Chachi ki chudai : दोस्तों, मैं आयुष पांडे आप सभी को अपनी सीक्रेट स्टोरी antarvasna.live पर सुना रहा हूँ। मेरी चाचा की शादी कुछ महीनो पहले हुई थी। मेरी चाची का नाम राधिका था। वो बहुत सुंदर और सेक्सी थी। बहुत गोरी बिलकुल दूध मलाई जैसा रंग था राधिका चाची का। धीरे धीरे हमारे घर में मेरी माँ और दुसरे लोग चूपके चुपके बात करने लगी की राधिका चाची अल्टर है और शादी से पहले कई लोगो से चुदवा चुकी है। जब सुहागरात को मेरे चाचा चाची की चूत मारने लगे तो उनका भोसड़ा पूरी तरह से फटा हुआ था और इसके बारे में जब चाचा ने पूछा की बता किस यार ने तेरी चूत चोद चोदकर इतनी फाड़ दी तो दोनों में झगड़ा शुरू हो गया। चाचा बहुत गुस्से में थे, क्यूंकि वो पूरी तरफ से पवित्र और कुवारे थे। उनको पूरी उम्मीद थी की उनको सीलबंद चूत वाली लड़की मिलेगी बीबी के रूप में।
पर यहाँ तो सारा मामला उल्टा पड़ गया था। नई राधिका चाची तो चुदी चुदाई थी और उनकी चूत के दोनों होठ पूरी तरह से खुल गये थे। चाचा १५ दिन तक चाची के कमरे में गये ही नही। वो इस बात पर बहुत जादा नाराज थे की चुदी चुदाई लड़की उनको कैसी मिल गयी। क्यों चाचा ने राधिका चाची से शादी के पहले ये सब क्यों नही पूछा। पर दोस्तों कुछ दिन बाद चाचा को चूत की तलब लगने लगी, क्यूंकि वो पूरी तरह से जवान थे और उनका रात में लंड रोज खड़ा हो जाता था। आखिर चाचा ने सोचा की जो रुखा सुखा मिला है इसी को खाओ। फिर वो रोज रात को चाची की बुर मारने लगे। मेरे घर की सारी औरते राधिका चाची को अच्छी नजर से नही देखती थी। मेरी माँ भी उनको अल्टर, आवारा , छिनाल और ना जाने क्या क्या कहते रहती थी। मेरी माँ ने मुझसे कह रखा था की अगर राधिका चाची मुझे अपने कमरे में बुलाऊं तो मैं ना जाऊ। क्यूंकि वो लंड की प्यासी औरत मेरा लंड का शिकार भी कर सकती है।
इस तरह मैं मन ही मन अपनी राधिका चाची की तरफ आकर्षित होने लगा। क्यूंकि मैं २२ साल का हो चूका था और चूत ढूढ़ रहा था। इसलिए जहाँ मेरी माँ मुझे राधिका चाची के पास ना जाने को कहती तो मैं और जादा उनके पास जाता।
“चाची! बजार जा रहा हूँ, कुछ सामान तो नही मंगाना???, “चाची मार्किट जा रहा हूँ समोसे या टिक्की खानी हो तो ले आऊ!” दोस्तों, इस तरह से मैं राधिका चाची के आसपास मंडराने लगा। कुछ ही दिनों में मेरी राधिका चाची से गहरी छन्ने लगी। वैसे भी दोस्तों चाची और भतीजे का रिश्ता बहुत मजाक वाला होता है। राधिका चाची हमेशा बहुत ही कसा ब्लाउस पहनती और सदैव चटक रंग के कपड़े पहनती। जब वो गोल गोल कांच से जड़े चटक बैंगनी रंग का गहरे गले का ब्लाउस पहनती तो मेरा यही दिल करता की चाची को जबरन पकड़ लूँ और वही उनके कमरे में उनको जी भरके चोद लूँ। पर वो मेरी प्यासी चाची थी, भला मैंने कैसे उसका बलात्कार कर सकता था।
इसलिए मैंने ऐसी वैसी कोई हरकत नही थी। जब भी उसके २ मस्त मस्त संगमरमर जैसे कबूतर के मुझे दर्शन हो जाते मैं चुप चाप बाथरूम में जाकर मुठ मार। दोस्तों, मैं अच्छी तरह से जानता था की मेरी चाची अल्टर है। थोड़ी मेहनत करूँगा तो पट जाएगी। इसलिए मैं चाची को लाइन मार देता था। “चाची!! काश आप जैसी लकड़ी मुझसे पट जाती तो मेरी लाइफ सेट हो जाती! …कितना मजा लेता है उसे चो….” मैं कहता और आवाज दबा लेता। धीरे धीरे राधिका चाची समझ गयी की उनको एक नया लौड़ा खाने को घर में ही मिल सकता है। मेरा लौड़ा। एक दिन उन्होंने मुझे शाम के वक़्त अपने घर में बुला लिया।
