प्रेषक: रमन तूफानी
मेरा नाम रमन है और मैं अपनी बहन का प्रेमी हूँ. ये मेरी कहानी आप पसंद करेंगे अगर आप इन्सेस्ट में दिलचस्पी रखते हैं. मेरी बहन आज मेरी पत्नी बन के रह रही है. मेरी कहानी आपको कैसी लगी इस बहन के यार को ज़रूर लिखना.
मेरा नाम रमन है . मैं नीता दीदी को जब से नहाते हुए देख चुका हूँ, मेरी ज़िंदगी ही बदल गयी. नीता दीदी उस वक्त साबुन मल के नहाने में लगी हुई थी जब मैने देखा की बाथरूम का डोर लॉक नहीं किया हुआ. दीदी अपनी चूत को मल रही थी और बार बार उसकी कामुकता भरी सिसकी निकल जाती थी. मेरी दीदी का दूधिया जिस्म पानी की बूँदों से चमक रहा था और उनकी चुचि मुझे दीवाना बना रही थी. दीदी की आँखें बंद थी क्यों कि उन्हों ने चेहरे पर साबुन लगा रखा था. मैने देखा कि दीदी अब चूत में उंगली कर रही थी. मेरी दीदी मस्ती में आ कर मॅसर्बेशन कर रही थी. मैने सोचा कि ज़रूर किसी मर्द के बारे कल्पना कर रही होगी. काश वो मर्द मैं होता!!! दीदी की साँसें तेज़ी से चल रही थी. उसकी सिसकी मुझे सुनाई पड़ रही थी. तभी मेरा हाथ अपने आप मेरे लंड पर चला गया और मैं उसको अप्पर नीचे हिलाने लगा. दीदी अचानक मूडी और अब उसकी गांड मेरी तरफ आ गयी. गोल गोल गोरे चूतड़ मेरी नज़र के सामने थे और दीदी अब शवर के नीचे खड़ी थी और शवर की धारा सीधी दीदी की चूत पर गिर रही थी. मेरा हाल बुरा हो रहा था और मैने अपना लंड बाहर निकाल कर मूठ मारनी शुरू कर दी.
“ओह……….आआआअररर्रघ” की आवाज़ नीता दीदी के होंठों से निकली. मैं समझ गया कि दीदी झड़ गयी थी. मैं सीधा अपने रूम में गया और मूठ मारता रहा. जब मेरा लंड पिचकारी छोड़ रहा था तो नीता दीदी का जिस्म मेरी आँखों के सामने था. इतना लावा मेरे लंड से आज तक ना निकला था.
जब भी दीदी की शादी की बात चलती तो मैं उदास हो जाता. कई रिश्ते आए लेकिन राकेश जीजा जी का रिश्ता फाइनल कर लिया गया. मम्मी के कहने पर जीजा जी ने सुहागरात हमारे घर पर मनाई. मैने सोचा कि अगर अपनी बहन के साथ सुहागरात नहीं मना सका तो क्या हुआ, कम से कम अपनी बहन को सुहागरात मनाते हुए तो देख सकता हूँ. दरवाज़ा थोड़ा खुला था जिसको जीजा जी बंद करना भूल गये. मेरी किस्मत अच्छी थी. रात के 10 बजे दीदी बेड पर जीजा जी की वेट कर रही थी. मेरी बहना रानी लाल जोड़े में सजी हुई किसी परी से कम नहीं लग रही थी. तभी जीजा जी ने परवेश किया. लगता था कि उन्हों ने पी हुई थी. वो सीधा अपना पाजामा खोलते हुए अपना लंड नीता दीदी के होंठों से लगाने लगे और बोले,”जानेमन, बहुत दिल कर रहा है लंड चुसवाने के लिए, जल्दी से चूस कर झड़ दे इसको फिर चोदुन्गा तेरी चूत और गांड आज!!”
