दोस्तों मिसेज़. नाचिकेत को जब मैने देखा तो देखता ही रह गया. ३६ साल की मिसेज़ नाचिकेत कहीं से भी २६ से ज़्यादा की नहीं लग रही थी. गुलाबी रंगत लिए सफेद रंग, लंबा क़द बड़ी बड़ी आँखें. तराशे हुए होन्ट जैसे अभी उन मे से रस टपक पड़ेंगा. सुराहीदार गर्दन के नीचे उसकी बड़ी बड़ी चुचियाँ कसी हुई ब्लाउस से साफ झलक रही थीं. पतली कमर और फिर पीछे काफ़ी उभार लिए नितंब. “उहह…हुउऊउ…” जब मिसेज़. नाचिकेत को लगा कि मैं जल्दी होश मे नहीं आने वाला तो उस ने अपने गला को साफ करते हुवे मेरा ध्यान भंग किया, तब मैं ह्ड्बाडा कर इधर उधर देखने लगा. “म…म…मैं केतन हूँ, आपकी फॅक्टरी का नया मुलाज़िम हूँ, मुझे सेठ जी ने आपके पास भेजा है.” ” मैं तो नीतू हूँ. ग्लॅड टू सी यू.” उस ने अपना खूबसूरत हाथ आगे बढ़ाया और मुझे कुच्छ हरकत करता नही पाकर खुद मेरा हाथ खींच कर पकड़ लिया.”ओके….पर क्या हम गेट पर ही बातें करें या अंदर चलें…” वह हँसी और मैं उसकी हँसी मे खो चुका था.
“बेटा केतन आज तेरी खैर नहीं, तू सही सलामत निकल ले.” यह सब सोचते हुए मैं नीतू के पिछे चल पड़ा. चलते हुए उसके नितंबों की थिरकन देख कर मेरा तो बुरा हाल था. मेरा जूनियर मेरे अंडरवेर के अंदर उच्छल-कूद कर रहा था. उसे देख कर तो मुर्दों के भी खड़ा हो जाते, मैं तो एक तंदुरुस्त और हंडसॉम नौजवान था. सेठ नाचिकेत के ऑफीस मे आस आन अकाउंट क्लर्क मैं ने हफ्ते भर पहले जाय्न किया था. मेरे काम से सेठ काफ़ी खुश था. आज मैं जैसे ही ऑफीस पहुँचा सेठ जी ने अपने चेंबर मे बुला लिया. “केतन, तुझे बुरा ना लगे तो क्या तुम मेरा एक घरेलू काम कर सकते हो.” सेठ जी की इंसानियत के तो मैं ने काफ़ी चर्चे सुने थे और आज सेठ की बात सुन कर मुझे यकीन हो गया. आप हुक्म कीजिए सर, मैं ज़रूर करूँगा.”
“तुम कोठी चले जाओ. तुम्हारी मालकिन यानी मिसेज़ नाचिकेत को कुच्छ शॉपिंग करनी है. शाम को वहीं से अपने घर चले जाना. मैं सेठ नाचिकेत के बेडरूम मे बैठा सॉफ्ट-ड्रिंक पीते हुए कमरे का जायेज़ा ले रहा था. सेठ जी की वाइफ नीतू मुझे यहीं सोफे पर बिठा कर बाथरूम मे घुस चुकी थी.
“हारिस…थोड़ा टवल दे देना…सामने रखा है.”
मैं टवल लेकर बाथरूम के दरवाज़े पर पहुँचा. गेट पर हल्का हाथ रखा ही था कि वह खुल गया. गाते खुलने से मैं लड़खराया और बॅलेन्स बनाने के लिए एक कदम बाथरूम के भीतर रखा. मगर मेरा पैर वहाँ रखे सोप पर पड़ा और मैं फिसलता हुआ सीधा बाथरूम मे घुस गया, जहाँ नीतू मात्र एक छोटी सी पैंटी मे खड़ी थी. मैं उस से टकराया और उसे लेते हुए बाथरूम की फर्श पर गिरा. मुझे तो कोई खास चोट नहीं आई पर नीतू को शायद काफ़ी चोटें आई थी. वो लगातार कराहे जा रही थी. उसका नंगा बदन और उसे दर्द से कराहता देख कर समझ मे नहीं आ रहा था की क्या करूँ.
