अब आयेज…
मैं बेड पर लेती रहती हूँ तभी राकेश सिर कार पार्क कर के उपर आजाते हैं. और मुझसे बोलते माही तैयारी करो चलने की 10:25 की फ्लाइट है हम लोगो की और टाइम सुबह के 6 बजने वेल हैं. इंटरनॅशनल फ्लाइट सो कम से कम 4 घंटे पहले तो एरपोर्ट जाना ही होगा. एरपोर्ट जाने में भी तो कुछ टाइम लगेगा.
कामन हरी उप, हरी उप!
मैं – सिर मैं इस हालत में क्या रेडी हूँ बस कपड़े पहन लेती हूँ और क्या..?
राकेश सिर – हा जो भी करना है जल्दी करो.
मैं – सिर मेरा सूटकेस आप ही को पॅक करना होगा.
राकेश सिर – ओक, ओके.
राकेश सिर पहले अपना सूटकेस जल्दी से पॅक करते हैं और फिर जल्दी से रेडी हो जाते हैं.
मैं राकेश सिर से बोली सिर आप मेरा सूटकेस लेकर इधर आ जाओ उसमे से जो ज़्यादा कंफर्टबल क्लोद्स होगा वो मैं पहन लूँगी.
राकेश सिर ऐसा ही करते हैं.
फिर मुझे कुछ भी साँझ में नही आरहा था की क्या पहनु जो कंफर्टबल हो.
राकेश सिर ने कहा माही तुम जीन्स तो पहन नही सकती हो. तो सिर्फ़ एक ही ऑप्षन बचता है वन पीस ड्रेस या फिर स्कर्ट टॉप पहन लो.
मैं बोली हा सिर बुत वन पीस ड्रेस तो बहुत टाइट फिटिंग होंगे जो की इस सिचुयेशन में पहनना ठीक नही है. तो मैं ऐसा करती हूँ की स्कर्ट और टॉप ही पहन लेती हूँ.
राकेश सिर भी अग्री हो जाते हैं और मैं भी.
मैं पहले का पहना हुआ उपर का कपड़ा निकालने लगती हूँ. फिर मैने राकेश सिर को सहारा देने के लिए बोलती हूँ ताकि मैं स्कर्ट को डाल सकूँ.
तभी राकेश सिर बोलते हैं अरे माही तुम तो पनटी पे ही पहन रही हो. स्कर्ट याद है तुम्हे कुछ डॉक्टर ने क्या कहा था की एक क्रीम लिख रहा हूँ उसको 3 टाइम लगाना है और मालिश भी करना है. तो फिर ये सब कैसे कर पाओगे और वॉशरूम जाना हुआ तो कैसे जा पावगी?
मैं – बुत सिर इतने छ्होटे से स्कर्ट को विदाउट पनटी कैसे पहन लूँ वो भी इंटरनॅशनल ट्रॅवेलिंग में. मेरी तो दुर्दशा खराब हो जाएगी अगर मैने ऐसा किया तो.
राकेश सिर – सोच माही वॉशरूम और क्रीम लगाने वाली बात वो ज़्यादा ज़रूरी है तुम्हे ठीक होने के लिए. और वैसे भी तुम्हारा सीट तो ग्रूप के ही किसी आदमी के पास रहेगा फिर तुमको क्या प्राब्लम है. तोड़ा माइंड को कंट्रोल में रखना होगा और क्या विदाउट पनटी ही पहन लो.
यहाँ पर तो मैं पनटी पहना और खोल देता हूँ बुत फ्लाइट और एरपोर्ट पे जब नीड होगी तो खुद से खोल और पहन पावगी बोलो उस कंडीशन में अभी तुम.
मैं – नो सिर आपने उस कंडीशन में छ्चोड़ा ही कहा मुझे.
राकेश सिर शर्मिंदा हो जाते हैं और सॉरी ई आम रियली सॉरी बोलने लगते हैं.
मैं कुछ रिप्लाइ नही देती हूँ और फिर बोलती हूँ ठीक है पनटी उतरने में मेरी हेल्प कीजिए. राकेश सिर करने लगते हैं.
अभी भी छूट में स्वेल्लिंग और दर्द बरकरार था. पनटी उत्तर गयी और अब मैं स्कर्ट डालने लगी. वो स्कर्ट बहुत ही छ्होटा सा था, सिर्फ़ मेरी चूटरों और छूट को ढके हुए था. वो भी तब तक ही जब तक की मैं झुकती नही हूँ. अगर मैं तोरा सा भी झूली तो फिर मेरी छूट और गांद ले दर्शन सब को हो जाते.