“आयुष! …चोदेगा मुझे???” पता नही कैसे मेरी प्यारी राधिका चाची ने मुझसे अचानक से पूछ लिया। मेरा तो चेहरा सफ़ेद पड़ गया।
“हाँ !! चाची!! कबसे तुमहारे ब्लाउस में छुपे कबूतर को देख देख कर मुठ मार रहा हूँ…..दे दो अपनी चूत!” मैंने हिम्मत करके कह दिया
“….इसमें शर्म क्या करना। आ! चोद ले आकर!!” राधिका चाची बोली मैं कुछ करने ही जा रहा की मेरी माँ आयुष आयुष करके आवाज देने लगी। इसलिए उस शाम हमारे बीच कुछ नही हो पाया। एक दिन शाम के घर में मैं था। अचानक धम्म से गिरने की आवाज आई। वहां पर और कोई नही था। मेरे चाचा अपनी किराना वाली दूकान पर गये थे। मैंने आवाज सुनी तो दौड़ा दौड़ा बाथरूम में गया। देखा राधिका चाची बाथरूम में फिसल कर गिर गयी थी। “आह आह…” करके वो दर्द से चिल्ला रही थी। मैं परेशान हो गया।
“क्या हुआ चाची????’ मैंने फिकर करते हुए पूछा
“….गिर गयी रे!!! मुझे उठा बेटा आयुष!!….उठा मुझे!!” चाची बोली
मैंने उनको पकड़कर उठाया। उनके कुल्हे पर दर्द हो रहा था। वो मेरे कंधे का सहारा लेकर खड़ी हो गयी और लंगडाकर चलने लगी। मैं उनको बिस्तर पर ले आया। “आआआ …आआआ” चाची जोर जोर से चिल्लाने लगी। मैंने चाची के कुल्हे में हाथ डाल डाल दिया। उनका पेटीकोट खुला हुआ था क्यूंकि चाची नहा रही थी और इसी बीच उनका पैर बाथरूम के टाइल्स पर फिसल गया। राधिका चाची पूरी तरह से भीगी हुई थी। मेरा तो लंड उनको देखकर खड़ा हो चूका था। क्या गोरा गोरा सर से पाँव तक जिस्म था उनका। चाची बिलकुल चोदने खाने वाला मस्त सामान थी। मैंने चाची को बिस्तर पर लिटा दिया।
“बेटा आयुष!! उधर अलमारी में आयोडेक्स रखा है। निकाल ला बेटा और मेरे कुल्हे पर मल दे!!” चाची बोली। उनका हुक्म मेरे सर माथे पर था। इसलिए मैंने तुरंत आयोडेक्स अलामारी से निकाल लाया। और चाची के चटक गीले पेटीकोट के अंदर मैंने हाथ डाल दिया। राधिका चाची पेट के बल बिस्तर पर लेट गयी, मैं उसके पास ही बैठ गया और अपने हाथ से आयोडेक्स निकाल निकालकर उसके पेटीकोट के अंदर हाथ डालकर वहां लागने लगा जहाँ उन्होंने बताया था। कुछ देरबाद मुझे उनका लाल रंग का भीगा पेटीकोट नीचे सरकाना पड़ा, क्यूंकि इस तरफ से चाची की मालिश नही हो पा रही थी। दोस्तों, जैसे ही मैंने लाल भीगा पेटीकोट नीचे खींचा २ मस्त मस्त बेहद मुलायम पुट्ठे मेरे सामने थे। बड़ी देर तक मैं चाची के मस्त मस्त हिप को ताड़ता रहा।
“लागाओ बेटा!!’ चाची बोली। मैं होश में वापिस लौटा। मैंने चाची के मस्त मस्त पुट्ठों की मसाज आयोडेक्स से करने लगा। उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़….दोस्तों आप लोगो को मैंने बता नही सकता हूँ मुझे कितना जादा सुख मिल रहा था। जिस चाची को मैं सदैव चोदना खाना चाहता था वो आज नंगी मेरे सामने थी। उन्होंने अपनी पैंटी निकाल दी थी। और बदन पर साबुन भी लगाकर नहा चुकी थी। कुछ देर तक मैं उसके गोल गोल हिप्स [पुट्ठे] पर अपने हाथों से आयोडेक्स मलता रहा। फिर चाची पलट गयी और मेरी तरफ मुँह करके सीधा बिस्तर पर लेट गयी। चाची ने मुझे कंधों से पकड़ लिया। और मेरे होठ से अपने होठ जोड़ दिए।
