मेरी जवान विधवा भाभी

Vidhwa Bhabhi Sex Story : मेरा नाम रोहन है। मैं लखनऊ में अपने परिवार के साथ रहता हूँ। हमारा घर पुरानी हवेली जैसा है, जहाँ संयुक्त परिवार की रौनक अभी भी बची हुई है। मेरा बड़ा भाई, अजय, चार साल पहले गुजर गया था। उसकी एक ट्रक दुर्घटना में मौत हो गई थी। उसकी पत्नी, मेरी भाभी, प्रिया, तब सिर्फ 26 साल की थी। भैया की मौत के बाद भाभी हमारे साथ ही रहने लगीं। मम्मी-पापा उन्हें अपनी बेटी की तरह मानते थे, और मैं उनका देवर था। लेकिन सच कहूँ, भाभी को देखकर मेरे मन में कभी-कभी ऐसे ख्याल आते थे, जो एक देवर को नहीं सोचना चाहिए।

प्रिया भाभी की खूबसूरती ऐसी थी कि गली के मर्द उनकी एक झलक के लिए तरसते थे। लंबे काले बाल, गोरी चमड़ी, और वो चूचियाँ जो साड़ी में भी अपनी शक्ल दिखा देती थीं। उनकी गांड हर कदम पर मटकती थी, और होंठ ऐसे रसीले कि बस चूसने का मन करे। भैया की मौत के बाद वो हमेशा सादी साड़ी पहनती थीं, लेकिन उस सादगी में भी उनकी जवानी छुपती नहीं थी। मैं 24 का था, और कॉलेज में पढ़ता था। भाभी से मेरी अच्छी बनती थी। वो मुझे छेड़तीं, और मैं उन्हें। लेकिन पिछले कुछ महीनों से उनके ताने बदल गए थे—उनमें एक अजीब सा नशा था।

एक दिन की बात है। मम्मी-पापा किसी रिश्तेदार के यहाँ गए थे, और घर में सिर्फ मैं और भाभी थे। सुबह मैं अपने कमरे में था, जब भाभी मेरे लिए चाय लेकर आईं। वो सफेद साड़ी में थीं, जो पतली थी और उनकी चूचियों को हल्के से ढक रही थी। मैंने उन्हें देखा और कहा, “भाभी, आप तो सुबह-सुबह आग लगा रही हो।” वो हँसीं और मेरे पास बैठ गईं। “रोहन, तू भी तो कम नहीं है। जवान हो गया है,” उन्होंने कहा। उनकी आँखें मेरे जिस्म पर घूम रही थीं, और मेरे दिल की धड़कन तेज हो गई। मैंने मजाक में कहा, “भाभी, आपकी जवानी के आगे तो मैं कुछ भी नहीं।” वो मेरे करीब सरकीं, और उनकी साड़ी का पल्लू थोड़ा सरक गया। उनकी चूचियाँ मेरे सामने थीं—गोल, टाइट, और मुझे बुला रही थीं।

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“रोहन, तुझे कभी कोई लड़की पसंद आई?” उन्होंने अचानक पूछा। मैं चौंक गया। “भाभी, ये क्या सवाल है?” मैंने हँसते हुए कहा। वो मेरे और करीब आईं, और उनकी साँसें मेरे चेहरे पर पड़ रही थीं। “बता न, मैं तेरी भाभी हूँ,” उन्होंने धीरे से कहा। मैंने उनकी आँखों में देखा और बोला, “भाभी, मुझे तो आप जैसी चाहिए।” वो शरमा गईं, लेकिन उनकी नजरें मेरे होंठों पर टिक गईं। उस पल में हवा में कुछ बदल गया। मैंने उनका हाथ पकड़ा, और वो सिहर उठीं। “रोहन, ये गलत है,” उन्होंने फुसफुसाया, लेकिन उनकी आवाज में वो दम नहीं था।

शाम को बारिश शुरू हो गई। भाभी किचन में खाना बना रही थीं। मैं पीछे से गया और उनकी कमर पर हाथ रख दिया। वो चौंकीं, लेकिन पीछे नहीं हटीं। “रोहन, क्या कर रहा है?” उन्होंने धीरे से कहा। मैंने उनके कानों में फुसफुसाया, “भाभी, आपकी ये कमर मुझे पागल कर रही है।” उनकी साड़ी गीली थी, और उनकी गांड साफ दिख रही थी। मैंने उन्हें अपनी ओर घुमाया। उनकी चूचियाँ मेरे सीने से टकराईं, और वो सिसक उठीं। “रोहन, कोई देख लेगा,” उन्होंने कहा। मैंने हँसकर कहा, “भाभी, घर में तो बस हम हैं।”

उस रात कुछ ऐसा हुआ, जिसकी मैंने कभी कल्पना नहीं की थी। भाभी मेरे कमरे में आईं। वो नाइटी में थीं—पतली, चमकदार, और उनकी चूचियाँ उसमें कैद होने को तैयार नहीं थीं। “रोहन, मुझे नींद नहीं आ रही,” उन्होंने कहा और मेरे बगल में लेट गईं। उनकी साँसें मेरे गले को छू रही थीं। मैंने कहा, “भाभी, आप इतने करीब होंगी तो मेरी भी नींद उड़ जाएगी।” वो हँसीं और मेरे सीने पर हाथ रखकर बोलीं, “तो उड़ा दे, रोहन।” उनकी ये बात मेरे जिस्म में आग लगा गई।