दीदी ने नफ़रत से मूह दूसरी तरफ मोड़ लिया. “ये क्या बद-तमीज़ी है? कितनी गंदी बात कर रहे हैं आप? पेशाब वाला…छ्ह्ही..और ये क्या बोल रहे हैं आप?” लेकिन जीजा जी ने दीदी को बालों से खींचा और अपना सूपड़ा दीदी के कंठ तक धकेल दिया,”चल हरामजादि, नखरे करती है? साली शादी की है तेरे साथ. अच्छी तरह चूस और फिर मेरे लंड के मज़े लूटना अपनी चूत में” दीदी के मुख से गूऊव….गूऊव की आवाज़ आ रही थी और वो लंड को मुख से बाहर निकालने की कोशिस कर रही थी. लेकिन जीजा जी ज़बरदस्ती अपने लंड की चुस्वाई करवा रहे थे. जीजा जी अपनी कमर हिला हिला कर दीदी के मूह में लंड धकेल रहे थे. आख़िर दीदी के मूह में जीजा जी के लंड का फॉवरा छ्छूट पड़ा. दीदी के हलक से एक चीख निकली और जीजा जी के लंड रस की धारा दीदी के होंठों से उनके चेहरे पर फैल गयी. दीदी के मूह से लंड रस टपकने लगा और दीदी ने उल्टी करनी शुरू कर दी.
“ये क्या कर रहे थे? उफफफफ्फ़ मेरा मन खराब हो गया…..उफ़फ्फ़ कितना गंदा है……” दीदी बोल रही थी और जीजा जी हैरानी से देख रहे थे. “साली क्या हुआ? लंड चूसना तो औरत को बहुत अच्छा लगता है…तुझे क्यों पसंद नहीं? उल्टी क्यों कर दी? तुमने कभी लंड नहीं चूसा क्या?’ दीदी ने ना में सिर हिलाया. मैं समझ गया कि जीजा जी एक चालू इंसान हैं और दीदी भोली भली लड़की थी. जीजा जी शायद रंडीबाजी करने वाले थे और मेरी दीदी को भी एक रंडी की तरह चोदना चाहते थे. दीदी ने मूह सॉफ किया और बाथरूम की तरफ बढ़ी. मैं जल्दी से खिसक गया. दीदी बाथरूम में पानी से अपना मूह सॉफ करती रही. मुझे जीजा जी पर बहुत गुस्सा आ रहा था और अपनी दीदी पर प्यार. उस रात नीता दीदी बहुत चिल्लाई और चीखी. शायद जीजा जी ज़बरदस्ती दीदी को चोद रहे थे. “बस करो…भगवान के लिए छोड़ दो मुझे…मैं नहीं ले सकती इतना बड़ा…….आआहह….ऊओह..नाआआअ….बहुत दर्द होता है…..नाहीं…प्लीज़, छोड़ दो मुझे!!!!!” मैं दीदी की हालत देख कर सारी रात सो ना सका.
अगली सुबह दीदी का चेहरा उत्तरा हुआ था. मैने मम्मी को कहते हुए सुना,’नीता.मर्द सब कुछ करते हैं…..बस झेल ले राकेश का…थोड़ी देर की बात है…आदत पड़ जाए गी…बेटी बड़ा तो किस्मत वाली को मिलता है…..
मज़े करोगी..राकेश बहुत अमीर है..तेरी तो ऐश हो गी!!!” लेकिन मैने मन बना लिया. मेरी दीदी ऐश तो करेगी लेकिन जीजा जी के पैसे से और अपने भाई के लंड से. जीजा जी अपने शहर चले गये और मैं जीजा जी की जासूसी करने लग पड़ा. मुझे पता चला कि जीजा जी दीदी को प्यार नहीं करते. अगर चोद्ते भी हैं तो ज़बरदस्ती. जीजा जी के ऑफीस में उनका चक्कर उनकी सेक्रेटरी के साथ चल रहा था. मुझे ये भी पता चला कि, जीजा जी की मौसी की लड़की नीता भी उनके घर में रहती थी जो कि शादी के बाद अपने पति से अलग हो कर जीजा जी के साथ ही रहती थी. जीजा जी के घर के नौकर ने बताया कि जीजा जी ने अपनी मौसेरी बहन को रखैल बना रखा था. औरत सब कुछ बर्दाश्त कर लेती है लेकिन सौतन नहीं. अब मुझे अपनी दीदी को वापिस अपने पास बुलाना था. “जीजा जी, अगर अपनी दीदी को आप से वापिस ना ले लिया तो मेरा नाम राकेश नहीं” मैने अपने आप से वादा किया.