“ये क्या चाची??…..आप तो बिलकुल ठीक है???” मैंने अचरज से कहा
“आयुष !! मेरे भतीजे!! ये सब नाटक मेरा लंड खाने के लिए था!!” चाची बोली
“ओ तेरी तो!!” मेरे मुँह से आश्चर्य में बड़ी तेज से निकल गया।
“आयुष बेटा!! आज मुझे कसके चोद बेटा!! दिन में भी मेरी चूत इतनी गर्म होती है की लंड मांगती है!!….इसलिए मुझे चोद बेटा!!” चाची मेरे मुँह पर हाथ रखते हुए बोली। उसके बाद तो दोस्तों मैं सब भूल गया। खूबसूरत गठीले जिस्म की मालकिन मेरी चाची बोली। उसके बाद मैंने उनका लाल भीगा पेटीकोट निचे खींच दिया और उनका ब्लाउस भी खोल कर निकाल दिया जो पूरी तरह से भीगा हुआ था। अब मेरी अल्टर छिनाल राधिका चाची मेरे सामने पूरी तरह से नंगी थी। उनका महकता और सफ़ेद दुधिया बदन मेरे सामने था। मैंने अपनी शर्ट पैंट निकाल फेकी। और अपनी बनियान और कच्छा भी निकाल दिया। मैंने चाची की चुदाई की शुरुवात उनके मस्त मस्त दूध से की। उसके मस्त मस्त ४०” के दूध को मैंने अपने हाथ में ले लिया और जोर जोर से दाबने लगा। क्या बताऊँ दोस्तों बहुत मजा मिल रहा था। राधिका चाची के बूब्स बहुत बड़े बड़े थे और मेरी माँ के दूध से भी बड़े बड़े थे। मैंने मजे से चाची की बूब्स अपने हाथ में लेकर दबाने लगा।
फिर मैं उसके साथ ही लेट गया। हम दोनों पूरी तरह से नंगे थे और प्यार कर रहे थे। चाची ने खुद अपनी विशालकाय चुच्ची मेरे छोटे से मुँह में दे दी। मैं किसी छोटे बच्चे की तरह राधिका भाभी की चुच्ची पीने लगा। उफफ्फ्फ्फ़ …क्या मस्त मस्त काले काले घेरे वाले रुई की तरह मुलायम स्तन थे उनके।
“ओह्ह्ह….चाची !! इतने सुंदर मम्मे मैंने आज तक नही देखे! मेरी माँ के दूध दूध भी इतने बड़े और सुंदर नही!!” मैंने चाची से कहा
“पी ले आयुष बेटे!! आज के लिए मैं तेरी प्रेमिका हूँ। जितना मन करे बेटा, चोद ले मुझे!” राधिका चाची बोली
उसके बाद तो मैं खुलकर चाची के जिस्म से खेलने लगा। और आराम आराम से उसके दोनों स्तन पीने लगा। चाची प्यार से मेरे सर में अपनी उँगलियाँ घुमाने लगी।
“चाची!! मेरी माँ और घर की सारी औरतें कहती है की आप शादी से पहली चुदी चुदाई विदा होकर आई थी। क्या ये बात सच क्या???’ मैंने पूछा
“हाँ बेटा आयुष…ये बात पूरी तरह से सच है। मैं क्या करती। १६ साल में ही मेरे क्लासमेट ने मुझे स्कुल में चोद लिया था। उसके बाद तो मुझे चुदाई इतनी जादा अच्छी लगने लगी की बेटा मुझे इसकी लत लग गयी। उसके बाद पोस्ट graduation तक आते आते २० बॉयफ्रेड्स ने मुझे रगडकर चोदा और मेरी चूत फाड़कर रख दी। सुहागरात में जब तेरे चाचा ने मुझे नंगा किया और मेरा भोसड़ा देखा तो वो पूरी तरह से फटा हुआ था, इस वजह से वो बहुत गुस्सा हो गये थे और बाहर चले गये थे!!” चाची बोली। उसके बाद मैंने उसने जादा बात नही की। अब तक मैं उनके दोनों दूध अच्छे से पी चूका था। मैंने लम्बी चौड़ी बलिष्ठ बदन वाली हट्टी कट्टी चाची के पेट पर कमर के पास बैठ गया और मैंने अपना लंड राधिका चाची के मुँह में डाल दिया।
