुदवाने लगी और गपागप मेरा ७ इंच का मोटा लंड खाने लगी। दोस्तों आज मेरी जिन्दगी का शायद सबसे खूबसूरत दिन था। रोज मैं सुबह शाम जिस खूबसूरत औरत को देखा करता था आज मैं उसकी रसीली बुर को चोद रहा था। गुप्ता आंटी की चूत मारना मेरे लिए एक बहुत बड़ी बात थी। मैंने अपनी बाहों में उनको लपेट लिया था और उनको अपनी औरत की तरह चोद रहा था, उसकी चिकनी चूत को बजा रहा था। वो नंगी तो बहुत खूबसूरत लग रही थी। कपड़ों में भी वो बहुत अच्छी लगती थी पर मेरा हमेशा से ये सपना था की एक दिन उनको नंगा करके मैं उनकी रसीली चूत मारू और ऐश करूँ।

कुछ देर बाद मैंने अपनी रफ्तार बढ़ा दी और जल्दी जल्दी उनकी बुर चोदने लगा। मैं गुप्ता आंटी को गाल, चेहरे और होठो पर चूम लेता था और उसके होठ पी लेता था। वो एक चुदकक्ड औरत थी पर थी बहुत खूबसूरत माल। मैं उनको जल्दी जल्दी पेलने लगा और मेरा लौड़ा तो उनकी चूत के छेद में जाकर और भी जादा मोटा हो गया था। मुझे सेक्स और वासना का नशा चढ़ गया था। मैं जल्दी जल्दी गुप्ता आंटी को बजाने लगा और ४० मिनट मैंने उनको बिना रुके चोदा। फिर अपना लौड़ा निकालकर मैंने अपना माल उनके खूबसूरत चेहरे पर गिरा दिया। मेरे मोटे लौड़े से ८ १० पिचकारी माल की निकली जो सीधा गुप्ता आंटी के खूबसूरत चेहरे पर जाकर गिरा। वो बिलकुल चुदासी हो गयी और मेरे माल को जीभ निकालकर चाटने लगी। उसके बाद दोस्तों मैंने उनको अपनी कमर पर लंड पर बिठाकर ढेड़ घंटे चोदा। उसके बाद मैंने जो ५० रूपए उसने लिए थे वो ही उनको वापिस कर दिए। वो चुदवाकर खुश हो गयी। क्यूंकि आज उनको पैसे भी मिल गये थे। उसके बाद गुप्ता आंटी मुझसे सेट हो गयी थी और जब मैं कहता है मुझे चूत दे दिया करती थी और मुझसे चुदवा लिया करती थी। कहानी आपको कैसे लगी, अपनी कमेंट्स antarvasna.live पर जरुर दे।

आपने antarvasna.live में अभी-अभी हॉट कहानी आनंद लिया लिया आनंद जारी रखने के लिए अगली कहानी पढ़े..
antarvasna.live में कहानी पढ़ने के लिये आपका धन्यवाद, हमारी कोशिश है की हम आपको बेहतर कंटेंट देते रहे!

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