मीना दीदी को पति के दोस्त ने चोदा

मीना दीदी इतनी बड़ी चुदक्कड़ हो सकती है, ऐसा कभी नहीं सोचा था मैंने। मीना दीदी ने खुद ही मुझे यह बात बताई कि किस तरह से वो अपने पर काबू ना कर सकी और अपने पति के साथ काम करने वाले आदमी से शारीरिक सम्बन्ध बना लिए।

हेलो दोस्तों
मीना दीदी के बारे में तो आपको बता ही चूका हूँ, कि किस तरह से मीना दीदी और मेरे बीच शारीरिक सम्बन्ध बने और मीना दीदी कि चुदाई कि कमी पूरी हुई।

मीना दीदी का नाम मीनाक्षी है और उनको प्यार से मीना बुलाते है और मुझसे उम्र में काफ़ी बड़ी है और मेरी मौसेरी बहन है इसलिए मैं उनको मीना दीदी कहके बुलाता हूँ।

एक रात को किस्मत से हम दोनों साथ मैं ही सोए थे, क्यों कि मेरे घर आए थे वो, और मेरे घर मेरे भाई थे जो दूसरे रूम में सोए थे और मीना दीदी मेरे रूम में सोए थे।

हम दोनों फर्श पर बिस्तर लगा के सोए थे, और थोड़ी ही देर में मैंने उनको किस्स करना शुरू किया और धीरे धीरे उनके कपडे उतारना शुरू किया। दीदी ने उस रात टीशर्ट पजामा और अंदर ब्रा पैंटी पहनी थी। मैंने उनका टीशर्ट ब्रा और पजामा उतार दिया, और वो मेरे सामने पैंटी मे लेटी हुई थी।

मैं उनकी पैंटी भी उतारने लगा लेकिन उन्होंने मुझे रोक लिया और बोले कि या तो मुझे कुछ ओढ़ा दे और या फिर तू मेरे ऊपर आ।

मैंने झट से मेरे शॉर्ट्स अंडरवियर खोल दिए और दीदी पे चढ़ गया। फिर दीदी के बोबे दबाते दबाते दीदी कि पैंटी खोल दी।

हम दोनों ही नंगे थे और मे दीदी पर चढ़ा हुआ था।

दीदी अपनी कमर को हिलाती हुई कसमसा रही थी और उनकी चूत मेरे लंड पर रगड़ रही थी।

फिर मैंने अपना लंड पकड़ा और दीदी कि चूत मे घुसा दिया और घपाघप करने लगा।

दीदी को अलग अलग पोजीशन मे चोदने के बाद मैं दीदी कि चूत मे ही झड़ गया और सारा माल दीदी कि चूत कि गहराई मे खाली कर दिया।

फिर मै थक हार के एक तरफ होके लेट गया।

दीदी उठी, फिर अपनी पैंटी उठा के चूत को साफ करने लगी। फिर पैंटी पहनी और बाकि के कपडे पहन के वाशरूम गई और कुछ देर मे वापस आके मेरे पास लेट गई।

मुझे तो दीदी कि लेने के बाद बड़ी ज़ोर से नींद आ रही थी।

दीदी बोली – उठ ना, क्या सो रहा है। इतने टाइम बाद तेरे घर आई हूँ फिर भी तुझे नींद आ रही है। मुझे पता था कि सेक्स करते ही तुझे नींद आएगी, इसलिए मैं सेक्स के लिए मना कर रही थी। अब सेक्स कर लिया तो तुझे सोना है।

मैंने कहा – ठीक है, नहीं सो रहा हूँ।

दीदी – हाँ, बात कर मुझसे।

मैं – क्या बात करूँ।

दीदी – कुछ भी बोल।

उस टाइम हम दोनों ही गरम थे, और कमरे का माहौल भी गरमाया हुआ था तो नार्मल बात तो हम कर ही नहीं सकते थे, और करते भी तो वो बोरिंग लगता। इसलिए मैंने दीदी से सीधा एक ही सवाल किया –

” दीदी, क्या आपने जीजाजी के और मेरे अलावा किसी और मर्द के साथ सेक्स किया है?”

दीदी ने थोड़ा गुस्से वाला चेहरा बनाया और मुझे सवाल भारी निगाहों से देखा, लेकिन कुछ नहीं बोली। क्यों कि अभी कुछ ही देर पहले मैंने उनको झटके मार मार के संतुष्ट किया था तो कमरे का माहौल अभी भी बहुत सेक्सी था, तो दीदी ने सिर्फ गुस्से वाला चेहरा ही बनाया लेकिन वो भी बनावटी।

तब तक मैंने वापस यही सवाल पूछ लिया –
बोलो ना दीदी, किसी और मर्द के साथ सेक्स किया है क्या?