“प्लीज़….मुझे उठाओ”मुझे कुच्छ करता ना देख वो कराहती हुई बोली. मैं झट से उसे उठा लिया. आ मैं उस चिकने और रेशम जैसे नर्म बदन को अपनी गोद मे उठाए हुआ था. उसकी बड़ी बड़ी चुचियाँ मेरे सीने से चिपकी हुई थीं. उसका भीगा हुआ चेहरा मेरे चेहरे से आधे इंच दूर था. उसकी साँसें मेरे नथुनो से टकरा रही थीं. मुझे ना जाने क्या हुआ कि अपने होन्ट उसके गुलाबी होंटो पर रख दिए. मैं उसकी आँखों मे देख रहा था. उसकी आँखों मे मुझे हैरत भरी खुशी दिखाई पड़ी, जबकि चंद सेकेंड पहले उसकी आँखों मे केवल तकलीफ़ दिखाई दे रही थी. “जब काफ़ी देर बाद मैं ने अपने होन्ट अलग किए तो वह हाँफ रही थी. उसके चेहरे पर एक शर्मीली मुस्कुराहट थी. मैं तो अपने होश खो ही चुका था मगर उसकी नशीली मुस्कुराहट ने मुझे हौसला दिया.
मैं भूल गया था कि वह तकलीफ़ मे है. मेरे गुस्ताख लब जैसे ही दुबारा आगे बढ़े अचानक उसने अपना हाथ आगे लाकर मुझे रोक दिया. “बड़े जोशीले नौजवान हो तुम….लेकिन मैं तकलीफ़ मे हूँ.”उसी जानलेवा मुस्कुराहट के बीच वह बोली. मैं खुद को बुरा भला कहने लगा. उसे बेड पर ला कर धीरे से लिटा दिया. वह अपने कूल्हे को पकड़ कर कराह रही थी. “नीतू जी मैं डॉक्टर को खबर करूँ?” उसके गोल गोल ठोस उभारो से बमुश्किल नज़रें हटाकर मैने पुछा. ओह्ह्ह…. नहीं…हारिस…तुम थोड़ी मालिश कर सकते हो?” मैं झट से तैयार हो गया. बेड के ड्रॉयर से मूव निकाल कर मैं मालिश करने पहुँच गया. मेरी पैंटी गीली है….इसे प्लीज़ निकाल दो और पहले वह चादर मुझ पर डाल दो.
ओह्ह्ह.. मैने सामने हॅंगर पर रखा बारीक सा चादर उस पर डाल दिया, तब मुझे पता चला कि उसका हाहकारी जिस्म इस नाज़ुक सी चादर मे नहीं छुप सकता. अब मुझे उस अप्सरा की पतली कमर के नीचे विशाल चूतदों से उसकी पैंटी खिचना. मेरे होन्ट सुख रहे थे. चादर के भीतर उस का एक एक अंग पूरी आबो ताब के साथ चमक रहा था. मैं ने धीरे से उसकी जाँघो के पास चादर मे अपने दोनों हाथ घुसाए. वो शांत पीठ के बल लेटी मेरे एक एक हरकत को देख रही थी. उसके चेहरे पर मंद मुस्कुराहट खेल रही थी. जब मेरी नज़र उसके मुस्कुराते लबों पर पड़ी तो मैं और भी नर्वस हो गया. मेरी हाथों की लरज़िश साफ देखी जा सकती थी. आख़िर मेरी उंगली उसकी जाँघ च्छू गयी. क्या कहूँ उस रेशमी अहसास का. मेरी पूरी हथेली और उंगलियाँ उसकी जांघों से सॅट कर बहुत ही धीरे धीरे उपर की तरफ बढ़ रहे थे. “उफफफफ्फ़….ओह्ह्ह” उसकी आवाज़ मे तकलीफ़ कम और मस्ती ज़्यादा थी. हथेलियों का सफ़र जारी था. इसी बीच मेरे दोनो अंगूठे जांघों की जोड़ पर रुक गये. जब मेरा उधर ध्यान गया तो मैं पसीने पसीने हो गया. गीली पैंटी उसकी योनि से चिपक गयी यही. मेरे अंगूठे उसके उभरी हुई योनि को ढके हुए थे.