मैं उपर से एक अच्छा सा टॉप डाल लेती हूँ और तोड़ा वॉशरूम में जा कर जल्दी से फ्रेश हो जाती हूँ और बिल्कुल रेडी हो जाती हूँ. और मेरा और राकेश सिर का सूटकेस भी पॅक्ड हो चुका था. अब बस निकलना था यहाँ से.
जैसा की मैइमे बताया की मैने विदाउट पनटी एक छोटा सा स्कर्ट (मरून कलर का) पहन लेती हूँ. मजबूरी में करती भी तो क्या करती और उपर से एक टॉप (क्रीम कलर का) पड़ेद ब्रा के उपर मैं एकद्ूम ह्टनेस की हद लग रही थी. मानो किसी हॉट आड का शूट के लिए इस टाइप का ड्रेस पहना हो और रियल्टी कुछ और थी. मैने ट्रॅवेलिंग के लिए ऐसा द्रीस पहना था वो भी इस टाइप की मजबूरी हो जाने पर.
राजेश सिर – वओ माही क्या लग रही हो क्या बेउती है तुम्हारे यार तुम तो आग का गोला हो गोला. देखना आज एरपोर्ट पे कितने पागल हो जाएँगे और तोड़ा तुम झुक गयी तब तो बात ही कुछ और हो जाएगी.
मैं सिर मैने सओख से ऐसा द्रीस नही पहना है मजबूरी थी मेरी कम से कम आप तो संजो इस बात को. आप ही तो हो इस मजबूरी के जड़. और रही बात झुकने की तो मैं अपने माइंड को बिल्कुल ही कॉंसोत्रेंट रखूँगी.
राकेश सिर – वो सब छ्चोड़ो अब चला जाए ना..
मैं – सिर एक बार निकालने से पहले कॉल कर पूछ लीजिए मेरा पासपोर्ट और वीसा डन हुआ या नही.
राकेश सिर – हा ठीक कह रही हो पूछता हूँ पीयूष से.
मैं – सिर आप डाइरेक्ट बात करो ना पाटिल सिर से.
राकेश सिर – ओक उन्ही से करता हूँ.
मैं – सिर, सिर कितने लोग और कौन कौन जा रहे हैं ये भी पूछ लीजिएगा.
राकेश सिर – ओक.
फिर राकेश सिर कॉल लगते हैं पाटिल सिर को-
राकेश सिर – गुड मॉर्निंग सिर.
ज.ज.पाटिल सिर – गुड मॉर्निंग राकेश बोलो?
राकेश सिर – सिर वो हुमलोग रेडी हो चुके हैं बस निकालने ही वेल हैं. लेकिन ये पूछना था की माही का पासपोर्ट और वीसा का हुआ?
ज.ज. पाटिल सिर – अरे तुम उसकी टेन्षन क्यूँ लेते हो पाटिल जो चाहेगा वो ना हो ऐसा कैसे कभी हो सकता है क्या? वो मेरा एक कालीग है पासपोर्ट डिपार्टमेंट में मैने उसको बोल दिया था कॉल कर के पासपोर्ट और वीसा कब का आ गया है सब रेडी है
राकेश सिर – थॅंकआइयू सिर, तो हम लोग निकलते हैं सिर एरपोर्ट के लिए.
पाटिल सिर – हा निकलो और हम लोग भी बस निकालने ही वेल हैं.
उस लड़की को ज़रा कॉल दो.
राकेश सिर – शुवर सिर जस्ट आ मिनिट.
राकेश सिर मुझे कॉल दे देते हैं. मैं शॉक्ड क्या बोलूँगी मैं फिर भी मैं कॉल ले लेती हूँ.
मैं – वेरी गुड मॉर्निंग सिर.
पाटिल सिर – गुड मॉर्निंग गुड मॉर्निंग माही कैसी हो?
मैं – बस आप सब की दुआ है ठीक हूँ सिर.
पाटिल सिर – किसी चीज़ की कोई दिक्कत नही है ना अगर होगा तो बताना मुझे.
मैं – नो, नो सिर कोई प्राब्लम नही है आपने मुझे सेलेक्ट किया, अपने साथ काम करने का माओका दिया. इसके लिए आपका बहुत बहुत आभार.
पाटिल सिर – वो जाने पर मुझे किसी भी तरह का कोई प्राब्लम नही होना चाहिए. मैं हर चीज़ बर्दस्त कर सकता हूँ बुत प्राब्लम नही इसका ढयन रखना.
