Virgin Girl Sex Story – मेरा नाम पूजा है, उम्र 20 साल। मैं एक ऐसी लड़की हूँ जिसे देखकर हर मर्द की साँसें थम जाएँ। मेरा रंग गेहुआँ, चूचियाँ भारी, रसीली और उभरी हुई, गांड मोटी, गोल और थिरकती हुई, और मेरी कमर इतनी पतली कि उस पर हाथ फेरने का मन करे। मेरे होंठ गुलाबी और मांसल हैं, और मेरी आँखों में एक मासूमियत थी जो मर्दों को पागल कर देती थी। मैं उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव से हूँ, जहाँ मेरे माता-पिता खेती करते हैं। मेरे परिवार की हालत ठीक नहीं थी, इसलिए मैं 19 साल की उम्र में दिल्ली आई और एक छोटी सी कंपनी में नौकरी शुरू की। ये कहानी उस वक्त की है जब मेरे बॉस, सर जी, ने 2000 रुपये सैलरी बढ़ाने के लिए मेरी वर्जिन चूत चोद दी।
दिल्ली में मैंने एक छोटी सी कंपनी में रिसेप्शनिस्ट की नौकरी शुरू की। मेरी सैलरी 8000 रुपये थी, जो मेरे किराए, खाने और गाँव भेजने के बाद बचती ही नहीं थी। मैं सादा सलवार-कमीज़ पहनती थी, लेकिन मेरा जिस्म ऐसा था कि मेरी चूचियाँ और गांड कपड़ों से छुपती नहीं थीं। कंपनी में मेरे बॉस, अनिल सर, 40 साल के थे। वो साँवले, मज़बूत और रौबीले थे। उनकी नज़रें हमेशा मेरी चूचियों और गांड पर रहती थीं, और वो मुझे काम के बहाने अपने केबिन में बुलाते थे। मैं उनकी भूखी नज़रें देखकर डरती थी, लेकिन मेरे पास नौकरी छोड़ने का ऑप्शन नहीं था।
मेरी जवानी उफान पर थी। मैं वर्जिन थी, और मेरी चूत में हर वक्त खुजली रहती थी। मैं रात को अपने सस्ते से कमरे में लेटकर अपनी चूत में उंगली डालती और सिसकती, “उफ्फ… कोई तो मेरी प्यास बुझाए!” लेकिन मुझे डर था कि अगर मैंने किसी के साथ कुछ किया, तो मेरी इज्ज़त चली जाएगी। फिर भी, अनिल सर की नज़रें मुझे गर्म कर देती थीं। वो मुझे तारीफ करते, “पूजा, तू बहुत सुंदर है।” मैं शरमाकर सिर झुका लेती, लेकिन मेरे जिस्म में आग लग जाती थी।
एक दिन ऑफिस में देर हो गई। सारे कर्मचारी जा चुके थे, और मैं अनिल सर के केबिन में कुछ फाइल्स देने गई। मैंने एक टाइट सलवार-कमीज़ पहनी थी, जिसमें मेरी चूचियाँ और गांड साफ उभर रही थीं। अनिल सर मुझे घूर रहे थे, और उनकी आँखों में एक अजीब सी भूख थी। उन्होंने मुझे बैठने को कहा और बोले, “पूजा, तुझे यहाँ काम करते हुए 6 महीने हो गए। तू बहुत मेहनती है।” मैंने शरमाते हुए कहा, “थैंक यू, सर।” फिर वो बोले, “पूजा, अगर तू चाहे तो मैं तेरी सैलरी 2000 रुपये बढ़ा सकता हूँ।”
मेरी आँखें चमक उठीं। 2000 रुपये मेरे लिए बहुत थे। मैंने उत्साह में पूछा, “सच, सर? लेकिन कैसे?” वो हँसे और मेरे करीब आए। उन्होंने मेरे कंधे पर हाथ रखा और बोले, “बस, तुझे मेरे साथ थोड़ा मज़ा करना होगा।” मैं चौंक गई, लेकिन मेरे पास पैसे की सख्त ज़रूरत थी। मेरी चूत में भी आग लग रही थी, और अनिल सर का मज़बूत जिस्म मुझे तड़पा रहा था। मैंने हिचकते हुए कहा, “सर, ये गलत है।” वो बोले, “पूजा, इसमें गलत क्या है? तू मुझे खुश कर, मैं तुझे खुश करूँगा।”
उनकी बातों ने मेरे अंदर की हवस को जगा दिया। मैं चुप रही, और उन्होंने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उनका चुम्बन गर्म और जंगली था, और मैं उनकी जीभ चूसने लगी। मैं सिसक उठी, “आह्ह… सर, ये क्या कर रहे हो?” वो बोले, “पूजा, तेरी जवानी मुझे पागल कर रही है।” उन्होंने मेरी कमीज़ उतार दी, और मेरी नंगी चूचियाँ उनके सामने थीं। मेरे निप्पल सख्त और गुलाबी थे, और उन्होंने एक चूची को मुँह में लेकर चूसना शुरू किया। मैं चीख पड़ी, “आह्ह… सर, चूसो, मुझे जलन हो रही है!” उनकी जीभ मेरे निप्पल पर नाच रही थी, और उनका दूसरा हाथ मेरी दूसरी चूची मसल रहा था। मेरी चूत गीली हो गई थी, और मैं तड़प रही थी।
उन्होंने मेरा सलवार और पैंटी उतार दी, और मेरी वर्जिन चूत उनके सामने थी। वो बोले, “पूजा, तेरी चूत तो मखमल जैसी है!” उन्होंने मेरी चूत पर उंगली फिराई, और मैं सिसक उठी, “आह्ह… सर, अंदर डालो!” उन्होंने अपनी उंगली मेरी चूत में डाल दी, और मैं चीख रही थी, “उफ्फ… और करो!” उनकी उंगली मेरी चूत की दीवारों को सहला रही थी, और मैं पागल हो रही थी। फिर उन्होंने अपनी पैंट उतारी, और उनका मोटा लंड मेरे सामने था। वो काला, लंबा और सख्त था। मैं डर गई और बोली, “सर, ये बहुत बड़ा है!”
