Bahan Bhai ki Sex Kahani in hindi, Behan ki chudai story-1
दोस्तों ये मेरी दूसरी कहानी है antarvasna.live पे मेरा नाम नेहा है. मैं बात को ज्यादा ना बढ़ाते हुए सीधे कहानी पे ही आती हूँ. हम सब फॅमिली बड़े ही ख़ुशी ख़ुशी रहे थे, पाप हम लोगो को बहूत ही ज्यादा प्यार करते थे.और पाप थोड़ा मुझे अलग टाइप बाला भी प्यार करते थे. पर अब पाप जी का ट्रांसफर कानपुर हो गया तो . अब घर पे सिर्फ़ मैं, मम्मी और मेरा भाई राहुल ही होते थे. भाई कॉलेज जाता था.
मैं स्कूल और मा भी जॉब पे चली जाती थी. भाई को आदत थी की वो रोज रात को सोने से पहले चाय ज़रूर पिता था लेकिन दूध को कभी हाथ भी नही लगता था.
मा सुबह मुझे अपनी स्कूटी पे स्कूल छोड़ देती थी और भाई पापा वाली स्कूटी पे जाता था कॉलेज. दुपेहर को मैं 1 बजे ऑटो से घर आ जाती थी और भाई मा के आने से कोई एक घंटे पहले ही आता था. पापा को कानपूर गये हुए 15 दिन हो गये थे और मैं सेक्स के लिए तड़प रही थी. मुझे कोई रास्ता नही दिख रहा था की अब मैं मज़े किसके साथ करूँ और किसे कहूँ की वो मेरी प्यास बुझा दे.
एक दिन की बात है मा की तबीयत ठीक नही थी तो भाई ने उनसे कहा की उसे आज चाय नही पीनी है. ये बात मा मुझे बताना भूल गये और सो गये तो मैं चाय लेकर भाई के रूम की तरफ गई. अभी मैं भाई के रूम की खिड़की के पास ही पहुँची थी की एकदम से मेरी नज़र खिड़की से अंदर पड़ी, क्यों की खिड़की थोड़ी खुली हुई थी,
मैने देखा की भाई सिर्फ़ अंडरवेर और बनियान मैं थॉ और कोई कीताब पढ़ रहा था और उसके कच्छे मैं उसका खड़ा हुआ लंड दिख रहा था जिसे की वो सहला रहा था.
मैं तो ये देख कर बस वहीं खड़ी की खड़ी ही रह गई. मेरी हिमत नही हुई आगे बढ़ने की. भाई पूरी मस्ती से आपने लंड को सहला रहा था.उसके कच्छे मैं पूरा टेंट बना हुआ था. मैं ये भी भूल गई की भाई को चाय देने आई हूँ.
वो शायद इस लिए बेफिकर था क्यूकी उसे था की आज कोई चाय देने नही आएगा लेकिन उसे क्या पता था की मैं उसे ये सब करते हुए देख रही हूँ. मेरी चूत मैं खुजली होने लगी थी.
मेरे दिल की धड़कने बढ़नेलगी थी मेरा मन बेचैन होने लगा था. मन कर रहा था की अभी अंदर जाऊं और भाई से कहूँ की नही भाई ऐसे तुम मत सहलाओ इसे तो मैं सहलाती और मैं तुम्हारे लैंड को और तुमको खुश करती हु. लेकिन मेरी मजबूरी थी की मैं अंदर नही जा सकती थी. इस लिए वहीं पे बैठी हुई आपनी चूत को सहलाने लगी भाई का खड़ा लंड मेरी चूत मैं खलबली मशीन के लिए काफ़ी था.
फिर भाई ने आपने लंड को कच्छे मैं से बाहर निकल लिया है रे मेरी किस्मत काश की मैं वहाँ पे होती तो उसे वहीं कच्छा ही चबा जाती क्या मस्त लंड था, कोई 6.5 इंच लंबा और करीब 3 इंच मोटा होगा.
अब भाई उसे आगे पीछे करने लगा तो मेरी चूत चिल्ला पड़ी की अरे पगले ये क्या कर रहा है देख तेरी बेहन की चूत इसे अंदर लेने को तैयार है और तू मूठ मार रहा है लेकिन क्या करती आपनी चाहत को दिल मैं ही दबाना पड़ा और खुद भी फिंगरिंग करने लगी उधर भाई के लंड ने पानी छोड़ा और इधर मेरी चूत का भी पानी निकल गया.
मैं उठी और वहाँ से वापिस आ गई चाय ठंडी हो चुकी थी.
मैं आपने रूम मैं आ गई. मैने भाई के लंड का दीदार कर लिया था और अब मेरा मन और मेरी चूत दोनो ही भाई के लंड को पाने का तरीका ढूँडने लगे थे.