वो अभी भी मेरी शक्ल देख रही थी।

मैंने कहा – ठीक है, नहीं देना है जवाब, तो सो रहा हूँ मैं।

वो बोली – नहीं किया मैंने किसी के साथ सेक्स।

मैंने कहा – स्कूल, कॉलेज मैं या कोई बॉयफ्रेंड, किसी के साथ नहीं किया?

दीदी – नहीं, मेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं था। तुझे पता तो है कि मेरी शादी 17 साल कि थी तब ही हो गई थी। तो बॉयफ्रेंड कब बनाती?

मैंने कहा – तो आपने सिर्फ जीजाजी के साथ ही सेक्स किया?

वो बोली – नहीं, तेरे साथ भी किया है।

फिर दोनों को हंसी आ गई।

फिर दीदी को पता नहीं क्या सूझी, और वो बोलने लगी – कि एक बार तेरे जीजाजी रात कि 1 बजे तक घर नहीं आए। और उस टाइम फ़ोन भी नहीं थे। मैं परेशान हो गई थी। खाना भी नहीं खाया था, इंतज़ार कर रही थी उनका।

1.10 बजे दरवाजे पे दस्तक हुई और मैं दरवाजा खोलने गई। दरवाजा खोला और देखा कि वो दारु पीकर नशे मे धुत्त हो रहे थे सही से खड़े भी नहीं हो पा रहे थे। कोई दूसरा आदमी था जो उनको घर तक छोड़ने आया था।

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शायद वो इनके साथ ही जॉब करता था।

वो मुझसे बोला – भाभी, इनको थोड़ी ज्यादा हो गई है। खाना नहीं खाया है। आप इनको खाना खिला के सुला देना।

फिर वो तेरे जीजाजी को सहारा देके अंदर तक लेके आया। और उनको पलंग पर बैठा कर जाने लगा।

इन्होने उसको रोका और बोले कि रुक जा भाई, खाना खा के जा।

उस आदमी ने मना कर दिया, लेकिन तेरे जीजाजी नशे मे कहाँ किसी कि सुनते है, जबरदस्ती रोक ही लिया उसको।

फिर मैंने तीनों के लिए खाना लगाया।

तब तक तेरे जीजाजी ने दारू का एक पव्वा और निकाल लिया।

मुझे गुस्सा भी आ रहा था उनपर, कि इतना पी के आए है, फिर भी पीना इनको। लेकिन गेस्ट होने कि वजह से मे चुप ही रही।

हम तीनो खाने बैठ गए और वो खाने के साथ पी भी रहे थे, और उनके दोस्त को भी जबरदस्ती पिला दी।

फिर तेरे जीजाजी ने उस आदमी को बोला कि तू आज यही रुक जा। तू नशे मे भी है और इतना लेट अँधेरे मे जाएगा, इससे अच्छा यही रुक जा, सुबह चला जाना।

वो मना करने लगा तो ये बोले कि रुक जा, घर जाके भी क्या करेगा, कोनसा तेरी पत्नी इंतज़ार कर रही है तेरा।

मैंने उस आदमी से पूछा कि आपकी शादी नहीं हुई है क्या? तब उसने बताया कि नहीं हुई है।

वो आदमी दिखने मे भी उम्र मे नहीं लग रहा था।

इन्होने तो इतना पी लिया कि बैठे बैठे ही सो गए। अब वो हिले ही ना।

बहुत आवाजे लगाई, लेकिन वो तो मस्त हो रहे थे नशे मे।

फिर हम दोनों उनको उठा कर कमरे मे ले गए और पलंग पर सुला दिया।

उस आदमी को मैंने बरामदे मे लगे पलंग पर सोने को कह दिया।

तेरे जीजाजी पलंग पर चौड़े होके सो रहे थे इसलिए मुझे ज़मीन पर सोना पड़ा।

और जहाँ मे सोई थी वहां ऊपर ही एक खिड़की थी जो बरामदे और मेरे रूम कि कॉमन खिड़की थी।

आज जो भी नाटक हुआ घर मे, वो सब सोच रही थी इसलिए नींद भी नहीं आ रही थी। और गर्मी के दिन थे और मुझे निचे सोना पड़ रहा था जहा ठीक से हवा भी नहीं आती, इसलिए गर्मी से परेशान हो रही थी।

तो मैंने साड़ी खोल दी और ब्लाउज खोल के ब्रा खोली और ब्लाउज वापस पहन लिया और सो गई।