वो हँसे और बोले, “पूजा, डर मत, मैं धीरे करूँगा।” उन्होंने मेरा सिर पकड़ा और अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया। मैंने उसे चूसना शुरू किया, और उनकी गर्मी मेरे मुँह में फैल रही थी। वो सिसक रहे थे, “आह्ह… पूजा, तू तो जन्मजात रंडी है!” मैं उनका लंड चूस रही थी, और मेरी जीभ उनके टोपे पर नाच रही थी। फिर उन्होंने मुझे अपने डेस्क पर लिटाया और मेरी जाँघें फैला दीं। उन्होंने मेरी चूत पर अपना लंड रखा और धीरे से दबाया। मैं चीख पड़ी, “आह्ह… सर, दर्द हो रहा है!”
उन्होंने एक ज़ोरदार धक्का मारा, और उनका लंड मेरी वर्जिन चूत को चीरता हुआ अंदर चला गया। मैं चीख पड़ी, “आह्ह… सर, मेरी चूत फट गई!” मेरी चूत से खून निकल रहा था, लेकिन दर्द के साथ एक अजीब सा मज़ा भी था। वो ज़ोर-ज़ोर से ठाप मारने लगे, और मेरी चूचियाँ उछल रही थीं। मैं सिसक रही थी, “उफ्फ… सर, और ज़ोर से चोदो!” उनकी ठापों से मेरा पूरा शरीर हिल रहा था, और मेरी चूत से रस बह रहा था। मैंने उनकी छाती पकड़ी और बोली, “सर, आपका लंड बहुत मस्त है!”
उन्होंने मेरी चूचियाँ मसलीं, और मैं चीख रही थी, “आह्ह… नोच दो इन्हें!” उन्होंने मेरे निप्पल काटे, और मैं तड़प रही थी, “उफ्फ… और करो!” उनकी ठापों से डेस्क हिल रहा था, और मेरी सिसकियाँ ऑफिस में गूँज रही थीं। कुछ देर बाद उन्होंने मुझे घोड़ी बनाया। मेरी गांड उनके सामने थी, और उन्होंने मेरी गांड पर थप्पड़ मारा। मैं चीख पड़ी, “आह्ह… सर, और मारो!” उन्होंने मेरी चूत में फिर से लंड डाल दिया और ठाप मारने लगे। मैं सिसक रही थी, “उफ्फ… सर, मेरी चूत फाड़ दो!”
फिर उन्होंने मुझे अपनी गोद में उठाया और मेरी चूत में ठाप मारने लगे। मैं उनके कंधों पर थी और चीख रही थी, “आह्ह… सर, मुझे उड़ा दो!” वो ज़ोर-ज़ोर से ठाप मार रहे थे, और मेरा पूरा शरीर काँप रहा था। मैं सिसक रही थी, “उफ्फ… सर, आपका लंड स्वर्ग है!” उन्होंने मेरी चूचियाँ चूसीं, और मैं चीख रही थी, “आह्ह… और चूसो!” फिर उन्होंने मुझे डेस्क पर पटक दिया और मेरी चूत में फिर से ठाप मारने लगे। मैं चीख रही थी, “सर, मेरी चूत को रगड़ डालो!”
कुछ देर बाद उन्होंने कहा, “पूजा, अब मुँह में ले!” मैंने उनका लंड मुँह में लिया और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी। वो सिसक रहे थे, “आह्ह… पूजा, तेरा मुँह बहुत गर्म है!” मैं उनकी आँखों में देख रही थी, और मेरी जीभ उनके लंड पर नाच रही थी। फिर उन्होंने मुझे फिर से लिटाया और मेरी चूत में ठाप मारने लगे। मैं चीख रही थी, “सर, मुझे चोद डालो!” वो ज़ोर-ज़ोर से ठाप मार रहे थे, और मेरी चूचियाँ उछल रही थीं। उन्होंने कहा, “पूजा, मैं झड़ने वाला हूँ!” मैं चीख रही थी, “सर, मेरी चूत में झड़ जाओ!” उन्होंने तेज़ ठाप मारी, और उनका गर्म माल मेरी चूत में भर गया।
मैं काँपते हुए डेस्क पर पड़ी थी, और वो मेरे ऊपर हाँफ रहे थे। मेरा शरीर पसीने और रस से भीगा हुआ था। उन्होंने मेरे माथे पर चूमा और बोले, “पूजा, तू कमाल है। कल से तेरी सैलरी 10,000 हो जाएगी।” मैं हँसते हुए बोली, “थैंक यू, सर।” उस रात के बाद अनिल सर मुझे अक्सर अपने केबिन में बुलाते। वो मेरी चूत और गांड चोदते, और मैं उनकी ठापों में अपनी हवस मिटाती। मेरी सैलरी बढ़ती गई, और मैंने गाँव में अपने परिवार की मदद शुरू की। मेरी वर्जिन चूत ने मुझे नई ज़िंदगी दी, और मैं अनिल सर की पसंदीदा बन गई।