नीतू की साँसें अचानक तेज़ चलने लगी थीं. मैं अपने हाथो को और उपर सरकाते हुए पैंटी की एलास्टिक तक पहुँच ही गया. “केतन…जल्दी करो ना..” अपनी उठती गिरती साँसों के बीच कराहती आवाज़ मे बोली. मैं ने दोनो तरफ से एलएस्टिक मे उंगलियाँ डाल कर पैंटी को नीचे खिचना शुरू किया. “पता नहीं इतनी छोटी पैंटी कैसे पहनती है.” बड़ी मुश्किल से मैं उसे नीचे खींच रहा था. उसने अपनी चूतड़ उठा कर पैंटी निकालने मे मेरी मदद की. पारदर्शी चादर से उसके शरीर का एक एक कटाव सॉफ झलक रहा था. आज मैं ज़िंदगी मे पहली बार किसी जवान औरत को सर से पैर तक नंगा देख रहा था. मेरे लिंग का तनाव बाहर से सॉफ पता चल रहा था जिसे च्छुपाने का कोई उपाए नहीं था. मूव हाथ मे लेकर मैं बेड पर बैठ गया. टाइट जींस के कारण मुझे बैठने मे परेशानी को देख कर उसने मुझे पैंट उतार कर बैठने को कहा. शरमाते, झिझकते मैं अपना पैंट उतार कर बैठ गया. तभी वह पलट कर पेट के बल हो गयी साथ साथ चादर सिमट कर एक साइड हो गयी और पीछे से उसका पूरा शरीर खुल गया.
उस ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने नितंब पर रखा और मालिश करने को कहा. काँपते हाथों से उसके पहाड़ से उभरे, चिकने और गोरे चूतदों पर मूव की मालिश करने लगा. मेरा 8” का लिंग अंडरवेर से बाहर निकलने को बेताब था. एक बार जब मेरी नज़र उस के चेहरे की तरफ गयी ती उसे मेरे लिंग के उभार की तरफ देखता पाकर शर्मा गया लेकिन कोई चारा नहीं था.
तभी उसी हालत मे लेटे लेटे एक हाथ मेरे लिंग के उभार पर रख दिया. मैं तो एकदम थर्रा गया. क्यों तकलीफ़ दे रहे हो ऐसे, बाहर निकाल दो.” वह धीरे से वहाँ हाथ फेरते हुए बोली. मुझे तो लग रहा था कि अब च्छुटा तब च्छुटा. बड़ी मुश्किल से खुद पर काबू पाता हुआ बोला ये…ये आप क्या कर रही हैं? अचानक वह उठी और मुझे धक्का दे कर बेड पर गिरा दी. मेरे बॉक्सर को तेज़ी के साथ निकल दी. मैं कुच्छ सोचता उस से पहले मेरा एरेक्ट लिंग अपने हाथों मे ले चुकी थी. मैं कुच्छ रेज़िस्ट करने की हालत मे नहीं था. अचानक अपना सर झुका कर मेरे लिंग के छेद से निकल रहे प्रेकुं की बूँद को ज़ुबान से चाट लिया. उसी हालत मे अपनी ज़बान को लिंग की लंबाई मे उपर से नीचे की ओर ले गयी, फिर नीचे से उपर की ओर आई.
मेरे शरीर का सारा खून जैसे सिमट कर मेरे लिंग तक आ चुका था. मेरे लाख कोशिश के बाद भी मैं नहीं रुक सका और मेरे लिंग से वीर्य की तेज़ धार छूट पड़ी. एक दो तीन….पता नहीं कितनी पिचकारियाँ निकली और उस का पूरा चेहरा मेरे वीर्य से भर गया. उसके चेहरे पर खुशी भरी मुस्कान थी.