लेकिन नींद अभी भी नहीं आ रही थी।

मैं उठी और रसोई मे चली गई और पानी पीकर वापस बाहर आ गई। बाहर आके देखा तो वो आदमी ठीक मेरे सामने खड़ा था।

मैं ब्लाउज पेटीकोट मे थी और साड़ी रूम मे ही छोड़ आई थी।

वो मुझसे बोला – भाभी, मुझे भी पानी पिला दो।

उसकी नज़रे मेरे क्लीवेज पर थी। लेकिन मे क्या करती? ढकती कैसे? जल्दी जल्दी उसको पानी पिलाया और भाग के अंदर गई।

कमरे मे घुसते ही सामने अलमारी का कांच दीखता है। मैंने अपने आप को कांच मे देखा और शर्म से पानी पानी हो गई।

मैंने मीना दीदी से पूछा – क्यों, पेटीकोट ब्लाउज तो पहने हुए थे ना आपने। ये तो नार्मल बात है, ब्लाउज से थोड़ा बहुत क्लीवेज तो दीखता ही है।

तो दीदी बोली – हट, पागल है तू।

तुझे पता है मैंने ब्रा पहले खोल दी थी, गर्मी लग रही थी तो। और जब कांच मे देखा तो पता चला कि ब्लाउज के अंदर से मेरे निप्पल एक दम साफ दिख रहे थे। और वो आदमी मेरा क्लीवेज नहीं मेरे निप्पल देख रहा था।

मैं बोला – अच्छा? फिर क्या हुआ?

दीदी बोली – फिर मैं वापस जा के सो गई, और मुझे पता नहीं चल रहा था कि मेरी बेवकूफी पे हँसू या ग़ुस्सा करुँ खुद पर।

अब मेरी नींद तो मानो एक दम गायब हो गई। और मैं उस आदमी के बारे मे ही सोच रही थी, कि किस तरह से वो मेरे निप्पल को देख रहा था।

पहले कुछ देर तक तो ग़ुस्सा आ रहा था, और वो ग़ुस्सा अचानक ही गायब हो गया और अपनी बेवकूफी पर हसीं आने लग गई।

पता नहीं मुझे क्या सूझी, मैं उठ कर वापस बाहर कि तरफ चल दी। वो अभी भी जाग रहा था, उसको नींद नहीं आने के 2 ही कारण हो सकते थे, या तो वो उसके घर नहीं है इसलिए नींद नहीं आ रही और या फिर उसने मेरे निप्पल देख लिए तो उसकी नींद उड़ गई।

मैं उसके सामने जाके खड़ी हो गई, और उससे पूछा – आप अभी तक जाग रहे हो? नींद नहीं आ रही है क्या?

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वो फिर से मेरी तरफ देखने लगा और फिर से उसे मेरे निप्पल दिख गए। मेरे निप्पल देखते ही जैसे उसकी आँखों मे चमक आ गई थी। और उसे इस तरह मुझे देखकर खुश होते हुए देख कर मुझे भी अच्छा लग रहा था।

वो बोला – नींद नहीं आ रही है भाभी।

मैंने पूछा – मैं पानी पीने जा रही थी, अगर आपको भी पीना हो तो लेके आउ?

वो बोला – नहीं भाभी, आप यहाँ मत लेके आओ। आप बार बार यहाँ से वहां जाओगे, अच्छा नहीं लगेगा। मैं रसोई मे ही आ जाता हूँ, वहीं पिला देना।

फिर मैं रसोई मे चली गई और वो भी मेरे पीछे रसोई मे आ गया। मैं मटकी से पानी भर रही थी और वो मेरे पीछे एक दम मुझसे सट कर खड़ा हो गया। कुछ इंच का ही फासला होगा हमारे बिच। मुझे यहाँ तक भी फील हुआ जैसे मुझे मेरी गांड पर कुछ टच हुआ हो।

और जैसे ही मैं पानी लेके पीछे मुड़ी, मेरा बूब उसके कंधे से टकरा गया।

मैंने उसको सॉरी बोला और पानी का गिलास पकड़ाया।

उसने पानी पीकर गिलास वापस मुझे दे दिया।

मैं वापस मटकी कि तरफ मूड गई और पानी पिने लगी। और मैंने सोचा कि वो पानी पीके चला गया होगा।

तभी अचानक से मुझे फिर से मेरी गांड पर कुछ टच होता महसूस हुआ, और वो दबाव बढ़ता चला गया, और एक दम से मेरे दोनों तरफ से दो हाथ आगे आए और अगले ही पल मेरे दोनों बूब्स उन दोनों हाथों कि गिरफ्त मे थे और अब मुझे गांड पर रगड़ महसूस होने लग गई।