वो किसी देसी रंडी की तरह लग रही थी। वो मेरा लम्बा ७ इंची लंड मुँह में लेकर चूस रही थी। मुझे स्वर्ग का सुख मिल रहा था। चाची के लीची जैसे रसीले होठ मेरे लंड को चूस रहे थे। चाची अपने हाथ से मेरा लंड आगे पीछे कर रही थी। कुछ देर में उन्होंने मेरा लंड सौ से जादा बार चूस लिया और उतेज्जना के भीसड़ तूफान के बीच मेरा माल राधिका चाची के मुँह में ही छुट गया। कई बार सफ़ेद गाढ़ी क्रीम मेरे लंड से निकली और राधिका चाची के मुँह में चली गयी। वो मेरा सारा माल पी गयी। फिर मैं उनका मखमली पेट चूमने लगा। कुछ देर तक उनकी गहरी नाभि से मैं खेलता रहा। राधिका चाची का पेट तो बहुत सुंदर था दोस्तों, इतना सुंदर पेट मैंने कभी नही देखा था। मैं बड़ी देर तक उनका पेट चूमता रहा। फिर उनकी हासिन चूत पर आ गया। चाची की बुर पूरी तरह से क्लीन शेवड थी। मैं चाची की बुर से खेलने लगा। और फिर जीभ पर अपने होठ रखकर मैं चूसने लगा। कुछ देर में मैंने चाची के दोनों पैर उपर की तरफ कर दिए और उनकी चूत में लंड डाल दिया। बड़ी आराम से मेरा लौड़ा उनकी चूत में समा गया। क्यूंकि चाची की बुर पूरी तरह से फटी हुई थी।
मैं राधिका चाची को कमर मटका मटकाकर पेलने लगा। हम दोनों के जांघ लड़ने ने पट पट की मीठी आवाज आने लगी। चाची अपने ओंठ खुद चबाने लगी और अपनी भारी भारी विशालकाय छातियाँ लेकर अपने मुँह में लगाकर खुद अपनी चुच्ची पीने लगी। मुझे उनकी ये हरकत देखकर प्यार आ गया और मैं जोर जोर से उनकी गर्म बुर में लंड देने लगा। हम दोनों को ये संगम बहुत ही मधुर था। मैंने चाची की सफ़ेद चिकनी कमर चूम चूम कर उनको पेल रहा था। चाची की उम्र ३२ की रही होगी। वो मुझसे १० साल बड़ी होंगी। पर मैं उनको बड़ी कायदे से ले रहा था। मैं उनकी नर्म योनी में अपना कड़ा लंड डालकर चाची को प्यार से चोद रहा था और सम्भोग कर रहा था।
दोस्तों, बीच में उनको ठोंकते ठोंकते मैं कुछ देर के लिए रुक गया। मेरा लंड उनकी बुर के भीतर ही रहा और हम दोनों एक दूसरे से प्रेमी प्रेमिका की तरह लिपट गये और होठ से होठ जोड़कर किस करने लगे। हम एक दूसरे से खेलने लगे। और गाल को किस करने लगे। मैंने चाची के गले की पतली खाल को अपने दांत से काट लिया, फिर उनका कान मैं चबाने लगा। इससे चाची को बहुत सेक्स चढ़ गया। उनके पुरे शरीर में आग ली लग गयी।
“आयुष बेटा!! आज मुझे चोद चोदकर मेरी सारी प्यास को बुझा दो!! बेटा, तेरे चाचा को ९, १० मिनट में ही आउट हो जाते है। इसलिए तुम आज कम से कम २ घंटे तक लेना!!” चाची बोली। उसके बाद मैंने फिर से काम शरू कर लिया। फिर मैं अपना लंड उनके भोसड़े में अंदर बाहर करने लगा। कुछ देर में फिर से पट पट की मीठी आवाज आने लगी। चाची का जिस्म मेरे लंड पर आगे पीछे डोलने लगा। मुझे बहुत मजा मिल रहा था। कुछ देर बाद तो मैंने किसी मशीन की तरह उनको लेने लगा। चाची की छातियाँ तो और भी जादा कड़ी हो गयी थी। निपल्स और जादा टाइट हो गये थे। कुछ देर बाद मैंने अपना माल चाची के भोसड़े में छोड़ दिया। उनको बाथरूम में कोई चोट नही लगी थी, उन्होंने सिर्फ बाथरूम में फिसलने का नाटक बनाया था। सच तो ये था की उनको मेरा लंड खाना था। ये कहानी आपको कैसी लगी, अपनी कमेंट्स antarvasna.live पर जरुर दें।
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