मैं काफ़ी शर्मिंदा था. जल्दी छूट जाने के कारण भी और अपने वीर्य से उसका चेहरा भर देने के कारण भी. मगर मैं करता भी क्या. मैं मजबूर था. मेरी सोच को उसने पढ़ लिया और बोली..”यार…कितने दिन का जमा कर रखा था. इतनी जल्दी छूट पड़े. लगता है तुम ने कभी चुदाई नहीं की है. चलो आज मैं तुम्हें सब सिखा दूँगी.” और वह खिलखिला कर हंस पड़ी. उसने मेरी शर्ट और बनियान उतार दी. अब हम दोनो एक दूसरे के सामने पूरी तरह नंगे थे. झरने के बाद मेरा जोश कुच्छ कम हो गया था और फिर से मैं झिझक रहा था. यह देख वो बोली “क्यों मुझे गोद मे उठा कर तो खूब किस करना चाह रहे थे अब क्या हुआ.”
“नीतू जी यह सब ठीक है क्या?”
“ठीक है या नहीं, मैं नहीं जानती…पर क्या मैं और मेरा यह गुलाबी रेशमी बदन तुम्हें अच्छा नहीं लगा क्या?” कहते हुए वो एक मस्त अंगड़ाई ली. उसकी चुचियों का उभार और बढ़ गया था. निपल्स और भी खड़े हो गये थे. अब चाहे जो हो मैं दिल की बात पर चलने को तैयार था. “आप…आप की यह मस्त अंगड़ाई तो साधुओं की तपस्या भंग करने वाली है.” और मैं ने उसे अपनी बाहों मे कस लिया. मेरे होन्ट उसके रसभरे होन्ट से जुड़ गये.
वो भी किस मे पूरा पूरा मज़ा ले रही थी. दोनों की ज़बाने एक दूसरे से उलझ रही थीं. अब मैं उसके गालों को चूमता हुआ दाएँ कान की लॉ तक गया. वह मस्ती मे मोन कर रही थी. फिर उसी तरह किस करता हुआ बाएँ कान की लॉ तक गया.
मेरा एक हाथ उसकी मस्त नितंबों को मसल रहा था और दूसरा हाथ उसकी चुचियों से खेल रहा था. अयाया….क्या अहसास था. मैं उसके गले पर अपने होतों का निशान छ्चोड़ता हुवा उन उन्नत पहाड़ियों तक पहुँचा. दोनो स्तनों के बीच की घाटी मे अपना मुँह डाल कर रगड़ने लगा.
मेरा लंड फिर से अपनी पूरी लंबाई को पा कर अकड़ रहा था और उसकी नाभि के आसपास धक्के मार रहा था. इन सब से वह इतना बेचैन हो गयी कि अपनी एक चूंची को पकड़ कर मेरे मुँह मे डाल दी. मैं बारी बारी से काफ़ी देर तक दोनों चुचियों को चूस चूस कर मज़े ले रहा था. उसके मुँह से भी उफ़फ्फ़….आअहह….यअहह….चूऊवसो..और चूसो…जैसे शब्द निकल रहे थे. अब मैं चुचियों को छ्चोड़ कर नीचे बढ़ा. उस की नाभि बहुत ही सुंदर और सेक्सी थी. अपनी ज़ुबान उसमे डाल कर मैं उसे चूसने लगा. वह तो एक्सिटमेंट से तड़प
रही थी. जल्द ही मैं और नीचे बढ़ा.मेरे दोनों हाथ उसके चूतदों पर कस गये.
मेरे सामने उसका सबसे कीमती अंग क्लीन शेव्ड योनि थी. उसकी चूत तो किसी कुँवारी लड़की जैसी थी. अपनी दो उंगलियों की मदद से मैने उसके लिप्स खोले और अपना मुँह लगा दिया.
वहाँ तो पहले से ही नदियों जैसी धारा बह रही थी. उन्हें चूस कर साफ करता मैं अपनी ज़बान उसमे डाल दिया.