मैने भाई का लंड देख लिया था ये मुझे पता था लेकिन उसे नही पता था और भी मैं सब से पहले आपने भाई को आपनी चीकनी चूत दिखाना चाहती थी ताकि भाई का लंड मुझे देखते ही खड़ा होने लगे तभी भाई के मन मैं मुझे चोदने का विचार आएगा लेकिन ये होगा कैसे मेरी समझ मैं कुछ भी नही आ रहा था. भाई सुबा 6 बजे नहा कर जाता था और मैं और मा 8 बजे से पहले उठते नही थे.
भाई उपर बाले बातरूम मैं ही नहा कर चला जाता था. मेरी आँखों से नींद गायब हो चुकी थी हर पल मेरी आँखों के सामने भाई का फनफनता हुया मस्त लंड घूम रहा था मैं जब भी आँखें बंद करती मुझे मेरा भाई चूत के लिए तड़पता हुआ नज़र आता और मेरा दिल कहता की उसे यू तड़पने नही देना है.
रात के कोई 2 बज चुके थे लेकिन मेरी आँखों मैं नींद नाम की कोई चीज़ नही थी मेरी चूत मुझे सोने नही दे रही थे ये हर पल कह रही थी की मुझे चाहिए तो बस चाहिए और वो लंड चाहिए.
और मैं आपनी चूत के हाथों मजबूर थी इसके लिए लंड का इंतज़ाम करने का कोई प्लान बना रही थी ताकि मेरे मन मैं एक आइडिया आया. मैं उपर छत पे गई और भाई के बातरूम के नाल बाले वाल्व बंद कर दिया टंकी भाई को नहाने के लिए पानी ना मिले और खुद आपने रूम मैं आ गई.
करीब 5.45 पे मैं आपने बातरूम मैं थी और मैने आपने कपड़े उतार दिए थे और तोड़ा सा दरवाजा खोल के भाई का वेट करने लगी थी क्यूकी मुझे पता था की वो नहाने के लिए नीचे ज़रूर आएगा.
करीब 6 बजे मैने उसे सीडिओं से नीचे आते हुए देख तो मैं हल्का सा शावर चला कर नहाने लगी.
मैं दरबाजे की कुण्डी नही लगाई थी. मेरा मूह दरवाजे की तरफ़ था और मैं एक हाथ से आपने चूचियों मसलने लगी और एक हाथ से आपनी दोनो टाँगे खोल कर आपनी चूत को सहलाने लगी तभी भाई ने दरवाजा खोला और मुझे चूत सहलाते हुए देखा मैने भी एकदम से ऐसे डरने की कोशिश की जैसे की मुझे कुछ पता ही ना हो जबकि मैं तो खुद चाहती थी की भाई एक बार मेरी चूत और मेरे चूचियों का दीदार कर ले फिर ही उसे पटाया जा सकता है.
भाई ने एकदम से दरवाजा बंद कर दिया और मैने भी अंदर से कुण्डी लगा ली जो की मेरे प्लान का एक हिसा था. मैं नहा कर कपड़े पहन कर बाहर आ गई. मैने आपनी पेंटी जान बुझ कर वहीं छोड़ दी थी. भाई बाहर ही खड़ा था. मैं आपने रूम मैं भाग गई.
फिर भाई नहा के आपने रूम मैं चला गया तो मैं चाय लेकर उसके रूम मैं गई और उसे बोला की भाई सॉरी मुझे नही पता था की आप आ जाओगे मेरी नज़रें ज़ुकी हुई थी भाई की हालत भी ऐसी ही थी वो बोला की नही सॉरी तो मुझे बोलना चाहिए. दरअसल उपर पानी नही आ रहा था इस लिए मैं नीचे नहाने गया था मैने चोर आँखो से देखा की भाई मेरी चूचियों को चोरी चोरी देख रहा था जो की टाइट टी शर्ट की वजह से पूरे उभर के सामने आ गये थे. मैं समझ गई की भाई लाइन पे आ रहा है.
फिर मैं नीचे आ गई भाई ट्यूशन पे चला गया.
मैने भाई के लंड का दीदार कर लिया था लेकिन भाई को नही पता था और भाई ने मेरी चूत का दीदार कर लिया था ये हम दोनो को पता था. इस लिए अब मैं भाई को ये एहसास दिलाना चाहती थी की मुझे भी उसके लंड की सख्त ज़रूरत है लेकिन कैसे ये ही समझ नही पा रही थी.
