भाई-बहन सेक्स स्टोरी: जवानी संभाले नहीं संभल रही थी

मेरा नाम रिया है, उम्र 22 साल। मैं एक ऐसी लड़की हूँ जिसे देखकर हर मर्द की आँखें फट जाएँ। मेरा रंग गोरा है, चूचियाँ भारी, रसीली और उभरी हुई, गांड मोटी, गोल और थिरकती हुई, और मेरी कमर इतनी पतली कि उस पर हाथ फेरने का मन करे। मेरे होंठ गुलाबी और मांसल हैं, और मेरी आँखों में एक नशीली चमक है जो किसी को भी अपनी ओर खींच लेती है। मैं बहुत कामुक हूँ, और मेरी जवानी संभाले नहीं संभल रही थी। मेरे भाई, राहुल, की उम्र 25 साल है। वो जवान, मज़बूत और हॉट है। उसका रंग साँवला, चौड़ा सीना, मज़बूत बाँहें और एक ऐसा जिस्म है जो किसी भी लड़की को पागल कर दे। ये कहानी मेरी और राहुल की है, जब हमारी जवानी की आग ने हमें एक-दूसरे की बाँहों में धकेल दिया, और मैंने अपनी पूरी चुदाई की कहानी को तुम्हें बताने का फैसला किया है।

हमारा घर दिल्ली के एक छोटे से मोहल्ले में है। मैं और राहुल बचपन से साथ बड़े हुए हैं। वो मुझसे बड़ा है, और हमेशा मेरा ख्याल रखता था। लेकिन जैसे-जैसे मैं जवान हुई, मेरे जिस्म में बदलाव आए। मेरी चूचियाँ भारी हो गईं, मेरी गांड उभर आई, और मेरी चूत में एक अजीब सी खुजली होने लगी। मैं रात को बिस्तर पर लेटती, और मेरे मन में गंदे ख्याल आते। मैं अपनी उंगलियों से अपनी चूत को सहलाती, और सिसकती, “उफ्फ… कोई तो मुझे चोद दे!” लेकिन उंगली से वो मज़ा नहीं मिलता जो एक मर्द का लंड देता है। राहुल भी जवान हो चुका था। जब वो घर में बनियान और शॉर्ट्स में घूमता, उसकी मज़बूत छाती और उभरे हुए बाजू देखकर मेरे मन में अजीब से ख्याल आते। मैं उसे भाई की नज़र से देखना चाहती थी, लेकिन मेरी जवानी मुझे बेकाबू कर रही थी।

एक रात की बात है। मम्मी-पापा अपने रिश्तेदार के यहाँ गए थे, और घर में सिर्फ मैं और राहुल थे। मैं अपने कमरे में थी। मैंने एक पतली नाइटी पहनी थी, जो मेरे शरीर से चिपककर मेरी चूचियों और गांड को उभार रही थी। रात के 10 बजे मैं बिस्तर पर लेटी थी, और मेरी चूत में फिर से आग लगी थी। मैंने अपनी नाइटी ऊपर उठाई और अपनी चूत में उंगली डाल दी। मैं सिसक रही थी, “आह्ह… कितना मज़ा आ रहा है!” मेरी सिसकियाँ तेज़ हो गईं, और मैंने अपनी चूचियाँ दबानी शुरू कीं। मैं इतनी गर्म हो चुकी थी कि सब भूल गई थी। तभी मेरा दरवाज़ा खुला, और राहुल अंदर आ गया। वो सिर्फ शॉर्ट्स में था, और उसकी मज़बूत छाती चाँदनी में चमक रही थी। उसने मुझे उंगली करते देख लिया।

