Mama Ji Ne Maa Ko Choda
हेलो दोस्तों मेरा नाम कविता है, मैं दिल्ली की रहने बाली हु, आज मैं आपको एक चुदाई की कहानी सुनाने जा रही हु, जिससे ऐसा लगता है की कुछ पवित्र रिश्ता शर्मशार हो रहा है, पर ऐसी बात नहीं नहीं है, ज़िंदगी में कभी कभी कुछ ऐसा हो जाता है जिसके लिए वो नहीं बल्कि हालात जिम्मेदार होता है, ऐसी ही कहानी है मेरे मामा ने मेरी माँ की चुदाई की, मैं तो कभी सपने में भी नहीं सोच सकती की माँ मामा के साथ सेक्स की सम्बंद बनाएगी, पर एक दिन सच हो गया जब मैं अपने आँखों से देखा वो दोनों एक दूसरे को हेल्प कर रहे थे, एक चोद रहा था एक चुदवा रही थी. मैंने 18 साल की हु, ये सेक्स की कहानियों पिछले महीने की 21 तारीख की है, मेरी नानी जो की पटेल नगर में रहती है और हमलोग लक्ष्मी नगर में रहते है, नानी जी का तबियत ख़राब हो गयी और मैं और मेरी माँ दोनों नानी घर जाने का प्लान बनाया, पापा जी तो टूर पे गए थे, माँ ने पापा को फ़ोन किया की नानी की तबियत खराब है तो उन्होंने कह दिया की जाओ सुमन को भी ले जाना, मैं और मेरी माँ दोनों मेट्रो पकड़ कर पहुंच गए,
मेरी माँ की उम्र ३६ साल की है, वो अपने फिगर को काफी मेन्टेन कर के के रखी है, काफी सुन्दर और सेक्सी लगती है मेरी माँ का नाम संध्या है, मेरी माँ और मेरे पापा की उम्र में काफी फर्क है मेरे पापा माँ से १५ साल बड़े है, तो माँ काफी यंग लगती है और पापा बूढ़े दीखते है, माँ को कई बार देखा है वो लड़को में काफी इंटरेस्ट लेती है, वो घूर घूर के लड़को को देखती है, उसी दिन जब हमलोग नानी के यहाँ जा रहे थे, क्या बताऊँ यार, ब्लैक कलर की साडी और ब्लाउज पहनी, ब्लाउज पीछे का गला काफी कटा हुआ था, और साडी भी झर्झरी सी थी पूरा बदन दिख रहा था, उनका पेट और नाभि (नैवेल) साफ़ साफ़ और उसके ऊपर उनकी दोनों बड़ी बड़ी टाइट चूचियाँ और ब्लाउज के अंदर का सफ़ेद ब्रा तक दिख रहा था, पीछे ब्रा का रिबन भी पीठ पे जकड़े हुए था ऐसा लग रहा था उनका ब्रा मां की चूचियों का लगाम है ताकि लोगो को दीवाना ना बना दे ऊपर से वो लाल लाल लिपस्टिक लगा ली और काली काली काजल है तो गोरी, अब तो वो काफी सेक्सी एस्कॉर्ट गर्ल (हाई प्रोफाइल रंडी) लग रही थी, मैं तो सीधा सादा सा सलवार सूट पहनी थी, पर माँ को तो देखते बन रहा था, जब वो मेट्रो स्टेशन पे चल रही थी वो उनके हाई हील और चूतड़ों का हिलना और बिना वजह अपने आँचल को बार बार सम्भालना लोगो को और भी घूरने को मजबूर कर रही थी.
मां के यहाँ पहुंचे नानी का हाल चाल पूछा डॉक्टर ने कहा उनको आराम की जरूरत है, फिर मैं और माँ दोनों नानी के पास बैठे रहे, मामा जी जो ३० साल के है, मेरी माँ से वो छोटे है, गुडगाँव के एक मल्टी नेशनल कंपनी में मैनेजर है, उनकी शादी अभी नहीं हुयी है काफी हैंडसम और सेक्सी है, तभी डोर वेल बजा और माँ दरवाजा खोलने गयी, मैं कमरे में थी, दरवाजा खुला और कोई आवाज नहीं आ रहा था, मैंने सोचा क्या हुआ कोई नहीं आया, थोड़ा कमरे से झाँक के देखि तो मामा जी मेरी माँ को पीछे से पकड़ के दोनों चूचियों को दबा रहे थे, और पीछे से गालो को किश कर रहे थे माँ का आँचल निचे गिरा हुआ था, और ऊपर सिर्फ ब्लाउज पे थी, माँ इस्स्स इस्स्स्स इस्स्स्स इस्स्स कर रही थी, और मामा जी कह रहे थे संध्या दीदी तुम मुझे भूल गयी हो, आपको पता है मेरी शादी भी नहीं हुयी है, आपके अलावा मेरा कोई नहीं है, मुझे भी तो सेक्स चाहिए, आप इतने दिन में आते हो, तो मेरी माँ बोलने लगी देखो भाई सुमन भी अब बड़ी हो गयी है, ऊपर से आपके जीजू को शक ना हो जाये इस वजह से थोड़ा दुरी बना के रखी हु,
तुम चिंता ना करो आज रात मुझे जम कर चोदना, आज रात को मैं यही हु, सुमन भी आई है वो नानी के पास है अभी छोडो पूरी रात है हम दोनों के पास, चलो अंदर चलते है सुमन ना देख ले ये सब, तभी मैं फिर वापस नानी के पास बैठ गयी, मेरे तो धड़कन तेज हो गए था, बार बार कंठ सुख रहा था, मैं यही सोच रही थी की मेरी माँ कितनी रंडी है, कोई ना मिला तो भाई से ही वो रंगरेलियां मना रही है, क्या हो गया है सोचा भी नहीं भाई बहन का एक पवित्र रिश्ता होता है, जिस हाट से कलाई पर राखी बंधी उसी हाथ से लण्ड कैसे पकड़ेगी. मैं सारा माजरा समझ गयी थी, पर मैंने भी आज मूड बना लिया की दोनों की रतिक्रिया हम देखेंगे.