मुझे पता तो चल ही गया था कि क्या हो रहा है, इसलिए मैंने पीछे मूड कर नहीं देखा। पीछे देखती तो शायद मे शर्मा के भाग जाती या मुझे उसकी इस हरकत पर कुछ बोलना पड़ता। इसलिए मैंने कुछ ना बोलना ही मुनासिब समझा।

और सच कहूं तो मुझे उसका टच अच्छा भी लग रहा था। और उसके लंड का आकार धीरे धीरे बढ़ता हुआ मेरी गांड पर फील हो रहा था जो मुझे बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा था।

मै सिर्फ पुतला बनकर खड़ी थी, और वो मेरे बूब्स दबा रहा था और मेरी गांड पर अपना लंड रगड़ रहा था।

फिर उसने एक हाथ मेरे ब्लाउज मे डालकर एक बोबे को पकड़ लिया और दूसरा हाथ निचे ले जाकर पेटीकोट के ऊपर से ही मेरी जांघो पर रगड़ने लग गया, और फिर मेरी चूत पर अपना हाथ ले आया।

जैसे ही उसने मेरी चूत को उंगलियों से सहलाना शुरू किया, और मेने उसका हाथ पकड़ लिया। मुझसे रहा नहीं गया और पीछे मूड के मैंने उसको लिपकिस्स कर दी।

फिर उसने मुझे कसकर पकड़ लिया और मुझे लिपकिस्स करने लगा।

हम दोनों एक दूसरे को किस्स करते करते एक दूसरे मे खो गए, और ये भी भूल गए कि उसी घर मे मेरा पति भी सी रहा है।

उसने मुझे कस के पकड़ा हुआ था, और मैं उसकी आगोश मे कसमसाती हुई उसके लंड पर अपनी चूत रगड़ रही थी।

उसने पीछे से मेरे पेटीकोट को ऊपर किया और मेरी पैंटी मे दोनों हाथ डालकर मेरी गांड दबाने लग गया, और गांड दबाते मुझे अपनी और खींच रहा था ताकि वो ठीक से उसका लंड मेरी चूत पर रगड़ सके।

अब उसने पेटीकोट को आगे से भी ऊपर कर दिया और मेरी पैंटी पर लंड को रगड़ने लगा। और मेरे ब्लाउज के हूक खोल दिए जो कि आगे कि तरफ ही थे।

अभी कुछ देर पहले ही जो मेरे निप्पल को ब्लाउज के अंदर से देख के ही खुश हो रहा था, उसके सामने वो बूब्स एक दम नंगे हो चुके थे।

मैंने अब तब भी आँखे बंद कि हुई थी। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि ये कैसे फेस करुँ, क्यों कि मुझे पता था कि ये सब गलत कर रही हूँ मे, लेकिन रोक भी नहीं पा रही थी अपने आप को और ना उस आदमी को।

वो मेरी गर्दन पर किस्स करता करता मेरे बूब्स तक आ गया और मेरे बूब्स को आम कि तरह पकड़ के दोनों को बारी बारी चूसने लगा। और निप्पल को भी चूसने लगा।

फिर मुझे एक दम ख्याल आया कि तेरे जीजाजी उठ ना जाए कही, वैसे तो वो उठने वाले नहीं थे इतनी पिने के बाद। फिर भी एक बार मन कि तसल्ली के लिए मे रसोई के दरवाजे तक आई और मेरे रूम का दरवाजा देखा जो अभी भी बंद ही था।

मैंने रसोई का दरवाजा भी बंद कर लिया, तब तक उस आदमी का वापस पीछे से मुझ पर हमला हुआ और मेरे बूब्स दबा कर मेरी गांड पर लंड रगड़ने लगा।

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मुझे अब रहा नहीं जा रहा था और मुझे उसके लंड को चुने कि और उसकी लम्बाई चौड़ाई जानने कि उत्सुकता होने लगी और मैंने हम दोनों के बिच मे मेरा हाथ डाल के उसके लंड पर हाथ रख दिया जो अभी फॉर्मल पैंट के अंदर था।

वो मेरे बोबे के मजे ले रहा था इसी बिच मेने उसकी पैंट कि ज़िप खोली और ज़िप मे हाथ डाल के अंडरवियर मे हाथ डाल दिया और लंड को हाथ मे ले लिया।

काफी बड़ा और मोटा था उसका लंड। मुझे दिल से ख़ुशी होने लगी लंड को हाथ से छू कर। और उसको भी उसके लंड पर मेरे हाथ का स्पर्श बहुत अच्छा लगा, इसलिए उसने लंड को धीरे धीरे हिलाना शुरू कर दिया।