मैं उस दिन स्कूल नही गई और मा को बोला की मेरी तबीयत खराब है और सारा दिन घर पे बैठी सोचती रही की क्या करूँ. फिर मेरे मन मैं एक आइडिया आया. शाम को जब मा और भाई आए तो मैने मा से कहा की मुझे भी स्कूटी सिख़ाओ तो वो बोली की मेरी तबीयत ठीक नही है मैं नही सीखा सकती तुम्हारे पापा आएँगे उनसे सीख लेना लेकिन मैने कहा की नही मुझे अभी सीखनी है तो मा ने भाई से कहा की तुम सीखा दो इसे स्कूटी.
तो भाई पहले बोला की मैं नही सीखा सकता लेकिन फिर जैसे ही उसे ये ख़याल आया की वो मेरे पीछे बैठा होगा तो शायद मेरे चूचियों को टच करने का मौका मिल जाए तो वो मान गया और मैं तो यही चाहती थी की आज भाई मुझे स्कूटी सिखाए क्यूकी मैं जानती थी की अगर भाई के लंड ने मेरी गांड को टच कर लिया तो भाई की रातों की नींद उड़ जाएगी और वो मुझे चोदने के लिए उतावला हो जाएगा और यही मेरा प्लान था की चल मैं चालू लेकिन भाई समझे की मैं उसके जाल मैं फँस गई हूँ जब की मैं आपनी मर्ज़ी से उसे मजबूर कर रही थी मुझे चोदने के लिए.
भाई आपने रूम मैं गया और कुर्ता पाएज्मा पहन की आ गया, और मुझे बोला की चलो ग्राउंड मैं चलते हैं वहीं सिखाता हूँ मैने स्कर्ट पहनी हुई थी और मैं दोनो तरफ टाँगे करके बैठ गई भाई ज़रा सी ही ब्रेक लगता तो मैं आपने चूचियों उसकी पीठ से टच करा देती अब भाई जान बुझे कर ब्रेक लगाने लगा था और मैं आपने चूचियों के सपर्श से उसके होश उड़ा रही थी लेकिन ये अलग बात है की मेरी चूत मैं भी बहूत हलचल मची हुई थी की हो सकता है भाई के लंड का सपर्श मिल जाए तो मज़ा ही आ जाए. और मैं सोच कर रोमांचित हो रही थी.
फिर हम ग्राउंड मैं पहुँच गये तो भाई ने मुझे कहा की तुम स्कूटी चलाओ मैं पीछे बैठता हूँ. मैं थोड़ी बहुत स्कूटी तो चला ही लेती थी. पहले भाई बैठ गया और मैं भाई के बॉडी को टच करती हुई बैठ गई और मुझे लगा की मेरे चुतड़ों से कुछ टच कर रहा है और ये सच ही थॉ ओ कुछ और नही भाई का लंड ही था जो मेरे चूचियों के सपर्श की वजह से फनफना रहा था.
मैने हॅंडल पकड़ा तो भाई ने भी मेरी दोनो बाजू के नीचे से हाथ डाल के हॅंडल पकड़ लिया और भाई के बाजू से मेरे चूचियों सपर्श कर गये भाई का लंड जैसे फूंकारा हो एकदम से झटका खा के मेरे चुतड़ों को टच किया मैं तो जैसे मस्त होने लगी थी.
फिर मैं स्कूटी चलाने लगी तो भाई तोड़ा सा और सट के मेरे करीब आ गया. अब उसका लंड मेरे चूतड़ों के नीचे घुसने की कोशिश कर रहा था. मेरा बुरा हाल होने लगा था मन कर रहा था की अभी एक बार थोड़ा उपर उठ जाऊं और लंड को नीचे दबा लूँ मैं मारी जा रही थी उस लंड को पाने के लिए उसको प्यार करने के लिए.
उसके लंड को मुह में लेने के लिए उसका पानी पीने के लिए और उसे चुदवाने के लिए लेकिन इतनी जल्दी मैं खुद को पेश कर देती तो वो मज़ा नही आता जो दोनो के तड़पने से आना था लेकिन हाँ स्कूटी चलते चलते मैने भाई के लंड को आपने चुतड़ों से रगड़ कर ये संदेश ज़रूर दे दिया था की ये मुझे पसंद है..कोई 1 घंटा भाई ने मुझे स्कूटी चलानी सिखाई. इस 1 घंटे मैं मेरी चूत बिल्कुल गीली हो गई थी और भाई का लंड भी लारे टपका टपका के गीला हो चुका था. और फिर हम घर आ गये.
दूसरा दिन फ्राइडे था और सॅटर्डे को मा को छुट्टी थी तो वो बोली की मैं फ्राइडे ईव्निंग को कानपूर जा आयुं तुम्हारे पापा के पास तो मैने कहा की मैं भी जाउंगी तो वो बोली की नही तुम भाई के साथ रुक जाओ.