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मैं शरम से मर गई और जल्दी से चादर ओढ़ ली। वो मेरे पास आया और बोला, “रिया, ये क्या कर रही थी?” मैंने हिचकते हुए कहा, “कुछ नहीं, भैया… बस नींद नहीं आ रही थी।” वो हँसा और बोला, “मुझे सब पता है, रिया। तू तड़प रही है।” उसकी बातों ने मेरे अंदर की आग को और भड़का दिया। मैं चुप रही, लेकिन मेरी साँसें तेज़ हो गईं। वो मेरे बिस्तर पर बैठ गया और मेरे कंधे पर हाथ रखा। उसकी गर्म छुअन ने मुझे सिहरन से भर दिया। उसने मेरी चादर हटाई और मेरी नाइटी के ऊपर से मेरी चूचियों को दबाया। मैं सिसक उठी, “आह्ह… भैया, ये क्या कर रहे हो?” वो बोला, “रिया, मैं भी तड़प रहा हूँ। तू इतनी हॉट है, मैं खुद को रोक नहीं पा रहा।”

मैं कुछ बोल पाती, उससे पहले उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उसका चुम्बन गर्म और जंगली था, और मैं उसके होंठ चूसने लगी। उसकी जीभ मेरे मुँह में घूम रही थी, और मेरे शरीर में आग लग गई थी। मैं सिसक रही थी, “उफ्फ… भैया, कितना मज़ा आ रहा है!” उसने मेरी नाइटी फाड़ दी, और मेरी नंगी चूचियाँ उसके सामने थीं। मेरे निप्पल सख्त और गुलाबी थे, और उसने एक चूची को मुँह में लेकर चूसना शुरू किया। मैं चीख पड़ी, “आह्ह… भैया, चूसो इसे, मुझे जलन हो रही है!” उसकी जीभ मेरे निप्पल पर नाच रही थी, और उसका दूसरा हाथ मेरी दूसरी चूची को मसल रहा था। मेरी चूत गीली हो गई थी, और मैं तड़प रही थी।

मैंने उसकी शॉर्ट्स उतार दी, और उसका मोटा लंड मेरे सामने था। वो काला, लंबा और सख्त था, जैसे कोई हथियार। मैंने उसे हाथ में लिया और सहलाने लगी। वो सिसक उठा, “उफ्फ… रिया, तू बहुत गर्म है!” मैंने उसका लंड अपने होंठों से चूमा और उसे मुँह में ले लिया। उसका लंड मेरे गले तक जा रहा था, और मैं उसे ज़ोर-ज़ोर से चूस रही थी। वो चीख रहा था, “आह्ह… रिया, कितना मज़ा दे रही हो!” मैं उसका लंड चूसती रही, और मेरी जीभ उसके टोपे पर नाच रही थी। मेरी चूत से रस टपक रहा था, और मैंने उसका लंड अपनी चूत पर रखा। मैंने धीरे से उसे अंदर लिया, और वो चीख उठा, “आह्ह… रिया, तेरी चूत बहुत टाइट है!”

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मैं ऊपर-नीचे होने लगी, और उसका लंड मेरी चूत को चीर रहा था। मैं सिसक रही थी, “उफ्फ… भैया, कितना मोटा है तेरा लंड!” उसने मेरी कमर पकड़ ली और मुझे नीचे लिटा दिया। उसने मेरी जाँघों को फैलाया और मेरी चूत में अपना लंड डाल दिया। मैं चीख पड़ी, “आह्ह… भैया, फाड़ दे मेरी चूत!” वो ज़ोर-ज़ोर से ठाप मारने लगा, और मेरी चूचियाँ उछल रही थीं। मैं सिसक रही थी, “और ज़ोर से, मुझे चोद डाल!” उसकी ठापों से मेरा पूरा शरीर हिल रहा था, और मेरी चूत से रस बह रहा था। उसने मेरी चूचियों को पकड़ा और उन्हें मसलने लगा। मैं चीख रही थी, “उफ्फ… भैया, मेरी चूचियाँ दबा, मुझे जलन चाहिए!”