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मैंने उन्हें अपनी बाँहों में खींच लिया। उनके होंठ मेरे होंठों से चिपक गए। वो गर्म थे, नरम थे, और उनकी सिसकियाँ मेरे कान में गूँज रही थीं। मैंने उनकी नाइटी का कंधा सरकाया, और उनकी चूचियाँ मेरे सामने नंगी हो गईं। मैंने उन्हें दबाया, और वो “आह्ह” कर उठीं। “रोहन, धीरे, ये क्या कर रहा है?” उन्होंने कहा। मैंने उनकी चूचियों को चूसा, और उनकी सिसकियाँ तेज हो गईं— “उफ्फ, रोहन, तू मुझे मार डालेगा।” मेरे हाथ उनकी गांड पर चले गए। वो मुलायम थी, गर्म थी, और मैं उसे मसल रहा था। “भाभी, आपकी गांड तो जन्नत है,” मैंने कहा। वो बोलीं, “तो इसे ले ले, रोहन।”

मैंने उनकी नाइटी उतार दी। वो मेरे सामने नंगी थी। उनकी चूत गीली थी, और उसकी महक मुझे पागल कर रही थी। मैंने अपनी शर्ट और पैंट फेंकी, और मेरा लंड बाहर आ गया। भाभी ने उसे देखा और बोलीं, “रोहन, ये तो बहुत बड़ा है।” मैंने हँसकर कहा, “भाभी, आपकी चूत के लिए ही बना है।” मैंने उनकी टाँगें फैलाईं और उनकी चूत पर अपनी जीभ रख दी। वो चिल्ला उठीं— “आह्ह, रोहन, ये क्या कर रहा है? मुझे पागल कर देगा।” मैंने उनकी चूत को चाटा, और वो सिसक रही थीं— “उफ्फ, रोहन, चोद दे मुझे।”

मैंने अपना लंड उनकी चूत पर रगड़ा। वो टपक रही थी। मैंने एक धक्का मारा, और मेरा लंड उनकी चूत में घुस गया। वो चीख पड़ीं— “आह्ह, रोहन, धीरे, मेरी चूत फट जाएगी।” मैंने कहा, “भाभी, आपकी चूत को भर दूँगा।” मैंने उन्हें चोदना शुरू किया। मेरा लंड उनकी चूत को चीर रहा था, और उनकी चूचियाँ उछल रही थीं। वो चिल्ला रही थीं— “आह्ह, रोहन, और तेज। मेरी चूत को फाड़ दे।” मैं पागलों की तरह उन्हें चोद रहा था। उनकी सिसकियाँ कमरे में गूँज रही थीं— “उफ्फ, रोहन, तू मेरा देवर नहीं, मेरा मर्द है।”

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रात भर हमारी चुदाई चलती रही। कभी मैं उन्हें बिस्तर पर चोदता, कभी उन्हें गोद में उठाकर उनकी गांड पर थप्पड़ मारता। उनकी चूत मेरे लंड से भर गई थी, और वो बार-बार सिसक रही थीं— “रोहन, मेरी चूत को मत छोड़ना।” एक बार मैंने उन्हें पलटा और पीछे से उनकी चूत में लंड डाला। उनकी गांड मेरे सामने थी, और मैं उसे मसल रहा था। वो चिल्लाईं— “आह्ह, रोहन, मेरी गांड को भी चोद दे।” मैंने उनकी गांड में उंगली डाली, और वो पागल हो गईं— “उफ्फ, रोहन, तू मुझे जला देगा।”

सुबह के 5 बजे तक हम रुक नहीं सके। आखिरी बार मैंने उन्हें दीवार से सटाकर चोदा। मेरा लंड उनकी चूत में गहराई तक गया, और वो चीख पड़ीं— “रोहन, मेरी चूत सूज गई।” मैंने अपना माल उनकी चूत में छोड़ दिया, और वो निढाल होकर मेरे सीने से चिपक गईं। उनकी साँसें अभी भी गर्म थीं। मैंने उनकी चूचियों को सहलाया और कहा, “भाभी, आपकी जवानी ने मुझे पागल कर दिया।” वो हँसीं और बोलीं, “रोहन, तूने मेरी जवानी को फिर से जगा दिया।”

उस रात के बाद हमारा रिश्ता बदल गया। भाभी मेरे लिए सिर्फ भाभी नहीं थीं। वो मेरी चाहत थीं, मेरी आग थीं। उनकी चूचियाँ, उनकी गांड, उनकी चूत—हर चीज मुझे बेकरार करती थी। हमने वो हदें पार कर दी थीं, जो एक देवर और भाभी को नहीं पार करनी चाहिए। लेकिन उस आग में एक अजीब सा सुकून था। भाभी की जवानी मेरे लिए एक नशा बन गई थी, और मैं उस नशे में डूबने को तैयार था।

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