उनकी ये बात सुनकर तो मैं खुशी से चिल्लाने वाली ही थी की बड़ी मुश्किल से खुद को रोका की हो सकता है इन दीनो मैं मैं भाई को पता ही लू मुझे पेलने के लिए. और मैं ये मौका हाथ से जाने भी नही देना चाहती थी क्यूकी मा मंडे को आती तो करीब 3 दिन थे मुझे आपने भाई को पता कर उसे चुदाई करवाने के लिए और फुल मज़ा लेने के लिए.
जब ये बात भाई को पता चली तो वो भी बड़ी ही जालिम तरीके से हंस था जिसे सिर्फ़ मैने ही महसूस किया था. रात को मा आपनी तैयारी कर रहे थे और मैं मा के साथ बैठी हुई थी की तबी भाई आया पीछे से और मैने देखा की वो मेरे चूचियों को ही निहार रहा था मैने तोड़ा सा शरमाने की एक्टिंग की मैने देखा की वो मेरे चूचियों को देख रहा था और एक हाथ से आपने लंड को भी सहला रहा था लेकिन मुझे आपने लंड को सहलाता हुआ देख कर उसने आपना हाथ एकदम से हटा लिया और मेरी तरफ देख कर एक स्माइल दी तो मैने भी उसे वापिस एक स्माइल दे दी ये सिग्नल था की हाँ हम दोनो कुछ कुछ रेडी हैं मज़े लेने के लिए.
फिर वो मा के पीछे खड़ा हुआ मेरे चूचियों को देखता हुआ बोला की मा मुझे आज दूध पीना है और वो भी फ्रेश मीन्स ताज़ा, तो मा बोली की तुझे क्या हो गया है तू तो दूध पीता नही है और आज तू दूध माँग रहा है तो वो बोला की हाँ मुझे भी टेस्ट करना है दूध का.
मैं समझ गई की वो कौन से दूध की बात कर रहा है वो दरअसल मेरा दूध पीना चाहता था तो मैने कहा की कोई बात नही भाई मैं पीला दूँगी कल आपको दूध और वो भी बिल्कुल फ्रेश और मूह नीचे करके हंस दी और साथ ही बोली की बाजार से ला के लेकिन वो मेरा इशारा समझ गया था सो उसने मा के पीछे खड़े हुए ही मुझे आँख मार दी और मैने शरमाने की ज़बरदस्त एक्टिंग की लेकिन मन ही मन फ़ैसला कर लिया की भाई कल तो तुमसे चुदवा कर ही दम लूँगी.
रात को भाई को जब मा चाय दे आई तो मैं उसके करीब 15 मिंट बाद उपर गई तो देखा की खिड़की खुली हुई थी और भाई बेड पे लेता हुआ था उसका सर खिड़की की तरफ था और उसके हाथ मैं मेरी एक फोटो थी वो उसे पागलों की तरह चूम रहा था.मैं ये देख मुस्कुरा उठी की मेरा भाई मेरे लिए दीवाना हुआ जा रहा है. अब वो मुझे चोदे बिना चैन नही लेगा और मैं उससे चुद्वाये बिना मानूँगी नही.
वो एक हाथ से आपने लंड को भी सहला रहा था और फिर देखते ही देखते वो मेरी तस्वीर को देख कर मूठ मरने लगा और मैं पागलों की तरह अपनी चूत मैं फिंगरिंग करने लगी की वा मेरा भाई मेरे लिए मूठ मार रहा है तो मैं क्यू ना उसके नाम से आपना पानी छोडूं.
और फिर मेरे भाई ने आपना सारा माल मेरी फोटो पे गिरा दिया और बुदबुदाने लगा की कल ऐसे ही तुझे सारा माल खिलौँगा मैं तो जैसे पागल सी हो गैट ही मैं वहीं बैठी आपने चूचियों मसल रही थी आपनी चूत को सहला रही थी मन कर रहा था की अभी जाऊं और भाई से कहूँ की भाई मुझे चोद डालो अब और नही रह सकती मैं तुम्हारे लंड के बिना लेकिन मा के डर की वजह से नीचे आ गई और फिर सारी रात सो नही पाई यही हालत भाई की भी वो सोया नहीं था.
सुबा उठा कर मा तैयार हुई और अपपनी जॉब पे जाने लगी तो मैं भी साथ मैं स्कूल के लिए चल पड़ी. 1 बजे जब छुट्टी हुई तो मैं ऑटो लेने के लिए स्कूल से बाहर आई तो मैने देखा की भाई वहीं पे खड़ा था और मेरा इंतज़ार कर रहा था.