कुछ देर बाद उसने मुझे घोड़ी बनाया। मेरी गांड उसके सामने ऊँची हो गई, और उसने मेरी गांड पर हाथ फेरा। वो बोला, “रिया, तेरी गांड बहुत मस्त है।” मैं सिसकते हुए बोली, “भैया, इसे भी चोद दे!” उसने अपने लंड पर थूक लगाया और मेरी गांड में डाल दिया। मैं चीख पड़ी, “आह्ह… भैया, मेरी गांड फट गई!” वो मेरी गांड में ठाप मारने लगा, और मैं सिसक रही थी, “उफ्फ… और ज़ोर से, मुझे दर्द चाहिए!” उसने मेरी गांड पर थप्पड़ मारे, और मैं चीख रही थी, “आह्ह… मारो और, मेरी गांड लाल कर दो!” उसकी ठापों से मेरी गांड जल रही थी, और मेरी चूत से रस टपक रहा था।

फिर उसने मुझे अपनी गोद में उठाया और मेरी चूत में ठाप मारने लगा। मैं उसके कंधों पर थी और चीख रही थी, “आह्ह… भैया, मुझे उड़ा दे!” उसने मुझे ज़ोर-ज़ोर से चोदा, और उसकी ठापों से मेरा पूरा शरीर काँप रहा था। मैं सिसक रही थी, “उफ्फ… भैया, तेरा लंड बहुत मस्त है!” उसने मेरी चूचियों को चूसा, और मैं तड़प रही थी, “आह्ह… और चूस!” उसने मुझे बिस्तर पर पटक दिया और मेरी चूत में फिर से ठाप मारने लगा। मैं चीख रही थी, “भैया, मेरी चूत फाड़ दे!” उसकी ठापों से बिस्तर हिल रहा था, और मेरी सिसकियाँ आसमान तक जा रही थीं।

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कुछ देर बाद उसने मुझे घोड़ी बनाकर मेरी गांड में फिर से ठाप मारी। मैं सिसक रही थी, “आह्ह… भैया, मेरी गांड जल रही है!” उसने मेरी गांड पर थप्पड़ मारे, और मैं चीख रही थी, “उफ्फ… और मारो!” उसकी ठापों से मेरी गांड लाल हो गई थी, और मेरी चूत से रस बह रहा था। मैंने कहा, “भैया, मेरे मुँह में डाल!” उसने अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया, और मैं उसे ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी। वो सिसक रहा था, “आह्ह… रिया, तेरा मुँह बहुत गर्म है!” मैं उसका लंड चूस रही थी, और मेरी जीभ उसके टोपे पर नाच रही थी।

आखिर में उसने मुझे बिस्तर पर लिटाया और मेरी चूत में ठाप मारने लगा। मैं सिसक रही थी, “भैया, मुझे चोद डाल!” वो ज़ोर-ज़ोर से ठाप मार रहा था, और मेरी चूचियाँ उछल रही थीं। उसने कहा, “रिया, मैं झड़ने वाला हूँ!” मैं चीख रही थी, “भैया, मेरी चूत में झड़ जा!” उसने तेज़ ठाप मारी, और उसका गर्म माल मेरी चूत में भर गया। मैं काँपते हुए बिस्तर पर गिर पड़ी, और वो मेरे ऊपर ढेर हो गया। हम दोनों हाँफ रहे थे, और मेरा शरीर पसीने और रस से भीगा हुआ था।

उसने मेरे कान में फुसफुसाया, “रिया, तू बहुत मस्त है।” मैं हँसते हुए बोली, “भैया, तूने मेरी जवानी की आग बुझा दी।” उस रात के बाद हमारा रिश्ता बदल गया। जब भी मम्मी-पापा घर पर नहीं होते, मैं और राहुल एक-दूसरे की बाँहों में खो जाते हैं। वो मुझे ज़ोर-ज़ोर से चोदता है, और मैं उसकी ठापों में अपनी हवस मिटाती हूँ। ये हमारा गुप्त खेल है, जो मेरी जवानी को ज़िंदा रखता है।

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