अब मैने जीजा जी के नौकर को रिश्वत दे कर जीजा जी और उनकी बहन के साथ चुदाई की तस्वीरें खींचने के लिए राज़ी किया. नौकर बड़ा हरामी था. फिर मैने जीजा जी के ऑफीस से पता लगाया कि जीजा जी हर शनि वार अपनी सेक्रेटरी के साथ कब रंग रलियाँ मनाने जाते हैं. हर हफ्ते उनकी सेक्रेटरी मोना और जीजा जी बिज़्नेस ट्रिप का बहाना बना कर सुबा चले जाते थे और रात को वापिस लौट आते थे. एक बार मैने पीछा किया और देखा कि शाहर के बाहर एक होटेल संगम में उनका कमरा बुक होता था. कमरा नंबर था 439. मैं प्लान बना कर होटेल में गया और एक दिन पहले मैने 439 रूम बुक कर लिया. रूम के अंदर कॅमरा फिट कर लिया और एक रिकोडर लगा दिया और फिर होटेल के मॅनेजर से बोला,’ मुझे 440 नंबर कमरा भी चाहिए. मनेजर बोला,”सर, 439 नंबर आपको खाली करना पड़ेगा. बस एक दिन के लिए. उसके बाद आप फिर कमरे रह सकते हैं” मैं भी यही चाहता था. कमरा बिल्कुल बेड के सामने था और अपना काम ठीक करेगा. उस शनिवार को जब जीजा जी वापिस लौटे तो मैं 440 नुंबेर्र कमरे में बैठ कर जीजा जी की सारी फिल्म देख रहा था. अब वक्त था जीजा जी को 440 वॉल्ट का झटका देने का.
उधर जीजा जी का नौकर भी मेरे पास जीजा जी और उनकी मौसेरी बहन की फोटो ले आया. मैने उसको पैसे दिए और नीता दीदी को मिलने उनके घर चला गया. शाम का वक्त था. दीदी पिंक सारी पहने हुए थी. गुलाबी रेशमी सारी में दीदी का गुलाबी जिस्म बहुत मस्त लग रहा था. डीप कट ब्लाउस से दीदी की चुचि का कटाव सॉफ दिखाई पड़ रहा था. दीदी का जिस्म कुछ भर चुका था और उनके नितंभ बहुत सेक्सी हो चुके थे. मुझे देख कर दीदी मेरी तरफ दौड़ कर चली आई. मैने दीदी को बाहों में भर लिया. लेकिन अब मैने दीदी को बाहों में लिया जैसे एक आशिक बाहों में लेता है, भाई नहीं!! दीदी ने मेरे मूह चूम लिया और मुझ से लिपटने लगी,”राकेश, मेरे भाई!!इतनी देर से मुझे क्यों नहीं मिलने आया? अपनी बहन से नाराज़ हो क्या? तेरी बहुत याद आ रही थी, भाई!!” मेरे हाथ दीदी के बदन पर रेंग रहे थे और मैं भी दीदी को चूम रहा था. मेरे हाथ अचानक दीदी के नितंभों पर गये और मेरा लंड खड़ा हो गया. दीदी के नितंभ मानो रेशम हों.
