बचपन का अधूरा खेल

हेलो दोस्तो मेरा नाम सुमित है और मेरी आगे 32यियर्ज़ की है. मैं अवी कोलकाता मे रहता हू. मेरी हाइट 5’8″ है. मैं रेग्युलर जिम जाता हू जिस से मेरी बॉडी एक दूं फिट है.

इस कहानी की हेरोयिन मेरी कज़िन सिस्टर है वो मेरे से 8 साल बड़ी है उसका नाम मीनाक्षी है और वो अवी 2 बचो की मम्मी है. मीनाक्षी की हाइट 5’7″ है आंड साइज़ 34-30-34 है. बुत सबसे खूबसूरत उसकी कातिलाना आँखे और रोज़ी रोज़ी लिप्स है.

अब सीधा कहानी पे आता हू.

ये बात बचपन की है जब मैं 4 साल का था और मीनाक्षी 12 साल की थी और हम लोग गाओं मे ही रहते थे. दीदी का घर और मेरा घर की एक ही दीवार है. मैं मीनाक्षी को हमएसा दीदी बुलाता था (बीटी अब मैं उसे अकेले मे मीनाक्षी ही बुलाता हू). मैं उनसे बहुत ज़्यादा क्लोज़ था, वो अक्सर मुझे अपने साथ मे सुलाती थी, साथ मे ही खाना खिलती थी,साथ मे स्कूल लेके जाती थी और साथ मे ही नहलाती थी.

एक बार मैं मीनाक्षी दीदी के घर गया तो उस दिन दीदी बहुत ही खूबसूरत लग रही थी. मैने दीदी से बोला की दीदी आज आप बहुत खूबसूरत लग रही हो तब दीदी मे मुझे गाल के किस किया और थॅंक योउ बोला.

कुछ दिन के बात दीदी मेरे घर आई उस दिन मैं न्यू कपड़े पहने हुए था. तब दी ने मुझे बोला की आज तू बड़ा स्मार्ट लग रहा है. मैने दीदी को नीचे जुक्ने का इशारा किया. जैसे ही दीदी नीचे जुखी मैने उनके गाल को किस करके थॅंक योउ बोला तो दीदी ने अपनी कातिलाना स्माइल दी.

एक दिन मैं दीदी के घर गया तो दीदी ऐसे ही बैठी थी. मुझे देख के दीदी खुश हो गयी और बोली की अछा हुआ तू आ गया मैं बैठे बैठे बोर हो गयी. अपने कुछ खेलते खेलते है. तब मैने बोला क्या खेले.?

मीनाक्षी – चल सुमित अपने डॉक्टर डॉक्टर खेलते है.

सुमित – दीदी मुझे तो आता नही है

मीनाक्षी – मैं तुम्हे शीका दूँगी, मैं ड्र बनती हू और तुम पेशेंट.

सुमित – ओके दीदी.

मीनाक्षी – पहले तुम मेरे पास आओ और बोलो पेट मे दर्द हो रहा है.

सुमित – ड्र ड्र मेरे पेट मे बहुत दर्द हो रहा है.

मीनाक्षी – ठीक है बेड पे सो जाओ.

दीदी ने मेरे पेट के उपर हाथ फेर के बोला की टेस्टिंग करनी पड़ेगी उसके लिए कपड़े उतरो. मैने त शर्ट आंड निक्कर उतार दी. अब मैं पूरा नंगा हो गया. तब दी ने बोला आँख बंद कार्लो. मैं आँख बंद करके सो गया. अब दी ने सबसे पहले मेरा पेट मे हाथ रखा फिर धीरे धीरे नीचे आके मेरे लंड को पकड़ के बोली.

मीनाक्षी -प्राब्लम यहा है, इसका इलाज करना पड़ेगा.

सुमित – प्लीज़ ड्र इलाज कीजिए बहुत दर्द हो रहा है.

तब दीदी ने मेरे लंड को पकड़ के उपर नीचे करने लगी मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था.

सुमित – आआआः आआआः दी बहुत मज़ा आ रा है.

म – दी नही ड्र हू मैं.

सुमित – सॉरी ड्र अब बहुत ठीक लग रहा है, दर्द मे बहुत फ़र्क है.

मीनाक्षी – गुड, अवी इस्पे मेडिसिन लगाना बाकी है.

इतना कहते ही दीदी ने मेरा लंड अपने मे ले लिया और जैसे कोई बचा लोलीपोप को चूस्ता है वैसे ही दी मेरे लंड को लोलीपोप की तरह चूसने लगी. मैं तो जैसे स्वर्ग मे पहुँच गया 5 मीं चूसने के बाद दीदी ने बोला-

मीनाक्षी – तुमको 7 दिन डेली ये ट्रेआतुमेंट करवाना है तुंरा सारा दर्द दूर हो जाएगा.

सुमित – ओक ड्र.

मीनाक्षी – ये बात किसीकि बताना मत अगर तुमको और भी मज़ा लेना हो तो.

सुमित – ओक दीदी किसी को नही बोलूँगा.

ऐसे ही 7 दिन ट्के दीदी ड्र बनी और मैं पेशेंट और ऐसे ही डेली मेरा लंड के साथ खेलती क्बी चुस्ती ये खेल चलता रहा. फिर 7 दिन बाद मे दीदी ने मुझे बोला की अब तू ड्र बन और मैं पेशेंट. मैने कहा ओक.

मीनाक्षी – ड्र साहब मेरे सिने मे बहुत दर्द हो रहा है.

सुमित – कहा पे दर्द हो रहा है?

मेरा दोनो हाथ पकड़ के अपने बूब्स पे रख दिया और बोली की पूरे बूब्स पे. (उस टाइम दीदी के बूब्स नीबू के जैसे छोटे छोटे थे). तब मैं दीदी के छोटे छोटे बूब्स को कपड़े के उपर से ज़ोर से दबा दिया दीदी ने ज़ोर से आआआआआहह छीलिया. मैं दर गया, तब दीदी ने बोला धीरे धीरे दब्ाओ. तब मैं धीरे-2 दबाने लगा. अब दी को भी मज़ा आने लगा.

मीनाक्षी – एससस्स ड्र साहब, बहुत मज़ा आ रहा है ऐसे ही फबते रहिए.

सुमित – अब कैसा लग रहा है?

मीनाक्षी – अब कुछ ठीक लग रहा है

ऐसे ही 3 दिन तक कपड़े के उपर से मीनाक्षी दीदी का बूब्स दबाने का खेल च्लता रहा. अगले दिन ज्ब खेल चालू हुआ तो मैने दी से बोला-

स – मीनाक्षी दीदी आज आपका पूरा चेक उप करना पड़ेगा और मालिश भी.

मीनाक्षी – दीदी नही अवी मैं पेशेंट हू.

स – सॉरी सॉरी, ओक मीनाक्षी अब रेडी हो जाओ आपका फुल चेक उप होगा और साथ मे मालिश भी.

मीनाक्षी – ओक ड्र.

सुमित – आप अपने सारे कपड़े उतार दो और लेट जाओ.

दी ने एक एक करके सारे कपड़े उतार दिए और नंगी होके सो गयी. मैने दी के बूब्स को हाथ लगाया तो ऐसा लगा जैसे मैने कोई कॉटन की बॉल को हाथ लगौआ हू. अब मैं हल्के हल्के कॉटन के बॉल के जैसे बूब्स को दबाने लगा. दी को भी मज़ा आने लगा

मीनाक्षी – एसस्स्स्सस्स ड्र साहब ऐसे ही मसालते रहिए, बहुत रिलीफ लग रहा है.

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