रात को खाना पीना खाने के बाद मैं और मम्मी दोनों सोने चले गए, मामा जी ऊपर के फ्लोर पे सोते थे, मैंने और माँ दोनों निचे कमरे में सोये, मैं अपना आँख बंद कर सोने का नाटक करने लगी, करीब १ घंटे बाद, दरवाजा थोड़ा खुला मैंने देखा मामा जी थे, धीरे से माँ के पास आये और बोले संध्या दीदी सो गई क्या, माँ बोली छुप धीरे बोल सुमन सुन लेगी, फिर मामा जी माँ के पास बैठ गयी और उनके होठों को किश करने लगे, माँ भी उनके बाल को पकड़ कर उनको किश कर रही थी, दोनों एक दूसरे को किश करने लगे, मैं थोड़ा आँख खोल के देख रही थी, कमरे में काफी काम रौशनी थी, फिर मामा जी ने माँ के ब्लाउज के ऊपर से ही चूचियों को दबाने लगे, माँ बोली चलो ऊपर ही चलते है, मैं आती हु, मामा जी ऊपर चले गए, माँ दो मिनट बाद उठी और ऊपर जाने लगी, दरवाजा को धीरे से सटा के चली गयी.
मैं धीरे से उठी और ऊपर पहुंच गई, ऊपर का दरवाजा खुला था, मैं बरामदे के कोने में बैठ गयी चुपचाप, वहां पे टेबल था उसके पीछे छिप कर, माँ जैसे ही अंदर गयी अपने साडी को खोल दी और मामा में लिपट गयी फिर तो क्या था एक एक करके दोनों ने सारे कपडे उतार फेके, मैं निचे बैठ गयी और मां ने मामा जी के मोटे लण्ड को अपने मुह में लेके चाटने लगी, मामा भी माँ के बाल पकड़ के कह रहे थे साली रंडी, बहन बनती है और चुदवाने के लिए आ ही जाती है, आज मैं तेरी बूर और गांड दोनों पहाड़ दूंगा आज मैं विआग्रा खा के आया हु, आज तो तेरी फ़ुद्दी को पहाड़ दूंगा, गांड मारूंगा इतना की सुहब तुम्हे पता चलेगा, माँ बोली बहन चोद आज मैं देखती हु तेरे में कितनी मर्दानगी है, मेरी भी चूत तेरे लण्ड का इंतज़ार कर रहा है, बहुत दिन से नहीं चुदी हु, आज तू मुझे इतना चोद की मैं ठीक से चल भी ना पाउ, कोई पूछेगा भी तो कह दूंगी जांघो में रगड़ लग गया है.
इतने में मामा जी माँ को धक्का देके बेड पे गिरा दिया और तुरंत चढ़ गए टांगो को ऊपर किया और अपना मोटा लंबा काल सा लौड़ा माँ के चूत के ऊपर रख के एक भी बार में पूरा का पूरा घुसा दिए, माँ बोली ले ली जान मर गयी, आआअह्हह्हह आआआह्ह्ह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ्फ़ ऊऊफ़्फ़फ़्फ़ आआह आआह, धीरे धीरे प्लीज, अब तो तेरा लण्ड मोटा हो गया है, मेरे बूर को तो फाड़ दिया है, मामा जी बोले ले रंडी ले ले फिर मत कहना की आज संतुष्ट नहीं हुयी आज मैं शक्ति बर्धक गोली खा के आया हु, मामा जी माँ को जोर जोर से चोदा रहे थे.
फिर उन्होंने माँ को पेट के बल लिटा दिया और गांड में पूरा का पूरा लण्ड घुसाने लगे, माँ दर्द से कराह रही थी, फिर मामा जी ने जोर से घुसाया माँ रोने लगी, मामा जी तब भी जोर जोर से गांड मार रहे थे, करीब १ घंटे तक कभी गांड में कभी बूर में, कभी उलट के कभी पलट के कभी वो निचे कभी माँ निचे, ये सब तो देख देख के मेरे चूत से पानी निकलने लगा, मैंने ऊँगली दे के सटा सट अंदर बाहर करने लगी, मैं पसीना पसीना हो गयी थी, माँ को तभी देखा एक लम्बी आह भरी और उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ करके दोनों शांत हो गए, मैं भाग के निचे चली गयी, और पानी पि मन थोड़ा शांत लगा, फिर चूचियाँ दबाने लगी अपर बूर में ऊँगली, रात भर सो नहीं पायी मैंने देखा सुबह करीब ५ बजे के करीब माँ निचे आई, और वो मेरे साथ सो गयी, सुबह करीब ८ बजे सो कर उठे सब लोग, माँ पैर को फैला फैला कर चल रही थी, नानी पुछि क्या हुआ संध्या तो बोली कुछ भी नहीं माँ सुबह बाथरूम में फिक्स्ल गयी थी.