मुझे पता चल गया कि वो क्या चाहता है, और मैंने लंड को मुट्ठी मे दबा लिया और हिलाने लग गई।

वो बहुत उत्तेजित होने लग गया और उसने मेरा पेटीकोट ऊपर करके मेरी पैंटी के ऊपर से मेरी चूत को सहलाना शुरू कर दिया।

मैंने उसका लंड हिला रही थी जो मेरी गांड को छू रहा था और वो मेरी चूत को सहलाए जा रहा था।

उसके लंड से चिकना चिकना पानी छूट रहा था जिससे पीछे से मेरा पेटीकोट और पैंटी भी भीग रहे थे और मेरी उंगलिया भी भीग गई थी।

फिर उसने मेरे हाथ से लंड को छुड़ाया और पैंट और अंडरवियर को जांघो तक खोल दी, और मेरी पैंटी को भी खींच के घुटनो तक उतार दी।

मैं अभी भी उसकी तरफ पीठ किये हुए थी और मेरे बोबे ब्लाउज से बाहर थे जो हवा मे झूल रहे थे।

तभी उसने मुझे थोड़ा सा आगे कि तरफ झुकाया जिससे मेरी गांड पीछे कि तरफ निकल गई, और फिर उसने मेरी चूत मे लंड घुसाने कि कोशिश करने लगा।

और मे इंतज़ार करने लगी लंड को पूरा अंदर लेने का।

उसने थोड़ी मशक्कत कि और धीरे धीरे करके पूरा लंड मेरी चूत मे घुसा दिया।

लंड घुसते ही वो एक दम से रुक गया। शायद वो झड़ ना जाए इस वजह से रुक गया।

उसका लंड अभी मेरी चूत मे ही था।

उसने मुझे पूरा खड़ा कर दिया और एक हाथ से मेरे बोबे और एक हाथ से मेरी चूत, दोनों से मजे लेने लगा, और धीरे धीरे लंड को भी अंदर बाहर कर रहा था।

कुछ देर बाद उसने फिर से मुझे वैसे ही झुकाया और मेरी कमर पकड़ कर मेरी चूत चोदने लगा।

उसका मोटा लम्बा लंड वो पूरा अंदर घुसाता और पूरा बाहर निकाल के वापस झटके के साथ अंदर घुसा देता। इससे मुझे इतना दर्द हो रहा था कि मे बता नहीं सकती। लेकिन मजा दर्द से भी दुगुना आ रहा था।

वो मेरी कमर पकड़ के मेरी ताबड़तोड़ चुदाई कर रहा था।

अब उसने अपना लंड बाहर निकाल दिया और मुझे उसकी तरफ घुमा दिया, और मेरी पैंटी पूरी खोल दी।

मेरा एक ऊपर करके उसके हाथ पर रख दिया। अब मेरा एक पर ज़मीन पर और एक पर हवा मे, मतलब उसके हाथ पर था, जिससे मेरी दोनों टांगे फ़ैल गई।

उसने फिर से अपना लंड मेरी चूत मे डाल दिया और मेरी चूत मारने लग गया।

चोदते चोदते वो अचानक रुक गया। क्यों कि अब उसका माल निकलने वाला था। उसने लंड को बाहर निकाला और मुठ मारने लगा। अगले ही मिनट उसके लंड से एक फवारा निकला जो सीधा फर्श पर गिरा।

फिर उसने अपने कपडे ठीक किये और मेने भी मेरे कपडे पहने। मेने फर्श पर पोछा लगाया।

हम दोनों अपनी अपनी जगह जाके सो गए।

तेरे जीजाजी अभी भी वैसे ही सो रहे थे। तो मे भी सोच रही थी कि क्या आदमी है? खुद के घर मे होते हुए भी किसी और ने बीवी कि चुदाई कर ली। और ये सोच के हसने लगी।

मेने बोला – दीदी, आप गज़ब हो यार।

दीदी ने सिर्फ एक स्माइल दी

मैंने पूछा – क्या नाम था उस आदमी का?

दीदी बोली – क्या पता, मैंने पूछा ही नहीं।

ये सुनकर मुझे और भी ताज्जुब हुआ कि जिसका नाम भी नहीं पता है दीदी को, उससे चूत मरवा ली।

खैर

दीदी ने जो बात बताई थी उससे मैं भी गरम तो हो ही गया था। धीरे धीरे दीदी के कपडे वापस उतार दिए और दीदी को नंगी करके उनके ऊपर लेट कर उनकी चूत चोदने लग गया।

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