जब हम अलग हुए तो मैने जान बुझ कर पुछा,”दीदी जीजा जी कहाँ हैं?” नीता के माथे पर थोड़े बल पड़े लेकिन वो मुस्कुराते हुए बोली,”ऑफीस में होंगे” मैं भाँप गया कि दीदी खुश नहीं है. दीदी शीशे के सामने अपने बॉल संवार रही थी और मेरी नज़र दीदी की गांड पर थी. “दीदी, तुम खुश नहीं दिख रही. जीजा जी तेरा ख्याल भी रखते हैं या नहीं. मुझे तो जीजा जी का चल चलन ठीक नहीं लगता.” कहते हुए मैं दीदी की पीठ के साथ सॅट कर खड़ा हो गया. शीशे में दीदी की गोरी चुचि उप्पेर नीचे होती दिख रही थी. मेरी दीदी मालिका शेरावत लग रही थी. मैने दीदी को पीछे से आलिंगन में ले लिया. मैने अपने होंठ दीदी की गर्दन में छुपाते हुए कहा,” कहीं जीजा जी तुमको धोखा तो नहीं दे रहे? मैने सुना है कि जीजा जी बहुत अयाश किस्म के आदमी हैं. उनका अपनी सेक्रेटरी के साथ अफेर चल रहा है और ……..” दीदी के होंठ काँप रहे थे “और क्या?’ मैने दीदी की चुचि पर हाथ रख दिया और बोला,”सुना है कि जीजा जी का संबंध उनकी मौसेरी बहन के साथ भी है” दीदी मुझ से अलग होने लगी,” राकेश, क्या बक रहे हो? और तुम मेरे जिस्म को क्यों छेड़ रहे थे? राकेश, मैं तेरी बहन हूँ!!! मेरे पति के बारे में झूठ मूठ मत बोलो!!!” मैने दीदी को फिर से आलिंगन में ले लिया और इस बारी उनके होठों पर होठ रख दिए क्यों कि मैं अब उनके सामने आ गया था. दीदी के जिस्म से भीनी भीनी इत्तर की खुश्बू मुझे पागल बना रही थी. उस वक्त अंधेरा सा हो रहा था और मैं हल्के अंधेरे में दीदी की आँखों में एक अजीब सी चमक देख रहा था. शायद दीदी का जिस्म मेरे आलिंगन में पिघलने लगा था और या फिर मेरे दिमाग़ का वेहम था.
“मैं नहीं मानती ये सब. रिंकी उनकी बहन है!!ये क्या बक रहे हो!!!” रिंकी जीजा जी की मौसेरी बहन का नाम था. मैने जीजा जी की अपनी सेक्रेटरी के साथ नंगी तस्वीरें दीदी के सामने फेंक डाली. “ये क्या है, राकेश?” लेकिन सवाल बे मतलब था. फोटोस में जीजा जी सेक्रेटरी की चुचि चूस रहे थे तो दूसरी फोटो में उसकी चूत चाट रहे थे. जीजा जी की सेक्रेटरी थी बहुत ही मस्त. दीदी का चेहरा शरम और गुस्से से लाल हो गया. मैने दूसरा वार किया और उनके नौकर ने जो फोटो जीजा जी और रिंकी के साथ खेंची थी सामने रख दी. एक फोटो में रिंकी जीजा जी को रखी बाँध रही थी और दूसरे में उनका लंड चूस रही थी. फोटोस इतने क्लियर थे कि मेरा खुद का लंड खड़ा हो गया और मैने दीदी की चुचि को ज़ोर से भींच दिया. अब मेरा लंड अकड़ कर दीदी के पेट से टकरा रहा था. दीदी खुद ब खुद मुझ से लिपटने लगी. औरत के अंदर ईर्षा की आग कैसे भड़कती है मैं जानता था. मेरा मन बोल उठा,”मेरी दीदी अब मेरी बन के रहेगी, राकेश बेटा!!”