मैं – शुवर सिर 100%.
अच्छा राकेश को फोन दो.
मैं फोन दे देती हूँ.
राकेश तुम अभी माही को 50क र्स दे दो हॅंड में रखने के लिए.
राकेश सिर- ओक सिर.
पाटिल सिर – ओक बाइ एरपोर्ट पे मिलते हैं.
राकेश सिर – सिर, सिर, वो माही ये जानना चाह रही थी की हम लोग कितने लोग जा रहे हैं दुबई?
पाटिल सिर – अभी तो फिलहाल हम 6 लोग जा रहे हैं. बाकी सब लोग टेक्नीशियन और ग्रूप के लोग 1 वीक बाद आएँगे लोकेशन फाइनल हो जाने पर.
राकेश सिर – ओक सिर बाइ.
पाटिल सिर कॉल कट कर देते हैं.
कॉल स्पीकर पर था मैने सारी बातें सुन ली.
राकेश सिर अनादर जाते हैं और लॉकर खोल कर उसमे से 50क र्स मुझे दे देते हैं. और बोलते हैं ये लो माही पाटिल साहब का ऑर्डर है. ये तुम्हारा पॉकेट मनी सिर के तरफ से गिफ्ट छोटा सा.
मैं खुश हो जाती हूँ क्यूंकी 50क मेरे लिए बहुत पैसे थे. वो भी पॉकेट मनी के तौर पर तो बहुत ही ज़्यादा. मैं अपने हॅंड पर्स में रख लेती हूँ पैसे.
अब राकेश सिर कॉल करते हैं उबेर की टॅक्सी मँगवाते हैं और फिर कुछ देर में हुंदोनो एरपोर्ट की तरफ निकल जाते हैं.
तभी अचानक से मुझे एक केमिस्ट का शॉप ओपन दिखा. मैं टॅक्सी को रोकने को बोलती हूँ तभी राकेश सिर बोलते हैं की क्या हुआ माही यहाँ क्यूँ रुकवा रही हो?
मैं उनको याद दिलाती हूँ की सिर आप भूल गये केमिस्ट से मेडिसिन्स लेनी थी. तब सिर को याद आया और वो गये शॉप पे और फिर हुमलोग वहाँ से निकल गये.
कुछ देर बाद हुमलोग एरपोर्ट पहुच जाते हैं मैं टॅक्सी से उतरती हूँ संभाल के. क्यूंकी मैने पनटी नही पहना हुआ था. तोड़ा भी मिस्टेक होता तो गड़बड़ हो जाता.
मैं किसी तरह टॅक्सी से नीचे उतरी हाथ से धकते हुए आयेज की तरफ शर्म का स तो मुझ में अब बचा नही था. बुत फिर भी अब सब के सामने इतने छोटे से कपड़े में हल्की हल्की शर्म आ रही थी मुझे.
हम लोग साइड में हुए और तब तक अपनी ब्मो कार से पाटिल साहब आए और उनके साथ 4 और लोग भी थे. कौन कौन थे वो मैं आयेज बतौँगी.
सिर को हम लोगों ने वेलकम किया और सिर मुझे इस टाइप के ड्रेस में देख कर बहुत खुश हो गये, उनका चेहरा ये बात बता रहा था. फिर सिर ने मुझे गले लगाया बिल्कुल ही ज़ोर से उन्होनो मुझे अपनी और खिछा फिर बाकी 3नो ने भी आयसए ही किया.
उन सब की नज़र मेरे ड्रेस पे ही थी.
फिर पाटिल सिर ने मुझे मेरा पासपोर्ट और वीसा और टिकेट दिया और फिर हम लोगों ने एरपोर्ट के अंदर एंटर किया.
मेरी प्राइवेट पार्ट में अभी भी तेज दर्द था जिससे मुझे चलने में कठिनाई हो रही थी. और मैं प्रॉपर सही ढंग से नही चल पा रही थी. एक्षेलेतेर पे पैर भी सही ढंग से नही अड्जस्ट हो पा रहा था. बुत क्या करती अब तो किसी भी तरह सफ़र करना ही था.
अब आयेज क्या क्या होता है चेक्किन काउंटर पर और और इम्मिग्रेशन चेकिंग मे, और किस तरह फ्लाइट के आने तक मई अपनी नंगी छूट को छुपाने की कॉसिश करती हू. अगले पार्ट मे जाने.