उसकी सिसकियाँ तेज़ से तेज़ होती जा रही थी. तभी उसने मेरे सर को ज़ोर से अपनी चूत पर दबा दिया और एक बार फिर झाड़ गयी. “केतन डार्लिंग अब आ जाओ, डाल दो अपना मूसल मारी चूत मे, अब बर्दाश्त नहीं हो रहा….उफफफ्फ़.” मैं भी अब ज़्यादा देर नही करने की पोज़िशन मे था. उसे पीठ के बल लिटा कर उसके पैरों के बीच आ गया. उसने खुद अपनी दोनों जांघें फैला ली. मैं अपने लंड के सुपादे को उसकी लव होल पर रखा ओर ज़ोर का धक्का मारा. लगभग 2” लंड अंदर गया और साथ साथ वो ज़ोर से चीख पड़ी…”ओववव….माआंन्न…..मर गयी….ऊओह” मुझे बड़ा ताज्जुब हुया कि वह वर्जिन लड़की की तरह कर रही थी. इसे मैं उसका नाटक समझ कर एक के बाद एक कई ज़ोरदार झटके लगा दिए. मेरे लंड मे काफ़ी जलन होने लगी थी. उसकी चूत तो सचमुच किसी कुँवारी की तरह कसी हुई थी. वह दर्द से छॅट्पाटा रही थी और तेज़ तेज़ चीख रही थी.
मैने उसकी चीखों को रोकने की कोशिश भी नहीं किया. उसका अपना घर था.अपनी मर्ज़ी से छुड़वा. रही थी. मैं अपना पूरा लंड अंदर डाल कर थोड़ी देर रुक गया और उसकी चुचियों और होन्ट को चूसने लगा. कुच्छ ही पलों मे वह रेलेक्स लगने लगी और अपनी गांद उठा कर हल्का झटका दिया. मैं समझ गया कि अब उसकी तकलीफ़ ख़त्म हो चुकी है. फिर तो मैं जो स्पीड पकड़ा कि उसकी तो नानी याद आ गयी. कितने तरह की आवाज़ें उसके मूह से निकल रही थी. कई बार वह झाड़ चुकी थी. आख़िरकार मेरा भी वक़्त क़रीब आ गया. मैने अपने झटकों की रफ़्तार और तेज़ कर दी. दो चार मिनट के बाद मैं उसकी चूत मे झाड़ गया. हम दोनो पसीने से तर हो चुके थे और हमारी साँसें तेज़ तेज़ चल रही थीं. दोनों अगल बगल लेट कर अपनी साँसें दुरुस्त करने लगे. दस मिनट बाद वह उठी और ज़ोर से मुझसे लिपट गयी. मेरे चेहरे पर चुंबनों की झड़ी लगा दी. “केतन…मेरी जान… आज तुमने मुझे वो खुशी दी है जिस से मैं आज तक अंजान थी.”
“मगर तुम तो शादी शुदा हो…फिर..?” और मुझे उसका चीखना चिल्लाना याद आ गया.
“मैं आज तक कुँवारी थी….और तुम…एक वर्जिन लड़के ने आज मेरा कुँवारापन ख़त्म किया है.” और उस ने मेरे लंड की ओर इशारा किया. मैने अपने लंड को देखा तो दंग रह गया. वह खून से सना हुवा था. उसकी चूत के आस पास भी खून था. “तो..मतलब सेठ जी…” “हां वो नमार्द है” हम दोनों ने बाथरूम जाकर एक दूसरे की सफाई की. बाथरूम मे भी फर्श पर उसकी जम कर चुदाई की. वह एकदम मस्त हो गयी. फिर मैं कपड़े पहन कर चला गया. यह सिलसिला कई माह तक चला. सेठ जी मुझे अपनी कोठी भेज दिया करते थे, जहाँ मैं तरह तरह से उनकी वाइफ नीतू की चुदाई करता. मेरी तरक्की भी हो चुकी थी और मैं अपने ऑफीस की ही एक सुंदर सी लड़की से शादी कर चुका था. मेरी जाय्निंग के 9 महीना बाद मैं अपनी वाइफ के साथ उनकी कोठी मे एक फंक्षन मे शामिल था. सेठ जी के अंधेरे घर मे उनका चिराग आ चुका था. नीतू ने एक सुंदर से बेटे को जन्म दिया था. ना जाने क्यों मैने अपनी वाइफ को उस बच्चे के पास नहीं जाने दिया. दोस्तो कहानी कैसी लगी ज़रूर बताना फिर मिलेंगे एक और नई कहानी के साथ तब तक के लिए विदा आपका दोस्त राहुल |
समाप्त