तभी फोन बज उठा,”हेलो, कौन, क्या? नहीं आयोगे? क्या बात हुई? कहाँ हो तुम? अच्छा, ठीक है” दीदी ने फोन रखा और कहा,”तेरे जीजा जी आज घर नहीं आ रहे. किसी मीटिंग में देल्ही गये हुए हैं” मैं जानता था कि मीटिंग कौन सी है. मैने फोन में से वो नंबर पढ़ा जहाँ से फ़ोन आया था. जब मैने वो नंबर डाइयल किया ती एक लड़की की आवाज़ आई,” होटेल संगम! प्रिया स्पीकिंग” मैने फोन रख दिया. “नीता दीदी, देखोगी कि जीजा जी कौन सी मीटिंग में हैं? जीजा जी मीटिंग में नहीं रंग रलियाँ मना रहे हैं. दीदी तुम इनके साथ ज़िंदगी क्यों खराब कर रही हो? चलो मेरे साथ और आप ही फ़ैसला कर लो” मैने दीदी को पहले तो बाहों में भर कर खूब प्यार किया. खूब चूमा, चॅटा. हमारे होंठ भीग गये किस करते हुए. मैने दीदी को बेड पेर लिटा लिया और उसकी जांघों पर हाथ फेरता रहा. जब मेरा हाथ दीदी की चूत पर गया तो उसने मुझे रोक दिया,’नहीं भैया, नहीं. ये ठीक नहीं है. तुम मेरे भाई हो, बस. हम ये नहीं कर सकते” मैं बोला,”दीदी, लेकिन जीजा जी….” दीदी बोली,”नहीं कह दिया तो मतलब नहीं”
लेकिन मैं दीदी को अपने मोटर साइकल पर बिठा कर संगम होटेल की तरफ़ चल पड़ा. दीदी मेरे पीछे सॅट कर बैठी थी और उसका हाथ बार बार मेरी जाँघ पर रेंग जाता था. मैने होटेल जा कर एक रूम बुक करवाया और अंदर जा कर विस्की ऑर्डर कर डाली. दीदी पहले कुछ सक पकाई लेकिन उसके अंदर तनाव इतना था कि दो पेग एक साथ पी गयी. “बहनचोद कहीं का!!! मैं उसको नहीं छोड़ूँगी अगर तेरी बात सच निकली!!! राकेश तू जो कहे गा करूँगी मेरे भाई अगर तेरी बात साची हुई” मैने एक पेग और दिया दीदी को और उसको फिर चूमने लगा. दीदी भी अब गरम हो चुकी थी. लेकिन जब मैने दीदी का हाथ अपने लंड पर रखा तो उसने लड़खड़ाती आवाज़ में कहा,” राकेश अभी नहीं!!पहले दिखायो राकेश बहन्चोद किसके साथ है साला रंग रलियाँ मना रहा है” मैं दीदी को ले कर जीजा जी के रूम की तरफ ले गया और दरवाज़ा खोल दिया. किस्मत की बात थी कि उन लोगों ने लॉक नहीं किया था. बिस्तर पर नीता नंगी जीजा जी के नीचे पड़ी थी और जीजा जी उसका जिस्म चूम रहे थे.” नीतू मेरी जान, जब से वो कुत्ति नीता आई है, हम को तो च्छूप च्छूप कर चुदाइ करनी पड़ रही है!! मेरा दिमाग़ खराब हो गया था जो मैने उस से शादी कर ली!! साली ढंग से चोदने भी नहीं देती और ना ही उसको चुदाई का कोई ज्ञान है. और उसके सामने तुझे दीदी कहना पड़ता है, ये बात अलग है. असल में तो साली वो मेरी दीदी है और तू मेरा माल, नीतू मेरी रानी बहना मैं तो तुझे अपनी पत्नी मान चुका हूँ,सच!!” नीता जीजा जी के लंड को थाम कर बोली,”और भैया मैं आपको अपना पति मान चुकी हूँ. ऐसे छुप छुप कर कब तक मिलते रहेंगे भैया?”
“ओ बहन्चोद राकेश, तू इस मदारचोड़ रंडी को बना ले अपनी पत्नी!!! और नीता, तू इस बहन्चोद को बना लो अपना पति!! राकेश मैं जा रही हूँ और तुमको देखूँगी कोर्ट में तलाक़ के केस में!!!” दीदी की आवाज़ काँप रही थी. मैं उसको खींच कर रूम में ले गया और दीदी फिर से विस्की पीने लगी. इस हालत में दीदी को घर नहीं ले जा सकता था. दीदी पी कर बेहोशी की हालत में सो गयी और अगले दिन मैं उसको घर ले आया. मा ने पुछा क्या बात हुई तो मैने कहा बाद में बताउन्गा. दीदी सारा दिन सोती रही. दोपहर को मैने मा को सारी बात बताई,” मा, राकेश साला दीदी को कोई सुख नहीं दे सकता. रिंकी ही उसकी पत्नी है उसके लिए, मा!! दीदी को तो एक खिलौना बना कर रखा है उस कामीने ने. कल रात तो दीदी ने खुद देखा है …
कहानी जारी है ….. आगे की कहानी part 2 mei